किशोरियों में सेक्स समस्या
स्वस्थ सेक्सुअलिटी जैसा विषय आज भी भारत में निषेध है और इसी कारण लोगों में सेक्स को लेकर जागरूकता फैलाना भी ज़रूरी हो जाता है। चाहे यह गर्भनिरोधक या डिस्फंशन जैसा विषय हो सेक्सुअल स्वास्थ्य मौन वार्तालाप होने के कारण एक गंभीर विषय बना हुआ है। लेकिन आज अधिकतर महिलाएं यह मौन तोड़ रही हैं।
सेक्सुअलिटी से जुड़ी बहुत सी जानकारियां अकसर सेक्स से जुड़ी बीमारियों या कान्ट्रासेप्शन के विषय में होती हैं और सबसे कम ध्यान देने योग्य विषय होता है यौन व्यवहार जो कि बहुत सी सेक्स से जुड़ी बीमारियों का कारण होता है।
स्वस्थ सेक्सुअलिटी का सम्बन्ध शारीरिक स्वच्छता से नहीं है बल्कि दिमागी व्यवहार से है।
साइकैट्रिस्ट का ऐसा मानना है कि बहुत सी महिलाएं अपनी सेक्स लाइफ से सन्तुष्ट नहीं होतीं क्योंकि वह ऐसे में अपने पार्टनर के साथ भावुकता की कमी महसूस करती हैं। 25 वर्ष की उम्र तक आते आते ऐसी महिलाओं में सेक्स से सम्बन्धित किशोर जिज्ञासा खत्म हो जाती है और वह गहरा सम्बन्ध चाहती हैं जो कि सिर्फ शारीरिक सम्बन्ध से नहीं जुड़ा होता है।
ऐसे में उन्हें यह सलाह देनी चाहिए कि वह जीवन से क्या चाहती हैं। जब एक महिला यह समझ जाती है कि उसकी ज़रूरतें क्या हैं तो उसके लिए यह जानना आसान हो जाता है कि वह अपनी सेक्स लाइफ से क्या चाहती है।
स्वस्थ सेक्सुअल सम्बन्ध का एक दूसरा राज़ है एक दूसरे से बातें करना। प्रारम्भिक उन्मत्त प्रेम का मौसम जैसे जैसे खत्म होता जाता है दंपतियों के बीच यौन क्रिया भी कई कारणों से घटती जाती है चाहे कारण कोई भी हों। ऐसी स्थितियों में यौन स्वास्थ्य सलाहकार ऐसी राय देते हैं कि आप एक दूसरे को सेक्स के अलावा दूसरे किन कारणों से प्रेम करते हैं यह समझाएं। एक दूसरे से प्रेम की भाषा में बात करने की कोशिश करें। सेक्स सिर्फ किसी सम्बन्ध का एक भाग हो सकता है आधार नहीं।
एक दूसरे में विश्वास पैदा करें और एक दूसरे को सम्मान देने का पूरा पूरा प्रयास करें इससे आप एक दूसरे की भावनाओं को समझ सकेंगे और कुंठा से भी बच सकेंगे। हम महिलाओं की वस्तु और शून्य आकार की स्तुति के युग में रह रहे हैं। आश्चर्य की बात यह है कि 60 प्रतिशत से ज़्यादा महिलाएं एपियरेंस बेस्ड काग्निटिव डिस्ट्रैक्शन की शिकार हैं।इसका अर्थ है अपने शरीर के लुक को लेकर असहज महसूस करना।
इस तरह की असुरक्षा महसूस होने से यौन सुख में कमी आती है। इस तरह की असुरक्षा के कारण महिलाओं का यौन सुख से दूर रहना बहुत ही आम है ा
इस समस्या का समाधान है अपने शरीर को लेकर सहज अनुभव करने की कोशिश। इसलिए लड़कियों को स्वयं को प्यार करना सीखना चाहिए क्योंकि विले वैलो के शब्दों में एक लड़की हमेशा खूबसूरत होती है।
स्वस्थ सेक्सुअलिटी का अर्थ सिर्फ अच्छा सेक्स होना नहीं है। बल्कि इसका अर्थ है कि अपने जीवन में सेक्स के महत्व को पहचानना। साइकालाजिस्ट का ऐसा मानना है कि आपको सेक्स के बारे में बहुत अधिक चिंतित होने की आवश्यकता नहीं है बल्कि आपको अपने सम्बन्धों का खास ख्याल रखने की आवश्यकता है। आपके जीवन और सम्बन्धों में सेक्स के आलावा भी बहुत कुछ मायने रखता है।
मानव वास्तव में एक यौन प्राणी है। अगर हम अपने शरीर और अपील को लेकर एक पाजी़टिव नज़रिया लेकर चलें तो शायद जीवन और आसान हो जाये।
स्वस्थ सेक्सुअलिटी के लिए आपस में बातचीत के साथ साथ अपने प्रेम को बिना किसी डर के स्वीकार करना भी बहुत महत्व रखता है।
www.drbkkashyapsexologist.com
स्वस्थ सेक्सुअलिटी जैसा विषय आज भी भारत में निषेध है और इसी कारण लोगों में सेक्स को लेकर जागरूकता फैलाना भी ज़रूरी हो जाता है। चाहे यह गर्भनिरोधक या डिस्फंशन जैसा विषय हो सेक्सुअल स्वास्थ्य मौन वार्तालाप होने के कारण एक गंभीर विषय बना हुआ है। लेकिन आज अधिकतर महिलाएं यह मौन तोड़ रही हैं।
सेक्सुअलिटी से जुड़ी बहुत सी जानकारियां अकसर सेक्स से जुड़ी बीमारियों या कान्ट्रासेप्शन के विषय में होती हैं और सबसे कम ध्यान देने योग्य विषय होता है यौन व्यवहार जो कि बहुत सी सेक्स से जुड़ी बीमारियों का कारण होता है।
स्वस्थ सेक्सुअलिटी का सम्बन्ध शारीरिक स्वच्छता से नहीं है बल्कि दिमागी व्यवहार से है।
साइकैट्रिस्ट का ऐसा मानना है कि बहुत सी महिलाएं अपनी सेक्स लाइफ से सन्तुष्ट नहीं होतीं क्योंकि वह ऐसे में अपने पार्टनर के साथ भावुकता की कमी महसूस करती हैं। 25 वर्ष की उम्र तक आते आते ऐसी महिलाओं में सेक्स से सम्बन्धित किशोर जिज्ञासा खत्म हो जाती है और वह गहरा सम्बन्ध चाहती हैं जो कि सिर्फ शारीरिक सम्बन्ध से नहीं जुड़ा होता है।
ऐसे में उन्हें यह सलाह देनी चाहिए कि वह जीवन से क्या चाहती हैं। जब एक महिला यह समझ जाती है कि उसकी ज़रूरतें क्या हैं तो उसके लिए यह जानना आसान हो जाता है कि वह अपनी सेक्स लाइफ से क्या चाहती है।
स्वस्थ सेक्सुअल सम्बन्ध का एक दूसरा राज़ है एक दूसरे से बातें करना। प्रारम्भिक उन्मत्त प्रेम का मौसम जैसे जैसे खत्म होता जाता है दंपतियों के बीच यौन क्रिया भी कई कारणों से घटती जाती है चाहे कारण कोई भी हों। ऐसी स्थितियों में यौन स्वास्थ्य सलाहकार ऐसी राय देते हैं कि आप एक दूसरे को सेक्स के अलावा दूसरे किन कारणों से प्रेम करते हैं यह समझाएं। एक दूसरे से प्रेम की भाषा में बात करने की कोशिश करें। सेक्स सिर्फ किसी सम्बन्ध का एक भाग हो सकता है आधार नहीं।
एक दूसरे में विश्वास पैदा करें और एक दूसरे को सम्मान देने का पूरा पूरा प्रयास करें इससे आप एक दूसरे की भावनाओं को समझ सकेंगे और कुंठा से भी बच सकेंगे। हम महिलाओं की वस्तु और शून्य आकार की स्तुति के युग में रह रहे हैं। आश्चर्य की बात यह है कि 60 प्रतिशत से ज़्यादा महिलाएं एपियरेंस बेस्ड काग्निटिव डिस्ट्रैक्शन की शिकार हैं।इसका अर्थ है अपने शरीर के लुक को लेकर असहज महसूस करना।
इस तरह की असुरक्षा महसूस होने से यौन सुख में कमी आती है। इस तरह की असुरक्षा के कारण महिलाओं का यौन सुख से दूर रहना बहुत ही आम है ा
इस समस्या का समाधान है अपने शरीर को लेकर सहज अनुभव करने की कोशिश। इसलिए लड़कियों को स्वयं को प्यार करना सीखना चाहिए क्योंकि विले वैलो के शब्दों में एक लड़की हमेशा खूबसूरत होती है।
स्वस्थ सेक्सुअलिटी का अर्थ सिर्फ अच्छा सेक्स होना नहीं है। बल्कि इसका अर्थ है कि अपने जीवन में सेक्स के महत्व को पहचानना। साइकालाजिस्ट का ऐसा मानना है कि आपको सेक्स के बारे में बहुत अधिक चिंतित होने की आवश्यकता नहीं है बल्कि आपको अपने सम्बन्धों का खास ख्याल रखने की आवश्यकता है। आपके जीवन और सम्बन्धों में सेक्स के आलावा भी बहुत कुछ मायने रखता है।
मानव वास्तव में एक यौन प्राणी है। अगर हम अपने शरीर और अपील को लेकर एक पाजी़टिव नज़रिया लेकर चलें तो शायद जीवन और आसान हो जाये।
स्वस्थ सेक्सुअलिटी के लिए आपस में बातचीत के साथ साथ अपने प्रेम को बिना किसी डर के स्वीकार करना भी बहुत महत्व रखता है।
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