बुधवार, 26 अक्तूबर 2016

सेक्स के दौरान दर्द क्यों होता है आईये जानते है कश्यप क्लीनिक प्राo लिo के सुप्रसिद्ध सायको सेक्सोलॉजिस्ट ड़ा० बी०के० कश्यप से

सेक्स के दौरान दर्द क्यों होता है  आईये जानते है  कश्यप क्लीनिक प्राo लिo के सुप्रसिद्ध सायको सेक्सोलॉजिस्ट ड़ा० बी०के० कश्यप से



सेक्स सभी के लिए एक सुखद अनुभव नहीं होता है। पहली बार किया गया सेक्स अकसर पीड़ादायक होता है। यह आम बात है लेकिन अगर एक से अधिक बार सेक्स करने के बाद भी यह दर्द  जारी रहे तो यह चिंता का विषय हो सकता है। कई बार इंटरकोर्स के दौरान महिलाओं और पुरुषों दोनों को दर्द होता है। ऐसे में यह जानना जरूरी है कि इंटरकोर्स के दौरान दर्द होता क्यों है?

सेक्स के दौरान दर्द क्यों होता है ?

पहली बार सेक्स के दौरान दर्द होना आम बात है। पहली बार इंटरकोर्स के दौरान महिलाओं की झिल्ली के फ़टने के कारण महिलाओं के निचले हिस्से में दर्द होता है। वहीं पुरुषों के प्राइवेट पार्ट की स्किन के खिंचने के कारण होता है।
साथ ही पहली बार सेक्स के समय तनाव या टेंशन के कारण निचले हिस्से में सूखेपन के कारण भी दर्द भी होता है। इसके अतिरिक्त महिलाओं को वजाइना में सूजन होना, गर्भनिरोधक गोलियां लेने से या किसी बीमारी के कारण भी यह दर्द  हो सकता है। पुरुषों को सेक्स के दौरन अगर प्राइवेट पार्ट में दर्द होता है जो इसका कारण कोई इंफेक्शन या बीमारी हो सकती है। आइए जानें कुछ ऐसे तरीके जिनसे सेक्स के दौरान होने वाले दर्द को कम किया जा सकता है।

सेक्स के दौरान दर्द का उपचार 

फोरप्ले करें 
इंटरकोर्स से पहले फोरप्ले करना सेक्स के दौरान  होने वाले दर्द को कम करने में मददगार होता है। अगर दर्द होता है तो यह जरूरी है कि पेनीट्रेशन धीरे-धीरे किया जाए।

लुब्रिक़ेंट्स का इस्तेमाल करें 
सेक्स के दौरान दर्द की एक मुख्य वजह सूखेपन को माना जाता है। इसके लिए सेक्स के दौरान लुब्रिकेट्स का इस्तेमाल करना चाहिए। लुब्रिकेंट्स का इस्तेमाल कर पेनीट्रेशन के दौरान होने वाले दर्द  को कम किया जा सकता है। प्राइवेट पार्ट्स को साफ रखें प्राइवेट पार्ट्स को साफ रखना बेहद जरूरी है। इससे इंफेक्शन और एसटीडी रोगों से बचा जा सकता है।

माहौल बनाएं, भावनात्मक सुरक्षा प्रदान करें 
कई बार महिलाओं के मन में इंटरकोर्स के प्रति डर रहता है। इस डर के कारण सेक्स के दौरान प्राइवेट पार्ट में जो गीलापन होना चाहिए वह नहीं हो पाता। इस समस्या से निपटने का सबसे आसान तरीका है डर पर काबू पाना। अपने पार्टनर को इस डर से लड़ने में मदद करनी चाहिए। बातचीत करें और उनका सहयोग दें।
अगर इंटरकोर्स में अधिक दर्द होता है तो इसके विकल्प के तौर पर ओरल सेक्स, मसाज या साथ नहाने जैसी क्रियाओं का आनंद लिया जा सकता है।
अगर इंटरकोर्स के दौरान दर्द रहता है तो डॉक्टर से अवश्य सलाह लेनी चाहिए। कई बार यह दर्द अंदरुनी सूजन या किसी गंभीर चोट के कारण भी हो सकता है। इसलिए सेक्स समस्याओं को नजरअंदाज करने की जगह डॉक्टर से सलाह लेनी चाहिए।

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शुक्रवार, 21 अक्तूबर 2016

रजोनिवृत्ति के लक्षण ( महिलाओं में मासिक धर्म बंद होने के लक्षण आईये जानते है सुप्रसिद्ध सायको सेक्सोलॉजिस्ट ड़ा० बी०के० कश्यप से )

रजोनिवृत्ति के लक्षण (  महिलाओं में मासिक धर्म बंद  होने के लक्षण  आईये जानते है  सुप्रसिद्ध सायको सेक्सोलॉजिस्ट ड़ा० बी०के० कश्यप से )



स्त्रियों में मासिक धर्म के स्थायी रूप से बंद हो जाने को रजोनिवृत्ति कहते हैं. रजोनिवृत्ति होने पर स्त्री में शारीरिक और मानसिक दोनों बदलाव होते हैं. ज्यादातर स्त्रियों में ये परिवर्तन इतनी धीमी गति से होते हैं कि स्त्री को पता तक नहीं चलता है, लेकिन कुछ स्त्रियों को ज्यादा तकलीफ होती है. मेनोपौज़ या रजोनिवृत्ति कोई रोग नहीं है बल्कि यह स्त्री के शरीर की एक सामान्य प्रक्रिया है जिससे होकर एक उम्र के बाद हर महिला को गुज़रना पड़ता है. इसके बाद स्त्री के गर्भ धारण करने की सारी संभावनाएं समाप्त हो जाती हैं. अलग-अलग स्त्रियों में रजोनिवृत्ति अलग-अलग समय पर होती है. अधिकतर औरतों में रजोनिवृत्ति 45 वर्ष से 55 वर्ष के बीच में होता है. लेकिन यह 10 वर्ष से 40 वर्ष की आयु में भी हो सकती है, और यह भी हो सकता है कि 60 की आयु तक भी आपको रजोनिवृत्ति न हो.

रजोनिवृत्ति से जुड़ी महत्वपूर्ण बातें :  

  • रजोनिवृत्ति होने के दौरान महिलाओं को कई स्‍वास्‍थ्‍य समस्याएँ हो सकती हैं, कई बार ये समस्याएँ बहुत पीड़ा देती है.
  • रजोनिवृत्ति होने पर सुस्ती आना, नींद न आना, शरीर में शिथिलता रहना, शरीर के विभिन्न हिस्सों में दर्द रहना, मोटापा बढ़ना इत्यादि समस्याएँ भी हो सकती हैं.
  • रजोनिवृत्ति के लक्षण हर महिला में अलग-अलग होते हैं. किसी में अचानक मासिक धर्म आना बंद हो जाता है तो किसी में धीरे-धीरे.
  • रजोनिवृत्ति महिलाओं के वृद्धावस्था की ओर जाने के लक्षण हैं.
  • रजोनिवृत्ति होना प्राकृतिक है.
  • स्वस्थ महिलाओं को बिना किसी परेशानी के रजोनिवृत्ति हो जाता है यानी हर महीने मासिक के रक्त स्राव में कमी होते जाना और एक दिन पूरी तरह से बंद हो जाना.
  • अस्वस्थ महिलाओं या फिर जिनकी मासिक अनियमित हो, प्रसवकाल में उचित देखभाल न की गई हो, उन महिलाओं को माहवारी बंद होते समय कई परेशानियों से गुजरना पड़ सकता है.

रजोनिवृत्ति के लक्षण :

  • बालों का पतला होना या बालों का गिरना.
  • ह्रदय की धड़कन का तेज़ होना.
  • जोड़ों का दर्द.
  • योनि का सूखापन – प्राकृतिक स्नेहन जो योनि की दीवारों पर होता है और जो कामोत्तेजना के दौरान बढ़ जाता है, रजोनिवृत्ति के दौरान इसकी मात्रा कम हो सकती है. योनि शुष्क हो जाती है और आप बहुत असहज महसूस करती हैं.
  • भटकाव और भूल जाना बहुत ज्यादा पसीना आना.
  • स्तनों का कोमल होना और उनमें दर्द होना.
  • सेक्स के प्रति रूचि कम होना.
  • घबराहट होना.
  • सिर में दर्द, चक्कर आना.
  • स्वभाव में चिड़चिड़ापन आना.
  • ज्यादा शारीरिक कमजोरी होना.
  • पेट से संबंधित समस्या होना.
  • पाचनशक्ति कमजोर होना.
  • उल्टियाँ होना.
  • लगातार कब्ज की समस्या होना.
  • मानसिक तनाव होना.
  • शरीर पर झुर्रियाँ पड़ने लगना.

समय से पहले रजोनिवृत्ति का कारण और ट्रीटमेंट


  • केवल 10 % स्त्रियाँ हीं रजोनिवृत्ति के समय डॉक्टर से सलाह लेती हैं.
  • आप एचआरटी- हॉरमोन थैरेपी (एचटी) का उपयोग कर सकती हैं जिसे कि हॉरमोन पुनर्स्थापन थैरेपी (एचआरटी) या हॉरमोन्स थैरेपी (पीएचटी) भी कहा जाता है.
  • इसके अलावा रजोनिवृत्ति के इलाज के अन्य विकल्पों तौर पर, मौखिक गर्भनिरोधक पिल्स तथा लगाने के लिए योनि की क्रीम का उपयोग कर सकती है.
  • रजोनिवृत्ति होने पर तनाव न लेते हुए हर दिन व्यायाम करना और संतुलित भोजन खाना शुरू कर देना चाहिए.

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सोमवार, 17 अक्तूबर 2016

महिलाएं चाहती हैं, आप जानें सेक्‍स के ये 12 राज...

महिलाएं चाहती हैं, आप जानें सेक्‍स के ये 12 राज...



सेक्‍स संबंध बनाते वक्‍त महिलाएं किसी पुरुष से क्‍या चाहती हैं, यह हमेशा से ही शोध का विषय रहा है. इस पर पहले भी काफी कुछ लिखा जा चुका है. इसी मुद्दे पर ताजातरीन रिसर्च के नतीजे सामने आए हैं. सेक्‍स से जुड़े विषय के एक्‍सपर्ट्स के अलावा 700 से ज्‍यादा महिलाओं ने खुलकर अपने विचार व्‍यक्‍त किए हैं. महिलाएं बिस्‍तर पर क्‍या चाहती हैं मर्द से, जानिए वो 12 राज...

1. सिर्फ कामक्रीड़ा पर ही हो पूरा ध्‍यान
बिस्‍तर पर महिला पार्टनर की यौन-इच्‍छा को तृप्‍त करने के लिए सबसे जरूरी चीज है- ‘जज्‍बा’. सर्वे में शामिल करीब 42 फीसदी महिलाओं ने यह बात स्‍वीकार की है. महिलाएं कई तरीके से पुरुषों के प्‍यार को महसूस करती हैं, जिनमें सबसे ज्‍यादा इनका ध्‍यान खींचता है आपके मुंह से की गईं ‘शरारतें’. आंखों में आंखें डालकर प्‍यार जताना, होठों को संवेदनशील अंगों पर फिराना, किसी और तरीके से देह को छूना महिलाओं को भाता है. जीभ के अगले भाग से नाजुक अंगों का स्‍पर्श भी महिलाओं का मन मचलने के लिए काफी होता है.


2. फोरप्‍ले की अहमियत सबसे ज्‍यादा
कामक्रीड़ा का असली मजा सिर्फ चरम तक पहुंचने पर ही नहीं है, बल्कि इसके हर पल का भरपूर आनंद लेना चाहिए. फोरप्‍ले भी इसका अहम पार्ट है, जिसका अपना मजा है. सर्वे में शामिल महिलाओं ने माना कि फोरप्‍ले के दौरान होने वाली उत्तेजना एकदम अलग तरह की होती है. महिलाओं ने कहा कि पुरुषों को सेक्‍स के मामले में थोड़ा ‘क्रिएटिव’ होना चाहिए. कुछ नया और एकदम अलग अंदाज में किया जाना महिलाओं को खूब भाता है.

3. ‘आनंद’ व ‘संतुष्टि’ में फर्क है
किंसले इंस्टिट्यूट के शोध में यह पाया गया कि पुरुषों के साथ-साथ महिलाओं ने भी यह माना कि उन्‍हें कंडोम के बिना यौन संबंध ज्‍यादा अच्‍छा लगता है. पर महिलाओं ने यह भी माना कि दरअसल संभोग के दौरान कंडोम का इस्‍तेमाल किए जाने पर उन्‍हें ज्‍यादा सुकून मिलता है. यह सुकून 'प्रोटेक्‍शन' को लेकर होता है. सर्वे में शामिल महिलाओं ने कहा कि कंडोम यौन रोगों से बचाव का यह कारगर तरीका है. इसके इस्‍तेमाल से महिलाएं खुलकर सेक्‍स का भरपूर मजा ले पाती हैं.

4. धीरे-धीरे, आराम से...
सभी महिलाएं यही चाहती हैं कि उसके बेहद कोमल अंगों को शुरुआती दौर में ज्‍यादा तकलीफ न दी जाए. महिलाएं पुरुषों से चाहती हैं कि वे उसके सेंसिटिव अंगों के साथ संवेदनशीलता से ही पेश आएं. मतलब यह कि संभोग के दौरान वे चाहे तो जीभ व उंगलियों का इस्‍तेमाल करके जरूरी उत्तेजना पैदा करें, पर कष्‍ट देने से बाज आएं.

5. वातावरण का भी पड़ता है असर
शोध के दौरान 50 फीसदी महिलाओं ने स्‍वीकार किया कि संभोग के दौरान अनुकूल मौसम व वातावरण न होने की वजह से वे चरम तक न पहुंच सकीं. महिलाओं ने माना कि दरअसल पुरुषों के ठंडे पांव की वजह से उन्‍हें ज्‍यादा तकलीफ होती है. डॉ. होल्‍सटेज ने कहा कि सेक्‍स के दौरान वातावरण भी काफी मायने रखता है. अगर कमरे का तापमान अनुकूल रहता है, तो यह सेक्‍स का मजा बढ़ा देता है.

6. सेक्‍स के दौरान पोजिशन का भी रखें खयाल
सेक्‍स संबंध बनाने के दौरान पोजिशन का भी खयाल रखना बेहद जरूरी होता है. स्‍त्री के निचले भाग को अगर दो-तीन तकियों के सहारे थोड़ा-सा और ऊपर उठाकर संभोग किया जाए, तो इससे संसर्ग ठीक से हो पाता है. वह स्थिति भी बेहतर होती है, जब स्‍त्री लेटे हुए पुरुष के ऊपर आकर संभोग करती है. इससे स्त्रियां ‘उन’ अंगों में ज्‍यादा उत्तेजना महसूस करती हैं.
एक और पोजिशन महिलाओं व पुरुषों को अच्‍छा लगता है, वह है ‘डॉगी स्‍टाइल’. मतलब, जिसमें स्‍त्री घुटनों और हाथों के बल खुद को संतुलित किए रहती है और पुरुष उसके ठीक पीछे जाकर संभोग करता है.

7. तरीके तो और भी हैं...
ऑस्‍ट्रेलियन सेक्‍स रिसर्चर जूलियट रिचटर्स कहती हैं कि सर्वे में शामिल पांच में से केवल एक महिला ने माना कि वे केवल एकदम नॉर्मल तरीके से किए गए संभोग से ही चरम तक पहुंच जाती हैं. ज्‍यादातर युवा महिलाओं का मानना था कि वे अपने पार्टनर से चाहती है कि वे सेक्‍स के दौरान अपने हाथ और मुंह का भी ज्‍यादा इस्‍तेमाल करें. उन्‍हें अपनी किताब के लिए 19 हजार लोगों पर किए गए सर्वे के दौरान इस तथ्‍य का पता चला.

90 फीसदी से ज्‍यादा महिलाओं ने माना कि वे केवल सेक्‍स के दौरान अपने पार्टनर द्वारा मुख का भी इस्‍तेमाल किए जाने के बाद चरम तक पहुंचती हैं.
रिसर्च में पाया गया कि जब कामक्रीड़ा आरामदायक तरीके से, धीरे-धीरे, पर लगातार किया जाता है, तो जोड़े चरम तक जल्‍दी पहुंच जाते हैं.

8. जल्‍दबाजी की, तो गए ‘काम’ से
सर्वे में शामिल महिलाओं में से केवल पचास फीसदी ने कहा कि वे 10 मिनट या इससे कम वक्‍त में ही चरम तक पहुंच जाती हैं. सेक्‍स मेडिसिन के एक जर्नल में प्रकाशित स्‍टडी के मुताबिक, सेक्‍स में जल्‍दबाजी दिखलाने पर पुरुष तो संतुष्‍ट हो जाते हैं, पर महिलाएं चरम तक नहीं पहुंच पाती हैं. ऐसे में पुरुषों की जिम्‍मेदारी होती है कि वे बिना हड़बड़ी दिखलाए अपनी पार्टनर को लंबे गेम में साथ लेकर चलें.

9. संवेदनशील अन्‍य अंगों को पहचानें
सेक्‍स पर शोध करने वालों ने पाया है कि केवल G-स्‍पॉट ही आनंद देने के लिए पर्याप्‍त नहीं है, बल्कि महिलाओं के शरीर में और भी ऐसे भाग हैं, जहां संवेदना ज्‍यादा होती है. इसमें A- स्‍पॉट भी शामिल है, जहां सहलाने से महिलाओं का शरीर यौन क्रिया के लिए शारीरिक रूप से तैयार हो पाता है. इस काम में उंगलियों की कारस्‍तानी काम आती है.

10. तैयारी को ठीक से परखें 
कोई स्‍त्री संभोग के लिए तैयार है या नहीं, यह परखने में भी कई बार भूल हो जाती है. कैलिफोर्निया यूनिवर्सिटी में लेक्‍चरर बरबरा कीसलिंग का मानना है कि सिर्फ बाहरी लक्षण से ही इसकी पहचान संभव नहीं है. इनकी नजर में ‘बटरफ्लाई पोजिशन’ सबसे ज्‍यादा बेहतर है.

11. ‘कीमत’ तो अदा करनी ही पड़ती है... 
अगर महिला अपने थकाऊ काम या नींद की कमी की वजह से परेशान है, तो इस स्थिति में वह मुश्किल से उत्तेजित होती है. ऐसे में पुरुषों की जिम्‍मेदारी बढ़ जाती है. पुरुषों को चाहिए कि वे व्‍यंजन पकाने या कपड़े धोने आदि काम में इनकी मदद करें. सर्वे में शामिल महिलाओं ने माना कि ऐसी स्थिति में जब पुरुष उनके काम में मदद करते हैं कि उन्‍हें बेहतर एहसास होता है.

12. जरूरी नहीं कि हर बार चरम तक पहुंचा ही जाए
महिला हर बार चरम तक पहुंच ही जाए, यह कोई जरूरी नहीं है. कई बार तनाव व थकान की वजह से ऐसा नहीं हो पाता. ऐसे में जबरन आधे घंटे तक ‘खेल’ जारी रखने की बजाए इसे खत्‍म करना बेहतर रहता है. चरम तक न ले जाने के लिए हर बार पुरुष ही जिम्‍मेदार नहीं होता. फिर भी अगर महिला चाहे, तो आप अपने हाथों और उंगलियों से उसे संतुष्‍ट कर सकते हैं. कुल मिलाकर इस क्रीड़ा का आनंद ही मायने रखता है.
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रविवार, 16 अक्तूबर 2016


Sexual potency fitness checkup before or after marriage is also provided at our centre by detailed history, examination for male sex hormones, penile blood supply tests, nerves of penis so that they can go for marriage with confidence. They are explained in detail every aspect of sexuality. We provide detail sex education, sex counseling, & sex therapy so that they don't fail & perform coitus with confidence. We tell the patient about female sexual organ as vulva, clitoris, vaginal opening. Then we also teach the correct technique of penile insertion for the first time with a virgin wife. We also tell the G spot in the vagina. This is an approximately one-centimeter size spot on front wall of vagina. This is a very sensitive part of female body. When this part of female body is stimulated, then women get highly aroused & get multiple orgasms. Thus all the men must know these highly erogenous areas of female. After learning these techniques you'll become an expert lover & your partner will always crave for your company. INVESTIGATIONS i.e. DIAGNOSTIC TESTS: At our centre we have all the facility for complete investigation of various causes of Erection difficulties & other sex problems. So we perform following tests, step by step depending on their need based on history & examination. The various diagnostic tests needed/performed are as follows: - Step- I: Hormone Testing: There are two types of hormones in body some stimulates penile hardness whereas there are other hormones which inhibit penile stiffness. Male & Female sex hormones & other associated Hormones are tested by latest-immunoassay techniques. These hormones includes total Testosterones, free testosterones, Prolactins, LH, FSH, T3, T4, TSH others as Cortical, E2, Free testosterones SHBG etc.. Among above tests relevant hormones are tested in that particular patient. Results are available in 36 hours. In the hormone testing either stimulatory sex hormones may be low leading to less erection or those hormones which are inhibitory may be high leading to inhibition of penile erection. These hormones are tested by taking blood sample from forearm. When we find out any of above hormone disorder simply correction of these hormone disorders corrects the erectile dysfunctions in two months time. Blood glucose & other systemic test may be required depending on the need.

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शुक्रवार, 14 अक्तूबर 2016

सेक्स संबन्धी समस्याओं में सर्वश्रेष्ठ है अलसी

सेक्स संबन्धी समस्याओं में सर्वश्रेष्ठ है अलसी



आपकी सारी सेक्स सम्बंधी समस्याएं अलसी खा कर ही सही हो जाएँगी क्योंकि अलसी आधुनिक युग में स्तंभनदोष के साथ साथ शीघ्रस्खलन, दुर्बल कामेच्छा, बांझपन, गर्भपात, दुग्धअल्पता की भी महान औषधि है। आइये जाने पुरुष रोगो में अलसी कैसे काम करती हैं और इसके सेवन की विधि।

कैसे करती हैं अलसी काम।

सबसे पहले तो अलसी आप और आपके जीवनसाथी की त्वचा को आकर्षक, कोमल, नम, बेदाग व गोरा बनायेगी। आपके केश काले, घने, मजबूत, चमकदार और रेशमी हो जायेंगे।

अलसी आपकी देह को ऊर्जावान, बलवान और मांसल बना देगी। शरीर में चुस्ती-फुर्ती बनी गहेगी, न क्रोध आयेगा और न कभी थकावट होगी। मन शांत, सकारात्मक और दिव्य हो जायेगा।

अलसी में विद्यमान ओमेगा-3 फैट, जिंक और मेगनीशियम आपके शरीर में पर्याप्त टेस्टोस्टिरोन हार्मोन और उत्कृष्ट श्रेणी के फेरोमोन ( आकर्षण के हार्मोन) स्रावित होंगे। टेस्टोस्टिरोन से आपकी कामेच्छा चरम स्तर पर होगी। आपके साथी से आपका प्रेम, अनुराग और परस्पर आकर्षण बढ़ेगा। आपका मनभावन व्यक्तित्व, मादक मुस्कान और षटबंध उदर देख कर आपके साथी की कामाग्नि भी भड़क उठेगी।

अलसी में विद्यमान ओमेगा-3 फैट, आर्जिनीन एवं लिगनेन जननेन्द्रियों में रक्त के प्रवाह को बढ़ाती हैं, जिससे शक्तिशाली स्तंभन तो होता ही है साथ ही उत्कृष्ट और गतिशील शुक्राणुओं का निर्माण होता है। इसके अलावा ये शिथिल पड़ी क्षतिग्रस्त नाड़ियों का कायाकल्प करते हैं जिससे सूचनाओं एवं संवेदनाओं का प्रवाह दुरुस्त हो जाता है।

नाड़ियों को स्वस्थ रखने में अलसी में विद्यमान लेसीथिन, विटामिन बी ग्रुप, बीटा केरोटीन, फोलेट, कॉपर आदि की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। ओमेगा-3 फैट के अलावा सेलेनियम और जिंक प्रोस्टेट के रखरखाव, स्खलन पर नियंत्रण, टेस्टोस्टिरोन और शुक्राणुओं के निर्माण के लिए बहुत आवश्यक हैं। कुछ वैज्ञानिकों के मतानुसार अलसी लिंग की लंबाई और मोटाई भी बढ़ाती है।

* आपने देखा कि अलसी के सेवन से कैसे प्रेम और यौवन की रासलीला सजती है, जबर्दस्त अश्वतुल्य स्तंभन होता है, जब तक मन न भरे सम्भोग का दौर चलता है, देह के सारे चक्र खुल जाते हैं, पूरे शरीर में दैविक ऊर्जा का प्रवाह होता है और सम्भोग एक यांत्रिक क्रीड़ा न रह कर एक आध्यात्मिक उत्सव बन जाता है, समाधि का रूप बन जाता है।

अलसी सेवन का तरीकाः-


  • * हमें प्रतिदिन 30 – 60 ग्राम अलसी का सेवन करना चाहिये। 30 ग्राम आदर्श मात्रा है। अलसी को रोज मिक्सी के ड्राई ग्राइंडर में पीसकर आटे में मिलाकर रोटी, पराँठा आदि बनाकर खाना चाहिये। डायबिटीज के रोगी सुबह शाम अलसी की रोटी खायें। कैंसर में बुडविग आहार-विहार की पालना पूरी श्रद्धा और पूर्णता से करना चाहिये। इससे ब्रेड, केक, कुकीज, आइसक्रीम, चटनियाँ, लड्डू आदि स्वादिष्ट व्यंजन भी बनाये जाते हैं।
  • अगर इसको पीस कर रखे तो इसको सात दिन के अंदर सेवन कर ले अन्यथा इसके गुण खत्म हो जाते हैं। नहीं तो इसके बीजो को भून कर रखिये और कभी भी खाइये।
  • * अलसी को सूखी कढ़ाई में डालिये, रोस्ट कीजिये (अलसी रोस्ट करते समय चट चट की आवाज करती है) और मिक्सी से पीस लीजिये. इन्हें थोड़े दरदरे पीसिये, एकदम बारीक मत कीजिये. भोजन के बाद सौंफ की तरह इसे खाया जा सकता है .
  • * अलसी बांझपन, पुरूषहीनता, शीघ्रस्खलन व स्थम्भन दोष में बहुत लाभदायक है।
  • * लिगनेन वनस्पति जगत में पाये जाने वाला एक उभरता हुआ सात सितारा पोषक तत्व है जो स्त्री हार्मोन ईस्ट्रोजन का वानस्पतिक प्रतिरूप है और नारी जीवन की विभिन्न अवस्थाओं जैसे रजस्वला, गर्भावस्था, प्रसव, मातृत्व और रजोनिवृत्ति में विभिन्न हार्मोन्स् का समुचित संतुलन रखता है। लिगनेन मासिकधर्म को नियमित और संतुलित रखता है। लिगनेन रजोनिवृत्ति जनित-कष्ट और अभ्यस्त गर्भपात का प्राकृतिक उपचार है। लिगनेन दुग्धवर्धक है। लिगनेन स्तन, बच्चेदानी, आंत, प्रोस्टेट, त्वचा व अन्य सभी कैंसर, एड्स, स्वाइन फ्लू तथा एंलार्ज प्रोस्टेट आदि बीमारियों से बचाव व उपचार करता है।
  • * सेक्स संबन्धी समस्याओं के अन्य सभी उपचारों से सर्वश्रेष्ठ और सुरक्षित है अलसी। बस 30 ग्राम रोज लेनी है। गर्मियों में इसका सेवन थोड़ा कम करना चाहिए और पानी अधिक पीना चाहिए। नहीं तो गर्मी की वजह से घमोरियां वगैरह हो सकती हैं।

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बुधवार, 12 अक्तूबर 2016

शिलाजीत के फायदे

शिलाजीत के फायदे




शिलाजीत एक गुणकारी औषधी है, जो कई परेशानियों या बीमारियों में हमारे लिए फायदेमंद है. यह हिमालय की पहाड़ियों में पाया जाता है. यह चार प्रकार का होता है, और प्रत्येक के गुण और लाभ अलग-अलग होते हैं. शिलाजीत एक ऐसी औषधी है, जो स्वस्थ्य रहने में हमारी बहुत मदद करता है. शिलाजीत का स्वाद बहुत कड़वा और कसैला होता है. और यह बहुत काला होता है. शिलाजीत का सेवन फायदेमंद है, लेकिन साथ हीं कुछ सावधानियों का भी ध्यान रखना पड़ता है. और खानपान में भी कुछ चीजों के प्रति संयम बरतना पड़ता है. तो आइए जानते है कि शिलाजीत के क्या-क्या फायदे हैं और कैसे इसका उपयोग किया जा सकता है.

शिलाजीत के फायदे :

  • यह नपुंसकता खत्म करता है, और यह स्वप्न दोष को भी दूर करता है.
  • यह सेक्स पॉवर बढ़ाता है और यौन इच्छा में भी वृद्धि करता है.
  • इसका प्रयोग अत्यंत लाभकारी तो है, लेकिन किसी डॉक्टर की सलाह लिए बिना इसका प्रयोग करना आपको नुकसान पहुँचा सकता है.
  • आयु और पाचन क्षमता के अनुसार हीं आपको शिलाजीत का सेवन करना चाहिए.
  • दूध या मधु के साथ इसका सेवन सूरज उगने से पहले करना फायदेमंद रहता है. और इसे खाने के 3-4 घंटे बाद हीं कुछ और चीज खाना चाहिये.
  • मानसिक मजबूती पाने के लिए घी के साथ इसका सेवन करना चाहिए. यह आपको तनावमुक्त रखेगा.
  • जिन लोगों को शीघ्रपतन की समस्या का सामना करना पड़ता है, उन्हें इसका कुछ दिनों तक नियमित सेवन करना चाहिए. इससे शीघ्रपतन किस समस्या खत्म हो जाती है.
  • जब आप शिलाजीत का सेवन कर रहे हों, इस दौरान आपको मांसाहार, सिगरेट, शराब, मसालेदार या खटाई युक्त भोजन नहीं करना चाहिए. आपको रात में ज्यादा देर तक नहीं जगना चाहिए और दिन में नहीं सोना चाहिए.
  • शिलाजीत के उपयोग से शरीर की सूजन भी खत्म हो जाती है.
  • इसके सेवन से महिलाओं के पीरियड की अनियमितता खत्म हो जाती है.
  • यह सुगर रोगियों के सुगर लेवल को सही बनाए रखने में उनकी बहुत मदद करता है.
  • यह आपकी त्वचा को जवान रखने में भी आपकी मदद करता है.
  • ऐसा नहीं है कि इसका सेवन केवल कोई बीमार व्यक्ति हीं कर सकता है, इसका सेवन एक सामान्य स्वस्थ्य व्यक्ति भी कर सकता है. इससे उसका शरीर मजबूत होता है और तंदुरुस्ती बढ़ती है.
  • यह ब्लडप्रेशर में भी फायदा पहुंचाता है.
  • यह सिर दर्द खत्म करने में भी कारगर होता है.
  • शिलाजीत का उपयोग अवश्य करें, लेकिन डॉक्टर की सलाह लिए बिना इसका उपयोग आपके लिए नुकसान दायक हो सकता है. क्योंकि इसकी मात्रा आपकी आयु आपके रोग इत्यादि के आधार पर तय होती है.
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बुधवार, 5 अक्तूबर 2016

श्वेत प्रदर ( सफेद पानी ) का घरेलू इलाज

श्वेत प्रदर ( सफेद पानी ) का घरेलू इलाज 




स्त्रियों की योनी से सफेद पानी का बहना एक साधारण समस्या है. इसमें योनी से पानी जैसा स्त्राव होता है. य़ह खुद कोई रोग नहीं है. लेकिन यह स्त्रियों के लिए बड़ी परेशानी का सबब बन जाता है. इसके कारण चिड़चिड़ापन, पैर-हाथ में दर्द इत्यादि का सामना करना पड़ता है. तो आइए हम जानते हैं कि घरेलू उपायों द्वारा कैसे श्वेत प्रदर को खत्म किया जा सकता है. आपको क्या-क्या करना चाहिए और क्या-क्या नहीं.

श्वेत प्रदर ( सफेद पानी ) की समस्या खत्म करने के घरेलू उपाय :


  • हर दिन कच्चा टमाटर खाना शुरू करें.
  • सुबह-शाम 2 चम्मच प्याज का रस और उतनी हीं मात्रा में शहद मिलाकर पिएँ.
  • जीरा भूनकर चीनी के साथ खाने से फायदा होगा.

  • आंवले का रस और शहद लगातार 1 महीने तक सेवन करें. इससे श्वेत प्रदर ठीक हो जायेगा.
  • हर दिन केला खाएँ, इसके बाद दूध में शहद डालकर पिएँ. इसके आपकी सेहत भी अच्छी होगी और श्राव के कारण होने वाली कमजोरी भी दूर होगी. कम-से-कम तीन महीने तक यह उपाय करें, दूध के ठंडा हो जाने के बाद उसमें शहद डालें.
  • कच्चे केले की सब्जी खाएँ.
  • अगर आपके शरीर में खून की कमी है, तो खून बढ़ाने के लिए हरी सब्जियाँ, फल, चुकन्दर इत्यादि खाएँ.
  • 1 केला लें, उसे बीच से काट लें. उसमें 1 ग्राम फिटकरी भर दें, इसे दिन या रात में एक बार खाएँ. लेकिन ध्यान रखें कि अगर दिन में खाना शुरू किया तो, दिन में हीं खाएँ. और अगर रात में खाना शुरू किया हो, तो रात में हीं खाएँ.
  • तले-भूने चीज या मसालेदार चीज नहीं के बराबर खाएँ.
  • योनी की साफ-सफाई का ध्यान रखें.
  • मैदे से बनी चीजें न खाएँ.
  • एक बड़ा चम्मच तुलसी का रस लें, और उतनी हीं मात्रा में शहद लें. फिर इसे खा लें. इससे आपको आराम मिलेगा.
  • . अनार के हरे पत्ते लें, 25-30 पत्ते…. 10-12 काली मिर्च के साथ पीस लें. इसमें आधा ग्लास पानी डालें, फिर छानकर पी लीजिए. ऐसा सुबह-शाम करें.
  • भूने चने में खांण्ड (गुड़ की शक्कर) मिलाकर खाएँ, इसके बाद 1 कप दूध में देशी घी डाल कर पिएँ.
  • 10 ग्राम सोंठ का, एक कप पानी में काढ़ा बनाकर पिएँ. ऐसा एक महीने तक करें.
  • पीपल के 2-4 कोमल पत्ते लेकर, पीस लें. फिर इसे दूध में उबालकर पिएँ.
  • 1 चम्मच आंवला चूर्ण लें और 2-3 चम्मच शहद लें. और इन्हें आपस में मिलाकर खाएँ. ऐसा एक महीने तक करें.
  • खूब पानी पिएँ.
  • सिंघाड़े के आटे का हलुआ और इसकी रोटी खाएँ.
  • 3 ग्राम शतावरी या सफेद मूसली लें, फिर इसमें 3 ग्राम मिस्री मिलाकर, गर्म दूध के साथ इसका सेवन करें.
  • नागरमोथा, लाल चंदन, आक के फूल, अडूसा चिरायता, दारूहल्दी, रसौता, इन सबको 25-25 ग्राम लेकर पीस लें. पौन लीटर पानी में उबालें, जब यह आधा रह जाय तो छानकर उसमें 100 ग्राम शहद मिलाकर दिन में दो बार 50-50 ग्राम सेवन करें.
  • माजू फल, बड़ी इलायची और मिस्री को बराबर मात्रा में पीस लें. एक सप्ताह तक दिन में तीन बार लें. एक सप्ताह के बाद फिर दिन में एक बार 21 दिन तक लें.
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