शुक्रवार, 23 मार्च 2018

What are the symptoms of erectile dysfunction?

What are the symptoms of erectile dysfunction?


Erectile dysfunction will cause the penis to be unable to acquire or maintain a satisfactory erection. It is important to specify to the doctor the rapidity of onset, the presence of nocturnal erections, and the quality of the erection if it can be attained but not maintained. The quality of an erection can be judged according to the rigidity and the functionality (Is the penis erect enough to allow for vaginal penetration?).
Erectile dysfunction with sudden onset and no previous history of sexual dysfunction suggests a psychogenic cause, unless there was a previous surgery or a genital trauma. The loss of nocturnal erections will suggest a neurologic or vascular cause. Finally, when an erection is not sustained, its loss may be due to an underlying psychological cause or vascular problem. Talk to your doctor if you have noticed any problems with your erectile function.

What is the treatment for erectile dysfunction?
Nowadays, there are many options for men who suffer from erectile dysfunction. Before suggesting pharmacological help, the doctor may suggest a change in lifestyle habits. Since many causes of erectile dysfunction are disorders in which lifestyle changes will have a positive effect, addressing these issues can be helpful. Therefore, regular exercise, a healthy diet, smoking cessation, and limiting alcohol consumption can all have an impact on erectile function. Lifestyle changes can also include the use of a more genitalia-friendly bicycle seat.

इरेक्टाइल डिसफंक्शन होने का मतलब है सेक्चुअल अर्ज होने के बावजूद इरेक्शन नहीं होना। इंटरकोर्स के दौरान मानसिक और शारीरिक तौर पर उत्तेजित होने पर जब पुरूषों को इरेक्शन नहीं हो पाता उस अवस्था को ई.डी. या इरेक्टाइल डिसफंक्शन कहते हैं। इसके कारण पुरूष बहुत ही चिंतित और स्ट्रेस में रहने लगते हैं। साथ में उनकि पर्सनल और सेक्स लाइफ दोनों डिस्टर्ब हो जाती है।
असल में जब पुरूष उत्तेजित होते हैं तब पेनिस के नर्व का नेटवर्क दिमाग को सिग्नल भेजता है जिससे ब्लड के वेसल में ब्लड का फ्लो पूरी तरह से होने लगता है और वह अपनी क्षमता के अनुसार पूरी तरह से खुल जाता है। पेनिस में टिशू के दो कॉलम होते हैं जिसको कॉरपस कॉवेनोसम (corpus cavernosum) कहते हैं, जो ऑर्गन में फैला होता है और वह दो धमनियों में विभाजित होता है। दूसरा कॉलम जिसको कॉरपस स्पॉनजियोसम कहते हैं वह पेनिस के सामने के तरफ होता है। और ब्लड वेसल और नर्व के जाल में होता है। पेनिस के टिप में जो यूरेथ्रा होता है वह कॉरपस स्पॉनजियोसम (corpus spongiosum) के मदद से खुलता है। इससे यूरीन और सिमेन दोनों निकलता है।
जैसे ही ब्रेन से सिग्नल मिलता है कॉरपस कॉवेनोसम के धमनियों में ब्लड फ्लो होने लगता है। इस अवस्था में पेनिस के नर्व में दबाव पड़ता है जिसके कारण कॉरपस कॉवेनोसम पर भी प्रेशर पड़ता है जो पेनिस को इरेक्ट और एक्सपैंड होने में मदद करता है। अगर इस प्रोसेस या प्रक्रिया में जब असुविधा होती है तो इरेक्शन में प्रॉबल्म आने लगता है।
स्ट्रेस, सेक्स के दौरान परफॉर्मेंस के बारे में सोचकर घबड़ाहट, स्मोकिंग या अल्कोहल पीने के कारण इरेक्शन में प्रॉबल्म आ सकता है। सामान्यतः 40 के उम्र के बाद इरेक्टाइल डिसफंक्शन का प्रॉबल्म होता है।
साधारणतः  इन कारणों से इरेक्टाइल डिसफंक्शन होता है-
पेनिस में पर्याप्त मात्रा में ब्लड का फ्लो न होना- 40 के उम्र के बाद ये प्रॉबल्म होने का सबसे बड़ा कारण हाई ब्लड प्रेशर, कोलेस्ट्रॉल, कार्डियोवसकुलर डिज़ीज़ होता है। क्योंकि इससे कारण पेनिस की धमनियां सिकुड़ जाती है जो ब्लड फ्लो को सही तरह से होने से रोकता है और इरेक्शन में प्रॉबल्म आने लगता है।
ब्रेन सिग्नल नहीं दे पाता है- अगर आपको अल्जाइमर डिज़ीज़, मल्टीप्ल स्क्लेरोसीस (multiple sclerosis), पार्किंसन डिज़ीज़ (Parkinson’s disease) है तो ब्रेन रिप्रोडक्टिव ऑर्गन यानि प्रजनन तंत्र को सिग्नल नहीं भेज पाता जिसके कारण इरेक्शन में प्रॉबल्म आता है।


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सोमवार, 12 मार्च 2018

क्या लिंग टूट सकता है (Penis rapchar) ?

 क्या लिंग टूट सकता है (Penis rapchar) ?




हाँ, घबराने की बात नहीं है, ऐसा बहुत ही कम होता है। लेकिन ऐसा हो सकता है, किसी का भी लिंग टूट सकता। जैसा की हम सभी जानते है पेनिस में हड्डी नहीं होती है और जब यह खड़ा होता है तो इसके नसों में खून भर जाता है। अगर  लिंग को कोई बहुत जोर से मोड दे या किशी कारणवश  नसे फट सकती हैं। ऐसा सेक्स के दौरान लिंग के फिसलने से भी हो सकता है और इसमें आप नशों की टूटने की आवाज भी सुन सकते हैं। इसके बाद लिंग में सूजन हो जायेगी और दर्द होगा। ऐसे में तुरंत बर्फ से सेकाई करेऔर तुरन्त किसी डॉक्टर  की सलाह ले।

बहुत सरे लोगों का औसत लम्बाई का लिंग होता है लेकिन ये )उनके दिमाग में बैठ जाता है की उनका बहुत छोटा है। यह एक साइकोलोजिकल कंडीशन होती है जीसे( penile dysmorphic disorder )  कहते हैं। जो की ज्यादा परेसानी वाली बात नहीं है ये कंडीशन एनोरेक्सिया के जैसे होती है जिसमें लोगों को लगता है की वो बहुत मोटे हैं जब की वो बहुत पतले होते हैं।



सोते समय या सुबह उठाने से समय लिंग(Penis) का उत्तेजित होना सामान्य है, एक रात में 4-5 बार लिंग का उत्तेजित होना बहुत सामान्य होता है, ऐसा सपना देखते वक़्त भी होता है। ऐसा क्यों होता है इसका किसी को कारण नहीं पता लेकिन ऐसा स्वस्थ्य पेनिस के लिए होता है।
अगर किसी को सेक्सुअल समय होती है तो डॉक्टर रात के इरेक्शन को चेक करने के लिए बोलते हैं। यदि किसी का रात में खड़ा होता है तो उसकी सेक्सुअल प्रॉब्लम stress और anxiety की वजह से है।

1. अंडकोष का सिकुड़ना क्या सामान्य होता है?
हाँ
स्पर्म को स्वस्थ्य रखने के लिए शरीर अंडकोष का तापमान नियंत्रित करती है। जब वो ठंढे होते हैं तो शरीर उनको सिकोड़ लेती है ताकि वो गर्म रहें और गरमी में अंडकोष लटकते रहते हैं ताकि वो ठंढे रहें।

पेनिस भी कसरत के दौरान या जब ज्यादा मानसिक तनाव में सिकुड़ जाता है, ऐसा इस लिए है की आप का शरीर आप के खून को दूसरी जगह भेज रही है जहाँ ज्यादा जरूरत है।
2 - लिंग का एक तरफ झुकना नार्मल होता है?
हाँ

सभी लोगों के लिंग एक जैसे नहीं हो सकते हैं, सबके अलग अलग दिखाते हैं। सामान्य तौर पर लिसी का दायीं तरफ तो किसी का बायीं तरफ झुका होता है। दाहिना अंडकोष बड़ा होता है और बयां छोटा होता है। लिंग में तनाव के दौरान यह दायें या बाएं झुक सकता है और अंडकोष ज्यादा लटक सकते हैं। अगर आप के पेनिस बहुत जयादा मुड़ा हुआ है और इससे खड़ा होने के दौरान दर्द होता है तो आप को डॉक्टर को दिखाना चाहिए। ऐसा Peyronie’s disease की वजह से हो सकता है।

3- हफ्ते में 5 बार से ज्यादा हस्तमैथुन नुकसान पहुंचता है?
नहीं
क्या आप बहुत ज्यादा हस्तमैथुन करते हैं? नहीं ऐसा नहीं है, बहुत सारे लोग गिनाते बहुत हैं। लेकिन कितनी बार नार्मल है? ऐसा कोई डाटा नहीं है की कितनी बार masturbation नार्मल होता है, बहुत सारे लोग बहुत बार करते हैं जबकि बहुत सारे कम या बहुत कम करते हैं। अगर आप के बहत ज्यादा masturbation से आप के काम, स्कूल या अन्य चीजों पर असर पद रहा है तब समाया है नहीं तो इससे कोई फर्क नहीं पड़ता की आप कितनी बार masturbation करते हैं।



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सोमवार, 5 मार्च 2018

शुक्राणुओं की संख्या बढ़ाने के उपचार

शुक्राणुओं की संख्या बढ़ाने के उपचार 


शुक्राणुओं की संख्या कम होने के कई कारण हो सकते हैं, जैसे पर्यावरण से हुआ प्रदूषण, विषैले ड्रग्स से संपर्क (drugs), धूम्रपान करना, रेडिएशन (radiation), केमिकल (chemical) के संपर्क में आना, भारी धातुओं के संपर्क में आना आदि ।

पुरुषों में औसत शुक्राणुओं की मात्रा 120 से 350 मिलियन पर क्यूबिक सेंटीमीटर (million per cubic centimeter) होती है। शुक्राणु की कमी के कारण, शुक्राणुओं की संख्या तब काफी कम मानी जाती है, जब यह 40 मिलियन पर क्यूबिक सेंटीमीटर से भी कम हो जाए ।

गर्मी भी एक महत्वपूर्ण कारक है, जो शुक्राणुओं के कम होने का कारण माना जाता है। गर्म पानी से स्नान करना, लम्बे समय तक पानी से भरे टब में आराम करना, लम्बे समय तक कुछ ज्यादा ही चुस्त अंतर्वस्त्र पहनकर समय बिताना आदि से भी शुक्राणुओं की संख्या कम हो जाने की काफी संभावनाएं पैदा हो सकती हैं ।

शुक्राणु बढ़ाने के लिए केमिकल के संपर्क में आने से बचें (Reduce chemical exposure)

आजकल के दौर में पुरुष आज से 50 वर्ष पहले के पुरुषों की तुलना में शुक्राणुओं की कमी की समस्या से ज्यादा जूझ रहे हैं। केमिकल से ज्यादा संपर्क शुक्राणुओं की कमी का एक महत्वपूर्ण कारण है। ज़ेनोएस्ट्रोजन्स (xenoestrogens), जैसे डाइअॉॉक्सिन, कीटनाशक, प्लास्टिक्स, PCB और कारखानों के प्रदूषक तत्व (dioxin, pesticides, plastics, PCB’s and industrial pollutants) आप पर काफी हानिकारक प्रभाव छोड़ते हैं। ज़ेनोएस्ट्रोजन्स के आपके स्वास्थ्य पर हानिकारक प्रभाव को दूर करने के लिए नीचे दिए गए नुस्खे अपनाए जा सकते हैं : –
खाद्य पदार्थों को जमा करके रखने के लिए प्लास्टिक के पात्रों का प्रयोग ना करें ; 
प्लास्टिक की बोतलों, बर्तनों तथा ढकने वाली वस्तुओं से भी परहेज करें।
शीघ्रपतन रोकने के घरेलू उपाय
शराब और कैफीन (caffeine) का सेवन कम कर दें। अगर आपको प्रभावी परिणाम चाहिए तो इनका सेवन पूरी तरह से बंद कर दें।
क्लोरीन (chlorine) युक्त नल के पानी, क्लोरीन के ब्लीच (bleach) तथा अन्य क्लोरीन युक्त उत्पादों का प्रयोग ना करें। इसके स्थान पर हाइड्रोजन पेरोक्साइड (hydrogen peroxide) का प्रयोग करना ज़्यादा अच्छा विकल्प साबित होगा।
शुक्राणु बढ़ाने वाला आहार, आपके लिए चारकोल (charcoal) में उबले, तले तथा भुने हुए खाद्य पदार्थों के सेवन से भी परहेज करना अच्छा साबित होगा।
ऐसे भोजन ग्रहण करने का प्रयास करें, जो एंटी ऑक्सीडेंटस (antioxidants) से भरपूर हों । हरी पत्तेदार सब्जियां, फल, गाजर, गोभी आदि का ज्यादा सेवन करें ।
शुक्राणु बढाने के उपाय – स्पर्म काउंट के लिए खानपान सही करें (Improve diet)
शुक्राणु बढाने के उपाय, उर्वरता (fertility) में वृद्धि करने के लिए अपने खानपान में काफी मात्रा में फल, सब्जियों और साबुत या अंकुरित अनाज का सेवन करें। स्पर्म काउंट के लिए धूम्रपान, तम्बाकू, शराब, चाय, कॉफ़ी तथा रिफाइंड कार्बोहाइड्रेट्स (refined carbohydrates) से परहेज करने का प्रयास करें। स्पर्म काउंट के लिए अपने वज़न को नियंत्रण में रखें, क्योंकि ज़रुरत से ज्यादा वज़न बढ़ना भी शुक्राणुओं में कमी का एक बड़ा कारण हो सकता है।

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