रविवार, 17 मार्च 2024

पुरुष गुप्त रोगों में लौंग वाला दूध पीने के फायदे





पुरुष गुप्त रोगों में 'लौंग वाला दूध' पीने के फायदे -.

क्या आपकी कामेच्छे कम होती जा रही है या स्पर्म कि क्वालिटी सही नहीं है? अगर आप शीघ्रपतन, लो सेक्स ड्राइव, लो स्पर्म काउंट और लो टेस्टोस्टेरोन जैसी यौन रोगों से परेशान है, अगर आप अपने पार्टनर को बिस्तर पर संतुष्ट नहीं कर पा रहे या आपके अंदर वीकनेस है तो आप रोज रात में लौंग वाला दूध पीना शुरू कर दें। ये छोटा सा घरेलू उपाय आपकी सेक्स से जुड़ी अनेकों समस्याओं में लाभ प्रदान करती है। आयुर्वेद में लौंग वाले दूध को गुप्त रोगों के लिए उपयोगी माना गया है।

'लौंग वाला दूध' पीने के फायदे


लौंग वाला दूध पुरुषों के मर्दाना ताकत को बढ़ाने के साथ उनके तमाम गुप्त रोंगों का इलाज करता है। नियमित रूप से लौंग वाले दूध अगर सोने से पहले लिया जाए तो शीघ्रपतन, लो स्पर्म काउंट, लो सेक्स ड्राइव और टेस्टोस्टेरोन हॉर्मोन में कमी में लाभ होता है।

शीघ्रपतन रोकने में उपयोगी

लौंग के अंदर वाजीकरण गुण होते हैं। जो आपकी परफॉर्मेंस को सुधारने का काम करते हैं. 2020 में प्रकाशित रिसर्च रिपोर्ट के अनुसार लौंग के सेवन से प्री-मैच्योर इजैक्युलेशन यानी शीघ्रपतन को रोका जा सकता है।

स्पर्म काउंट बढ़ाने में उपयोगी

स्पर्म काउंट यानी शुक्राणुओं की कमी से पुरुषों में फर्टिलिटी की समस्या बढ़ती है लेकिन लौंग में मौजूद फ्लेवेनोइड्स, विटामिन ए प्रोटीन और कार्ब्स स्पर्म काउंट को बढ़ाने में जादुई असर दिखाते हैं।

कामेच्छा की कमी दूर करने में उपयोगी

लो सेक्स ड्राइव या यौनेच्छा में कमी को झेल रहे पुरुष अगर रोज रात में सोने से पहले लौंग वाला दूध पीएं तो ये समस्या भी खत्म हो जाएगी। लौंग के अंदर एफ्रोडिसिएक गुण होते है जो पुरुषों के लिंग में ब्लड फ्लो बढ़ा देते है। इससे सेक्स ड्राइव बढ़ने लगती है।

टेस्टोस्टेरोन बढ़ाने में उपयोगी 

टेस्टोस्टेरोन को पुरुषों का 'सेक्स हॉर्मोन' कहा जाता है। जिसपर उनका यौन स्वास्थ्य निर्भर करता है। शरीर में टेस्टोस्टेरोन कम होने से इरेक्टाइल डिस्फंक्शन, लो स्पर्म काउंट, गंजापन, कमजोरी जैसी समस्या आ जाती है। लेकिन आयुर्वेद में लौंग वाले दूध को टेस्टोस्टेरोन बढ़ाने का कारगर उपाय माना गया है.

कैसे और कब पिएं लौंग वाला दूध 

एक गिलास दूध में 2 लौंग डालकर उबाल ले, फिर इसे गर्म-गर्म रात में सोने से पहले पीना चाहिए।


रविवार, 3 मार्च 2024

“जिनसेंग” यौन समस्याओं की उपयोगी औषधि


                                         

“जिनसेंग” यौन समस्याओं की उपयोगी औषधि


यौन समस्या और बांझपन आज दुनियां में बढ़ती हुई एक आम समस्‍या बन चुकी है। दुनिया भर में लगभग 48 प्रतिशत पुरुष यौन कमजोरी और बांझपन के शिकार हैं।
प्रजनन क्षमता में कमी होने के कई कारण होते हैं। लेकिन सेक्‍स और प्रजनन क्षमता बढ़ाने में आहार और औषधियां अहम योगदान देते हैं। बहुत से लोग यौन शक्ति बढ़ाने और बांझपन को दूर करने के नाम पर कई प्रकार की औषधियां  उपयोग कर रहे हैं। प्रजनन क्षमता बढ़ाने वाली औषधि के रूप में बहुत से आयुर्वेदिक चिकित्‍सक जिनसेंग का उपयोग करने की सलाह देते हैं।

जिनसेंग क्‍या है?


जिनसेंग एक औषधीय जड़ी बूटी है जो प्राचीन समय से ही यौन कमजोरी और बांझपन को दूर करने में उपयोग की जा रही है। जिनसेंग को वैज्ञानिक रूप से पैनेक्‍स जिनसेंग (Panax ginseng) के रूप में जाना जाता है। सामान्‍य रूप से इस औषधी का उपयोग शारीरिक थकान, तनाव और अनिद्रा का इलाज करने में प्रभावी माना जाता है। ये सभी कारण किसी भी महिला या पुरुष में बांझपन का कारण बनते हैं।
औषधी के रूप में नियमित सेवन करने पर जिनसेंग बांझपन और यौन दुर्बलता को कम करने में सहायक होते हैं।
 
यौन समस्‍या के प्रकार

हम सभी लोग यौन समस्‍याओं या यौन रोग का नाम सुनते ही सीधे बांझपन या नामर्दानगी समझ लेते हैं। जबकि ऐसा नहीं है। यौन समस्‍याओं के प्रकार अलग-अलग होते हैं 
यौन रोग सामान्‍य रूप से 3 प्रकार के होते हैं।


स्‍तंभन दोष

किसी भी पुरुष में स्‍तंभन दोष (Erectile dysfunction) सेक्‍स करने के दौरान आने वाली समस्‍या है। इस दौरान सेक्‍स करते समय पुरुषों के लिंग में पर्याप्‍त उत्‍तेजना या कड़ापन नहीं होता है। इस यौन समस्‍या के पीछे कई शारीरिक और मानसिक कारण होते हैं।
शारीरिक स्‍वास्‍थ्‍य समस्‍याओं में मधुमेह, गुर्दे और यकृत की समस्‍याएं, हृदय रोग और हार्मोनल असंतुलन आदि। जबकि मानसिक कारणों में तनाव, अनिद्रा और अवसाद आदि होते हैं।
स्तंभन दोष से बचने के लिए आप इन स्‍वास्‍थ्‍य समस्‍यओं पर विशेष ध्‍यान दें।

स्‍खलन में परेशानी

यौन संबंध बनाने के दौरान स्‍खलन में होने वाली कठिनाई पुरुषों की प्रमुख यौन समस्‍या में से एक है। स्‍खलन की 3 श्रेणियां होती हैं।

शीघ्रपतन (premature) – इस दौरान जब कोई पुरुष यौन संबंध बनाता है तब वह समय से पहले या बहुत ही जल्‍दी स्‍खलित हो जाता है। जिससे उसे और महिला साथी को पर्याप्‍त यौन सुख प्राप्‍त नहीं होता है।

रुक-रुक कर स्‍खलन होना (inhibited) –इस दौरान किसी पुरुष साथी को सेक्‍स के दौरान वीर्य उत्‍सर्जन करने में बहुत परेशानी होती है। इस यौन समस्‍या में यौन संबंध बनाते समय या तो स्‍खलन होता ही नहीं है या बहुत देर तक रूक-रुक कर होता है।

वीर्य का पीछे जाना (retrograde) – इस प्रकार की समस्‍या में स्‍खलन तो होता है लेकिन वीर्य मूत्र मार्ग से बाहर जाने की बजाय अंदर की तरफ मूत्राशय में ही प्रवाहित होते हैं। यह स्‍खलंन संबंधी समस्‍याओं में सबसे गंभीर स्थिति होती है।

पुरुषों में प्रजनन क्षमता संबंधी समस्याओं के लिए उपयोगी 


इस प्रकार की यौन समस्‍या गंभीर होती है क्‍योंकि यह सीधे ही आपकी यौन और प्रजनन क्षमता को प्रभावित करती हैं। इस प्रकार की यौन समस्‍या हार्मोनल असंतुलन, लगातार अवसादरोधी (antidepressants) दवाओं अधिक का सेवन, धूम्रपान और मदिरापान आदि के कारण होती हैं। ये सभी कारण किसी भी पुरुष में बांझपन का कारण बन सकते हैं। लेकिन ऊपर बताई गई सभी यौन समस्‍याओं को दूर करने में जिनसेंग एक प्रभावी औषधी मानी जाती है।
 जिनसेंग पुरुष और महिलाओं दोनों की कामेच्‍छा को बढ़ाने में सहायक होते हैं। जिन लोगों को प्रजनन क्षमता संबंधी समस्‍याएं होती हैं उन्‍हें विशेष रूप से जिनसेंग का सेवन करने की सलाह दी जाती है। जिनसेंग में कई प्रकार के जिनसिनोइड सैपोनिन (ginsenosidesaponins) होते हैं। ये घटक प्रभावशील फाइटोकेमिकल्‍स होते हैं। जिसके कारण तनाव, चिंता आदि को दूर करने के साथ ही यह रोगप्रतिरोध क्षमता में वृद्धि करता है। आप अपनी जीवनशक्ति, ऊर्जा, समग्र स्‍वास्‍थ्‍य और प्रजनन क्षमता बढ़ाने के लिए जिनसेंग जड़ी बूटी का औषधीय उपयोग कर सकते हैं।

जिनसेंग के लाभ 

 
जिनसेंग पुरुषों के शारीरिक स्‍वास्‍थ्‍य के लिए

यौन कमजोरी का एक सामान्‍य कारण रोग प्रतिरोधक क्षमता में कमी हो सकती है। जिनसेंग का नियमित सेवन करने से प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत किया जा सकता है। इसके अलावा जिनसेंग तनाव को कम करने, स्‍वस्‍थ रक्‍त परिसंचरण को बढ़ावा देने और सहनशक्ति को बढ़ाने में सहायक होता है। यदि आपके शरीर में इस प्रकार की समस्‍याएं होती हैं तो ये आपकी यौन क्षमता के लिए हानिकारक हो सकता है। जिससे पुरुषों में बांझपन की समस्‍या हो सकती है।
 
जिनसेंग शुक्राणुओं की संख्‍या बढ़ाये

जिनसेंग का नियमित सेवन पुरुषों में शुक्राणुओं की संख्‍या और उनकी गुणवत्ता को बढ़ाने में सहायक होता है। जिनसेंग का उपभोग करने पर प्रत्‍येक स्‍खलन के दौरान शुक्राणुओं की गतिशीलता और संख्‍या में वृद्धि के कारण प्रजनन क्षमता में वृद्धि होती है। यदि शुक्राणुओं की संख्‍या प्रति स्‍खलन के दौरान 20 मिलियन से कम होती है तो यह प्रजनन क्षमता में कमी या बांझपन के लक्षणों को दर्शाता है। स्‍वस्‍थ यौन क्षमता वाले लोगों में शुक्राणु मूत्र मार्ग में सीधे आगे बढ़ते हैं जबकि जिन लोगों की प्रजनन क्षमता कमजोर होती है उनके शुक्राणु सर्पिल गति से चलते हैं। जिससे वे महिला अंडाशय को निषेचित करने में अस्मर्थ रहते हैं। अध्‍ययनों से पता चलता है कि जिनसेंग का सेवन करने से 50 प्रतिशत तक प्रति स्‍खलन तक समग्र गतिशीलता को बढ़ाने में मदद करता है।

जिनसेंग हाइपोथैलेमस को नियंत्रित करे

अध्‍ययनों से पता चलता है कि जिनसेंग का सेवन करने से पुरुषों के शरीर में हाइपोथैलेमस को नियंत्रित करने में मदद मिलती है। जिससे पुरुषों में टेस्‍टोस्‍टेरोन के स्‍तर को बढ़ाया जा सकता है। टेस्‍टोस्‍टेरोन एक प्रमुख यौन हार्मोन है जो यौन क्षमता को बढ़ाने के साथ ही हृदय को भी स्‍वस्‍थ रखता है। टेस्‍टोस्‍टेरोन पुरुषों के शरीर में कोर्टिसोल नामक हार्मोन को भी नियंत्रित करता है जो तनाव और अवसाद आदि का प्रमुख कारण होता है।
 
जिनसेंग रक्‍त शर्करा कम करे

मानव शरीर में रक्‍त शर्करा का उच्‍च स्‍तर भी प्रजनन क्षमता में कमी या बांझपन का कारण बन सकता है। अध्‍ययनों से पता चलता है कि जिनसेंग का सेवन करने से रक्‍त शर्करा के स्‍तर को भी नियंत्रित करने में मदद मिलती है। शरीर में ग्‍लूकोज का उच्‍च स्‍तर होने के पुरुषों की सेक्‍स सहनशक्ति कमजोर हो सकती है। जिससे वे सेक्‍स के दौरान लंबे समय तक नहीं टिक पाते हैं। यही कारण है कि अधिकांश मधुमेह रोगी बांझपान या कमजोर यौन शक्ति का शिकार होते हैं। लेकिन नियमित रूप से आप जिनसेंग का औषधीय सेवन कर इस प्रकार की समस्‍या से बच सकते हैं।
 
जिनसेंग तनाव कम करे

जिनसेंग एक जड़ी बूटी है जिसमें औषधीय गुण भरपूर मात्रा में होते हैं। यह न केवल आपके यौन स्‍वास्‍थ्‍य बल्कि मानसिक स्‍वास्‍थ्‍य को भी बढ़ावा देने में प्रभावी मानी जाती है। अध्‍ययनों से पता चलता है कि जिनसेंग का मानव शरीर में शांत प्रभाव पड़ता है जो तनाव प्रबंधन में मदद करता है। यदि आप भी तनाव या अवसाद जैसी स्थितियों से गुजर रहे हैं तो यह आपकी कामेच्‍छा पर नकारात्‍मक प्रभाव डाल सकती है। इसलिए अपने तनाव को कम करने और प्रजनन क्षमता बढ़ाने के लिए आप जिनसेंग का उपयोग कर सकते हैं।
 
जिनसेंग यौन प्रदर्शन बढ़ाये

यौन शक्ति बढ़ाने के पारंपरिक उपचार में जिनसेंग का व्‍यापक रूप से उपयोग किया जाता है। प्रजनन क्षमता संबंधी लाभों के संदर्भ में जिनसेंग पर कई प्रकार के अध्‍ययन किये गए हैं जिनसे यह पुष्टि होती है कि जिनसेंग यौन प्रदर्शन और सेक्‍स क्षमता दोनों को बढ़ा सकता है। एक अध्‍ययन में स्‍तंभन दोष वाले 45 रोगियों को श‍ामिल किया गया जिन्‍हें नियमित रूप से जिनसेंग का सेवन कराया गया। इन सभी लोगों के स्‍तंभन प्रदर्शन में सुधार पाया गया। बांझपन जैसी समस्‍या को दूर करने के लिए 8 सप्‍ताह तक प्रतिदन 900 मिली ग्राम जिनसेंग का सेवन दिन में 3 बार करना चाहिए। ऐसा करने से स्‍तंभन दोष सहित अन्‍य यौन कमजोरियों और परेशानीयों को प्रभावी रूप से दूर किया जा सकता है।

जिनसेंग कामेच्‍छा बढ़ाये

जिनसेंग पर किये गए अध्‍ययनों से पता चलता है कि एशियाई और अमेरिकी दोनों प्रकार की जिनसेंग का नियमित सेवन करने से यौन इच्‍छा में वृद्धि में हाती है। एक पशु अध्‍यनन के अनुसार चूहों को प्रति किलो ग्राम वजन के अनुसार एशियाइ जिनसेंग 25-100 मिली ग्राम और अमेरिकी जिनसेंग 2.5 से 10 मिली ग्राम का दैनिक आधार पर सेवन कराया गया। जिससे उन चूहों में सेक्‍स की प्र‍वृत्ति में वृद्धि देखी गई। जिनसेंग का नियमित रूप से पुरुषों द्वारा सेवन करने पर उनके शरीर में हार्मोन संतुलन को बनाए रखने में भी मदद मिलती है। जिनसेंग के औषधीय गुण पुरुष सेक्‍स स्‍टेरॉयड, टेस्‍टोस्‍टेरोन, ल्‍यूटिनाइजिंग हार्मोन आदि को भी बढ़ाने में सहायक होता है। जिससे पुरुषों की कामेच्‍छा में सुधार होता है। यदि आप में भी कामेच्‍छा की कमी है तो अपने दैनिक दिनचर्या में जिनसेंग का नियमित सेवन शामिल करें।

जिनसेंग के उपयोग में सावधानियाँ 

जिनसेंग एक औषधीय जड़ी बूटी है जो स्‍वाभाविक रूप से मानव स्‍वास्‍थ्‍य के लिए अच्‍छी होती है। लेकिन औषधीय गुण होने के कारण इसके कुछ दुष्‍प्रभाव भी हो सकते हैं। विशेष रूप से अधिक मात्रा में सेवन करने के दौरान।

मधुमेह रोगियों को जिनसेंग का सेवन करने से पहले अपने स्‍वास्‍थ्‍य सलाहकार से बात करनी चाहिए। क्‍योंकि अधिक मात्रा में सेवन करने पर यह शरीर में रक्‍त शर्करा को सबसे निचले स्‍तर पर ले जा सकता है।

कैफीन और अन्‍य उत्‍तेजक पदार्थों के साथ जिनसेंग का सेवन हानिकारक हो सकता है। इसलिए जिनसेंग का सेवन करने के दौरान अपने डॉक्‍टर को अपनी स्थिति की पूरी जानकारी दें और उनकी सलाह पर ही जिनसेंग का सेवन करें।

कुछ विशेष प्रकार की दवाओं का उपयोग करने के दौरान जिनसेंग का इस्‍तेमाल करने से बचना चाहिए। यदि आप हृदय रोगी हैं, खून पतला करने की दवा ले रहे हैं, उच्‍च या निम्‍न रक्‍तचाप की दवाएं ले रहे हैं, तब ऐसी स्थिति में जिनसेंग का सेवन करने से बचना चाहिए।




मंगलवार, 20 फ़रवरी 2024

धात गिरने की समस्या (धातुरोग) और समाधान



धात गिरने की समस्या (धातुरोग)और समाधान


व्यक्तियों में बिना किसी से यौन संबंध बनायें वीर्य के अत्यधिक स्राव का होना धात गिरना, स्पर्मेटोरिया, शुक्राणु रोग या धातु रोग कहलाता है। सरल शब्दों में, यौन क्रिया में शामिल हुए बिना ही  स्खलन होना ‘धातु रोग’ कहलाता है।

यह घटना पेशाब या मल त्याग के दौरान भी देखी जा सकती है। इस स्थिति के साथ लिंग में जलन और कमजोरी जैसे विशिष्ट लक्षण भी आ सकते हैं।

आयुर्वेदिक के अनुसार, "धातु" शारीरिक ऊतक प्रणालियों का प्रतीक है। शरीर के भीतर सात अलग-अलग ऊतक प्रणालियाँ होती हैं, जिन्हें "सप्त धातु" कहा जाता है। प्रजनन ऊतकों की पहचान "शुक्र" (वीर्य) धातु के रूप में की जाती है। सात धातुओं में से, शुक्र धातु सबसे परिष्कृत है और इसमें अन्य सभी धातुओं की सर्वोत्कृष्टता समाहित होती है।


वीर्यपात के कारण


यौन गतिविधियों में कभी-कभार शामिल होने से स्पर्मेटोरिया का विकास हो सकता है।
अत्यधिक शराब का सेवन इस स्थिति की शुरुआत में योगदान कर सकता है।
हस्तमैथुन में अत्यधिक लिप्तता भी एक कारण हो सकता है ।
 
शुक्रमेह या धातु रोग के लक्षण

· वीर्य का अनैच्छिक स्राव,

· बेचैनी, रात में हल्का पसीना,

· अनिद्रा (नींद न आना),

· पेशाब करने में कठिनाई,

· हल्की भावनात्मक गड़बड़ी,

· चक्कर आना,

· ऊर्जा की कमी,

· एकाग्रता में कमी

स्पर्मेटोरिया का तुरंत समाधान करने में विफलता से विभिन्न प्रजनन संबंधी विकारों के साथ-साथ कई शारीरिक और मनोवैज्ञानिक समस्याएं भी हो सकती हैं।
धातु रोग या स्पर्मेटोरिया का आयुर्वेदिक दृष्टिकोण

आयुर्वेद के अनुसार, पुरुषों में पाया जाने वाला घना, सफेद, चिपचिपा पदार्थ शुक्र, प्रजनन में अपनी भूमिका के कारण जीवन के सार का प्रतिनिधित्व करता है।

इसके अलावा, यह मनुष्य की शारीरिक शक्ति, बुद्धि, स्मृति और समग्र रूप को बढ़ाता है। इसलिए, वीर्य की कमी को जीवन शक्ति की हानि, स्मृति में कमी के साथ जोड़ा गया है।

शुक्र धातु में संतुलन बहाल करने के लिए, शमन (शांति) और शोधन (शुद्धि) उपचारों का संयोजन नियोजित किया जाता है।
धातु रोग से राहत पाने के लिए सर्वोत्तम आयुर्वेदिक औषधियां

आयुर्वेद धातु रोग का समग्र रूप से इलाज करने की वकालत करता है, जिसमें आहार समायोजन, जीवनशैली में बदलाव और विशिष्ट हर्बल उपचार शामिल हैं।

यहां कुछ आयुर्वेदिक औषधियां हैं जो अक्सर धातु रोग के उपचार के लिए निर्धारित की जाती हैं:
 
1. शिलाजीत

शिलाजीत एक चिपचिपा राल जैसा आयुर्वेदिक दवा है जो सहस्राब्दियों से हिमालय के ऊंचे इलाकों में पौधे और सूक्ष्मजीवी मलबे के टूटने से उत्पन्न होता है। इसमें खनिज, फुल्विक एसिड और अन्य लाभकारी पदार्थों की उच्च सांद्रता होती है। शिलाजीत को आयुर्वेद में एक प्रभावी रसायन (कायाकल्प करने वाला) पौधा माना जाता है।

ऐसा माना जाता है कि शिलाजीत शरीर को पुनर्जीवित करता है, सहनशक्ति बढ़ाता है और शक्ति बहाल करता है। यह प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत करता है, सामान्य स्वास्थ्य में सुधार करता है। शिलाजीत में सूजन-रोधी गुण होते हैं, जो प्रजनन प्रणाली में सूजन और दर्द को कम करने में सहायता कर सकते हैं। यह एक कामोत्तेजक है और माना जाता है कि यह प्रजनन स्वास्थ्य को बढ़ाकर यौन प्रदर्शन में सुधार करता है।

2. अश्वगंधा


अश्वगंधा, जिसे अक्सर "इंडियन जिनसेंग" के नाम से जाना जाता है, और ये बिना किसी संदेह के, भारत में स्वप्नदोष की सर्वोत्तम आयुर्वेदिक दवा है। यह कई फायदे प्रदान करता है जो धातु रोग और संबंधित समस्याओं से निपटने में बहुत फायदेमंद हो सकते हैं।

अश्वगंधा एक इम्यूनोमॉड्यूलेटिंग और पुनर्जीवन देने वाला पौधा है। यह शुक्राणु हानि के इलाज के लिए एक प्रभावी और व्यापक रूप से इस्तेमाल की जाने वाली जड़ी-बूटी है क्योंकि यह पुरुष प्रजनन प्रणाली को बढ़ाती है। यह शुक्राणुओं की संख्या बढ़ाता है और शुक्राणु की गतिशीलता और चिपचिपाहट को भी बढ़ाता है।

यह तनाव और उदासी का मुकाबला कर सकता है, ये दोनों ही स्पर्मेटोरिया के कारण हैं। इसके अलावा, यह पुरुषों में टेस्टोस्टेरोन के स्तर और प्रजनन क्षमता को बढ़ाता है। इसका सेवन सीधे या तेल, पाउडर या काढ़े के रूप में किया जा सकता है।

3. सफेद मूसली


सफेद मूसली एक पौधा है जिसका उपयोग लंबे समय से कामोत्तेजक और अनुकूलन के रूप में किया जाता रहा है। सफेद मूसली यौन इच्छा और प्रदर्शन को बढ़ाने के लिए एक शक्तिशाली कामोद्दीपक है। यह शुक्राणु की गुणवत्ता में सुधार करने में मदद कर सकता है, जो धातु रोग प्रबंधन के लिए आवश्यक है। कहा जाता है कि सफेद मूसली शक्ति को बढ़ाती है।
 
4. गोक्षुरा

गोक्षुरा अपने मूत्रवर्धक और प्रजनन स्वास्थ्य को बढ़ावा देने वाले गुणों के लिए एक लोकप्रिय आयुर्वेदिक जड़ी बूटी है। गोक्षुरा अच्छे मूत्र क्रिया को बढ़ावा देता है, जो धातु रोग के इलाज में सहायता कर सकता है। यह स्वस्थ शुक्राणु उत्पादन और गुणवत्ता को प्रोत्साहित करके पुरुष प्रजनन स्वास्थ्य को लाभ पहुंचाता है। गोक्षुरा एक कामोत्तेजक है जो यौन इच्छा को बढ़ाने में मदद कर सकता है।
 
5. चन्द्रप्रभा वटी

चंद्रप्रभा वटी एक आयुर्वेदिक हर्बल फॉर्मूलेशन है जो अपने मूत्र और प्रजनन प्रणाली प्रभावों के लिए पहचाना जाता है। चंद्रप्रभा वटी अच्छे मूत्र क्रिया को बढ़ावा देती है, जो धातु रोग से निपटने के लिए आवश्यक है। यह प्रजनन अंगों को सही ढंग से संचालित करके सामान्य प्रजनन स्वास्थ्य को बढ़ावा देता है।
 
6. शतावरी

शतावरी एक टॉनिक है जो गुर्दे संबंधी विकारों के इलाज में बेहद उपयोगी है। यौन दुर्बलता के सबसे प्रचलित कारणों में से एक गुर्दे की बीमारी है। परिणामस्वरूप, रात्रिकालीन उत्सर्जन, यौन दुर्बलता और बांझपन का इलाज करने में इसकी दृढ़ता से सलाह दी जाती है।

यह शुक्राणुओं की संख्या, गतिशीलता और जीवन शक्ति को बढ़ाने के लिए भी जाना जाता है। यह सबसे प्रभावी प्राकृतिक प्रतिरक्षा बूस्टर है। शतावरी को सीधे आयुर्वेदिक चिकित्सक की देखरेख में लिया जा सकता है, या इसे व्यापक रूप से सुलभ हर्बल फॉर्मूलेशन, पाउडर, तेल या काढ़े के रूप में लिया जा सकता है।
 

नेचुरल ट्रीटमेंट फॉर स्पर्मेटोरिया


स्पर्मेटोरिया का इलाज न कराने से बांझपन और विभिन्न यौन विकार हो सकते हैं।

· पोषक तत्वों से भरपूर और अच्छी तरह से संतुलित आहार लेने से शुक्राणु रोग के इलाज में पर्याप्त सहायता मिल सकती है।

· यह देखते हुए कि अवसाद और तनाव शुक्राणु रोग के लिए महत्वपूर्ण ट्रिगर हैं ऐसे में ध्यान, योग और नियमित व्यायाम से लाभ होता है ।

· भारत में वीर्यपात को कम करने के लिए कई घरेलू उपचार मौजूद है। इन उपचारों में केसर (केसर), बादाम, काली फलियाँ, अनार का रस और शतावरी की जड़ शामिल हैं।

· शुक्राणु रोग से पीड़ित व्यक्तियों को शराब, धूम्रपान और कड़वे और मसालेदार भोजन से बचना चाहिए।





शुक्रवार, 9 फ़रवरी 2024

सेक्स के बाद महिलाओं में नजर आने वाले साइड इफेक्ट


                                     

सेक्स के बाद महिलाओं में नजर आएं ये लक्षण तो जरूर लें डॉक्टर से सलाह


1- योनि में जलन


सेक्स के बाद योनि में जलन महसूस होना किसी इंफेक्शन का संकेत हो सकता है। दरअसल, ल्यूब्रिकेशन की कमी, बर्निंग सेंसेशन का कारण बनने लगते हैं। वेजाइनल टिशूज में आने वाला खिंचाव भी जलन का कारण साबित होता है, जिसे पेनफुल सेक्स भी कहा जाता है। अगर लंबे समय तक इस तरह की समस्या परेशान कर रही है तो डॉक्टरी जांच करवाएं।
 

2- मसल क्रैंप्स


कुछ महिलाओं को सेक्स के बाद मांसपेशियों में ऐंठन बढ़ने लगती है। सेक्स के दौरान मसल्स में खिंचाव बढ़ने से हाथों, पैरों, काफ मसल्स और हिप्स में ऐंठन बढ़ जाती है। ऐसे में सेक्स से पहले पानी पीने से इस समस्या से बचा जा सकता है। इसके अलावा कुछ योगासनों को अभ्यास भी मसल्स क्रैंप के जोखिम को कम कर देते हैं।


3- वेजाइनल इचिंग


सेक्स के दौरान यीस्ट इंफे्क्शन और एसटीआई संक्रमण योनि में खुजली का कारण बन जाते हैं। इसके अलावा स्किन सेंसटीविटी और कण्डोम के इस्तेमाल से भी इचिंग की समस्या बढ़ने लगती है। ऐसी समस्या को दूर करने के लिए सेक्स के बाद वेजाइना को अवश्य क्लीन कर लें।
 

4- स्पॉटिंग


सेक्स के दौरान स्पॉटिंग होना सामान्य लक्षण नहीं है। वेजाइनल टिशू टियर होने या किसी प्रकार के इंफेक्शन से ग्रस्त होने से ये समस्या बढ़ने लगती है। अगर हर बार इस समस्या का सामना करना पड़ता है, तो डॉक्टरी जांच अवश्य करवाएं।


5- मूड स्विंग होना


सेक्स के बाद साइन ऑफ रिलीफ नज़र आता है। इसके बाद रोना और मूड सि्ंवग होना स्वाभाविक है। इसे हैप्पी टियर्स भी कहा जाता है। ऐसी स्थिति को पोस्ट कोईटल डिस्फोरिया कहा जाता है। इसके चलते महिलाएं अपनी भावनाओं को नियंत्रित नहीं कर पाती है। ऐसे में सेक्स के बाद मूड स्विंग होना और रोना पूरी तरह से सामान्य है।





सोमवार, 29 जनवरी 2024

धूम्रपान बर्बाद कर सकती है आपकी सेक्शुअल लाइफ जानिए धूम्रपान के नुकसान


              

धूम्रपान बर्बाद कर सकती है आपकी सेक्शुअल लाइफ जानिए धूम्रपान के नुकसान 

सिगरेट आज के समय में अधिकांश लोगों के नियमित लाइफस्टाइल का हिस्सा बन चुका है। बहुत छोटी उम्र से ही लोग सिगरेट के आदी हो रहे हैं। ऑफिस में आलस महसूस होने पर लोगों को सिगरेट चाहिए, तो कॉलेज में लेक्चर से बोर होने के बाद स्टूडेंट्स को भी सिगरेट चाहिए। यह तो आप सभी को मालूम होगा की सिगरेट आपकी सेहत के लिए कितना हानिकारक हो सकती है, वहीं यह जानने के बावजूद भी लोग शौक से स्मोकिंग करते हैं।
सिगरेट न केवल आपके लंग्स और हार्ट को प्रभावित करती है, बल्कि आपके सेक्सुअल और रिप्रोडक्टिव हेल्थ पर भी नकारात्मक असर डालती है।

सेक्सुअल हेल्थ को किस तरह प्रभावित कर सकती है स्मोकिंग


1. इरेक्टाइल डिस्फंक्शन का कारण बनती है स्मोकिंग

स्मोकिंग ब्लड वेसल्स को संकुचित कर देता है, जिसकी वजह से पेनिस तक पर्याप्त मात्रा में ब्लड नहीं पहुंचता और पेनिस के लिए इरेक्शन मुश्किल हो जाता है। इरेक्टाइल डिस्फंक्शन केवल पुरुषों के सेक्सुअल लाइफ को प्रभावित नहीं करता, बल्कि यह महिलाओं को भी प्रभावित करता है। क्योंकि यदि पुरुष इरेक्टाइल डिस्फंक्शन का शिकार है, तो जाहिर सी बात है महिलायें सेक्सुअल प्लेजर एंजॉय नहीं कर पाएंगी।

2. स्पर्म और एग क्वालिटी को प्रभावित करती है स्मोकिंग

स्मोकिंग आपकी फर्टिलिटी यानी कि रिप्रोडक्टिव हेल्थ को प्रभावित कर सकती है। यह महिला एवं पुरुष दोनों पर लागू होता है, पुरुषों में स्मोकिंग करने से डीएनए फ्रेगमेंटेशन बढ़ जाता है, जो स्पर्म को डैमेज करते हैं और उन्हें इनफर्टाइल बनाते हैं। साथ ही इससे एंब्रियो डेवलपमेंट और एंब्रियो इंप्लांटेशन में परेशानी होती है और मिसकैरेज का खतरा भी बढ़ जाता है।

महिलाओं में स्मोकिंग ओवेरियन फंक्शन को प्रभावित कर सकती है, जिससे महिलाओं के रिप्रोडक्टिव हार्मोन असंतुलित हो जाते हैं और मेच्योर एग काउंट कम होते जाते हैं। साथ ही साथ यह एग की फर्टिलिटी को भी प्रभावित करती है। स्मोक ओवरी में टॉक्सिक सब्सटेंस क्रिएट करते हैं, जिसकी वजह से एग्स ओवरी में ही खत्म होने लगते हैं।

3. ब्रेस्ट सैगिंग (ढीलापन) का कारण बन सकता है स्मोकिंग

महिलाओं में स्मोकिंग की आदत से ब्रेस्ट सैगिंग की समस्या हो सकती है। हालांकि, बढ़ती उम्र के साथ ब्रेस्ट सैगिंग होना बिल्कुल नॉर्मल है, परंतु यदि आप स्मोकिंग करती हैं, तो यह प्रीमेच्योर सैगिंग का कारण बन सकता है। इसके साथ ही स्मोकिंग ब्रेस्ट कैंसर के खतरे को भी बढ़ा देता है। ब्रेस्ट सेक्सुअल एक्टिविटीज में एक अहम भूमिका निभाता है, और इसके प्रभावित होने से सेक्सुअल लाइफ पर नकारात्मक असर पड़ता है।

4. प्रीमेच्योर मेनोपॉज का कारण बन सकती है स्मोकिंग

स्मोकिंग जैसे लाइफस्टाइल फैक्टर मेनोपॉज के समय को प्रभावित करते हैं। सिगरेट पीने से ओवेरियन एजिंग की प्रक्रिया समय से पहले शुरू हो जाती है और परिप्रोडक्टिव हार्मोंस भी प्रभावित होते हैं। साथ ही ओवेरियन जर्म सेल्स पर स्मोकिंग का टॉक्सिक प्रभाव होता है, जो समय से पहले मेनोपॉज का कारण बन सकता है। इसके अलावा तंबाकू में मौजूद टॉक्सिंस एस्ट्रोजन प्रोडक्शन और सर्कुलेशन को प्रभावित करते हैं।

5. बढ़ जाता है वेजाइनल डिस्चार्ज का स्मेल और इन्फेक्शन का खतरा

स्मोकिंग करने से महिलाओं में हार्मोंस असंतुलित हो जाता है, जिसकी वजह से वेजाइनल माइक्रोबायोम असंतुलित हो जाता है और यह हानिकारक बैक्टीरिया को अपनी ओर आकर्षित करता है। जिससे कि संक्रमण का खतरा बढ़ जाता है। इसके साथ ही बॉडी में टॉक्सिंस के बढ़ने से वेजाइनल डिस्चार्ज से अधिक स्मेल आ सकता है। यह फैक्टर महिलाओं के रिप्रोडक्टिव और सेक्सुअल हेल्थ को नकारात्मक रूप में प्रभावित करता है।





गुरुवार, 28 दिसंबर 2023

चालीस के बाद सेक्शुअल हेल्थ को कैसे रक्खे सही


चालीस के बाद सेक्शुअल हेल्थ को कैसे रक्खे सही

 
उम्र बढ़ने पर कपल्स के मन में कई तरह की शंकाएं और बीमारिया बढ़ने लगती हैं। इसकी वजह से उनकी सेक्स लाइफ खराब होने लगती है। खासतौर पर 40 के बाद कपल्स के बीच इस तरह की परेशानियां कॉमन हैं। उनकी लाइफ में धीरे-धीरे सेक्सुअल एक्टिविटी खत्म होने लगती है। अपने शरीर को फिट रखिए। 40 के बाद बहुत सी बीमारियों जैसे डायबिटीज, हाई ब्लड प्रेशर, कोलेस्ट्रॉल आदि का खतरा बढ़ जाता है। ये बीमारियां आपकी सेक्शुअल परफॉरमेंस को भी घटाती हैं। इसलिए योग, एक्सरसाइज, जॉगिंग, जुम्बा, कुछ भी करिए लेकिन अपने शरीर का ध्यान रखिए। ऐसे में आपको 40 के बाद सेक्सुअली एक्टिव रहना बहुत ही जरूरी है।
 

40 के बाद सेक्स क्यों है जरूरी

 
कुछ रिसर्च के अनुसार, जो कपल्स को सप्ताह में कम से कम 3 बार सेक्स करते हैं, उनके नींद की गुणवत्ता बेहतर होती है। साथ ही इससे उनका मानसिक तनाव भी कम होता है। वहीं, इससे महिलाओं में मेनोपॉज के बाद होने वाली ड्राईनेस, दर्द इत्यादि को कम किया जा सकता है। ध्यान रखें कि 40 के बाद सेक्सुअली एक्टिव रहने का मतलब सिर्फ इंटीमेसी नहीं होता है, बल्कि आप एक-दूसरे के प्यार से गले लगाएं और किस करें, तो यह भी आपके लिए काफी है।
 

संवाद को न दें ब्रेक


40 के बाद आपके बीच का कम्यूनिकेशन नहीं टूटना चाहिए। कपल्स को हमेशा एक-दूसरे के साथ खुलकर बातचीत करते रहना चाहिए। इससे न सिर्फ आप एक-दूसरे की समस्याओं का हल कर सकते हैं, बल्कि इससे सेक्सुअली एक्टिव रहने में भी मदद मिलती है। साथ ही यह आपके मेंटल हेल्थ के लिए भी जरूरी है।

बीमारियों को न आने से सेक्सुअल हेल्थ के बीच


कुछ एक्सपर्ट्स की मानें तो कपल्स सेक्स लाइफ को 80 से 90 साल तक एक्टिव रख सकते हैं। इसमें किसी भी तरह की परेशानी नहीं होती है, लेकिन कई बार बढ़ती उम्र के साथ बीमारियों की वजह से सेक्सुअल लाइफ खराब होने लगता है। ऐसे में आपको अपने लाइफस्टाइल और हेल्थ पर ध्यान देने की जरूरत है। 
अपने शरीर को फिट रखिए। 40 के बाद बहुत सी बीमारियों जैसे डायबिटीज, हाई ब्लड प्रेशर, कोलेस्ट्रॉल आदि का खतरा बढ़ जाता है। ये बीमारियां आपकी सेक्शुअल परफॉरमेंस को भी घटाती हैं। इसलिए योग, एक्सरसाइज, जॉगिंग, जुम्बा, कुछ भी करिए लेकिन अपने शरीर का ध्यान रखिए। बढ़ती उम्र के साथ होने वाली बीमारियों की समय-समय पर जांच कराते रहें। साथ ही समय पर अपनी दवाएं लें। इससे आपको सेक्सुअली एक्टिव रहने में काफी हद तक मदद मिलेगी।


रोजाना करें एक्सरसाइज


एक्सरसाइज हर एक वर्ग के लिए जरूरी होता है। अगर आप चाहते हैं कि आपका शरीर लंबे समय तक स्वस्थ रहे तो नियमित रूप से एक्सरसाइज करें। उम्र बढ़ने पर एक्सरसाइज को इग्नोन न करें। अगर आप नियमित रूप से एक्सरसाइज करते हैं, तो इससे सेक्सुअली एक्टिव रहने में मदद मिलेगी। दरअसल, एक्सरसाइज करने से सेक्सुअल एक्टिविटी के दौरान होने वाली परेशानी जैसे- कमर दर्द, पीठ दर्द की परेशानियों से राहत मिल सकता है। वहीं, एक्सरसाइज से ब्रेन का वर्कआउट भी बेहतर होगा, जो आपके मूड को अच्छा करता है। इससे आपके सेक्स लाइफ बेहतर होगी।

सेक्स लाइफ में ट्राई करें कुछ नया


कई बार कपल्स सोचते हैं कि अब उम्र हो चुका है, तो इन सब की कुछ जरूरत नहीं है। लेकिन यह जरूरी नहीं है कि युवा या फिर वयस्क ही सेक्स लाइफ के दौरान नई-नई चीजों को ट्राई करें। आप अपनी बढ़ती उम्र के साथ भी सेक्सुअल एक्टिविटी को बेहतर करने के लिए कुछ नया कर सकते हैं। इससे आपका सेक्स लाइफ काफी अच्छा होगा।
बढ़ती उम्र के साथ सेक्सुअल लाइफ को बेहतर करने के लिए आप इन आसान से उपायों का सहारा ले सकते हैं। हालांकि, ध्यान रखें कि अगर आपकी सेक्स लाइफ की परेशानियां बढ़ रही हैं तो इस स्थिति में एक्सपर्ट से सलाह लें।

हेल्दी भोजन करें


मर्दाना ताकत बढ़ाने के लिए आपको संतुलित भोजन का सेवन करना चाहिए और ज्यादा से ज्यादा मात्रा में पानी पीना चाहिए क्योंकि ये शरीर से विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालने का काम करता है। इसके अलावा सभी प्रकार के मौसमी फलों और सब्जियों का सेवन करें। मर्दाना ताकत को कमजोर करने वाले फूड्स जैसे प्रोसेस्ड फूड और जंक फूड से दूरी बनाना ही सही होगा।



बुधवार, 29 नवंबर 2023

आयुर्वेद में वाजीकरण थेरेपी

                         



                                                                          

आयुर्वेद में वाजीकरण थेरेपी क्या है?

 

वाजीकरण थेरेपी


वजीकरण थेरेपी, आयुर्वेद को जानने वाले इस्तेमाल करते हैं। इसके जरिये शरीर में असंतुलित चीजों को संतुलन में लाकर ऊर्जा और शक्ति का संचार किया जाता है। ये थेरेपी लोगों में एंग्जायटी को कम कर के सेक्स ड्राइव को बढ़ाने का काम करती है और प्रजनन यानी रिप्रोडक्शन के हॉर्मोन को भी बढ़ाती है।

वाजीकरण


वाजीकरण आयुर्वेद की वो शाखा है जो सीधे-सीधे आपके यौन स्वास्थ्य पर आधारित है | वाजीकरण विषय स्वस्थ एवं सुदृढ़ काया, कामोत्तेजना, पौरुष शक्ति, शीघ्रपतन, स्तम्भन दोष एवं संतान प्राप्ति से सम्बंधित है |
    मह्रिषी चरक के अनुसार यौन स्वस्थता के लिए उचित खान पान, सही दिनचर्या एवं अच्छी नींद बहुत जरुरी है |

स्वस्थ एवं सुखी जीवन के तीन मुख्य आधार हैं 

· शुद्ध एवं संतुलित आहार |

· अच्छी नींद |

· स्वस्थ यौन संबंधो से भरा वैवाहिक जीवन |

यह तीनों आधार एक दुसरे से इतने जुड़े हैं कि किसी एक में कमी होने से बाकि दोनों भी प्रभावित होते हैं, एवं व्यक्ति मानसिक एवं शारीरिक असंतुष्टि महसूस करता है

आयुर्वेदानुसार किसी व्यक्ति की यौन क्षमता को चार भागो में विभाजित किया गया है 

1. चटक (Sparrow) :- इस प्रकृति का व्यक्ति कम समय तक सहवास कर पाता है एवं वीर्य की मात्रा भी कम होती है |

2. गज (Elephant) :- इस प्रकृति का व्यक्ति बहुत अधिक समयांतराल में यौन सम्बन्ध बनाता है | वीर्य स्खलन की मात्रा बहुत अधिक होती है |

3. वरुषा(Bull) :- इस प्रकृति का व्यक्ति अधिक मात्रा में वीर्य के साथ नियमित एवं अधिक समय तक सहवास की क्षमता |

4. अश्व (Horse) :- इस प्रकृति का व्यक्ति यौन शक्ति का प्रतिक माना जाता है, अच्छी स्तम्भन शक्ति एवं यौन क्षमता से भरपूर होता है |

घोड़े एवं बैल जैसी यौन शक्ति प्राप्त करने के लिए वाजीकरण में बताये गए योगो (दवाओं), खान-पान एवं दिनचर्या का कड़ाई से पालन करना बहुत आवश्यक है |
    वाजीकरण में बताये गए उपायों का उपयोग करके व्यक्ति 8 साल के घोड़े जैसी अच्छी काया, सामर्थ्य, कामोत्तेजना एवं यौन शक्ति प्राप्त कर सकता है | चरक संहिता के अनुसार यौन संतुष्टि, सुख की प्राप्ति एवं संतानोत्पति के लिए वाजीकरण का सहारा लेना चाहिए | वाजीकरण का प्रमुख लक्ष्य स्वस्थ मैथुन एवं प्रजनन क्षमता विकसित करना है | इसकी सहयता से व्यक्ति महिला के साथ घोड़े जैसी शक्ति से सम्भोग कर सकता है |

वाजीकरण में त्रिदोष एवं सप्त धातु के असंतुलन का प्रभाव 


आयुर्वेदानुसार मनुष्य ब्रह्माण्ड का एक अभिन्न अंग है | हमारा शरीर ब्रह्माण्ड का एक अंश है | त्रिदोष (वात, पित्त एवं कफ) व्यक्ति की प्रकृति को दर्शाते हैं | इन तीनों दोषों में असंतुलन हो जाये तो व्यक्ति के स्वास्थ्य पर असर पड़ता है |

· वात :- धरती एवं हवा (Earth + Air)

· पित्त :- अग्नि एवं पानी (Fire + Water)

· कफ :- पानी एवं अग्नि (Water + Fire)

ख़राब दिनचर्या, अनुचित खान-पान एवं खाद्य पदार्थो का अनुचित संगम त्रिदोष असंतुलन का मुख्य कारण है | इससे व्यक्ति का स्वास्थय एवं यौन शक्ति प्रभावित होती है |

इसके साथ ही आयुर्वेद में सप्त धातु का वर्णन है | ये धातुएं एक नियमित संतुलन में शरीर में मौजूद होती है | इनमें किसी भी तरह की गड़बड़ी या असंतुलन बीमारियों का कारण बनता है | ये धातुएं हैं :-

· रस (Plazma)

· रक्त (Blood)

· स्नायु (Muscle)

· वसा (Fat)

· अस्थि (Bone)

· मज्जा (Bone Marrow)

· शुक्र (Reproductive liquid)
 

वाजीकरण अपनाकर पायें घोड़े जैसी अपार यौन शक्ति 


संस्कृत में वाजी का अर्थ है घोड़ा, वाजीकरण यानि घोड़े जैसे ताक़त एवं यौन शक्ति प्राप्त करना | आयुर्वेद की इस शाखा में उन सभी उपायों एवं उपचारों का उल्लेख है जिनका उपयोग करके व्यक्ति अपार यौन सामर्थ्य एवं बल प्राप्त कर सकता है | इस विषय में ऐसी आयुर्वेदिक जड़ी बूटियों एवं रसायनों की जानकारी दी गयी है जो शीघ्रपतन, यौन दुर्बलता, धात की कमी, शुक्राणु की कमी, स्तम्भन दोष एवं कामोत्तेजना में कमी जैसी समस्याओं को जड़ से खत्म करने का सामर्थ्य रखती हैं |

लेकिन इनका पुर्णतः लाभ तभी मिल पाता है जब आप स्वस्थ जीवनशैली, उचित खान-पान एवं परहेज अपनाते हैं | इसलिए वाजीकरण द्रव्यों का इस्तेमाल करने के साथ अपनी जीवनशैली में बदलाव करना भी जरुरी है |

बाजार में मिलने वाले बहुत से वाजीकरण रसायन एवं दवाइयां इसलिए अपेक्षित लाभ नहीं करती क्योंकि या तो उनमे मिलावट होती है, या फिर आप उपयुक्त आहार एवं जीवनशैली नहीं अपना रहें है |

वाजीकरण में 100 से भी ज्यादा रसायनों एवं दवाओं का वर्णन है जो कामशक्ति बढाने के लिए बेहद लाभदायी हैं | यहाँ पर हम आपको वाजीकरण में वर्णित सबसे प्रभावशाली रसायनों एवं दवाओं के बारे में बतायेंगे | अगर ये रसायन आप को शुद्ध एवं मिलावट रहित मिल जाए तो आप अपनी यौन कमजोरियों को बड़ी आसानी से दूर कर सकते हैं |


1.वृहनी गुटिका (VRIHANI GUTIKA)


यह सबसे शक्तिशाली वाजीकरण रसायन है | वाजीकरण रसायन विशेष श्रेणी के रसायन होते हैं | ये हमारे मस्तिष्क एवं शरीर पर इस तरह से असर करते हैं की कामशक्ति एवं प्रजनन क्षमता दोनों में वृधि होती है | इनके सेवन से मानसिक तनाव एवं शारीरिक कमजोरी भी दूर होती है | वृहनी गुटिका सबसे ताक़तवर रसायन है, आइये जानते हैं इसके बारे में :-

वृहनी (Vrihani) गुटिका घटक द्रव्य 

· शारा जड़ (Roots of Saccharum Munja), इक्षु जड़ (Roots of Saccharum officinarium)

· कांदेक्शु (Asteracantha longifolia), इक्शुवालिका (Hygrophila spinosa)

· शतावरी (Asperagusracemosus), पयास्य (Holostemmarheedianum)

· विदारीकन्द (Diascoreabulbifera), काँटाकरिका (Solanum indicum)

· जीवंती (Leptadonia reticulata), जीवक (substitute Pueraria tuberosa)

· मेदा (substitute Asparagus racemosus), ग्वारपाठा (Aloe Vera)

· रिश्भाक (substitute Pueraria tuberosa), बला (Sida cordifolia)

· रिद्धि (substitute Diascoreabulbifera), गोक्षुर (Tribulus terrestris)

· रसना (Pluchea lanceolata), कपिकच्छु (Mucuna pruriens)

· पुनर्नवा (Boerhaaviadiffusa), घी (clarified butter)

· दूध (Milk), वंशलोचन (Bambusaerandinacia), पिप्पली (Piper longum)

· मरीच (Piper nigram), त्वक (Cinnamomum zeyliicum)

· एला (Ellataria cardamomum), नागकेसर (Nagkesar)

· शहद (Honey)

 
वृहनी गुटिका के फायदे एवं लाभ (Benefits of VrihaniGutika)


यह अद्भुद रसायन निम्न रोगों को जड़ से उखाड़ फेंकने का सामर्थ्य रखता है

· स्तम्भन दोष (Erectile Dysfunction)

· स्वपन दोष (Nightfall)

· वीर्य का पतलापन (watery Sperm)

· शीघ्रपतन (Pre-mature ejaculation)

· कामोत्तेजना की कमी (sexual desire)

 

2. वाजीकरण घृतं (Vajikaran Ghritam)


ये भी बहुत गुणकारी औषधि है | यह वाजीकरण रसायन मुख्यतः व्यक्ति के जननांग (Penis) की ताक़त बढाता है | इसमें निम्न घटक द्रव्यों का उपयोग होता है :-

· उड़द, कपिकच्छु, जीवक, रिश्भक, ग्वारपाठा

· मेदा, रिद्धि, शतावरी, मधुक, अश्वगंधा

· विदारीकन्द एवं इक्षु जूस

· शहद, वंशलोचन, शक्कर, पिप्पली

इस औषधि को रोजाना उपयोग करने से स्तम्भन दोष जड़ से ख़त्म हो जाता है | इसके साथ ही यह अन्य यौन कमजोरियों में भी फायदा पहुंचता है |
 

3. कामसुधा योग (Kamsudha Yog)


यह वर्त्तमान समय में यौन कमजोरियों के लिए सबसे गुणकारी एवं विश्वसनीय रसायन है | कामसुधा योग 20 से भी अधिक वाजीकरण द्रव्यों एवं खनिजों का अद्भुद योग है | यह सभी प्रकार की यौन समस्यों एवं शारीरिक क्षमता बढाने के लिए बहुत उपयोगी है |
सबसे अच्छी बात ये है की इसमें औषधियों को उनके सामान्य रूप में नहीं लेके उनका एक्सट्रेक्ट (सार द्रव्य) उपयोग में लिया जाता है | इस कारण यह सुरक्षित एवं प्रभावी वाजीकरण रसायनों में से एक है |

कामसुधा योग के फायदे 

· शीघ्रस्खलन या शीघ्रपतन को जड़ से खत्म कर देता है |

· स्तम्भन में वृद्धि करता है |

· कामोत्तेजना का संचार करता है |

· आंशिक एवं पूर्ण नपुंसकता में लाभदायी है |

· वीर्य को गाढ़ा करता है |

· शुक्राणुओं की कमी को दूर करता है |
 

4. मेदादी योग (Medadi Yog)


यह वृद्धों में कामोत्तेजना बढाने एवं यौन शक्ति का संचार करने के लिए सबसे उपयुक्त वाजीकरण दवा है | उम्र बढने के साथ साथ व्यक्ति अपनी कामशक्ति में भी कमी का एहसास करता है | मेदादी योग का सेवन करने से वृद्ध भी पुनः नवयुवको वाला जोश एवं कामशक्ति प्राप्त कर सकते हैं | आइये जानते हैं इसके घटक द्रव्य :-

· मेदा ( Asparagus racemosus)

· पयस्या (Holostemmarheedianum),

· जीवंती(Leptadonia reticulata)

· विदारीकन्द (Pueraria tuberosa)

· कंटकारी (Solanum xanthocarpum)

· गोक्षुर (Tribulus terrestris)

· उड़द (Black gram)

· गेंहू (wheat)

· चावल (Shali rice)










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