मंगलवार, 14 अप्रैल 2015

..ताकि बना रहे लाइफ में हॉर्मोंस का बैलेंस

हमारे शरीर में कुल 230 तरह के हॉर्मोंस होते हैं, जो शरीर में अलग-अलग कामों को कंट्रोल करते हैं। हॉर्मोन की छोटी-सी मात्रा ही कोशिका के काम करने के तरीके को बदलने के लिए काफी है। दरअसल, यह एक केमिकल मेसेंजर की तरह एक कोशिका से दूसरी कोशिका तक सिग्नल पहुंचाते हैं। एक गलत मेसेज आपकी लाइफ का बैलेंस बिगाड़ सकता है, खुद को कैसे बचाएं इस समस्या से, एक्सपर्ट्स की मदद से हम बता रहे हैं आपको...
क्या है हॉर्मोन
हार्मोंस हमारी बॉडी में मौजूद कोशिकाओं और ग्रन्थियों में से निकलने वाले केमिकल्स होते हैं, जो शरीर के दूसरे हिस्से में मौजूद कोशिकाओं या ग्रन्थियों पर असर डालते हैं। इन हार्मोंस का सीधा असर हमारे मेटाबॉलिज्म, इम्यून सिस्टम, रिप्रॉडक्टिव सिस्टम, शरीर के डिवेलपमेंट और मूड पर पड़ता है।
हॉर्मोन असंतुलन का मतलब
हमारी बॉडी में हर तरह के हॉर्मोन का अलग-अलग रोल होता है। किसी भी तरह के हॉर्मोन का तय से ज्यादा या कम मात्रा में निकलने को हॉर्मोन असंतुलन कहा जाता है। वैसे तो पुरुषों और महिलाओं दोनों में ही कई तरह के हॉर्मोंस पाए जाते हैं, लेकिन कुछ का असर सीधे रोजमर्रा के जीवन पर पड़ता है।
पुरुषों में हॉर्मोंस
1.एंड्रोजेन
इस हॉर्मोन का मुख्य काम पुरुषों में दाढ़ी आना, सेक्सुअल लाइफ, अग्रेसिव बिहेवियर, मसल्स बनाने जैसे शारीरिक और मानसिक बदलावों के लिए जिम्मेदार होता है।
असंतुलित होने पर
बॉडी में यह हॉर्मोन कम होने पर मसल्स बनने में कमी, स्पर्म बनने में कमी, कमजोरी, चिड़चिड़ापन, अपोजिट सेक्स के प्रति रुचि में कमी और इन्फर्टिलिटी जैसे लक्षण देखे जाते हैं।
2.इंसुलिन
इसका मुख्य काम बॉडी में ग्लूकोज के लेवल को कंट्रोल करना है। यह ब्लड में ग्लूकोज को बढ़ने से रोकता है। हमारी बॉडी में ग्लूकोज की नॉर्मल मात्रा फास्टिंग में 70-100 तक और नॉन फास्टिंग में 140 ग्राम/डेसीलीटर तक होनी चाहिए।
असंतुलित होने पर
ब्लड में इंसुलिन कम होने पर ग्लूकोज की मात्रा बढ़ जाती है इसका असर बॉडी के करीब सभी ऑर्गन्स पर पड़ता है। इसके असंतुलन से घाव जल्दी नहीं भरते। हाथ-पैरों में दर्द रहना शुरू हो जाता है। जल्दी-जल्दी पेशाब आना, वजन घटना, भूख का काफी कम हो जाना आदि इसके लक्षण हैं।
3.थायरॉयड
यह हमारे गले में मौजूद एक ग्रंथि का नाम है। इससे निकलने वाले हॉर्मोन को थायरॉयड हॉर्मोन कहते हैं, जिनके नाम हैं T3, T4, TSH। TSH हमारे दिमाग में मौजूद पिट्यूट्री ग्लैंड से निकलता है, जिसका काम T3 और T4 को कंट्रोल करना होता है। यह हॉर्मोन हमारी बॉडी की ग्रोथ रेग्युलेट करता है।
असंतुलित होने पर
इस हॉर्मोन के असंतुलित होने से दिमागी विकास धीमा हो जाता है। बच्चे में इस हॉर्मोन के असंतुलित होने पर विकास धीमा हो जाता है यानी जो काम बच्चा तीन महीने की उम्र में करने लगता है, वह 10 महीने में करता है । बड़ों में पांव फूलना, वजन बढ़ना, नॉर्मल तापमान में ठंड लगना जैसे लक्षण देखे जाते हैं।
4.पैराथायरॉयड
यह भी गले में मौजूद होती है और इसका काम हमारी बॉडी में कैल्शियम के लेवल को कंट्रोल करने का होता है।
असंतुलित होने पर
हड्डियां कमजोर हो जाएंगी। यह बूढ़े लोगों में ज्यादा होता है।
5.इपाइनेफ्राइन या एड्रेनेलिन
इसे 'फाइट ऑर फ्लाइट' हॉर्मोन भी कहा जाता है। यह बॉडी में रिजर्व एनर्जी की तरह होता है। इसका काम अचानक आ जाने वाली परेशानी को हैंडल करने की ताकत देना होता है। यह शरीर में मौजूद मिनरल्स को मेनटेन करता है।
असंतुलित होने पर
इसके कुछ केस में मौत होने तक की आशंका रहती है। एड्रेनेलिन फेल्योर की कंडिशन में बीपी तेजी से गिरता है। हालांकि ऐसे केस कम ही देखने को मिलते हैं।
महिलाओं में हॉर्मोंस
1.थायरॉयड
ज्यादातर महिलाओं में थायरॉयड हॉर्मोन के असंतुलन के कारण बीमारियां होती है। यह हमारी बॉडी में मौजूद एक ग्रंथि का नाम है।
असंतुलित होने पर
इस हॉर्मोन के असंतुलन का सबसे ज्यादा असर उनकी फर्टिलिटी (बच्चे पैदा करने की क्षमता) पर पड़ता है।
2.एस्ट्रोजेन और प्रॉजेस्ट्रॉन
ये दोनों ही सेक्स हॉर्मोन होते हैं, जो महिलाओं में फर्टिलिटी से जुड़े होते हैं। एस्ट्रोजेन का काम हड्डियों को मजबूत करना भी होता है। महिलाओं में मिनोपॉज के बाद हड्डियां का कमजोर हो जाने की वजह भी एस्ट्रोजेन की कमी ही होती है। इसके लिए डॉक्टर उन्हें कैल्शियम की गोलियां खाने को देते हैं। वहीं पॉजेस्ट्रॉन का काम महिलाओं में पीरियड्स के साइकल को सही रखना और पहले तीन महीने में मां के गर्भ में बच्चे के बढ़ने में मदद करना होता है।
असंतुलन होने पर
मेंसेस साइकल में गड़बड़ी होना, ज्यादा ब्लीडिंग होना। कभी-कभी महीने में तीन या चार बार ब्लीडिंग होना जैसी समस्याएं होती हैं। उम्र बढ़ने पर बच्चे पैदा करने में दिक्कत आने जैसी परेशानी हो सकती है।
3.इंसुलिन
इसका मुख्य काम बॉडी में ग्लूकोज के लेवल को कंट्रोल करना है। महिलाओं में भी ग्लूकोज की नॉर्मल मात्रा फास्टिंग में 70-100 और नॉन फास्टिंग में 140 ग्राम/डेसीलीटर होती हैं।
असंतुलित होने पर
पुरुषों जैसी समस्याएं ही होने लगती हैं।
क्यों होता है असंतुलन
- महिलाओं में हॉर्मोंस असंतुलित होने के कई कारण हैं : खराब लाइफस्टाइल, न्यूट्रिशन की कमी, एक्सरसाइज न करना, तनाव, पीसीओडी, थायरॉइड, ओवेरियन फेलियर आदि।
- लोग मानते हैं कि हॉर्मोन असंतुलन मेनोपॉज के बाद होता है, जबकि यह पूरी तरह गलत है। कई महिलाएं सारी उम्र हॉर्मोन असंतुलन से परेशान रहती हैं।
- जीवनशैली और खानपान से जुड़ी आदतों में बदलाव के कारण महिलाएं हॉर्मोन असंतुलन की शिकार पहले की तुलना में अब ज्यादा हो रही हैं।
- जंक फूड और दूसरे खाद्य पदार्थों में कैलरी की मात्रा तो बहुत ज्यादा होती है लेकिन पोषक तत्वों की मात्रा काफी कम होती है। इससे शरीर को जरूरी विटामिन, मिनरल, प्रोटीन और दूसरे पोषक तत्व नहीं मिल पाते।
- कॉफी, चाय, चॉकलेट और सॉफ्ट ड्रिंक आदि के ज्यादा सेवन के कारण भी कई महिलाओं की एड्रिनलीन ग्रंथि ज्यादा सक्रिय हो जाती है, जो हर्मोन के स्राव को प्रभावित करती है। - गर्भनिरोधक गोलियां भी हॉर्मोन के स्राव को प्रभावित करती हैं।
ये हैं बैलेंस बिगड़ने के लक्षण
महिलाओं में हर महीने फीमेल हॉर्मोन एस्ट्रोजेन और प्रोजेस्टेरॉन बनता है।जब इन हॉर्मोंस के संतुलन में गड़बड़ी होती है तो महिलाओं में हेल्थ से जुड़ी बहुत-सी समस्याएं पनपने लगती हैं, जिनके लक्षण हैं :
- पीरियड्स अनियमित होना
- वजन बढ़ना
- इनफर्टिलिटी
- मूड स्विंग होना
- ऑस्टियोपोरोसिस (हड्डियों की परेशानियां)
-
यूटराइन फायब्रॉइड, यूरिनरी ट्रैक्ट इंफेक्शन
- स्किन से जुड़ी समस्याएं जैसे कील-मुंहासे आदि
- बालों का गिरना, फेशियल हेयर ग्रोथ
- डिप्रेशन, थकान, चिड़चिड़ापन,कमजोरी होना
- सेक्स इच्छा में कमी आदि
- भूख न लगना
- सही से नींद न आना
- ध्यान केंद्रित करने में समस्या
- अचानक वजन बढ़ जाना
बचाव ही बेहतर
हॉर्मोंस को बैलेंस रखने के 3 सबसे आसान उपाय हैं : वजन कंट्रोल में रखना, तनावरहित रहना और सही डाइट लेना। इसके अलावा भी कुछ जरूरी बातें हैं।
- हल्का भोजन करें, खासकर रात को सोने से पहले।
- ताजा और पौष्टिक भोजन ही खाएं।
- हरी सब्जियों, ताजे फलों और दालों को खाने में जरूर शामिल करें।
- पेट साफ रखें।
- 7-8 घंटे की नींद लें। नींद पूरी या सही से नींद न लेने पर भी बॉडी में हॉर्मोंन असंतुलन की समस्या हो जाती है।
- मन को हल्का रखें। खुश रहें और दिन में तीन से चार बार जोर-जोर से हंसें।
- सुबह या शाम के वक्त 25 से 30 मिनट की वॉक करें। पार्क में कुछ वक्त गुजारें
- चाहे तो पूरे दिन में एक टाइम (सुबह या शाम) वॉक करें और दूसरे वक्त योगासन का पूरा पैकेज करें।
- संतुलित, कम फैट वाले और ज्यादा रेशेदार भोजन का सेवन करें।
- ओमेगा-3 और ओमेगा-6 युक्त भोजन हॉर्मोन संतुलन में सहायक है। यह सूरजमुखी के बीजों, अंडे, सूखे मेवों और चिकन में पाया जाता है
- शरीर में पानी की कमी न होने दें।
- रोज 7-8 घंटे की नींद लें।
- चाय, कॉफी, शराब के सेवन से बचें।
- पीरियड्स से जुड़ी गड़बड़ियों को गंभीरता से लें।
- हॉर्मोंस को संतुलित रखने के लिए विटामिन डी भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है, इसलिए थोड़ी देर धूप में जरूर रहें।
डाइट का रोल
पौष्टिक तत्वों से भरपूर खानपान जहां एक तरफ हॉर्मोंस को संतुलित रखते हैं वहीं, दूसरी ओर रोगों से लड़ने की ताकत को भी बढ़ाते हैं।
क्या खाएं
- ताजे फल, सब्जियां, ड्राईफ्रूट्स (8-10 बादाम और 1-2 अखरोट रात भर पानी में भिगो कर) खाने में शामिल करें।
- अपनी डाइट में ज्यादा-से-ज्यादा ओमेगा 3 फैटी एसिड (ऑलिव ऑयल, फ्लैक्स सीड, नारियल का तेल और फिश) शामिल करें।
- नींबू, संतरा (विटामिन सी) चने की दाल और राजमा, बाजरा, ज्वार, मक्का, रागी, पालक, सरसों का साग, गुड़ और भुने चने आदि खाने से नेचरल तरीके से हॉर्मोंस को संतुलित रखने में मदद मिलती है।
- केला, नाशपाती और सेब जैसे फलों को डाइट का हिस्सा बनाएं।
-9-10 गिलास पानी पिएं, पानी शरीर में मौजूद टॉक्सिंस को बाहर निकालने में मदद करता है।
-हर्बल टी लेना अच्छा ऑप्शन हो सकता है।
- विटामिन डी के लिए टोंड मिल्क, योगर्ट, मशरूम खाएं।
- ब्रोकली, फूलगोभी, पत्तागोभी और सरसों का साग खूब खाएं। इससे भी हॉर्मोंस संतुलित रहते हैं।
क्या न खाएं
- ऑइली फूड, जंक फूड, सॉफ्ट ड्रिंक, मैदा, वेजिटेबल ऑयल, सोया प्रॉडक्ट्स, स्टेरॉयड और ज्यदा एंटीबायोटिक लेने से हॉर्मोंस असंतुलित हो जाते हैं।
- ओमेगा 6, पॉलीअनसैचुरेटेड फैट्स जैसे वेजिटेबल ऑयल, मूंगफली का तेल, कनोला ऑयल, सोयाबीन का तेल आदि खाने से बचें।
- ज्यादा चाय, कॉफी, अल्कोहल और चॉकलेट आदि कैफीन मिली हुई चीजें खाने से बचें।
- पनीर, दूध से बनी और मीट जैसी फैट वाली चीजें कम लें।
इलाज से होगी मुश्किल आसान
अलोपथी में इलाज
पेशंट की उम्र और उसकी बॉडी में होने वाले हॉर्मोन असंतुलन, उससे होने वाली बीमारी के लक्षणों को पहचानकर ही दवाइयां दी जाती हैं।
होम्योपथी में इलाज
चाहे महिला पेशंट हो या पुरुष, पहले देखा जाता है कि किस तरह का और कौन-सा हॉर्मोन असंतुलित है। हॉर्मोन के असंतुलन की समस्या होने पर डॉक्टर की सलाह पर ली जाने वाली कुछ कॉमन दवाइयां हैं :
- PULSATILLA-30 : 5-5 गोली दिन में तीन बार, एक महीने तक।
- SPIA-30 : 5-5 गोली दिन में तीन बार, दो हफ्ते तक।
- SULPHUR-30 : 5-5 गोली दिन में तीन बार, दो हफ्ते तक।
योग से इलाज
हमारे शरीर की बहुत सी चीजें मन से जुड़ी होती हैं। अगर आपकी बॉडी में हॉर्मोंस असंतुलित होने पर योग के इस पैकेज को करें।
- कपालभाति
- कटिचक्रासन (लेटकर)
- पवनमुक्तासन
- भुजंगासन और धनुरासन
- मंडूकासन
- पश्चिमोत्तान आसन
- अनुलोम-विलोम प्राणायाम
- उज्जायी प्राणायाम
- धीरे-धीरे भस्त्रिका प्राणायाम
- ध्यान
- शवासन
आयुर्वेद में इलाज
पुरुषों के लिए
- अश्वगंधा चूर्ण 1 चम्मच रात में खाना खाने के आधा घंटे बाद दूध और मिस्री से लें।
- अक्टूबर, नवंबर, दिसंबर में अश्वगंधारिष्ट और अमृतारिष्ट 3-3 चम्मच खाने के बाद दिन में दो बार 1 कप गुनगुने दूध के साथ पीने से पुरुष हॉर्मोन बैलेंस रहते हैं।
महिलाओं के लिए
-अशोकारिष्ट 2-2 चम्मच दिन में दो बार लेने से पीरियड नियमित रहते हैं। शतावरी चूर्ण महिलाओं में दूध को बढ़ाता है।
- साल में तीन महीने अशोकारिष्ट और दशमूलारिष्ट 3-3 चम्मच बराबर पानी के साथ खाने के 2 घंटे बाद दिन में दो बार लें। गर्भावस्था में इसे न लें।
नोट : इनमें से कोई एक दवा ही डॉक्टर की सलाह पर लें। योग पैकेज को सुबह खाली पेट करें और शाम के वक्त करना है तो डिनर से पहले करें। रोजाना आधा घंटा इस पैकेज को एक्सपर्ट की मदद से करें।

अधिक जानकारी के लिए Dr.B.K.Kashyap से सं
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शनिवार, 11 अप्रैल 2015

दीर्घायु और स्वस्थ रखे ताम्र पात्र का जल

दीर्घायु और स्वस्थ रखे ताम्र पात्र का जल

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ताम्बे के बर्तन में रखा पानी पीने का अक्सर निर्देश
भारतीय बुजुर्ग और वैद्य देते हैं |इसके अनेकानेक
वैज्ञानिक कारण हैं |सभी धातुओं में से ताम्बे के पात्र में
रखा जल सर्वाधिक लाभप्रद होता है |

आयुर्वेद केअनुसार, तांबे के बर्तन में संग्रहीत पानी में आपके शरीर में
तीन दोषों (वात, कफ और पित्त) को संतुलित करने
की क्षमता होती है और यह ऐसा सकारात्मक पानी चार्ज
करके करता है। तांबे के बर्तन में जमा पानी 'तमारा जल'
के रूप में भी जाना जाता है और तांबे के बर्तन में कम 8
घंटे तक रखा हुआ पानी ही लाभकारी होता है।

जब
पानी तांबे के बर्तन में संग्रहित किया जाता है तब
तांबा धीरे से पानी में मिलकर उसे सकारात्मक गुण प्रदान
करता है। इस पानी के बारे में सबसे अच्छी बात यह है
कि यह कभी भी बासी (बेस्वाद) नहीं होता और इसे
लंबी अवधि तक संग्रहित किया जा सकता है।
तांबे को प्रकृति में ओलीगोडिनेमिक के रूप में
(बैक्टीरिया पर धातुओं की स्टरलाइज प्रभाव)
जाना जाता है और इसमें रखे पानी के सेवन से
बैक्टीरिया को आसानी से नष्ट किया जा सकता है।

तांबा आम जल जनित रोग जैसे डायरिया, दस्त और
पीलिया को रोकने में मददगार माना जाता है। जिन देशों में
अच्छी स्वच्छता प्रणाली नहीं है उन देशों में
तांबा पानी की सफाई के लिए सबसे सस्ते समाधान के रूप
में पेश आता है।

थायरेक्सीन हार्मोन के असंतुलन के कारण थायराइड
की बीमारी होती है। थायराइड के प्रमुख लक्षणों में
तेजी से वजन घटना या बढ़ना, अधिक थकान महसूस
होना आदि हैं। कॉपर थायरॉयड ग्रंथि के बेहतर कार्य
करने की जरूरत का पता लगाने वाले सबसे महत्वपूर्ण
मिनरलों में से एक है। थायराइड विशेषज्ञों के अनुसार,
कि तांबे के बर्तन में रखें पानी को पीने से शरीर में
थायरेक्सीन हार्मोन नियंत्रित होकर इस
ग्रंथि की कार्यप्रणाली को भी नियंत्रित करता है। तांबे में
मस्तिष्क को उत्तेजित करने वाले और विरोधी ऐंठन गुण
होते हैं। इन गुणों की मौजूदगी मस्तिष्क के काम
को तेजी और अधिक कुशलता के साथ करने में मदद करते
है।

गठिया या जोड़ों में दर्द की समस्या आजकल कम उम्र के
लोगों में भी होने लगी है। यदि आप भी इस समस्या से
परेशान हैं, तो रोज तांबे के पात्र का पानी पीये। तांबे में
एंटी-इफ्लेमेटरी गुण होते हैं। यह गुण दर्द से राहत और
दर्द की वजह से जोड़ों में सूजन का कारण बने -
गठिया और रुमेटी गठिया के मामले विशेष रूप से फायदेमंद
होते है। त्वचा पर सबसे अधिक प्रभाव
आपकी दिनचर्या और खानपान का पड़ता है। इसीलिए अगर
आप अपनी त्वचा को सुंदर बनाना चाहते हैं तो रातभर तांबे
के बर्तन में रखें पानी को सुबह पी लें। ऐसा इसलिए
क्योंकि तांबा हमारे शरीर के मेलेनिन के उत्पादन का मुख्य
घटक है। इसके अलावा तांबा नई कोशिकाओं के उत्पादन में
मदद करता है जो त्वचा की सबसे ऊपरी परतों की भरपाई
करने में मदद करती है। नियमित रूप से इस नुस्खे
को अपनाने से त्वचा स्वस्थ और चमकदार लगने लगेगी।
पेट जैसी समस्याएं जैसे एसिडिटी, कब्ज, गैस आदि के
लिए तांबे के बर्तन का पानी अमृत के सामान होता है।
आयुर्वेद के अनुसार, अगर आप अपने शरीर से विषाक्त
पदार्थों को बाहर निकालना चाहते हैं तो तांबे के बर्तन में
कम से कम 8 घंटे रखा हुआ पानी पिएं। इससे पेट की सूजन
में राहत मिलेगी और पाचन की समस्याएं भी दूर होंगी।
अगर आप त्वचा पर फाइन लाइन को लेकर चिंतित हैं
तो तांबा आपके लिए प्राकृतिक उपाय है। मजबूत एंटी-
ऑक्सीडेंट और सेल गठन के गुणों से समृद्ध होने के कारण
कॉपर मुक्त कणों से लड़ता है---जो झुर्रियों आने के मुख्य
कारणों में से एक है---और नए और स्वस्थ
त्वचा कोशिकाओं के उत्पादन में मदद करता है। ज्यादातर
भारतीय महिलाओं में खून
की कमी या एनीमिया की समस्या पाई जाती है। कॉपर के
बारे में यह तथ्य सबसे ज्यादा आश्चर्यजनक है कि यह
शरीर की अधिकांश प्रक्रियाओं में बेहद आवश्यक
होता है। यह शरीर के लिए आवश्यक पोषक
तत्वों को अवशोषित कर रक्त वाहिकाओं में इसके प्रवाह
को नियंत्रित करता है। इसी कारण तांबे के बर्तन में रखे
पानी को पीने से खून की कमी या विकार दूर हो जाते हैं।
गलत खान-पान और अनियमित जीवनशैली के कारण कम
उम्र में वजन बढ़ना आजकल एक आम समस्या हो गई है।
अगर आप अपना वजन घटाना चाहते हैं तो एक्सरसाइज के
साथ ही तांबे के बर्तन में रखा पानी पीना आपके लिए
फायदेमंद साबित हो सकता है। इस पानी को पीने से शरीर
की अतिरिक्त वसा कम हो जाती है। तांबे के बर्तन में
रखा पानी वात, पित्त और कफ की शिकायत को दूर करने
में मदद करता है। इस प्रकार से इस पानी में एंटी-
ऑक्सीडेंट होते हैं, जो कैसर से लड़ने की शक्ति प्रदान
करते हैं। अमेरिकन कैंसर सोसायटी के अनुसार तांबे कैंसर
की शुरुआत को रोकने में मदद करता है, कैसे इसकी सटीक
कारण अभी तक ज्ञात नहीं है, लेकिन कुछ अध्ययनों के
अनुसार, तांबे में कैंसर विरोधी प्रभाव मौजूद होते है।
तांबा अपने एंटी-बैक्टीरियल, एंटीवायरल और
एंटी इफ्लेमेटरी गुणों के लिए जाना जाता है। इसलिए इसमें
कोई आश्चर्य नहीं होना चाहिए
कि तांबा घावों को जल्दी भरने के लिए एक शानदार
तरीका है। दिल के रोग और तनाव से ग्रसित
लोगों की संख्या तेजी बढ़ती जा रही है। यदि आपके साथ
भी ये परेशानी है तो तांबे के बर्तन में रखा पानी पीने से
आपको लाभ हो सकता है। तांबे के बर्तन में रखे हुए
पानी को पीने से पूरे शरीर में रक्त का संचार बेहतरीन
रहता है। कोलेस्ट्रॉल कंट्रोल में रहता है और दिल
की बीमारियां दूर रहती हैं

बुधवार, 1 अप्रैल 2015

Sex-relax: पुरुषों के लिए सेक्स करने के कामोत्तेजक तरीके

बेडरूम में सेक्स को जंगली रवैए की तरह अपनाइए और इस शानदार ड्राइव का दोनों पार्टनर जमकर आनंद उठाइये। आप अपनी सेक्स क्षमता का पूरा और सही प्रयोग करें। शेयर सेक्स नॉलेज के इन बिन्दुओं पर करें विचार-  कैसे बहकाएं पत्नी को- महिला को बहकाना हमेशा पुरुषों के लिए चुनौती होता है। किन्तु किसी अवसर पर जीवन साथी को बहकाने का अच्छा प्रतिफल मिलता है। शादी के कुछ सालों बाद कुछ जोड़े पाते हैं कि सेक्स और दृढ़ता अपनी वास्तविक चमक खोती जा रही है। अक्सर बच्चे के जन्म के बाद महिला विशेषतः अनसेक्सी महसूस करती है। एक आदमी इस परिस्थिति को समझते हुए तरीके से अपने पार्टनर को आकर्षक और सेक्सी बना सकता है। इसका सबसे बेहतर तरीका है कि पॉजिटिव प्रयासों से अपने पार्टनर को बहकाएं। दिन का समय- शाम के बेहतर बहकावे के लिये अपरान्ह में दोनों के बीच कोई गैर सेक्सुअल हरकत अच्छे वार्म- अप का काम करती है। कोई रोमांटिक फिल्म देखने जाएं या फिर मौका मिलने पर पैदल साथ-साथ बाजार घूमने निकल जाएं। सुहानी शाम और डिनर- कैंडल लाइट डिनर से की जा सकती है, जो कि या तो किसी मनपसंद रेस्टोरेंट में हो सकता है या फिर घर में ही इसकी तैयारी की जा सकती है, वह भी बगैर घर की किचन में बगैर समय गवांए। भोजन करने के दौरान न तो ज्यादा खाएं न ही ज्यादा पियें और न ही एक दूसरे को ज्यादा के लिये प्रेरित करें।साथ ही इस बात का ख्याल रखना चाहिये कि क्या खा रहे हैं. निश्चित मात्रा का भोजन खाने में काफी सेक्सी होता है। इस दौरान अपनी पत्नी को अपनी डिश चखाएं और उसकी डिश का भी आनंद ले। बस यहीं से बहकाने का सेक्सुअल पार्ट शुरू होता है।  आपस में छेड़छाड़ करें- आपसी छेड़छाड़ दो प्रेमियों के बीच का महत्वपूर्ण फोरप्ले(fore play) होती है। इस दौरान धीमी लाइट जलाकर कोई पसंदीदा संगीत चालू कर लें। छेड़छाड़ के बीच-बीच में एक दूसरे को किस करने का मौका न गंवाएं, सीधे सहवास के लिए उन्मुख हो जाएं।  उसके कपड़े उतारें- छेड़छाड़ के दौरान धीरे-धीरे उसके कपड़े उतारें और उसके सुंदर शरीर की तारीफ करने से न चूके। उसे यह बताएं की उसकी वजह से आप किस तरह ऑन होते हैं। यही वह प्वांइट होगा जब आप दोनों को एक दूसरे की गर्मी और उत्तेजना का अहसास होना शुरू हो जाएगा। उसके बदन में नाम मात्र के कपड़े बचे हों तो उसे भी इस क्रिया में सहभागी बनने को कहें। यह उसके लिये भी एक वास्तविक टर्न ऑन होगा, ठीक उसी तरह जैसे की आपका जब वह पूरी तरह कपड़े उतार चुकी हो। इसस दौरान के सेक्सी कमेंट उसे शारीरिक रूप के अलावा मानसिक रूप से भी उत्तेजित करते हैं। 

धात रोग की समस्या और इसका आयुर्वेदिक समाधान

धात रोग की समस्या और इसका आयुर्वेदिक समाधान : Dr. B.K. Kashyap (Sexologist) परिचय: धात रोग , जिसे अक्सर ' स्वपनदोष ' या ' व...