फ्लूइड बान्डिंग क्या है और क्या है इसके रिस्क फैक्टर -डॉ0 बी0 के0 कश्यप (Psycho sexologist )
सेक्स के दौरान व्यक्ति कई तरह की सावधानियां बरतना भूल जाता है, तो ऐसे में अनचाहा गर्भ ठहरना, सेक्शुअल ट्रांसमिटेड डिजीज आदि होने का जोखिम बढ़ जाता है।
कुछ लोग सेक्स के दौरान बॉडी का तरल पदार्थ एक-दूसरे के साथ आदान प्रदान करते हैं। जिसमें सीमन, लार, ब्लड और इजैकुलेट भी शामिल है। इस तरह के बॉन्डिंग को फ्लूइड बॉन्डिंग कहते हैं।
सेफ सेक्स के दौरान कॉन्डम, डेंटल डैम आदि का इस्तेमाल बैरियर की तरह काम करता है। जिससे कई तरह की सेक्शुअल ट्रांसमिटेड डिजीज से रोकथाम होती है।
फ्लूइड बॉन्डिंग लोग क्यों करते हैं?
फ्लूइड बॉन्डिंग में बहुत सारे लोगों का मानना है कि बैरियर मेथेड से वो अपनी सेक्स लाइफ एंजॉय नहीं कर पाता है, लेकिन जो लोग फ्लूइड एक्सचेंज करते हैं, वे लोग सिर्फ एक व्यक्ति के साथ कमिटेड रहते हैं। ऐसे लोगों में अगर फ्लूइड बॉन्डिंग होती है तो वे काफी आत्मविश्वास के साथ एक दूसरे के साथ रिलेशनशिप का आनंद लेते हैं, लेकिन इसका कोई प्रमाण नहीं है कि फ्लूइड एक्सचेंज से कोई खास भावनात्मक जुड़ाव होता है।
क्या बॉडी फ्लूइड ट्रांसफर से इमोशनल बॉन्डिंग बढ़ती है?
कुछ कपल्स का मानना है कि बॉडी फ्लूइड ट्रांसफर करने से हमारे बीच में इमोशनल बॉन्डिंग बढ़ती है। उनका ये भी मानना है कि ऐसा करने से उनके रिश्ते को एक नई दिशा मिलती है। बॉडी फ्लूइड ट्रांसफर करने से डीपर फिजिकल कनेक्शन का एहसास होता है। लेकिन फिर भी सेक्सुअल ट्रांसमिटेड इंफेक्शन होने का जोखिम तो होता ही है।
फ्लूइड बॉन्डिंग बहुत सारे लोग एक से अधिक लोगों के साथ भी करते हैं। इससे यौन संचारित रोग फैलते हैं, लेकिन ऐसा करने के पीछे उनकी साइकोलॉजी जिम्मेदार होती है। ऐसा करने से उन्हें लगता है कि उन्होंने सेक्स के सभी स्टेप्स को बिना किसी बैरियर के कम्प्लीट किया है।
क्या सभी प्रकार के असुरक्षित यौन संबंध फ्लूइड बॉन्डिंग है?
असुरक्षित यौन संबंध का मतलब होता है कि बिना किसी बैरियर के पार्टनर के साथ सेक्स करना, लेकिन फ्लूइड बॉन्ड सभी तरह के अनसेफ सेक्स में नहीं होता है। फ्लूइड बॉन्ड कपल जानबूझ कर बनाते हैं। वहीं, कई बार सेफ सेक्स होने के बावजूद कॉन्डम फटने के कारण जो फ्लूइड ट्रांसफर होता है, उसे फ्लूइड बॉन्ड नहीं कहते हैं। वहीं विथड्रा सेक्स मेथेड को अपनाने के बाद भी फ्लूइड ट्रांसफर नहीं होता है, लेकिन ये एक असुरक्षित सेक्स ही माना जाएगा।
फ्लूइड बॉन्डिंग कितनी सुरक्षित है?
सभी सेक्शुअल एक्टिविटीज जोखिम भरी होती है। इसमें कोई दो राय नहीं है कि रिलेशनशिप में बैरियर का इस्तेमाल करने से बर्थ कंट्रोल होता है। अगर आप एक ही पार्टनर के साथ इस तरह की बॉन्डिंग का फैसला करते हैं, तो कुछ ऐसी चीजें हैं जो आपके रिस्क को कम कर सकती हैं :
अपने साथी के लिए ईमानदार बनें
अपने पार्टनर के लिए ईमानदार बनें। इसके लिए आपको "पहले और वर्तमान" में किसी और के साथ रिलेशनशिप में नहीं रहना चाहिए। ये विश्वास आपके और आपके रिश्ते के लिए अच्छा होता है।
अपनी जांच कराएं
कुछ बैरियर का इस्तेमाल जरूर करें
सेक्शुअल ट्रांसमिटेड इंफेक्शन आसानी से ना फैलें इसलिए आपको थोड़े बैरियर इस्तेमाल करने की जरूरत है। जैसे- एचआईवी किस करने से नहीं फैलता है, लेकिन ह्यूमन पैपिलोमावायरस (एचपीवी) और हर्पीस किस करने से भी फैल सकता है।
फ्लूइड बॉन्ड में सेक्शुअल ट्रांसमिटेड इंफेक्शन के रिस्क को कैसे कम करें?
फ्लूइड बॉन्डिंग के लिए सबसे बड़ा नियम है विश्वास रखना। किसी एक ही व्यक्ति के साथ हमेशा कमिटेड रहना। ऐसे में अगर आपको फ्लूइड ट्रांसफर करते हुए अपनी सेक्स लाइफ को बिना किसी रिस्क के एंजॉय करना है तो आपको सेक्शुअल ट्रांसमिटेड इंफेक्शन की जांच समय-समय पर करानी होगी। सेक्शुअल ट्रांसमिटेड इंफेक्शन की जांच ना सिर्फ आपके लिए जरूरी है, बल्कि आपके पार्टनर के लिए भी जरूरी है।
यूं तो आपको हर महीने पर सेक्शुअल ट्रांसमिटेड इंफेक्शन का टेस्ट जरूर कराना चाहिए, लेकिन अगर संभव ना हो तो एक साल में जरूर टेस्ट कराएं।
कुछ सेक्शुअल ट्रांसमिटेड इंफेक्शन के टेस्ट आपको जल्दी-जल्दी कराने की जरूरत है :
· एचआईवी की जांच फ्लूइड ट्रांसफर के तीन हफ्ते बाद कराएं।
· गोनोरिया का टेस्ट फ्लूइड ट्रांसफर के दो हफ्ते बाद कराएं।
· क्लैमाइडिया की जांच फ्लूइड ट्रांसफर के दो हफ्ते बाद कराएं।
· सिफिलिस की जांच फ्लूइड ट्रांसफर के छह हफ्ते, तीन महीने और छह महीने बाद कराएं।
· जेनाइटल हर्पीस का टेस्ट फ्लूइड ट्रांसफर के तीन हफ्ते बाद कराएं।
· जेनाइटल वार्ट की जांच लक्षणों के प्रदर्शित होने पर कराएं।