हाई ब्लड प्रेशर ( उच्च रक्तचाप) का सेक्स जीवन पर पड़ने वाला प्रभाव :
उच्च रक्तचाप पर प्रभावी नियंत्रण:
यदि रक्तचाप ज्यादा है तो यौन संबंधों से बचें जब तक कि यह सामान्य न हो जाए। आप उच्च रक्तचाप की दवाओं का सेवन करते हैं और यौन क्षमता में कमी हो जाती है तो दवाएँ लेना बंद न करें।
कामक्रीड़ा के समय मरीज शीघ्र थक जाते हैं। साँस भी फूलने लगती है, गंभीर रूप से हार्ट फेलेयर हो सकता है, एंजाइना व हार्ट अटैक भी हो सकता है।
यदि आप उच्च रक्तचाप के मरीज हैं तो अपनी आदतें बदलें, भोजन में परहेज करें। जीवन सुव्यवस्थित करें, तनावमुक्त रहें। दुर्व्यसनों को त्यागें। उच्च रक्तचाप पर नियंत्रण रखें। यदि रक्तचाप ज्यादा है तो यौन संबंधों से बचें जब तक कि यह सामान्य न हो जाए। आप उच्च रक्तचाप की दवाओं का सेवन करते हैं और यौन क्षमता में कमी हो जाती है तो दवाएँ लेना बंद न करें। चिकित्सक को समस्या बताएँ। वह दवा की मात्रा घटा देगा या दवाएँ बदल देगा, जिससे यौन समस्याओं से बचाव हो सकेगा।
उच्च रक्तचाप की कई दवाएं ऐसी होती हैं जिनसे नपुंसकता की शिकायत हो सकती है। चिकित्सक की सलाह से ऐसी दवाओं के डोज को नियंत्रित किया जा सकता है अथवा ऐसी दवाएं देने के लिए कहा जा सकता है जिनसे नपुंसकता भी नहीं आती और उच्च रक्तचाप भी नियंत्रित हो जाता है। अपने मन से या केमिस्ट से पूछ कर नपुंसकता निवारण की कोई दवा न लें क्योंकि इनसे उच्च रक्तचाप के मरीजों को नुकसान हो सकता है।
उच्च रक्तचाप मे मरीज जिन्हें मदिरा, तंबाकू, सिगरेट आदि की लत है को इन चीजों का त्यागकर संतुलित भोजन करना चाहिए जिस में वसा और कैलोरी की मात्रा नियंत्रित हो। नमक इस्तेमाल न करें। यदि वजन ज्यादा है तो वजन कम करें। नियमित व्यायाम करें और तनावमुक्त और हलके रह कर उच्च रक्तचाप पर नियंत्रण किया जा सकता है पर उच्च रक्तचाप के अनेक मरीजों को रोग पर नियंत्रण के लिए दवाओं का सेवन करना पड़ता है।
उच्च रक्तचाप का प्रमुख कारण दीर्घकालीन मानसिक तनाव होता है, जिसके कारण यौन संबंधों से अरुचि, शीघ्रपतन या नपुंसकता की समस्या हो सकती है। साथ ही उच्च रक्तचाप के अनेक मरीज रोग का पता लगाने पर भी चिंतित होकर तनावग्रस्त रहते हैं, जिस कारण यौन क्षमता प्रभावित होती है।
रक्तचाप हमेशा एक जैसा नहीं रहता यह बदलता रहता है। सोते समय कम हो जाता है, जबकि मानसिक तनाव, गुस्सा, चिंता, भोजन के बाद, शारीरिक श्रम, व्यायाम तथा सहवास के समय बढ़ जाता है। आराम करने से पुनः सामान्य स्तर पर आ जाता है। यदि किसी व्यक्ति का रक्तचाप लगातार सीमा से ज्यादा रहता है तो यह दशा उच्च रक्तचाप कहलाती है।
उच्च रक्तचाप बहुत ही सामान्य समस्या है। आधुनिक तनावयुक्त जीवनशैली, खानपान तनाव, भागदौड़ में मरीजों की संख्या तेजी से बढ़ रही है। अनुमान है कि वयस्कों में करीब 10-12 प्रतिशत व्यक्ति तो इसी समस्या से ग्रस्त हैं।
उच्च रक्तचाप के कारण शरीर के अनेक अंग जैसे गुरदे, आँखें, क्षतिग्रस्त हो सकते हैं। उच्च रक्तचाप से ब्रेन हैमरेज होने की संभावना हो सकती है। मरीजों में यदि रक्तचाप पर प्रभावी नियंत्रण नहीं किया गया तो अनेक यौन समस्याएँ भी हो सकती हैं।
उच्च रक्तचाप बहुत ही सामान्य समस्या है। आधुनिक तनावयुक्त जीवनशैली, खानपान तनाव, भागदौड़ में मरीजों की संख्या तेजी से बढ़ रही है। अनुमान है कि वयस्कों में करीब 10-12 प्रतिशत व्यक्ति तो इसी समस्या से ग्रस्त हैं।
उच्च रक्तचाप के कारण शरीर के अनेक अंग जैसे गुरदे, आँखें, क्षतिग्रस्त हो सकते हैं। उच्च रक्तचाप से ब्रेन हैमरेज होने की संभावना हो सकती है। मरीजों में यदि रक्तचाप पर प्रभावी नियंत्रण नहीं किया गया तो अनेक यौन समस्याएँ भी हो सकती हैं।
उच्च रक्तचाप और सेक्स का सम्बन्ध :
यौनक्रीड़ा के समय जननांगों को भी ज्यादा रक्त की जरूरत होती है और हृदय गति तथा रक्तचाप बढ़ जाता है। इस समय रक्तचाप बढ़कर 150 मिलीमीटर मरकरी तक पहुँच सकता है। यदि पहले से ही रक्तचाप बढ़ा है तो यह 180 मिलीमीटर मरकरी के स्तर तक पहुँचता है। यदि उच्च रक्तचाप के मरीज रक्तचाप प्रभावी नियंत्रण रखे बिना सहवास करते हैं तो रक्तचाप खतरनाक स्तर तक बढ़कर एंजाइना, हृदयाघात, पक्षाघात की संभावना बढ़ा देता है।
यौनक्रीड़ा के समय जननांगों को भी ज्यादा रक्त की जरूरत होती है और हृदय गति तथा रक्तचाप बढ़ जाता है। इस समय रक्तचाप बढ़कर 150 मिलीमीटर मरकरी तक पहुँच सकता है। यदि पहले से ही रक्तचाप बढ़ा है तो यह 180 मिलीमीटर मरकरी के स्तर तक पहुँचता है। यदि उच्च रक्तचाप के मरीज रक्तचाप प्रभावी नियंत्रण रखे बिना सहवास करते हैं तो रक्तचाप खतरनाक स्तर तक बढ़कर एंजाइना, हृदयाघात, पक्षाघात की संभावना बढ़ा देता है।
उच्च रक्तचाप पर प्रभावी नियंत्रण:
यदि रक्तचाप ज्यादा है तो यौन संबंधों से बचें जब तक कि यह सामान्य न हो जाए। आप उच्च रक्तचाप की दवाओं का सेवन करते हैं और यौन क्षमता में कमी हो जाती है तो दवाएँ लेना बंद न करें।
कामक्रीड़ा के समय मरीज शीघ्र थक जाते हैं। साँस भी फूलने लगती है, गंभीर रूप से हार्ट फेलेयर हो सकता है, एंजाइना व हार्ट अटैक भी हो सकता है।
यदि आप उच्च रक्तचाप के मरीज हैं तो अपनी आदतें बदलें, भोजन में परहेज करें। जीवन सुव्यवस्थित करें, तनावमुक्त रहें। दुर्व्यसनों को त्यागें। उच्च रक्तचाप पर नियंत्रण रखें। यदि रक्तचाप ज्यादा है तो यौन संबंधों से बचें जब तक कि यह सामान्य न हो जाए। आप उच्च रक्तचाप की दवाओं का सेवन करते हैं और यौन क्षमता में कमी हो जाती है तो दवाएँ लेना बंद न करें। चिकित्सक को समस्या बताएँ। वह दवा की मात्रा घटा देगा या दवाएँ बदल देगा, जिससे यौन समस्याओं से बचाव हो सकेगा।
उच्च रक्तचाप की कई दवाएं ऐसी होती हैं जिनसे नपुंसकता की शिकायत हो सकती है। चिकित्सक की सलाह से ऐसी दवाओं के डोज को नियंत्रित किया जा सकता है अथवा ऐसी दवाएं देने के लिए कहा जा सकता है जिनसे नपुंसकता भी नहीं आती और उच्च रक्तचाप भी नियंत्रित हो जाता है। अपने मन से या केमिस्ट से पूछ कर नपुंसकता निवारण की कोई दवा न लें क्योंकि इनसे उच्च रक्तचाप के मरीजों को नुकसान हो सकता है।
उच्च रक्तचाप मे मरीज जिन्हें मदिरा, तंबाकू, सिगरेट आदि की लत है को इन चीजों का त्यागकर संतुलित भोजन करना चाहिए जिस में वसा और कैलोरी की मात्रा नियंत्रित हो। नमक इस्तेमाल न करें। यदि वजन ज्यादा है तो वजन कम करें। नियमित व्यायाम करें और तनावमुक्त और हलके रह कर उच्च रक्तचाप पर नियंत्रण किया जा सकता है पर उच्च रक्तचाप के अनेक मरीजों को रोग पर नियंत्रण के लिए दवाओं का सेवन करना पड़ता है।
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Kashyap Clinic Pvt. Ltd.
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