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गुरुवार, 27 नवंबर 2014
शनिवार, 22 नवंबर 2014
5 चीजें जो आपको नहीं करनी चाहिए और क्यों ? 5 things you should stop doing. 9 June 2014 at 04:48 दोस्तों जाने अनजाने हम ऐसी कई चीजें करते हैं जो हमारे personal development के लिए ठीक नहीं होतीं. वैसे तो इन चीजों की list बहुत लम्बी हो सकती है पर मैं आपके साथ सिर्फ पांच ऐसी बातें share कर रहा हूँ जो मैं follow करता हूँ .हो सकता है कि आप already इनमे से कुछ चीजें practice करते हों , पर अगर आप यहाँ से कुछ add-on कर पाते हैं तो definitely वो आपके life को better बनाएगा . So , let’s see those 5 things: 5 चीजें जो आपको नहीं करनी चाहिए और क्यों ? 1) दूसरे की बुराई को enjoy करना ये तो हम बचपन से सुनते आ रहे हैं की दुसरे के सामने तीसरे की बुराई नहीं करनी चाहिए , पर एक और बात जो मुझे ज़रूरी लगती है वो ये कि यदि कोई किसी और की बुराई कर रहा है तो हमें उसमे interest नहीं लेना चाहिए और उसे enjoy नहीं करना चाहिए . अगर आप उसमे interest दिखाते हैं तो आप भी कहीं ना कहीं negativity को अपनी ओर attract करते हैं . बेहतर तो यही होगा की आप ऐसे लोगों से दूर रहे पर यदि साथ रहना मजबूरी हो तो आप ऐसे topics पर deaf and dumb हो जाएं , सामने वाला खुद बखुद शांत हो जायेगा . For example यदि कोई किसी का मज़ाक उड़ा रहा हो और आप उस पे हँसे ही नहीं तो शायद वो अगली बार आपके सामने ऐसा ना करे . इस बात को भी समझिये की generally जो लोग आपके सामने औरों का मज़ाक उड़ाते हैं वो औरों के सामने आपका भी मज़ाक उड़ाते होंगे . इसलिए ऐसे लोगों को discourage करना ही ठीक है . 2) अपने अन्दर को दूसरे के बाहर से compare करना इसे इंसानी defect कह लीजिये या कुछ और पर सच ये है की बहुत सारे दुखों का कारण हमारा अपना दुःख ना हो के दूसरे की ख़ुशी होती है . आप इससे ऊपर उठने की कोशिश करिए , इतना याद रखिये की किसी व्यक्ति की असलियत सिर्फ उसे ही पता होती है , हम लोगों के बाहरी यानि नकली रूप को देखते हैं और उसे अपने अन्दर के यानि की असली रूप से compare करते हैं . इसलिए हमें लगता है की सामने वाला हमसे ज्यादा खुश है , पर हकीकत ये है की ऐसे comparison का कोई मतलब ही नहीं होता है . आपको सिर्फ अपने आप को improve करते जाना है और व्यर्थ की comparison नहीं करनी है. 3) किसी काम के लिए दूसरों पर depend करना मैंने कई बार देखा है की लोग अपने ज़रूरी काम भी बस इसलिए पूरा नहीं कर पाते क्योंकि वो किसी और पे depend करते हैं . किसी व्यक्ति विशेष पर depend मत रहिये . आपका goal; समय सीमा के अन्दर task का complete करना होना चाहिए , अब अगर आपका best friend तत्काल आपकी मदद नहीं कर पा रहा है तो आप किसी और की मदद ले सकते हैं , या संभव हो तो आप अकेले भी वो काम कर सकते हैं . ऐसा करने से आपका confidence बढेगा , ऐसे लोग जो छोटे छोटे कामों को करने में आत्मनिर्भर होते हैं वही आगे चल कर बड़े -बड़े challenges भी पार कर लेते हैं , तो इस चीज को अपनी habit में लाइए : ये ज़रूरी है की काम पूरा हो ये नहीं की किसी व्यक्ति विशेष की मदद से ही पूरा हो . 4) जो बीत गया उस पर बार बार अफ़सोस करना अगर आपके साथ past में कुछ ऐसा हुआ है जो आपको दुखी करता है तो उसके बारे में एक बार अफ़सोस करिए…दो बार करिए….पर तीसरी बार मत करिए . उस incident से जो सीख ले सकते हैं वो लीजिये और आगे का देखिये . जो लोग अपना रोना दूसरों के सामने बार-बार रोते हैं उसके साथ लोग sympathy दिखाने की बजाये उससे कटने लगते हैं . हर किसी की अपनी समस्याएं हैं और कोई भी ऐसे लोगों को नहीं पसंद करता जो life को happy बनाने की जगह sad बनाए . और अगर आप ऐसा करते हैं तो किसी और से ज्यादा आप ही का नुकसान होता है . आप past में ही फंसे रह जाते हैं , और ना इस पल को जी पाते हैं और ना future के लिए खुद को prepare कर पाते हैं . 5) जो नहीं चाहते हैं उसपर focus करना सम्पूर्ण ब्रह्मांड में हम जिस चीज पर ध्यान केंद्रित करते हैं उस चीज में आश्चर्यजनक रूप से वृद्धि होती है. इसलिए आप जो होते देखना चाहते हैं उस पर focus करिए , उस बारे में बात करिए ना की ऐसी चीजें जो आप नहीं चाहते हैं . For example: यदि आप अपनी income बढ़ाना चाहते हैं तो बढती महंगाई और खर्चों पर हर वक़्त मत बात कीजिये बल्कि नयी opportunities और income generating ideas पर बात कीजिये . इन बातों पर ध्यान देने से आप Self Improvement के रास्ते पर और भी तेजी से बढ़ पायेंगे और अपनी life को खुशहाल बना पायेंगे . All the best.
5 चीजें जो आपको नहीं करनी चाहिए और क्यों ? 5 things you should stop doing.
9 June 2014 at 04:48
दोस्तों जाने अनजाने हम ऐसी कई चीजें करते हैं जो हमारे personal development के लिए ठीक नहीं होतीं. वैसे तो इन चीजों की list बहुत लम्बी हो सकती है पर मैं आपके साथ सिर्फ पांच ऐसी बातें share कर रहा हूँ जो मैं follow करता हूँ .हो सकता है कि आप already इनमे से कुछ चीजें practice करते हों , पर अगर आप यहाँ से कुछ add-on कर पाते हैं तो definitely वो आपके life को better बनाएगा . So , let’s see those 5 things:
5 चीजें जो आपको नहीं करनी चाहिए और क्यों ?
1) दूसरे की बुराई को enjoy करना
ये तो हम बचपन से सुनते आ रहे हैं की दुसरे के सामने तीसरे की बुराई नहीं करनी चाहिए , पर एक और बात जो मुझे ज़रूरी लगती है वो ये कि यदि कोई किसी और की बुराई कर रहा है तो हमें उसमे interest नहीं लेना चाहिए और उसे enjoy नहीं करना चाहिए . अगर आप उसमे interest दिखाते हैं तो आप भी कहीं ना कहीं negativity को अपनी ओर attract करते हैं . बेहतर तो यही होगा की आप ऐसे लोगों से दूर रहे पर यदि साथ रहना मजबूरी हो तो आप ऐसे topics पर deaf and dumb हो जाएं , सामने वाला खुद बखुद शांत हो जायेगा . For example यदि कोई किसी का मज़ाक उड़ा रहा हो और आप उस पे हँसे ही नहीं तो शायद वो अगली बार आपके सामने ऐसा ना करे . इस बात को भी समझिये की generally जो लोग आपके सामने औरों का मज़ाक उड़ाते हैं वो औरों के सामने आपका भी मज़ाक उड़ाते होंगे . इसलिए ऐसे लोगों को discourage करना ही ठीक है .
2) अपने अन्दर को दूसरे के बाहर से compare करना
इसे इंसानी defect कह लीजिये या कुछ और पर सच ये है की बहुत सारे दुखों का कारण हमारा अपना दुःख ना हो के दूसरे की ख़ुशी होती है . आप इससे ऊपर उठने की कोशिश करिए , इतना याद रखिये की किसी व्यक्ति की असलियत सिर्फ उसे ही पता होती है , हम लोगों के बाहरी यानि नकली रूप को देखते हैं और उसे अपने अन्दर के यानि की असली रूप से compare करते हैं . इसलिए हमें लगता है की सामने वाला हमसे ज्यादा खुश है , पर हकीकत ये है की ऐसे comparison का कोई मतलब ही नहीं होता है . आपको सिर्फ अपने आप को improve करते जाना है और व्यर्थ की comparison नहीं करनी है.
3) किसी काम के लिए दूसरों पर depend करना
मैंने कई बार देखा है की लोग अपने ज़रूरी काम भी बस इसलिए पूरा नहीं कर पाते क्योंकि वो किसी और पे depend करते हैं . किसी व्यक्ति विशेष पर depend मत रहिये . आपका goal; समय सीमा के अन्दर task का complete करना होना चाहिए , अब अगर आपका best friend तत्काल आपकी मदद नहीं कर पा रहा है तो आप किसी और की मदद ले सकते हैं , या संभव हो तो आप अकेले भी वो काम कर सकते हैं .
ऐसा करने से आपका confidence बढेगा , ऐसे लोग जो छोटे छोटे कामों को करने में आत्मनिर्भर होते हैं वही आगे चल कर बड़े -बड़े challenges भी पार कर लेते हैं , तो इस चीज को अपनी habit में लाइए : ये ज़रूरी है की काम पूरा हो ये नहीं की किसी व्यक्ति विशेष की मदद से ही पूरा हो .
4) जो बीत गया उस पर बार बार अफ़सोस करना
अगर आपके साथ past में कुछ ऐसा हुआ है जो आपको दुखी करता है तो उसके बारे में एक बार अफ़सोस करिए…दो बार करिए….पर तीसरी बार मत करिए . उस incident से जो सीख ले सकते हैं वो लीजिये और आगे का देखिये . जो लोग अपना रोना दूसरों के सामने बार-बार रोते हैं उसके साथ लोग sympathy दिखाने की बजाये उससे कटने लगते हैं . हर किसी की अपनी समस्याएं हैं और कोई भी ऐसे लोगों को नहीं पसंद करता जो life को happy बनाने की जगह sad बनाए . और अगर आप ऐसा करते हैं तो किसी और से ज्यादा आप ही का नुकसान होता है . आप past में ही फंसे रह जाते हैं , और ना इस पल को जी पाते हैं और ना future के लिए खुद को prepare कर पाते हैं .
5) जो नहीं चाहते हैं उसपर focus करना
सम्पूर्ण ब्रह्मांड में हम जिस चीज पर ध्यान केंद्रित करते हैं उस चीज में आश्चर्यजनक रूप से वृद्धि होती है. इसलिए आप जो होते देखना चाहते हैं उस पर focus करिए , उस बारे में बात करिए ना की ऐसी चीजें जो आप नहीं चाहते हैं . For example: यदि आप अपनी income बढ़ाना चाहते हैं तो बढती महंगाई और खर्चों पर हर वक़्त मत बात कीजिये बल्कि नयी opportunities और income generating ideas पर बात कीजिये .
इन बातों पर ध्यान देने से आप Self Improvement के रास्ते पर और भी तेजी से बढ़ पायेंगे और अपनी life को खुशहाल बना पायेंगे . All the best.
9 June 2014 at 04:48
दोस्तों जाने अनजाने हम ऐसी कई चीजें करते हैं जो हमारे personal development के लिए ठीक नहीं होतीं. वैसे तो इन चीजों की list बहुत लम्बी हो सकती है पर मैं आपके साथ सिर्फ पांच ऐसी बातें share कर रहा हूँ जो मैं follow करता हूँ .हो सकता है कि आप already इनमे से कुछ चीजें practice करते हों , पर अगर आप यहाँ से कुछ add-on कर पाते हैं तो definitely वो आपके life को better बनाएगा . So , let’s see those 5 things:
5 चीजें जो आपको नहीं करनी चाहिए और क्यों ?
1) दूसरे की बुराई को enjoy करना
ये तो हम बचपन से सुनते आ रहे हैं की दुसरे के सामने तीसरे की बुराई नहीं करनी चाहिए , पर एक और बात जो मुझे ज़रूरी लगती है वो ये कि यदि कोई किसी और की बुराई कर रहा है तो हमें उसमे interest नहीं लेना चाहिए और उसे enjoy नहीं करना चाहिए . अगर आप उसमे interest दिखाते हैं तो आप भी कहीं ना कहीं negativity को अपनी ओर attract करते हैं . बेहतर तो यही होगा की आप ऐसे लोगों से दूर रहे पर यदि साथ रहना मजबूरी हो तो आप ऐसे topics पर deaf and dumb हो जाएं , सामने वाला खुद बखुद शांत हो जायेगा . For example यदि कोई किसी का मज़ाक उड़ा रहा हो और आप उस पे हँसे ही नहीं तो शायद वो अगली बार आपके सामने ऐसा ना करे . इस बात को भी समझिये की generally जो लोग आपके सामने औरों का मज़ाक उड़ाते हैं वो औरों के सामने आपका भी मज़ाक उड़ाते होंगे . इसलिए ऐसे लोगों को discourage करना ही ठीक है .
2) अपने अन्दर को दूसरे के बाहर से compare करना
इसे इंसानी defect कह लीजिये या कुछ और पर सच ये है की बहुत सारे दुखों का कारण हमारा अपना दुःख ना हो के दूसरे की ख़ुशी होती है . आप इससे ऊपर उठने की कोशिश करिए , इतना याद रखिये की किसी व्यक्ति की असलियत सिर्फ उसे ही पता होती है , हम लोगों के बाहरी यानि नकली रूप को देखते हैं और उसे अपने अन्दर के यानि की असली रूप से compare करते हैं . इसलिए हमें लगता है की सामने वाला हमसे ज्यादा खुश है , पर हकीकत ये है की ऐसे comparison का कोई मतलब ही नहीं होता है . आपको सिर्फ अपने आप को improve करते जाना है और व्यर्थ की comparison नहीं करनी है.
3) किसी काम के लिए दूसरों पर depend करना
मैंने कई बार देखा है की लोग अपने ज़रूरी काम भी बस इसलिए पूरा नहीं कर पाते क्योंकि वो किसी और पे depend करते हैं . किसी व्यक्ति विशेष पर depend मत रहिये . आपका goal; समय सीमा के अन्दर task का complete करना होना चाहिए , अब अगर आपका best friend तत्काल आपकी मदद नहीं कर पा रहा है तो आप किसी और की मदद ले सकते हैं , या संभव हो तो आप अकेले भी वो काम कर सकते हैं .
ऐसा करने से आपका confidence बढेगा , ऐसे लोग जो छोटे छोटे कामों को करने में आत्मनिर्भर होते हैं वही आगे चल कर बड़े -बड़े challenges भी पार कर लेते हैं , तो इस चीज को अपनी habit में लाइए : ये ज़रूरी है की काम पूरा हो ये नहीं की किसी व्यक्ति विशेष की मदद से ही पूरा हो .
4) जो बीत गया उस पर बार बार अफ़सोस करना
अगर आपके साथ past में कुछ ऐसा हुआ है जो आपको दुखी करता है तो उसके बारे में एक बार अफ़सोस करिए…दो बार करिए….पर तीसरी बार मत करिए . उस incident से जो सीख ले सकते हैं वो लीजिये और आगे का देखिये . जो लोग अपना रोना दूसरों के सामने बार-बार रोते हैं उसके साथ लोग sympathy दिखाने की बजाये उससे कटने लगते हैं . हर किसी की अपनी समस्याएं हैं और कोई भी ऐसे लोगों को नहीं पसंद करता जो life को happy बनाने की जगह sad बनाए . और अगर आप ऐसा करते हैं तो किसी और से ज्यादा आप ही का नुकसान होता है . आप past में ही फंसे रह जाते हैं , और ना इस पल को जी पाते हैं और ना future के लिए खुद को prepare कर पाते हैं .
5) जो नहीं चाहते हैं उसपर focus करना
सम्पूर्ण ब्रह्मांड में हम जिस चीज पर ध्यान केंद्रित करते हैं उस चीज में आश्चर्यजनक रूप से वृद्धि होती है. इसलिए आप जो होते देखना चाहते हैं उस पर focus करिए , उस बारे में बात करिए ना की ऐसी चीजें जो आप नहीं चाहते हैं . For example: यदि आप अपनी income बढ़ाना चाहते हैं तो बढती महंगाई और खर्चों पर हर वक़्त मत बात कीजिये बल्कि नयी opportunities और income generating ideas पर बात कीजिये .
इन बातों पर ध्यान देने से आप Self Improvement के रास्ते पर और भी तेजी से बढ़ पायेंगे और अपनी life को खुशहाल बना पायेंगे . All the best.
पुरुषों में सेक्स संबंधी समस्याएं एवं उपचार 9 June 2014 at 04:48 आमतौर पर महिलाएं सेक्स संबंधी समस्याओं से घिरी रहती है, लेकिन ऐसा नहीं कि पुरूषों को यौन समस्याएं नहीं होती। पुरूषों में अकसर तनाव संबंधी समस्याओं के कारण यौन समस्याएं होती है। विटामिन बी के सेवन से पुरूष सेक्स संबंधी कई समस्याओं से अपना बचाव कर सकते हैं। बहरहाल, आइए जानते हैं पुरूषों में सेक्स संबंधी समस्याओं के बारे में। पुरुषों में सेक्स समस्याओं की बात आते ही सबसे पहले उन लोगों पर ध्यान जाता है, जो चाह कर भी सेक्स में रुचि नहीं ले पाते हैं या जिनकी सेक्स करने में कोई दिलचस्पी नहीं होती।सेक्स क्षमता में कमी पुरुषों में आम समस्या बन चुकी है। इसके वास्तविक कारण होते हैं सेक्स हॉरमोन टेस्टोस्टेरोन की कमी। पुरुषों में 40 की उम्र के पार होने पर रक्त में टेस्टोस्टेरोन की मात्रा में कमी आना एक आम बात है। हार्मोन में कमी उम्र के साथ जुड़ी समस्या है लेकिन कुछ लोग अपनी उम्र की शुरुआत में ही इससे पीड़ित हो जाते हैं। ये डाइबिटीज या अन्य तनाव संबंधी कारणों से भी पनप सकता है। रक्त में टेस्टोस्टेरोन की कमी से शरीर में थकान, दिमागी परिवर्तन, अनिद्रा के साथ ही सेक्स की चाहत में कमी हो जाती है।यौन समस्याओं में सबसे आम समस्या है पुरुषों में शीघ्रपतन। सेक्स क्रिया के दौरान पुरुष स्खलन होने के साथ ही पुरुष की उत्तेजना शांत हो जाती है फिर चाहे उसकी महिला साथी की कामोत्तेजना शांत न भी हो।ज्यादातर लोगों में सेक्स में दिलचस्पी खत्म होने का सबसे बड़ा कारण इरेक्टाइल डिस्फंक्शन यानी लिंग की मांसपेशियां कमजोर पड़ना है। ये समस्या कई बार विटामिन बी के सेवन न करने से, कई बार बुरी आदतें व लाइफस्टाइल के कारण हो सकती है। कई लोगों में तनाव संबंधी समस्याओं के कारण ऐसा होता है।शराब पीने वालों कोकीन, आदि ड्रग्स लेने वाले लोग सेक्स के प्रति उदासीन होते हैं। मोटापा व्यक्ति को सेक्स से विचलित करता है। कई बीमारियां जैसे- हृदय रोग, एनीमिया और मधुमेह जैसी बीमारियां भी पुरुष को सेक्स के प्रति उदासीन बनाती हैं।तनाव संबंधी समस्याएं या अत्यधिक व्यस्त रहने वाले लोगों का सेक्स जीवन भी उदासीन हो जाता है।बहुत से लोगों को यह भम्र हो जाता है कि एक उम्र के बाद शरीर में सेक्स शक्ति में कमी आ जाती है। लेकिन ये धारणा गलत है क्योंकि यदि इस उम्र के पुरुष अपने स्वास्थ्य की ठीक प्रकार से देखभाल करते हैं तो वह सेक्स का आनन्द उसी प्रकार से ले सकते हैं, जिस प्रकार से एक युवा पुरुष सेक्स क्रिया का आनन्द लेता है।सेक्स इच्छा में कमी कई बार अधिक दवाइयों का प्रयोग करने, शरीर में रोगों का प्रभाव होने, मूत्रनली से संबंधित रोग होने, तनाव होने और मानसिक समस्या के कारण हो सकते हैं।बढ़ती उम्र में पुरूषों में सेक्स इच्छा तेज हो जाना भी एक समस्या है जिसका कारण प्रोस्टेट ग्रंथि का बढ़ जाना है।पुरूष अपनी यौन समस्याओं से निजात पाने के लिए विटामिन बी का सेवन कर, तनाव संबंधी समस्याओं को दूर कर और पौष्टिक आहार लेते हुए अपनी सही तरह से देखभाल कर सकते हैं।
पुरुषों में सेक्स संबंधी समस्याएं एवं उपचार
9 June 2014 at 04:48
आमतौर पर महिलाएं सेक्स संबंधी समस्याओं से घिरी रहती है, लेकिन ऐसा नहीं कि पुरूषों को यौन समस्याएं नहीं होती। पुरूषों में अकसर तनाव संबंधी समस्याओं के कारण यौन समस्याएं होती है। विटामिन बी के सेवन से पुरूष सेक्स संबंधी कई समस्याओं से अपना बचाव कर सकते हैं। बहरहाल, आइए जानते हैं पुरूषों में सेक्स संबंधी समस्याओं के बारे में।
पुरुषों में सेक्स समस्याओं की बात आते ही सबसे पहले उन लोगों पर ध्यान जाता है, जो चाह कर भी सेक्स में रुचि नहीं ले पाते हैं या जिनकी सेक्स करने में कोई दिलचस्पी नहीं होती।सेक्स क्षमता में कमी पुरुषों में आम समस्या बन चुकी है। इसके वास्तविक कारण होते हैं सेक्स हॉरमोन टेस्टोस्टेरोन की कमी। पुरुषों में 40 की उम्र के पार होने पर रक्त में टेस्टोस्टेरोन की मात्रा में कमी आना एक आम बात है। हार्मोन में कमी उम्र के साथ जुड़ी समस्या है लेकिन कुछ लोग अपनी उम्र की शुरुआत में ही इससे पीड़ित हो जाते हैं। ये डाइबिटीज या अन्य तनाव संबंधी कारणों से भी पनप सकता है। रक्त में टेस्टोस्टेरोन की कमी से शरीर में थकान, दिमागी परिवर्तन, अनिद्रा के साथ ही सेक्स की चाहत में कमी हो जाती है।यौन समस्याओं में सबसे आम समस्या है पुरुषों में शीघ्रपतन। सेक्स क्रिया के दौरान पुरुष स्खलन होने के साथ ही पुरुष की उत्तेजना शांत हो जाती है फिर चाहे उसकी महिला साथी की कामोत्तेजना शांत न भी हो।ज्यादातर लोगों में सेक्स में दिलचस्पी खत्म होने का सबसे बड़ा कारण इरेक्टाइल डिस्फंक्शन यानी लिंग की मांसपेशियां कमजोर पड़ना है। ये समस्या कई बार विटामिन बी के सेवन न करने से, कई बार बुरी आदतें व लाइफस्टाइल के कारण हो सकती है। कई लोगों में तनाव संबंधी समस्याओं के कारण ऐसा होता है।शराब पीने वालों कोकीन, आदि ड्रग्स लेने वाले लोग सेक्स के प्रति उदासीन होते हैं। मोटापा व्यक्ति को सेक्स से विचलित करता है। कई बीमारियां जैसे- हृदय रोग, एनीमिया और मधुमेह जैसी बीमारियां भी पुरुष को सेक्स के प्रति उदासीन बनाती हैं।तनाव संबंधी समस्याएं या अत्यधिक व्यस्त रहने वाले लोगों का सेक्स जीवन भी उदासीन हो जाता है।बहुत से लोगों को यह भम्र हो जाता है कि एक उम्र के बाद शरीर में सेक्स शक्ति में कमी आ जाती है। लेकिन ये धारणा गलत है क्योंकि यदि इस उम्र के पुरुष अपने स्वास्थ्य की ठीक प्रकार से देखभाल करते हैं तो वह सेक्स का आनन्द उसी प्रकार से ले सकते हैं, जिस प्रकार से एक युवा पुरुष सेक्स क्रिया का आनन्द लेता है।सेक्स इच्छा में कमी कई बार अधिक दवाइयों का प्रयोग करने, शरीर में रोगों का प्रभाव होने, मूत्रनली से संबंधित रोग होने, तनाव होने और मानसिक समस्या के कारण हो सकते हैं।बढ़ती उम्र में पुरूषों में सेक्स इच्छा तेज हो जाना भी एक समस्या है जिसका कारण प्रोस्टेट ग्रंथि का बढ़ जाना है।पुरूष अपनी यौन समस्याओं से निजात पाने के लिए विटामिन बी का सेवन कर, तनाव संबंधी समस्याओं को दूर कर और पौष्टिक आहार लेते हुए अपनी सही तरह से देखभाल कर सकते हैं।
9 June 2014 at 04:48
आमतौर पर महिलाएं सेक्स संबंधी समस्याओं से घिरी रहती है, लेकिन ऐसा नहीं कि पुरूषों को यौन समस्याएं नहीं होती। पुरूषों में अकसर तनाव संबंधी समस्याओं के कारण यौन समस्याएं होती है। विटामिन बी के सेवन से पुरूष सेक्स संबंधी कई समस्याओं से अपना बचाव कर सकते हैं। बहरहाल, आइए जानते हैं पुरूषों में सेक्स संबंधी समस्याओं के बारे में।
पुरुषों में सेक्स समस्याओं की बात आते ही सबसे पहले उन लोगों पर ध्यान जाता है, जो चाह कर भी सेक्स में रुचि नहीं ले पाते हैं या जिनकी सेक्स करने में कोई दिलचस्पी नहीं होती।सेक्स क्षमता में कमी पुरुषों में आम समस्या बन चुकी है। इसके वास्तविक कारण होते हैं सेक्स हॉरमोन टेस्टोस्टेरोन की कमी। पुरुषों में 40 की उम्र के पार होने पर रक्त में टेस्टोस्टेरोन की मात्रा में कमी आना एक आम बात है। हार्मोन में कमी उम्र के साथ जुड़ी समस्या है लेकिन कुछ लोग अपनी उम्र की शुरुआत में ही इससे पीड़ित हो जाते हैं। ये डाइबिटीज या अन्य तनाव संबंधी कारणों से भी पनप सकता है। रक्त में टेस्टोस्टेरोन की कमी से शरीर में थकान, दिमागी परिवर्तन, अनिद्रा के साथ ही सेक्स की चाहत में कमी हो जाती है।यौन समस्याओं में सबसे आम समस्या है पुरुषों में शीघ्रपतन। सेक्स क्रिया के दौरान पुरुष स्खलन होने के साथ ही पुरुष की उत्तेजना शांत हो जाती है फिर चाहे उसकी महिला साथी की कामोत्तेजना शांत न भी हो।ज्यादातर लोगों में सेक्स में दिलचस्पी खत्म होने का सबसे बड़ा कारण इरेक्टाइल डिस्फंक्शन यानी लिंग की मांसपेशियां कमजोर पड़ना है। ये समस्या कई बार विटामिन बी के सेवन न करने से, कई बार बुरी आदतें व लाइफस्टाइल के कारण हो सकती है। कई लोगों में तनाव संबंधी समस्याओं के कारण ऐसा होता है।शराब पीने वालों कोकीन, आदि ड्रग्स लेने वाले लोग सेक्स के प्रति उदासीन होते हैं। मोटापा व्यक्ति को सेक्स से विचलित करता है। कई बीमारियां जैसे- हृदय रोग, एनीमिया और मधुमेह जैसी बीमारियां भी पुरुष को सेक्स के प्रति उदासीन बनाती हैं।तनाव संबंधी समस्याएं या अत्यधिक व्यस्त रहने वाले लोगों का सेक्स जीवन भी उदासीन हो जाता है।बहुत से लोगों को यह भम्र हो जाता है कि एक उम्र के बाद शरीर में सेक्स शक्ति में कमी आ जाती है। लेकिन ये धारणा गलत है क्योंकि यदि इस उम्र के पुरुष अपने स्वास्थ्य की ठीक प्रकार से देखभाल करते हैं तो वह सेक्स का आनन्द उसी प्रकार से ले सकते हैं, जिस प्रकार से एक युवा पुरुष सेक्स क्रिया का आनन्द लेता है।सेक्स इच्छा में कमी कई बार अधिक दवाइयों का प्रयोग करने, शरीर में रोगों का प्रभाव होने, मूत्रनली से संबंधित रोग होने, तनाव होने और मानसिक समस्या के कारण हो सकते हैं।बढ़ती उम्र में पुरूषों में सेक्स इच्छा तेज हो जाना भी एक समस्या है जिसका कारण प्रोस्टेट ग्रंथि का बढ़ जाना है।पुरूष अपनी यौन समस्याओं से निजात पाने के लिए विटामिन बी का सेवन कर, तनाव संबंधी समस्याओं को दूर कर और पौष्टिक आहार लेते हुए अपनी सही तरह से देखभाल कर सकते हैं।
सेक्स पावर बढ़ाने को लेकर समाज में ना जाने कितनी भ्रांतियां है। 9 June 2014 at 04:49 सेक्स पावर बढ़ाने को लेकर समाज में ना जाने कितनी भ्रांतियां है। लेकिन यह खबर यकीनन मानवता को शर्मसार करती है। होश उड़ा देनेवाली खबर ये है कि चीन में कुछ लोग सेक्स पावर बढ़ाने के लिए बेबी सूप पीते और खाते है।
सिओल टाइम्स की खबर के मुताबिक चीन के कुछ समाज में यह बरसों पुरानी परंपरा है। यहां सेक्स पावर में इजाफा करने के लिए वह मानव भ्रूण (बेबी भ्रूण) का मांस बड़े चाव से खाते है और उसका सूप भी पीते है। दुनिया के विचित्र होने का इस बात से ही अंदाजा लगाया जा सकता है कि चीन के दक्षिण गुआंगडोंग प्रांत के एक कस्बे में परंपरानुसार हर्बल बेबी सूप पीने का चलन बरसों से जारी है।
सिओल टाइम्स में जब यह खबर छपी तो पूरी दुनिया सकते में आ गई। इस खबर ने पूरी दुनिया को झकझोर कर रख दिया। सोशल नेटवर्किग साइट पर भी इस खबर को लेकर काफी आलोचनाएं हुए। कमेंट करनेवालों का तांता लग गया।
अखबार और वेबसाइट पर छपी तस्वीरें तो कुछ ज्यादा ही खौफनाक थी। इन तस्वीरों में कुछ चीनी लोगों को मानव भ्रूण के सूप लोगों को बड़े चाव से पीते हुए बताया और दिखाया गया।
सेक्स पावर बढ़ाने को लेकर समाज में ना जाने कितनी भ्रांतियां है।
9 June 2014 at 04:49
सेक्स पावर बढ़ाने को लेकर समाज में ना जाने कितनी भ्रांतियां है। लेकिन यह खबर यकीनन मानवता को शर्मसार करती है। होश उड़ा देनेवाली खबर ये है कि चीन में कुछ लोग सेक्स पावर बढ़ाने के लिए बेबी सूप पीते और खाते है। <p> </p>सिओल टाइम्स की खबर के मुताबिक चीन के कुछ समाज में यह बरसों पुरानी परंपरा है। यहां सेक्स पावर में इजाफा करने के लिए वह मानव भ्रूण (बेबी भ्रूण) का मांस बड़े चाव से खाते है और उसका सूप भी पीते है। दुनिया के विचित्र होने का इस बात से ही अंदाजा लगाया जा सकता है कि चीन के दक्षिण गुआंगडोंग प्रांत के एक कस्बे में परंपरानुसार हर्बल बेबी सूप पीने का चलन बरसों से जारी है।<p> </p>सिओल टाइम्स में जब यह खबर छपी तो पूरी दुनिया सकते में आ गई। इस खबर ने पूरी दुनिया को झकझोर कर रख दिया। सोशल नेटवर्किग साइट पर भी इस खबर को लेकर काफी आलोचनाएं हुए। कमेंट करनेवालों का तांता लग गया।<p> </p>अखबार और वेबसाइट पर छपी तस्वीरें तो कुछ ज्यादा ही खौफनाक थी। इन तस्वीरों में कुछ चीनी लोगों को मानव भ्रूण के सूप लोगों को बड़े चाव से पीते हुए बताया और दिखाया गया।
9 June 2014 at 04:49
सेक्स पावर बढ़ाने को लेकर समाज में ना जाने कितनी भ्रांतियां है। लेकिन यह खबर यकीनन मानवता को शर्मसार करती है। होश उड़ा देनेवाली खबर ये है कि चीन में कुछ लोग सेक्स पावर बढ़ाने के लिए बेबी सूप पीते और खाते है। <p> </p>सिओल टाइम्स की खबर के मुताबिक चीन के कुछ समाज में यह बरसों पुरानी परंपरा है। यहां सेक्स पावर में इजाफा करने के लिए वह मानव भ्रूण (बेबी भ्रूण) का मांस बड़े चाव से खाते है और उसका सूप भी पीते है। दुनिया के विचित्र होने का इस बात से ही अंदाजा लगाया जा सकता है कि चीन के दक्षिण गुआंगडोंग प्रांत के एक कस्बे में परंपरानुसार हर्बल बेबी सूप पीने का चलन बरसों से जारी है।<p> </p>सिओल टाइम्स में जब यह खबर छपी तो पूरी दुनिया सकते में आ गई। इस खबर ने पूरी दुनिया को झकझोर कर रख दिया। सोशल नेटवर्किग साइट पर भी इस खबर को लेकर काफी आलोचनाएं हुए। कमेंट करनेवालों का तांता लग गया।<p> </p>अखबार और वेबसाइट पर छपी तस्वीरें तो कुछ ज्यादा ही खौफनाक थी। इन तस्वीरों में कुछ चीनी लोगों को मानव भ्रूण के सूप लोगों को बड़े चाव से पीते हुए बताया और दिखाया गया।
महिलाओं की जीवनशैली से संबंधित नई बीमारी पॉलीसिस्टिक ओवेरियन सिंड्रोम 9 June 2014 at 04:51 महिलाओं की जीवनशैली से संबंधित नई बीमारी पॉलीसिस्टिक ओवेरियन सिंड्रोमनई दिल्ली: क्या आप चेहरे के बालों, मुहासों और अनियमित माहवारी की समस्याओं से जूझ रही हैं? अगर हां, तो हो सकता है कि आप पॉलीसिस्टिक ओवेरियन सिंड्रोम (पीसीओएस) की शिकार हों। पीसीओएस जीवनशैली संबंधी बीमारी है, जो औरतों में होती है। भारतीय महिलाओं, खासतौर से युवतियों में यह बीमारी बढ़ रही है। विशेषज्ञों का कहना है कि, हालांकि इस परिस्थिति के मुख्य कारणों के बारे में पता नहीं चला है, लेकिन यह बीमारी काफी हद तक अंडाशय को प्रभावित करती है। सर गंगाराम अस्पताल में प्रसूति और स्त्री रोग विशेषज्ञ माला श्रीवास्तव बताती हैं कि पीसीओएस से पीड़ित महिलाओं के लिए समस्या दोगुनी हो जाती है क्योंकि लक्षण के बिना रोग का उपचार किया जाना मुश्किल है। चिकित्सकों का कहना है कि ओपीडी में आने वाले पीसीओएस के कुल मरीजो में से 30-40 प्रतिशत किशोरियां होती हैं। पीसीओएस अधिकतर युवतियों को प्रभावित करता है। मधुमेह, गर्भाशय कैंसर और उच्च कोलेस्ट्रॉल से ग्रसित 40-60 प्रतिशत महिलाएं पीसीओएस से भी पीड़ित हैं। पूरी दुनिया में महिलाओं की कुल आबादी का 4-11 प्रतिशत महिलाएं पीसीओएस से पीड़ित हैं। शहर में जहां 30 प्रतिशत महिलाएं इस बीमारी से पीड़ित हैं, वहीं ग्रामीण महिलाओं में यह समस्या कम है। मोटापे को इसका मुख्य कारण बताते हुए माला ने बताया कि मोटापा हार्मोन मे बदलाव करता है जिससे पीसीओएस पनपता है। माला के मुताबिक, कुछ महिलाएं इंसुलिन प्रतिरोधी होती हैं, जिससे उनका मोटापा बढ़ता है और हार्मोनल असंतुलन के कारण पीसीओएस होता है। मैक्स अस्पताल की प्रसूति और स्त्री रोग विभाग की वरिष्ठ सलाहकार अनीता तलवार कहती हैं कि यह 11 साल की लड़की को भी हो सकता है। महिलाओं के प्रजननीय सालों में यह बीमारी 11.2 प्रतिशत होती है, जबकि किशोरियों में 50 प्रतिशत तक यह बीमारी होती है। अमेरिक जर्नल क्लीनिकल न्यूट्रीशन में पिछले साल एक अध्ययन प्रकाशित हुआ था जिसमें पीसीओएस पीड़ित महिलाओं में मोटापा और ब्लड शुगर कम करने वाले ग्लाइसेमिक आहार और कम वसा, उच्च रेशेयुक्त आहार के प्रभाव का परीक्षण किया गया।शोध में पाया गया कि वजन कम करने और ब्लड शुगर नियंत्रित करने वाला खाने वाली महिलाओं में इंसुलिन संवेदनशीलता बेहतर थी। महिलाएं अपनी माहवारी को नियमित करके पीसीओएस से बच सकती हैं। इसके अलावा अंतराल पर हार्मोन प्रोजेस्टेरोन थेरेपी भी एक विकल्प है। यह अनियमित माहवारी और गर्भाशय का खतरा कम करती है। लेकिन यह गर्भनिरोध की सुविधा नहीं देता।
महिलाओं की जीवनशैली से संबंधित नई बीमारी पॉलीसिस्टिक ओवेरियन सिंड्रोम
9 June 2014 at 04:51
महिलाओं की जीवनशैली से संबंधित नई बीमारी पॉलीसिस्टिक ओवेरियन सिंड्रोमनई दिल्ली: क्या आप चेहरे के बालों, मुहासों और अनियमित माहवारी की समस्याओं से जूझ रही हैं? अगर हां, तो हो सकता है कि आप पॉलीसिस्टिक ओवेरियन सिंड्रोम (पीसीओएस) की शिकार हों। पीसीओएस जीवनशैली संबंधी बीमारी है, जो औरतों में होती है। भारतीय महिलाओं, खासतौर से युवतियों में यह बीमारी बढ़ रही है।
विशेषज्ञों का कहना है कि, हालांकि इस परिस्थिति के मुख्य कारणों के बारे में पता नहीं चला है, लेकिन यह बीमारी काफी हद तक अंडाशय को प्रभावित करती है। सर गंगाराम अस्पताल में प्रसूति और स्त्री रोग विशेषज्ञ माला श्रीवास्तव बताती हैं कि पीसीओएस से पीड़ित महिलाओं के लिए समस्या दोगुनी हो जाती है क्योंकि लक्षण के बिना रोग का उपचार किया जाना मुश्किल है।
चिकित्सकों का कहना है कि ओपीडी में आने वाले पीसीओएस के कुल मरीजो में से 30-40 प्रतिशत किशोरियां होती हैं। पीसीओएस अधिकतर युवतियों को प्रभावित करता है। मधुमेह, गर्भाशय कैंसर और उच्च कोलेस्ट्रॉल से ग्रसित 40-60 प्रतिशत महिलाएं पीसीओएस से भी पीड़ित हैं।
पूरी दुनिया में महिलाओं की कुल आबादी का 4-11 प्रतिशत महिलाएं पीसीओएस से पीड़ित हैं। शहर में जहां 30 प्रतिशत महिलाएं इस बीमारी से पीड़ित हैं, वहीं ग्रामीण महिलाओं में यह समस्या कम है।
मोटापे को इसका मुख्य कारण बताते हुए माला ने बताया कि मोटापा हार्मोन मे बदलाव करता है जिससे पीसीओएस पनपता है। माला के मुताबिक, कुछ महिलाएं इंसुलिन प्रतिरोधी होती हैं, जिससे उनका मोटापा बढ़ता है और हार्मोनल असंतुलन के कारण पीसीओएस होता है।
मैक्स अस्पताल की प्रसूति और स्त्री रोग विभाग की वरिष्ठ सलाहकार अनीता तलवार कहती हैं कि यह 11 साल की लड़की को भी हो सकता है। महिलाओं के प्रजननीय सालों में यह बीमारी 11.2 प्रतिशत होती है, जबकि किशोरियों में 50 प्रतिशत तक यह बीमारी होती है।
अमेरिक जर्नल क्लीनिकल न्यूट्रीशन में पिछले साल एक अध्ययन प्रकाशित हुआ था जिसमें पीसीओएस पीड़ित महिलाओं में मोटापा और ब्लड शुगर कम करने वाले ग्लाइसेमिक आहार और कम वसा, उच्च रेशेयुक्त आहार के प्रभाव का परीक्षण किया गया।शोध में पाया गया कि वजन कम करने और ब्लड शुगर नियंत्रित करने वाला खाने वाली महिलाओं में इंसुलिन संवेदनशीलता बेहतर थी। महिलाएं अपनी माहवारी को नियमित करके पीसीओएस से बच सकती हैं। इसके अलावा अंतराल पर हार्मोन प्रोजेस्टेरोन थेरेपी भी एक विकल्प है। यह अनियमित माहवारी और गर्भाशय का खतरा कम करती है। लेकिन यह गर्भनिरोध की सुविधा नहीं देता।
9 June 2014 at 04:51
महिलाओं की जीवनशैली से संबंधित नई बीमारी पॉलीसिस्टिक ओवेरियन सिंड्रोमनई दिल्ली: क्या आप चेहरे के बालों, मुहासों और अनियमित माहवारी की समस्याओं से जूझ रही हैं? अगर हां, तो हो सकता है कि आप पॉलीसिस्टिक ओवेरियन सिंड्रोम (पीसीओएस) की शिकार हों। पीसीओएस जीवनशैली संबंधी बीमारी है, जो औरतों में होती है। भारतीय महिलाओं, खासतौर से युवतियों में यह बीमारी बढ़ रही है।
विशेषज्ञों का कहना है कि, हालांकि इस परिस्थिति के मुख्य कारणों के बारे में पता नहीं चला है, लेकिन यह बीमारी काफी हद तक अंडाशय को प्रभावित करती है। सर गंगाराम अस्पताल में प्रसूति और स्त्री रोग विशेषज्ञ माला श्रीवास्तव बताती हैं कि पीसीओएस से पीड़ित महिलाओं के लिए समस्या दोगुनी हो जाती है क्योंकि लक्षण के बिना रोग का उपचार किया जाना मुश्किल है।
चिकित्सकों का कहना है कि ओपीडी में आने वाले पीसीओएस के कुल मरीजो में से 30-40 प्रतिशत किशोरियां होती हैं। पीसीओएस अधिकतर युवतियों को प्रभावित करता है। मधुमेह, गर्भाशय कैंसर और उच्च कोलेस्ट्रॉल से ग्रसित 40-60 प्रतिशत महिलाएं पीसीओएस से भी पीड़ित हैं।
पूरी दुनिया में महिलाओं की कुल आबादी का 4-11 प्रतिशत महिलाएं पीसीओएस से पीड़ित हैं। शहर में जहां 30 प्रतिशत महिलाएं इस बीमारी से पीड़ित हैं, वहीं ग्रामीण महिलाओं में यह समस्या कम है।
मोटापे को इसका मुख्य कारण बताते हुए माला ने बताया कि मोटापा हार्मोन मे बदलाव करता है जिससे पीसीओएस पनपता है। माला के मुताबिक, कुछ महिलाएं इंसुलिन प्रतिरोधी होती हैं, जिससे उनका मोटापा बढ़ता है और हार्मोनल असंतुलन के कारण पीसीओएस होता है।
मैक्स अस्पताल की प्रसूति और स्त्री रोग विभाग की वरिष्ठ सलाहकार अनीता तलवार कहती हैं कि यह 11 साल की लड़की को भी हो सकता है। महिलाओं के प्रजननीय सालों में यह बीमारी 11.2 प्रतिशत होती है, जबकि किशोरियों में 50 प्रतिशत तक यह बीमारी होती है।
अमेरिक जर्नल क्लीनिकल न्यूट्रीशन में पिछले साल एक अध्ययन प्रकाशित हुआ था जिसमें पीसीओएस पीड़ित महिलाओं में मोटापा और ब्लड शुगर कम करने वाले ग्लाइसेमिक आहार और कम वसा, उच्च रेशेयुक्त आहार के प्रभाव का परीक्षण किया गया।शोध में पाया गया कि वजन कम करने और ब्लड शुगर नियंत्रित करने वाला खाने वाली महिलाओं में इंसुलिन संवेदनशीलता बेहतर थी। महिलाएं अपनी माहवारी को नियमित करके पीसीओएस से बच सकती हैं। इसके अलावा अंतराल पर हार्मोन प्रोजेस्टेरोन थेरेपी भी एक विकल्प है। यह अनियमित माहवारी और गर्भाशय का खतरा कम करती है। लेकिन यह गर्भनिरोध की सुविधा नहीं देता।
महिला का ओर्गास्म एक मुश्किल विषय है समझने के लिए। यह सिर्फ पुरुषों के लिए समझना ही पेचीदा नहीं है, बल्कि कई महिलाओं के लिए भी इसे समझना मुश्किल हो जाता है। इससे जुड़े बहुत सारे मिथ्या इससे जुडी गलतफहमियों को और बढ़ावा देते हैं। 'सेक्स मिथ्या तोड़ो' के इस भाग में, हम बात करेगे महिलाओं के ओर्गास्म के बारे में। मिथ्या 1: इंटरकोर्स से ही महिलों को ओर्गास्म होता है जी नहीं! यह ज़रूरी नहीं है। सच यह है कि कई सारे शोध के द्वारा ये पता चला है कि केवल एक तिहाई महिलाओं को ही इंटरकोर्स के द्वारा ओर्गास्म होता है। अधिकतर महिलाओं को मुखमैथुन और हाथों के इस्तेमाल के ज़रिये ओर्गास्म होता है। अगर आप यह जानना चाह रहे हैं कि आपके साथी के लिए क्या काम करता है, तो उनसे खुलकर बात करिए और पूछिए। सेक्स कि अलग-अलग मुद्राएं करने कि कोशिश करिये और अलग-अलग तरीको से अपनी सेक्स लाइफ को रोमांचक बनाने के कोशिश भी करिये - अपना समय लीजिये ये समझने के लिए कि सबसे बेहतर तरीका क्या है आपके साथी को चरम तक पहुचाने का। मिथ्या 2: वो बिलकुल 'ठंडी' है अगर उसे चरम नहीं होता तो महिला के ओर्गास्म तक ना पहुच पाने के कुछ मेडिकल और मनोवैज्ञानिक सम्बन्धी कारण भी हो सकते हैं। डॉक्टर्स और विशेषज्ञ इस अवस्था को 'एनओर्गेस्मिया' बुलाते हैं। अगर किसी महिला को ओर्गास्म होने में परेशानी होती है या वो चरम तक पहुच ही नहीं पाती, तो इसका मतलब यह नहीं कि वो 'ठंडी' है, या आपकी तरफ उसे कोई रुचि नहीं है। मिथ्या 3: अगर उसे ओर्गास्म नहीं हो पा रहा तो यह उसके साथी कि गलती है महिला के ओर्गास्म नहीं हो पाने के कारण बहुत सारे हो सकते हैं - कोई ऐसी सेक्स मुद्रा जो शायद उनके लिए काम नहीं कर रही है, सेक्स में दोनों साथियों का ताल-मेल ना बैठ पाना, फोरेप्ले कि कमी, या शायद 'एनओर्गेस्मिया'। लेकिन इनमें से कोई भी कारण का मतलब यह नहीं कि आपके साथी कि गलती है। महिला का ओर्गास्म खुद उनकी ज़िम्मेदारी भी है - एक महिला को खुलकर यह बताना चाहिए कि उनके लिए क्या काम कर रहा है और क्या नहीं और उन्हें क्या पसंद है और क्या नहीं, ताकि उनका साथी भी ये समझ सके। कुछ टिप्स चाहिए? पढ़िए: सेक्स के बारे में बातचीत करना: क्या करें और क्या नहीं मिथ्या 4: ओर्गास्म नहीं = बुरा सेक्स ये शायद सुनने में अजीब लगे, लेकिन महिलाएं ऐसा सेक्स भी बहुत बार अच्छा लगता है जिसमे शायद उन्हें ओर्गास्म ना हो। बहुत सारी महिलाओं के लिए अपने अपने साथी के साथ नीजि सम्बन्ध बनाना और एक दूसरे को सुख और मज़ा देने वाले आंगों के साथ खेलना ही बहुत संतुष्टि देता है। मिथ्या 5: ओर्गास्म वैसे होते हैं जैसे फिल्मों में देखते हैं महिलाओं को ओर्गास्म देना आसान नहीं होता। और पोर्न फिल्मों कि तरह तो बिलकुल भी नहीं या शायद जैसे हॉलीवुड कि फिल्मों में देखने को मिलता है। और ऐसा भी नहीं है कि हर महिला को बिलकुल विक्षुब्ध कर देने वाला ओर्गास्म होता है हमेशा ही। कुछ महिलाओं को चरम बहुत शांत तरीके से भी होता है। तो फिल्मों के एक्टरों कि बात को सच मत मानिये और महिलाओं के ओर्गास्म का पूरा सच जनिये। मिथ्या 6: केवल महिलाएं ओर्गास्म होने का झूट-मूठ नाटक करती हैं अगर आप ऐसा सोचते हैं तो आप गलत हैं। क्यूंकि पुरुष भी ओर्गास्म होने का झूठा नाटक करते हैं! जी हाँ। एक अध्यन के अनुसार जो कि यूनिवर्सिटी ऑफ़ केंसास में किया गया था, उससे पता चला कि एक चौथाई पुरुष भी झोटे ओर्गास्म का नाटक करते हैं। मिथ्या 7: महिलायों में वीर्यपात नहीं होता यह सच नहीं! क्यूंकि महिलाओं में भी वीर्यपात होता है! हाँ उनका वीर्य पुरुष के वीर्य कि तरह सफ़ेद उअर दूधिया भी हो सकता है या केवल पानी कि तरह भी। कई महिलाओं को इंटरकोर्स से बहुत ज़यादा कामोत्तेजना होती है, जिससे उन्हें ओर्गास्म होता है और उसमे वीर्यपात भी होता है। यह जी-स्पॉट के रगड़ने से भी होता है, जो कि महिलाओं कि यूनि का बहुत ही सम्वेदनशील भाग होता है। और अफ्रीका कि एक बहुत ही जानी-मानी तकनीक है 'कुनयाज़ा' जो कि महिलों को इस तरह का ओर्गास्म देने में मदद करती है।
महिला का ओर्गास्म एक मुश्किल विषय है समझने के लिए। यह सिर्फ पुरुषों के लिए समझना ही पेचीदा नहीं है, बल्कि कई महिलाओं के लिए भी इसे समझना मुश्किल हो जाता है। इससे जुड़े बहुत सारे मिथ्या इससे जुडी गलतफहमियों को और बढ़ावा देते हैं।
'सेक्स मिथ्या तोड़ो' के इस भाग में, हम बात करेगे महिलाओं के ओर्गास्म के बारे में।
मिथ्या 1: इंटरकोर्स से ही महिलों को ओर्गास्म होता है
जी नहीं! यह ज़रूरी नहीं है। सच यह है कि कई सारे शोध के द्वारा ये पता चला है कि केवल एक तिहाई महिलाओं को ही इंटरकोर्स के द्वारा ओर्गास्म होता है। अधिकतर महिलाओं को मुखमैथुन और हाथों के इस्तेमाल के ज़रिये ओर्गास्म होता है। अगर आप यह जानना चाह रहे हैं कि आपके साथी के लिए क्या काम करता है, तो उनसे खुलकर बात करिए और पूछिए। सेक्स कि अलग-अलग मुद्राएं करने कि कोशिश करिये और अलग-अलग तरीको से अपनी सेक्स लाइफ को रोमांचक बनाने के कोशिश भी करिये - अपना समय लीजिये ये समझने के लिए कि सबसे बेहतर तरीका क्या है आपके साथी को चरम तक पहुचाने का।
मिथ्या 2: वो बिलकुल 'ठंडी' है अगर उसे चरम नहीं होता तो
महिला के ओर्गास्म तक ना पहुच पाने के कुछ मेडिकल और मनोवैज्ञानिक सम्बन्धी कारण भी हो सकते हैं। डॉक्टर्स और विशेषज्ञ इस अवस्था को 'एनओर्गेस्मिया' बुलाते हैं। अगर किसी महिला को ओर्गास्म होने में परेशानी होती है या वो चरम तक पहुच ही नहीं पाती, तो इसका मतलब यह नहीं कि वो 'ठंडी' है, या आपकी तरफ उसे कोई रुचि नहीं है।
मिथ्या 3: अगर उसे ओर्गास्म नहीं हो पा रहा तो यह उसके साथी कि गलती है
महिला के ओर्गास्म नहीं हो पाने के कारण बहुत सारे हो सकते हैं - कोई ऐसी सेक्स मुद्रा जो शायद उनके लिए काम नहीं कर रही है, सेक्स में दोनों साथियों का ताल-मेल ना बैठ पाना, फोरेप्ले कि कमी, या शायद 'एनओर्गेस्मिया'। लेकिन इनमें से कोई भी कारण का मतलब यह नहीं कि आपके साथी कि गलती है।
महिला का ओर्गास्म खुद उनकी ज़िम्मेदारी भी है - एक महिला को खुलकर यह बताना चाहिए कि उनके लिए क्या काम कर रहा है और क्या नहीं और उन्हें क्या पसंद है और क्या नहीं, ताकि उनका साथी भी ये समझ सके।
कुछ टिप्स चाहिए? पढ़िए: सेक्स के बारे में बातचीत करना: क्या करें और क्या नहीं
मिथ्या 4: ओर्गास्म नहीं = बुरा सेक्स
ये शायद सुनने में अजीब लगे, लेकिन महिलाएं ऐसा सेक्स भी बहुत बार अच्छा लगता है जिसमे शायद उन्हें ओर्गास्म ना हो। बहुत सारी महिलाओं के लिए अपने अपने साथी के साथ नीजि सम्बन्ध बनाना और एक दूसरे को सुख और मज़ा देने वाले आंगों के साथ खेलना ही बहुत संतुष्टि देता है।
मिथ्या 5: ओर्गास्म वैसे होते हैं जैसे फिल्मों में देखते हैं
महिलाओं को ओर्गास्म देना आसान नहीं होता। और पोर्न फिल्मों कि तरह तो बिलकुल भी नहीं या शायद जैसे हॉलीवुड कि फिल्मों में देखने को मिलता है। और ऐसा भी नहीं है कि हर महिला को बिलकुल विक्षुब्ध कर देने वाला ओर्गास्म होता है हमेशा ही। कुछ महिलाओं को चरम बहुत शांत तरीके से भी होता है। तो फिल्मों के एक्टरों कि बात को सच मत मानिये और महिलाओं के ओर्गास्म का पूरा सच जनिये।
मिथ्या 6: केवल महिलाएं ओर्गास्म होने का झूट-मूठ नाटक करती हैं
अगर आप ऐसा सोचते हैं तो आप गलत हैं। क्यूंकि पुरुष भी ओर्गास्म होने का झूठा नाटक करते हैं! जी हाँ। एक अध्यन के अनुसार जो कि यूनिवर्सिटी ऑफ़ केंसास में किया गया था, उससे पता चला कि एक चौथाई पुरुष भी झोटे ओर्गास्म का नाटक करते हैं।
मिथ्या 7: महिलायों में वीर्यपात नहीं होता
यह सच नहीं! क्यूंकि महिलाओं में भी वीर्यपात होता है! हाँ उनका वीर्य पुरुष के वीर्य कि तरह सफ़ेद उअर दूधिया भी हो सकता है या केवल पानी कि तरह भी। कई महिलाओं को इंटरकोर्स से बहुत ज़यादा कामोत्तेजना होती है, जिससे उन्हें ओर्गास्म होता है और उसमे वीर्यपात भी होता है। यह जी-स्पॉट के रगड़ने से भी होता है, जो कि महिलाओं कि यूनि का बहुत ही सम्वेदनशील भाग होता है। और अफ्रीका कि एक बहुत ही जानी-मानी तकनीक है 'कुनयाज़ा' जो कि महिलों को इस तरह का ओर्गास्म देने में मदद करती है।
'सेक्स मिथ्या तोड़ो' के इस भाग में, हम बात करेगे महिलाओं के ओर्गास्म के बारे में।
मिथ्या 1: इंटरकोर्स से ही महिलों को ओर्गास्म होता है
जी नहीं! यह ज़रूरी नहीं है। सच यह है कि कई सारे शोध के द्वारा ये पता चला है कि केवल एक तिहाई महिलाओं को ही इंटरकोर्स के द्वारा ओर्गास्म होता है। अधिकतर महिलाओं को मुखमैथुन और हाथों के इस्तेमाल के ज़रिये ओर्गास्म होता है। अगर आप यह जानना चाह रहे हैं कि आपके साथी के लिए क्या काम करता है, तो उनसे खुलकर बात करिए और पूछिए। सेक्स कि अलग-अलग मुद्राएं करने कि कोशिश करिये और अलग-अलग तरीको से अपनी सेक्स लाइफ को रोमांचक बनाने के कोशिश भी करिये - अपना समय लीजिये ये समझने के लिए कि सबसे बेहतर तरीका क्या है आपके साथी को चरम तक पहुचाने का।
मिथ्या 2: वो बिलकुल 'ठंडी' है अगर उसे चरम नहीं होता तो
महिला के ओर्गास्म तक ना पहुच पाने के कुछ मेडिकल और मनोवैज्ञानिक सम्बन्धी कारण भी हो सकते हैं। डॉक्टर्स और विशेषज्ञ इस अवस्था को 'एनओर्गेस्मिया' बुलाते हैं। अगर किसी महिला को ओर्गास्म होने में परेशानी होती है या वो चरम तक पहुच ही नहीं पाती, तो इसका मतलब यह नहीं कि वो 'ठंडी' है, या आपकी तरफ उसे कोई रुचि नहीं है।
मिथ्या 3: अगर उसे ओर्गास्म नहीं हो पा रहा तो यह उसके साथी कि गलती है
महिला के ओर्गास्म नहीं हो पाने के कारण बहुत सारे हो सकते हैं - कोई ऐसी सेक्स मुद्रा जो शायद उनके लिए काम नहीं कर रही है, सेक्स में दोनों साथियों का ताल-मेल ना बैठ पाना, फोरेप्ले कि कमी, या शायद 'एनओर्गेस्मिया'। लेकिन इनमें से कोई भी कारण का मतलब यह नहीं कि आपके साथी कि गलती है।
महिला का ओर्गास्म खुद उनकी ज़िम्मेदारी भी है - एक महिला को खुलकर यह बताना चाहिए कि उनके लिए क्या काम कर रहा है और क्या नहीं और उन्हें क्या पसंद है और क्या नहीं, ताकि उनका साथी भी ये समझ सके।
कुछ टिप्स चाहिए? पढ़िए: सेक्स के बारे में बातचीत करना: क्या करें और क्या नहीं
मिथ्या 4: ओर्गास्म नहीं = बुरा सेक्स
ये शायद सुनने में अजीब लगे, लेकिन महिलाएं ऐसा सेक्स भी बहुत बार अच्छा लगता है जिसमे शायद उन्हें ओर्गास्म ना हो। बहुत सारी महिलाओं के लिए अपने अपने साथी के साथ नीजि सम्बन्ध बनाना और एक दूसरे को सुख और मज़ा देने वाले आंगों के साथ खेलना ही बहुत संतुष्टि देता है।
मिथ्या 5: ओर्गास्म वैसे होते हैं जैसे फिल्मों में देखते हैं
महिलाओं को ओर्गास्म देना आसान नहीं होता। और पोर्न फिल्मों कि तरह तो बिलकुल भी नहीं या शायद जैसे हॉलीवुड कि फिल्मों में देखने को मिलता है। और ऐसा भी नहीं है कि हर महिला को बिलकुल विक्षुब्ध कर देने वाला ओर्गास्म होता है हमेशा ही। कुछ महिलाओं को चरम बहुत शांत तरीके से भी होता है। तो फिल्मों के एक्टरों कि बात को सच मत मानिये और महिलाओं के ओर्गास्म का पूरा सच जनिये।
मिथ्या 6: केवल महिलाएं ओर्गास्म होने का झूट-मूठ नाटक करती हैं
अगर आप ऐसा सोचते हैं तो आप गलत हैं। क्यूंकि पुरुष भी ओर्गास्म होने का झूठा नाटक करते हैं! जी हाँ। एक अध्यन के अनुसार जो कि यूनिवर्सिटी ऑफ़ केंसास में किया गया था, उससे पता चला कि एक चौथाई पुरुष भी झोटे ओर्गास्म का नाटक करते हैं।
मिथ्या 7: महिलायों में वीर्यपात नहीं होता
यह सच नहीं! क्यूंकि महिलाओं में भी वीर्यपात होता है! हाँ उनका वीर्य पुरुष के वीर्य कि तरह सफ़ेद उअर दूधिया भी हो सकता है या केवल पानी कि तरह भी। कई महिलाओं को इंटरकोर्स से बहुत ज़यादा कामोत्तेजना होती है, जिससे उन्हें ओर्गास्म होता है और उसमे वीर्यपात भी होता है। यह जी-स्पॉट के रगड़ने से भी होता है, जो कि महिलाओं कि यूनि का बहुत ही सम्वेदनशील भाग होता है। और अफ्रीका कि एक बहुत ही जानी-मानी तकनीक है 'कुनयाज़ा' जो कि महिलों को इस तरह का ओर्गास्म देने में मदद करती है।
Sex Positions Which Men Crave For! 9 June 2014 at 05:00 Having sex with your partner is always fun. But how about making it more spicy so that your partner just cannot have enough of you? Sounds great, doesn't it? It is like this - One tends to get bored if they eat the same food everyday! Similarly, having sex in the same position each time can get boring too. So, ladies it is time to find out what your man desires in bed and do something about it! All men fantasise about their women doing crazy things to them in bed. You have to find out what your man wants from you. Once you get to know how he wants you in bed, there is nothing that can stop you from being the Sex Goddess. Guys want to have sex in different ways. By that we mean they love to experiment with sex positions. There are a few sex positions which men crave to try out. So, let us have a look at the sex positions which men crave to try out. Deep Thrust Positions You may like it gentle. But your man just craves to thrust inside you. Most men like to have a deep penetration. But they are afraid to try it out because they feel they might end hurting up their ladies in bed. They especially love to take on the woman from behind, bend her over the table, spread her legs and then enter her from behind. Rear Entry Not all women enjoy anal sex. But that does not mean you cannot fulfill his fantasy of showing off your ass. Try out positions like the doggy style where you are on all your fours and your man has the full view of your behind. He will not be able to resist the invitation to enter you from the back. You can try facing the wall and ask him to thrust from behind. It is one of the most naughty positions which men just die to try out. Legs In The Air Another most desired sex position is stretching your legs up in the air while he thrusts into you with full might. This makes your guy get a full view of you while climaxing. This is one of the best positions you can try with your guy and make him go wild with pleasure. So, try out these sex positions and watch your man getting crazy with pleasure.
Sex Positions Which Men Crave For!
9 June 2014 at 05:00
Having sex with your partner is always fun. But how about making it more spicy so that your partner just cannot have enough of you? Sounds great, doesn't it? It is like this - One tends to get bored if they eat the same food everyday! Similarly, having sex in the same position each time can get boring too. So, ladies it is time to find out what your man desires in bed and do something about it! All men fantasise about their women doing crazy things to them in bed. You have to find out what your man wants from you. Once you get to know how he wants you in bed, there is nothing that can stop you from being the Sex Goddess. Guys want to have sex in different ways. By that we mean they love to experiment with sex positions. There are a few sex positions which men crave to try out. So, let us have a look at the sex positions which men crave to try out. Deep Thrust Positions You may like it gentle. But your man just craves to thrust inside you. Most men like to have a deep penetration. But they are afraid to try it out because they feel they might end hurting up their ladies in bed. They especially love to take on the woman from behind, bend her over the table, spread her legs and then enter her from behind. Rear Entry Not all women enjoy anal sex. But that does not mean you cannot fulfill his fantasy of showing off your ass. Try out positions like the doggy style where you are on all your fours and your man has the full view of your behind. He will not be able to resist the invitation to enter you from the back. You can try facing the wall and ask him to thrust from behind. It is one of the most naughty positions which men just die to try out. Legs In The Air Another most desired sex position is stretching your legs up in the air while he thrusts into you with full might. This makes your guy get a full view of you while climaxing. This is one of the best positions you can try with your guy and make him go wild with pleasure. So, try out these sex positions and watch your man getting crazy with pleasure.
9 June 2014 at 05:00
Having sex with your partner is always fun. But how about making it more spicy so that your partner just cannot have enough of you? Sounds great, doesn't it? It is like this - One tends to get bored if they eat the same food everyday! Similarly, having sex in the same position each time can get boring too. So, ladies it is time to find out what your man desires in bed and do something about it! All men fantasise about their women doing crazy things to them in bed. You have to find out what your man wants from you. Once you get to know how he wants you in bed, there is nothing that can stop you from being the Sex Goddess. Guys want to have sex in different ways. By that we mean they love to experiment with sex positions. There are a few sex positions which men crave to try out. So, let us have a look at the sex positions which men crave to try out. Deep Thrust Positions You may like it gentle. But your man just craves to thrust inside you. Most men like to have a deep penetration. But they are afraid to try it out because they feel they might end hurting up their ladies in bed. They especially love to take on the woman from behind, bend her over the table, spread her legs and then enter her from behind. Rear Entry Not all women enjoy anal sex. But that does not mean you cannot fulfill his fantasy of showing off your ass. Try out positions like the doggy style where you are on all your fours and your man has the full view of your behind. He will not be able to resist the invitation to enter you from the back. You can try facing the wall and ask him to thrust from behind. It is one of the most naughty positions which men just die to try out. Legs In The Air Another most desired sex position is stretching your legs up in the air while he thrusts into you with full might. This makes your guy get a full view of you while climaxing. This is one of the best positions you can try with your guy and make him go wild with pleasure. So, try out these sex positions and watch your man getting crazy with pleasure.
Quick Tricks To Get Her Excited 9 June 2014 at 05:01 It is said that exciting a woman is very difficult. This is because men easily get turned on but women need some attention and extra caressing to come in the right mood. Most of the men have to spend a lot of time on the first few steps before getting into the bed with her. You can get excited by seeing your woman naked, but women need time to get into the mood. If you want to know some easy tricks to get her excited easily, then try these tricks to get her excited within minutes. Quick Tricks To Get Her Excited: Kiss Her: You need to start with the basics so as to excite your woman. Going down directly will not help you get her in the mood. Kiss and caress her for sometime. This will make her feel special and romantic. Remember, sex for women is all about being connected emotionally. Tickle: Tickling can arouse the mood of a woman. Make sure you tickle on her sensuous zones. This will spread a wave of excitement in the overall body of your woman. Go Down: When the woman is all cheered up and kissing you wildly, go down and raise her mood. It is one of the quickest tricks to get her excited. When you go down, make sure you explore her completely. Gradually, your woman will be all over you. Sexting: If you want, you can start exciting your woman even before reaching home. Send her some romantic and dirty messages. You might not know how wild you get laid after meeting her. Women are very creative and imaginative. When both blend, you can see the result! Take Control: Women can easily get excited if the man is little dominating and wild on bed. Make sure you use your wit and humour at the same time. This will keep her comfortable and cheered up! Try these quick tricks to get her excited easily.
Quick Tricks To Get Her Excited
9 June 2014 at 05:01
It is said that exciting a woman is very difficult. This is because men easily get turned on but women need some attention and extra caressing to come in the right mood. Most of the men have to spend a lot of time on the first few steps before getting into the bed with her. You can get excited by seeing your woman naked, but women need time to get into the mood. If you want to know some easy tricks to get her excited easily, then try these tricks to get her excited within minutes. Quick Tricks To Get Her Excited: Kiss Her: You need to start with the basics so as to excite your woman. Going down directly will not help you get her in the mood. Kiss and caress her for sometime. This will make her feel special and romantic. Remember, sex for women is all about being connected emotionally. Tickle: Tickling can arouse the mood of a woman. Make sure you tickle on her sensuous zones. This will spread a wave of excitement in the overall body of your woman. Go Down: When the woman is all cheered up and kissing you wildly, go down and raise her mood. It is one of the quickest tricks to get her excited. When you go down, make sure you explore her completely. Gradually, your woman will be all over you. Sexting: If you want, you can start exciting your woman even before reaching home. Send her some romantic and dirty messages. You might not know how wild you get laid after meeting her. Women are very creative and imaginative. When both blend, you can see the result! Take Control: Women can easily get excited if the man is little dominating and wild on bed. Make sure you use your wit and humour at the same time. This will keep her comfortable and cheered up! Try these quick tricks to get her excited easily.
9 June 2014 at 05:01
It is said that exciting a woman is very difficult. This is because men easily get turned on but women need some attention and extra caressing to come in the right mood. Most of the men have to spend a lot of time on the first few steps before getting into the bed with her. You can get excited by seeing your woman naked, but women need time to get into the mood. If you want to know some easy tricks to get her excited easily, then try these tricks to get her excited within minutes. Quick Tricks To Get Her Excited: Kiss Her: You need to start with the basics so as to excite your woman. Going down directly will not help you get her in the mood. Kiss and caress her for sometime. This will make her feel special and romantic. Remember, sex for women is all about being connected emotionally. Tickle: Tickling can arouse the mood of a woman. Make sure you tickle on her sensuous zones. This will spread a wave of excitement in the overall body of your woman. Go Down: When the woman is all cheered up and kissing you wildly, go down and raise her mood. It is one of the quickest tricks to get her excited. When you go down, make sure you explore her completely. Gradually, your woman will be all over you. Sexting: If you want, you can start exciting your woman even before reaching home. Send her some romantic and dirty messages. You might not know how wild you get laid after meeting her. Women are very creative and imaginative. When both blend, you can see the result! Take Control: Women can easily get excited if the man is little dominating and wild on bed. Make sure you use your wit and humour at the same time. This will keep her comfortable and cheered up! Try these quick tricks to get her excited easily.
Hot Tips For Sex On Bike! 9 June 2014 at 05:01 Yes, you read it correct, we are talking about having sex on your bike. Believe us, there can be nothing more pleasurable than this. The consistent vibrations of the bike makes the experience of sex all the more interesting and satisfying. Having sex publicly is a sure crime. But with these hot tips you can even make it happen in your garage. Sex on the bike is a sure shot fun and we are sure that your lady will surely go mad with the pleasure of it. The best part of bike sex is that you do not need to put much of an effort because the vibrations fro the bike makes it a lot more easier. SHARE THIS STORY 0 So, if you are looking for something 'out of the bed' then, try out these hot tips for sex on the bike! Turn It On To start with this novel experience, you first have to turn on the bike. The vibrations of the bike will enthrall her clitoris, making your orgasms all the more satisfactory. Undress Obviously you cannot expect to take the full pleasure out of this experience with your clothes on! So, take pleasure in undressing each other on the bike. While undressing do not forget to pinch each other playfully in the pleasure points. It will heat up the atmosphere all the more. Sit On It Sit on the bike as if you are going to ride it. Let your lady caress you from behind and then suddenly pull her on your lap. Sit cross legged and enjoy having a full view of her assets. Then pull her forcefully and make her sit on your lap. Once you have got the sitting position right on the bike, enjoy your happy ride! Sex on bike can be extremely satisfactory and enjoyable for both of you. So, work on these tips and make it happen tonight!
Hot Tips For Sex On Bike!
9 June 2014 at 05:01
Yes, you read it correct, we are talking about having sex on your bike. Believe us, there can be nothing more pleasurable than this. The consistent vibrations of the bike makes the experience of sex all the more interesting and satisfying. Having sex publicly is a sure crime. But with these hot tips you can even make it happen in your garage. Sex on the bike is a sure shot fun and we are sure that your lady will surely go mad with the pleasure of it. The best part of bike sex is that you do not need to put much of an effort because the vibrations fro the bike makes it a lot more easier. SHARE THIS STORY 0 So, if you are looking for something 'out of the bed' then, try out these hot tips for sex on the bike! Turn It On To start with this novel experience, you first have to turn on the bike. The vibrations of the bike will enthrall her clitoris, making your orgasms all the more satisfactory. Undress Obviously you cannot expect to take the full pleasure out of this experience with your clothes on! So, take pleasure in undressing each other on the bike. While undressing do not forget to pinch each other playfully in the pleasure points. It will heat up the atmosphere all the more. Sit On It Sit on the bike as if you are going to ride it. Let your lady caress you from behind and then suddenly pull her on your lap. Sit cross legged and enjoy having a full view of her assets. Then pull her forcefully and make her sit on your lap. Once you have got the sitting position right on the bike, enjoy your happy ride! Sex on bike can be extremely satisfactory and enjoyable for both of you. So, work on these tips and make it happen tonight!
9 June 2014 at 05:01
Yes, you read it correct, we are talking about having sex on your bike. Believe us, there can be nothing more pleasurable than this. The consistent vibrations of the bike makes the experience of sex all the more interesting and satisfying. Having sex publicly is a sure crime. But with these hot tips you can even make it happen in your garage. Sex on the bike is a sure shot fun and we are sure that your lady will surely go mad with the pleasure of it. The best part of bike sex is that you do not need to put much of an effort because the vibrations fro the bike makes it a lot more easier. SHARE THIS STORY 0 So, if you are looking for something 'out of the bed' then, try out these hot tips for sex on the bike! Turn It On To start with this novel experience, you first have to turn on the bike. The vibrations of the bike will enthrall her clitoris, making your orgasms all the more satisfactory. Undress Obviously you cannot expect to take the full pleasure out of this experience with your clothes on! So, take pleasure in undressing each other on the bike. While undressing do not forget to pinch each other playfully in the pleasure points. It will heat up the atmosphere all the more. Sit On It Sit on the bike as if you are going to ride it. Let your lady caress you from behind and then suddenly pull her on your lap. Sit cross legged and enjoy having a full view of her assets. Then pull her forcefully and make her sit on your lap. Once you have got the sitting position right on the bike, enjoy your happy ride! Sex on bike can be extremely satisfactory and enjoyable for both of you. So, work on these tips and make it happen tonight!
क्या है मल्टीविटामिन गोलियों की सच्चाई-- 31 May 2014 at 11:31 शायद आपने देखा होगा कि आपके आस-पास या ऑफिस में कई लोग ऐसे होंगे जो लंच करने के तुरंत बाद ही अपनी मेज पर रखी मल्टीविटामिन की दवा का सेवन कर लेते होंगे। ऐसा भी हो सकता है कि कई बार आपके डॉक्टर ने भी आपको मल्टीविटामिन की टैबलेट किसी पोषक तत्व की कमी को दूर करने के लिये दी हो। बहुत से ऐसे लोग होते हैं जो टीवी पर दिखाए जाने वाले एड से प्रसन्न हो कर भी ये गोलियां खाना शुरु कर देते हैं। लेकिन दोस्तों क्या आप जानते हैं इतनी सारी मल्टीविटामिन वो भी बिना डॉक्टर की सलाह के खाना कितना नुकसान दायक हो सकता है। हो सकता है कि आप मल्टीविटामिन टैबलेट खा रहे हों और आपको कोई दिक्कत न महसूस हो रही हो, लेकिन इसका यह मतलब नहीं है कि इससे आपको आगे चल कर कोई हेल्थ समस्या नहीं आएगी। इसलिये यह बहुत जरुरी है कि आप मल्टीविटामिन गोलियों की सच्चाई के बारे में अच्छे से जान लें। आयरन की गोली बहुत सारी आयरन की टैबलेट्स में रॉ टॉक्सिक पाए जाते हैं , जिसके सेवन से कब्ज या फिर कभी कभी पेट भी खराब हो जाता है। तो अच्छा होगा कि आप अपना आयरन आहार से लें न कि मल्टीविटामिन टैबलेट से। कैल्शियम टैबलेट ज्यादातर महिलाएं कैल्शियम टैबलेट्स अपनी हड्डियों को मजबूत करने के लिये खाती हैं। लेकिन यह एकस्ट्रा कैल्शियम जा कर किडनी में जम जाता है और वही स्टोन का रूप ले लेता है। तो अगर आपको कैल्शियम की एकस्ट्रा खुराख चाहिये तो दूध पीजिये। जिंक सप्पलीमेंट पुरुषों को मेल हार्मोन बढाने के लिये जिंक की आवश्यकता होती है। इसलिये कई पुरूषों ने जिंक की गोलियां बिना डॉक्टर सेपूछे लेनी शुरु कर दी हैं। लेकिन ज्यादा जिंक का सेवन करने से ब्लड प्रेशR बढ जाता है। विटामिन ई कैप्सूल विटामिन ई को ब्यूटी विटामिन कहा जाता है। विटामिन ई शरीर से बाहर नहीं निकलता और शरीर के अंदर ही इकठ्ठा होता जाता है। इसकी वजह से पेट फूलना, थकान लगना और कभी कभी आंखों की रौशनी कमजोर होना आम बात होती है।
क्या है मल्टीविटामिन गोलियों की सच्चाई--
31 May 2014 at 11:31
शायद आपने देखा होगा कि आपके आस-पास या ऑफिस में कई लोग ऐसे होंगे जो लंच करने के तुरंत बाद ही अपनी मेज पर रखी मल्टीविटामिन की दवा का सेवन कर लेते होंगे। ऐसा भी हो सकता है कि कई बार आपके डॉक्टर ने भी आपको मल्टीविटामिन की टैबलेट किसी पोषक तत्व की कमी को दूर करने के लिये दी हो। बहुत से ऐसे लोग होते हैं जो टीवी पर दिखाए जाने वाले एड से प्रसन्न हो कर भी ये गोलियां खाना शुरु कर देते हैं। लेकिन दोस्तों क्या आप जानते हैं इतनी सारी मल्टीविटामिन वो भी बिना डॉक्टर की सलाह के खाना कितना नुकसान दायक हो सकता है। हो सकता है कि आप मल्टीविटामिन टैबलेट खा रहे हों और आपको कोई दिक्कत न महसूस हो रही हो, लेकिन इसका यह मतलब नहीं है कि इससे आपको आगे चल कर कोई हेल्थ समस्या नहीं आएगी। इसलिये यह बहुत जरुरी है कि आप मल्टीविटामिन गोलियों की सच्चाई के बारे में अच्छे से जान लें। आयरन की गोली बहुत सारी आयरन की टैबलेट्स में रॉ टॉक्सिक पाए जाते हैं , जिसके सेवन से कब्ज या फिर कभी कभी पेट भी खराब हो जाता है। तो अच्छा होगा कि आप अपना आयरन आहार से लें न कि मल्टीविटामिन टैबलेट से। कैल्शियम टैबलेट ज्यादातर महिलाएं कैल्शियम टैबलेट्स अपनी हड्डियों को मजबूत करने के लिये खाती हैं। लेकिन यह एकस्ट्रा कैल्शियम जा कर किडनी में जम जाता है और वही स्टोन का रूप ले लेता है। तो अगर आपको कैल्शियम की एकस्ट्रा खुराख चाहिये तो दूध पीजिये। जिंक सप्पलीमेंट पुरुषों को मेल हार्मोन बढाने के लिये जिंक की आवश्यकता होती है। इसलिये कई पुरूषों ने जिंक की गोलियां बिना डॉक्टर सेपूछे लेनी शुरु कर दी हैं। लेकिन ज्यादा जिंक का सेवन करने से ब्लड प्रेशR बढ जाता है। विटामिन ई कैप्सूल विटामिन ई को ब्यूटी विटामिन कहा जाता है। विटामिन ई शरीर से बाहर नहीं निकलता और शरीर के अंदर ही इकठ्ठा होता जाता है। इसकी वजह से पेट फूलना, थकान लगना और कभी कभी आंखों की रौशनी कमजोर होना आम बात होती है।
31 May 2014 at 11:31
शायद आपने देखा होगा कि आपके आस-पास या ऑफिस में कई लोग ऐसे होंगे जो लंच करने के तुरंत बाद ही अपनी मेज पर रखी मल्टीविटामिन की दवा का सेवन कर लेते होंगे। ऐसा भी हो सकता है कि कई बार आपके डॉक्टर ने भी आपको मल्टीविटामिन की टैबलेट किसी पोषक तत्व की कमी को दूर करने के लिये दी हो। बहुत से ऐसे लोग होते हैं जो टीवी पर दिखाए जाने वाले एड से प्रसन्न हो कर भी ये गोलियां खाना शुरु कर देते हैं। लेकिन दोस्तों क्या आप जानते हैं इतनी सारी मल्टीविटामिन वो भी बिना डॉक्टर की सलाह के खाना कितना नुकसान दायक हो सकता है। हो सकता है कि आप मल्टीविटामिन टैबलेट खा रहे हों और आपको कोई दिक्कत न महसूस हो रही हो, लेकिन इसका यह मतलब नहीं है कि इससे आपको आगे चल कर कोई हेल्थ समस्या नहीं आएगी। इसलिये यह बहुत जरुरी है कि आप मल्टीविटामिन गोलियों की सच्चाई के बारे में अच्छे से जान लें। आयरन की गोली बहुत सारी आयरन की टैबलेट्स में रॉ टॉक्सिक पाए जाते हैं , जिसके सेवन से कब्ज या फिर कभी कभी पेट भी खराब हो जाता है। तो अच्छा होगा कि आप अपना आयरन आहार से लें न कि मल्टीविटामिन टैबलेट से। कैल्शियम टैबलेट ज्यादातर महिलाएं कैल्शियम टैबलेट्स अपनी हड्डियों को मजबूत करने के लिये खाती हैं। लेकिन यह एकस्ट्रा कैल्शियम जा कर किडनी में जम जाता है और वही स्टोन का रूप ले लेता है। तो अगर आपको कैल्शियम की एकस्ट्रा खुराख चाहिये तो दूध पीजिये। जिंक सप्पलीमेंट पुरुषों को मेल हार्मोन बढाने के लिये जिंक की आवश्यकता होती है। इसलिये कई पुरूषों ने जिंक की गोलियां बिना डॉक्टर सेपूछे लेनी शुरु कर दी हैं। लेकिन ज्यादा जिंक का सेवन करने से ब्लड प्रेशR बढ जाता है। विटामिन ई कैप्सूल विटामिन ई को ब्यूटी विटामिन कहा जाता है। विटामिन ई शरीर से बाहर नहीं निकलता और शरीर के अंदर ही इकठ्ठा होता जाता है। इसकी वजह से पेट फूलना, थकान लगना और कभी कभी आंखों की रौशनी कमजोर होना आम बात होती है।
किशोरियों में सेक्स समस्या स्वस्थ सेक्सुअलिटी जैसा विषय आज भी भारत में निषेध है और इसी कारण लोगों में सेक्स को लेकर जागरूकता फैलाना भी ज़रूरी हो जाता है। चाहे यह गर्भनिरोधक या डिस्फंशन जैसा विषय हो सेक्सुअल स्वास्थ्य मौन वार्तालाप होने के कारण एक गंभीर विषय बना हुआ है। लेकिन आज अधिकतर महिलाएं यह मौन तोड़ रही हैं। सेक्सुअलिटी से जुड़ी बहुत सी जानकारियां अकसर सेक्स से जुड़ी बीमारियों या कान्ट्रासेप्शन के विषय में होती हैं और सबसे कम ध्यान देने योग्य विषय होता है यौन व्यवहार जो कि बहुत सी सेक्स से जुड़ी बीमारियों का कारण होता है। स्वस्थ सेक्सुअलिटी का सम्बन्ध शारीरिक स्वच्छता से नहीं है बल्कि दिमागी व्यवहार से है। साइकैट्रिस्ट का ऐसा मानना है कि बहुत सी महिलाएं अपनी सेक्स लाइफ से सन्तुष्ट नहीं होतीं क्योंकि वह ऐसे में अपने पार्टनर के साथ भावुकता की कमी महसूस करती हैं। 25 वर्ष की उम्र तक आते आते ऐसी महिलाओं में सेक्स से सम्बन्धित किशोर जिज्ञासा खत्म हो जाती है और वह गहरा सम्बन्ध चाहती हैं जो कि सिर्फ शारीरिक सम्बन्ध से नहीं जुड़ा होता है। ऐसे में उन्हें यह सलाह देनी चाहिए कि वह जीवन से क्या चाहती हैं। जब एक महिला यह समझ जाती है कि उसकी ज़रूरतें क्या हैं तो उसके लिए यह जानना आसान हो जाता है कि वह अपनी सेक्स लाइफ से क्या चाहती है। स्वस्थ सेक्सुअल सम्बन्ध का एक दूसरा राज़ है एक दूसरे से बातें करना। प्रारम्भिक उन्मत्त प्रेम का मौसम जैसे जैसे खत्म होता जाता है दंपतियों के बीच यौन क्रिया भी कई कारणों से घटती जाती है चाहे कारण कोई भी हों। ऐसी स्थितियों में यौन स्वास्थ्य सलाहकार ऐसी राय देते हैं कि आप एक दूसरे को सेक्स के अलावा दूसरे किन कारणों से प्रेम करते हैं यह समझाएं। एक दूसरे से प्रेम की भाषा में बात करने की कोशिश करें। सेक्स सिर्फ किसी सम्बन्ध का एक भाग हो सकता है आधार नहीं। एक दूसरे में विश्वास पैदा करें और एक दूसरे को सम्मान देने का पूरा पूरा प्रयास करें इससे आप एक दूसरे की भावनाओं को समझ सकेंगे और कुंठा से भी बच सकेंगे। हम महिलाओं की वस्तु और शून्य आकार की स्तुति के युग में रह रहे हैं। आश्चर्य की बात यह है कि 60 प्रतिशत से ज़्यादा महिलाएं एपियरेंस बेस्ड काग्निटिव डिस्ट्रैक्शन की शिकार हैं।इसका अर्थ है अपने शरीर के लुक को लेकर असहज महसूस करना। इस तरह की असुरक्षा महसूस होने से यौन सुख में कमी आती है। इस तरह की असुरक्षा के कारण महिलाओं का यौन सुख से दूर रहना बहुत ही आम है ा इस समस्या का समाधान है अपने शरीर को लेकर सहज अनुभव करने की कोशिश। इसलिए लड़कियों को स्वयं को प्यार करना सीखना चाहिए क्योंकि विले वैलो के शब्दों में एक लड़की हमेशा खूबसूरत होती है। स्वस्थ सेक्सुअलिटी का अर्थ सिर्फ अच्छा सेक्स होना नहीं है। बल्कि इसका अर्थ है कि अपने जीवन में सेक्स के महत्व को पहचानना। साइकालाजिस्ट का ऐसा मानना है कि आपको सेक्स के बारे में बहुत अधिक चिंतित होने की आवश्यकता नहीं है बल्कि आपको अपने सम्बन्धों का खास ख्याल रखने की आवश्यकता है। आपके जीवन और सम्बन्धों में सेक्स के आलावा भी बहुत कुछ मायने रखता है। मानव वास्तव में एक यौन प्राणी है। अगर हम अपने शरीर और अपील को लेकर एक पाजी़टिव नज़रिया लेकर चलें तो शायद जीवन और आसान हो जाये। स्वस्थ सेक्सुअलिटी के लिए आपस में बातचीत के साथ साथ अपने प्रेम को बिना किसी डर के स्वीकार करना भी बहुत महत्व रखता है। www.drbkkashyapsexologist.com
किशोरियों में सेक्स समस्या
स्वस्थ सेक्सुअलिटी जैसा विषय आज भी भारत में निषेध है और इसी कारण लोगों में सेक्स को लेकर जागरूकता फैलाना भी ज़रूरी हो जाता है। चाहे यह गर्भनिरोधक या डिस्फंशन जैसा विषय हो सेक्सुअल स्वास्थ्य मौन वार्तालाप होने के कारण एक गंभीर विषय बना हुआ है। लेकिन आज अधिकतर महिलाएं यह मौन तोड़ रही हैं।
सेक्सुअलिटी से जुड़ी बहुत सी जानकारियां अकसर सेक्स से जुड़ी बीमारियों या कान्ट्रासेप्शन के विषय में होती हैं और सबसे कम ध्यान देने योग्य विषय होता है यौन व्यवहार जो कि बहुत सी सेक्स से जुड़ी बीमारियों का कारण होता है।
स्वस्थ सेक्सुअलिटी का सम्बन्ध शारीरिक स्वच्छता से नहीं है बल्कि दिमागी व्यवहार से है।
साइकैट्रिस्ट का ऐसा मानना है कि बहुत सी महिलाएं अपनी सेक्स लाइफ से सन्तुष्ट नहीं होतीं क्योंकि वह ऐसे में अपने पार्टनर के साथ भावुकता की कमी महसूस करती हैं। 25 वर्ष की उम्र तक आते आते ऐसी महिलाओं में सेक्स से सम्बन्धित किशोर जिज्ञासा खत्म हो जाती है और वह गहरा सम्बन्ध चाहती हैं जो कि सिर्फ शारीरिक सम्बन्ध से नहीं जुड़ा होता है।
ऐसे में उन्हें यह सलाह देनी चाहिए कि वह जीवन से क्या चाहती हैं। जब एक महिला यह समझ जाती है कि उसकी ज़रूरतें क्या हैं तो उसके लिए यह जानना आसान हो जाता है कि वह अपनी सेक्स लाइफ से क्या चाहती है।
स्वस्थ सेक्सुअल सम्बन्ध का एक दूसरा राज़ है एक दूसरे से बातें करना। प्रारम्भिक उन्मत्त प्रेम का मौसम जैसे जैसे खत्म होता जाता है दंपतियों के बीच यौन क्रिया भी कई कारणों से घटती जाती है चाहे कारण कोई भी हों। ऐसी स्थितियों में यौन स्वास्थ्य सलाहकार ऐसी राय देते हैं कि आप एक दूसरे को सेक्स के अलावा दूसरे किन कारणों से प्रेम करते हैं यह समझाएं। एक दूसरे से प्रेम की भाषा में बात करने की कोशिश करें। सेक्स सिर्फ किसी सम्बन्ध का एक भाग हो सकता है आधार नहीं।
एक दूसरे में विश्वास पैदा करें और एक दूसरे को सम्मान देने का पूरा पूरा प्रयास करें इससे आप एक दूसरे की भावनाओं को समझ सकेंगे और कुंठा से भी बच सकेंगे। हम महिलाओं की वस्तु और शून्य आकार की स्तुति के युग में रह रहे हैं। आश्चर्य की बात यह है कि 60 प्रतिशत से ज़्यादा महिलाएं एपियरेंस बेस्ड काग्निटिव डिस्ट्रैक्शन की शिकार हैं।इसका अर्थ है अपने शरीर के लुक को लेकर असहज महसूस करना।
इस तरह की असुरक्षा महसूस होने से यौन सुख में कमी आती है। इस तरह की असुरक्षा के कारण महिलाओं का यौन सुख से दूर रहना बहुत ही आम है ा
इस समस्या का समाधान है अपने शरीर को लेकर सहज अनुभव करने की कोशिश। इसलिए लड़कियों को स्वयं को प्यार करना सीखना चाहिए क्योंकि विले वैलो के शब्दों में एक लड़की हमेशा खूबसूरत होती है।
स्वस्थ सेक्सुअलिटी का अर्थ सिर्फ अच्छा सेक्स होना नहीं है। बल्कि इसका अर्थ है कि अपने जीवन में सेक्स के महत्व को पहचानना। साइकालाजिस्ट का ऐसा मानना है कि आपको सेक्स के बारे में बहुत अधिक चिंतित होने की आवश्यकता नहीं है बल्कि आपको अपने सम्बन्धों का खास ख्याल रखने की आवश्यकता है। आपके जीवन और सम्बन्धों में सेक्स के आलावा भी बहुत कुछ मायने रखता है।
मानव वास्तव में एक यौन प्राणी है। अगर हम अपने शरीर और अपील को लेकर एक पाजी़टिव नज़रिया लेकर चलें तो शायद जीवन और आसान हो जाये।
स्वस्थ सेक्सुअलिटी के लिए आपस में बातचीत के साथ साथ अपने प्रेम को बिना किसी डर के स्वीकार करना भी बहुत महत्व रखता है।
www.drbkkashyapsexologist.com
स्वस्थ सेक्सुअलिटी जैसा विषय आज भी भारत में निषेध है और इसी कारण लोगों में सेक्स को लेकर जागरूकता फैलाना भी ज़रूरी हो जाता है। चाहे यह गर्भनिरोधक या डिस्फंशन जैसा विषय हो सेक्सुअल स्वास्थ्य मौन वार्तालाप होने के कारण एक गंभीर विषय बना हुआ है। लेकिन आज अधिकतर महिलाएं यह मौन तोड़ रही हैं।
सेक्सुअलिटी से जुड़ी बहुत सी जानकारियां अकसर सेक्स से जुड़ी बीमारियों या कान्ट्रासेप्शन के विषय में होती हैं और सबसे कम ध्यान देने योग्य विषय होता है यौन व्यवहार जो कि बहुत सी सेक्स से जुड़ी बीमारियों का कारण होता है।
स्वस्थ सेक्सुअलिटी का सम्बन्ध शारीरिक स्वच्छता से नहीं है बल्कि दिमागी व्यवहार से है।
साइकैट्रिस्ट का ऐसा मानना है कि बहुत सी महिलाएं अपनी सेक्स लाइफ से सन्तुष्ट नहीं होतीं क्योंकि वह ऐसे में अपने पार्टनर के साथ भावुकता की कमी महसूस करती हैं। 25 वर्ष की उम्र तक आते आते ऐसी महिलाओं में सेक्स से सम्बन्धित किशोर जिज्ञासा खत्म हो जाती है और वह गहरा सम्बन्ध चाहती हैं जो कि सिर्फ शारीरिक सम्बन्ध से नहीं जुड़ा होता है।
ऐसे में उन्हें यह सलाह देनी चाहिए कि वह जीवन से क्या चाहती हैं। जब एक महिला यह समझ जाती है कि उसकी ज़रूरतें क्या हैं तो उसके लिए यह जानना आसान हो जाता है कि वह अपनी सेक्स लाइफ से क्या चाहती है।
स्वस्थ सेक्सुअल सम्बन्ध का एक दूसरा राज़ है एक दूसरे से बातें करना। प्रारम्भिक उन्मत्त प्रेम का मौसम जैसे जैसे खत्म होता जाता है दंपतियों के बीच यौन क्रिया भी कई कारणों से घटती जाती है चाहे कारण कोई भी हों। ऐसी स्थितियों में यौन स्वास्थ्य सलाहकार ऐसी राय देते हैं कि आप एक दूसरे को सेक्स के अलावा दूसरे किन कारणों से प्रेम करते हैं यह समझाएं। एक दूसरे से प्रेम की भाषा में बात करने की कोशिश करें। सेक्स सिर्फ किसी सम्बन्ध का एक भाग हो सकता है आधार नहीं।
एक दूसरे में विश्वास पैदा करें और एक दूसरे को सम्मान देने का पूरा पूरा प्रयास करें इससे आप एक दूसरे की भावनाओं को समझ सकेंगे और कुंठा से भी बच सकेंगे। हम महिलाओं की वस्तु और शून्य आकार की स्तुति के युग में रह रहे हैं। आश्चर्य की बात यह है कि 60 प्रतिशत से ज़्यादा महिलाएं एपियरेंस बेस्ड काग्निटिव डिस्ट्रैक्शन की शिकार हैं।इसका अर्थ है अपने शरीर के लुक को लेकर असहज महसूस करना।
इस तरह की असुरक्षा महसूस होने से यौन सुख में कमी आती है। इस तरह की असुरक्षा के कारण महिलाओं का यौन सुख से दूर रहना बहुत ही आम है ा
इस समस्या का समाधान है अपने शरीर को लेकर सहज अनुभव करने की कोशिश। इसलिए लड़कियों को स्वयं को प्यार करना सीखना चाहिए क्योंकि विले वैलो के शब्दों में एक लड़की हमेशा खूबसूरत होती है।
स्वस्थ सेक्सुअलिटी का अर्थ सिर्फ अच्छा सेक्स होना नहीं है। बल्कि इसका अर्थ है कि अपने जीवन में सेक्स के महत्व को पहचानना। साइकालाजिस्ट का ऐसा मानना है कि आपको सेक्स के बारे में बहुत अधिक चिंतित होने की आवश्यकता नहीं है बल्कि आपको अपने सम्बन्धों का खास ख्याल रखने की आवश्यकता है। आपके जीवन और सम्बन्धों में सेक्स के आलावा भी बहुत कुछ मायने रखता है।
मानव वास्तव में एक यौन प्राणी है। अगर हम अपने शरीर और अपील को लेकर एक पाजी़टिव नज़रिया लेकर चलें तो शायद जीवन और आसान हो जाये।
स्वस्थ सेक्सुअलिटी के लिए आपस में बातचीत के साथ साथ अपने प्रेम को बिना किसी डर के स्वीकार करना भी बहुत महत्व रखता है।
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Yoga Poses for Breast Reduction Standing Tadasana (Palm Tree pose) Parvatasana (Mountain pose) Trikonasana (Triangle Pose) Ardha Chakrasana (Half Moon pose) Padangusthasana (Toe to hand pose) Padahastasana (Forehead to knee pose) Sitting Janu Sirshasana ((Forehead to single knee pose) Paschimottanasana (Forehead to both knees pose) Ushtrasana (Camel pose) Gomukhasana (Cow face pose) Simhasana (Lion pose) Marichyasana (Pose dedicated to the sage Marichi) Ardha Matsyendrasana (Half Lord of the Fish pose)
Yoga Poses for Breast Reduction
Standing
Tadasana (Palm Tree pose)
Parvatasana (Mountain pose)
Trikonasana (Triangle Pose)
Ardha Chakrasana (Half Moon pose)
Padangusthasana (Toe to hand pose)
Padahastasana (Forehead to knee pose)
Sitting
Janu Sirshasana ((Forehead to single knee pose)
Paschimottanasana (Forehead to both knees pose)
Ushtrasana (Camel pose)
Gomukhasana (Cow face pose)
Simhasana (Lion pose)
Marichyasana (Pose dedicated to the sage Marichi)
Ardha Matsyendrasana (Half Lord of the Fish pose)
Standing
Tadasana (Palm Tree pose)
Parvatasana (Mountain pose)
Trikonasana (Triangle Pose)
Ardha Chakrasana (Half Moon pose)
Padangusthasana (Toe to hand pose)
Padahastasana (Forehead to knee pose)
Sitting
Janu Sirshasana ((Forehead to single knee pose)
Paschimottanasana (Forehead to both knees pose)
Ushtrasana (Camel pose)
Gomukhasana (Cow face pose)
Simhasana (Lion pose)
Marichyasana (Pose dedicated to the sage Marichi)
Ardha Matsyendrasana (Half Lord of the Fish pose)
सेक्स से पहले ध्यान दें इन बातों पर ................................................ सेक्स के नाम से ही युवा उत्साहित हो जाते हैं। युवाओं के लिए सेक्स जैसा विषय हमेशा ही रहस्यमय रहता है और जब भी उन्हें सेक्स करने का मौका मिलता हैं तो वे असंतुलित हो जाते हैं। कई बार इसी उत्साह के कारण वह गलतियां भी कर बैठते हैं। सेक्स के समय युवाओं का मानसिक रूप से स्वस्थ होना बेहद जरूरी है। शारीरिक संबंध बनाने के लिए यानी सेक्स से पहले फोरप्लेस की आवश्यकता को भी नकारा नहीं जा सकता। बहरहाल, सेक्स को रोचक बनाने के लिए और सेक्स से पहले किन बातों पर पर ध्यान देना जरूरी है। आइए जानें सबसे पहले युवाओं को ध्यान रखना चाहिए कि वे किसी प्रोफेशनल महिला या पुरूष के साथ बाहर संबंध न बनाएं क्योंकि न सिर्फ किशोरियों में सेक्स समस्या होती है बल्कि अधिक उम्र की महिलाओं में सेक्स समस्या आम बात है लेकिन इसका ये अर्थ नहीं कि पुरूषों को कोई समस्या नहीं होती बल्कि पुरूषों में सेक्स संबंधी समस्याएं होना भी आम बात है। सेक्स संबंधों के समय जल्दबाजी ना करें। पुरूष और महिला दोनों को ही एक दूसरे के ऑर्गन्स के बारे में जानकारी होनी चाहिए जिससे वे सेक्स को एन्जॉय कर सकें। सेक्स करने से पहले दोनों साथियों का एक दूसरे से भावनात्मक लगाव जरूरी है। सेक्स संबंधों के समय एक-दूसरे के मन से डर को निकालना बेहद जरूरी है। शारीरिक संबंध बनाने के लिए जरूरी है कि सेक्स से पहले फोरप्ले किया जाए जिससे दोनों साथियों को आपस में एक-दूसरे को समझने में मदद मिलें। सेक्स से पहले ऐसी कोई बात न करें जिससे आपके साथी का मूड खराब हो जाएं। सेक्स करने से पहले आपको साफ-सुथरा होना भी बेहद जरूरी है तभी आप अपने साथी को अपने करीब देख पाएंगे। सेक्स को कभी गंदा न समझे व अपने मन में कोई भ्रम न पाले नहीं तो आप सेक्स से पहले ही अपने साथी को निराश कर देंगे। ऐसा कहा जाता है कि यदि आपका पार्टनर सेक्स से पहले खुश है और सेक्स के समय फोरप्ले होता है तो आपकी लाइफ में आधे से ज्यादा तनाव यूं ही कम हो जाता है। ये जरूरी नहीं कि हमेशा शारीरिक संबंध ही बनाए जाएं बल्कि आप अपने साथी के साथ ओरल सेक्स को भी एन्जॉय कर सकते हैं। यदि आप जल्दी बेबी नहीं चाहते और न ही किसी तरह की सेक्स समस्याओं से जूझना चाहते तो सेक्स से पहले आपको सावधानियां बरतनी जरूरी है। सावधानियों के तौर पर आप कांट्रासेप्टिक पिल्स यानी गर्भनिरोधक गोलियां ले सकते हैं या फिर कुछ सावधानियां बरत सकते हैं।
सेक्स से पहले ध्यान दें इन बातों पर
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सेक्स के नाम से ही युवा उत्साहित हो जाते हैं। युवाओं के लिए सेक्स जैसा विषय हमेशा ही रहस्यमय रहता है और जब भी उन्हें सेक्स करने का मौका मिलता हैं तो वे असंतुलित हो जाते हैं। कई बार इसी उत्साह के कारण वह गलतियां भी कर बैठते हैं। सेक्स के समय युवाओं का मानसिक रूप से स्वस्थ होना बेहद जरूरी है। शारीरिक संबंध बनाने के लिए यानी सेक्स से पहले फोरप्लेस की आवश्यकता को भी नकारा नहीं जा सकता। बहरहाल, सेक्स को रोचक बनाने के लिए और सेक्स से पहले किन बातों पर पर ध्यान देना जरूरी है। आइए जानें
सबसे पहले युवाओं को ध्यान रखना चाहिए कि वे किसी प्रोफेशनल महिला या पुरूष के साथ बाहर संबंध न बनाएं क्योंकि न सिर्फ किशोरियों में सेक्स समस्या होती है बल्कि अधिक उम्र की महिलाओं में सेक्स समस्या आम बात है लेकिन इसका ये अर्थ नहीं कि पुरूषों को कोई समस्या नहीं होती बल्कि पुरूषों में सेक्स संबंधी समस्याएं होना भी आम बात है।
सेक्स संबंधों के समय जल्दबाजी ना करें।
पुरूष और महिला दोनों को ही एक दूसरे के ऑर्गन्स के बारे में जानकारी होनी चाहिए जिससे वे सेक्स को एन्जॉय कर सकें।
सेक्स करने से पहले दोनों साथियों का एक दूसरे से भावनात्मक लगाव जरूरी है।
सेक्स संबंधों के समय एक-दूसरे के मन से डर को निकालना बेहद जरूरी है।
शारीरिक संबंध बनाने के लिए जरूरी है कि सेक्स से पहले फोरप्ले किया जाए जिससे दोनों साथियों को आपस में एक-दूसरे को समझने में मदद मिलें।
सेक्स से पहले ऐसी कोई बात न करें जिससे आपके साथी का मूड खराब हो जाएं।
सेक्स करने से पहले आपको साफ-सुथरा होना भी बेहद जरूरी है तभी आप अपने साथी को अपने करीब देख पाएंगे।
सेक्स को कभी गंदा न समझे व अपने मन में कोई भ्रम न पाले नहीं तो आप सेक्स से पहले ही अपने साथी को निराश कर देंगे।
ऐसा कहा जाता है कि यदि आपका पार्टनर सेक्स से पहले खुश है और सेक्स के समय फोरप्ले होता है तो आपकी लाइफ में आधे से ज्यादा तनाव यूं ही कम हो जाता है।
ये जरूरी नहीं कि हमेशा शारीरिक संबंध ही बनाए जाएं बल्कि आप अपने साथी के साथ ओरल सेक्स को भी एन्जॉय कर सकते हैं।
यदि आप जल्दी बेबी नहीं चाहते और न ही किसी तरह की सेक्स समस्याओं से जूझना चाहते तो सेक्स से पहले आपको सावधानियां बरतनी जरूरी है। सावधानियों के तौर पर आप कांट्रासेप्टिक पिल्स यानी गर्भनिरोधक गोलियां ले सकते हैं या फिर कुछ सावधानियां बरत सकते हैं।
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सेक्स के नाम से ही युवा उत्साहित हो जाते हैं। युवाओं के लिए सेक्स जैसा विषय हमेशा ही रहस्यमय रहता है और जब भी उन्हें सेक्स करने का मौका मिलता हैं तो वे असंतुलित हो जाते हैं। कई बार इसी उत्साह के कारण वह गलतियां भी कर बैठते हैं। सेक्स के समय युवाओं का मानसिक रूप से स्वस्थ होना बेहद जरूरी है। शारीरिक संबंध बनाने के लिए यानी सेक्स से पहले फोरप्लेस की आवश्यकता को भी नकारा नहीं जा सकता। बहरहाल, सेक्स को रोचक बनाने के लिए और सेक्स से पहले किन बातों पर पर ध्यान देना जरूरी है। आइए जानें
सबसे पहले युवाओं को ध्यान रखना चाहिए कि वे किसी प्रोफेशनल महिला या पुरूष के साथ बाहर संबंध न बनाएं क्योंकि न सिर्फ किशोरियों में सेक्स समस्या होती है बल्कि अधिक उम्र की महिलाओं में सेक्स समस्या आम बात है लेकिन इसका ये अर्थ नहीं कि पुरूषों को कोई समस्या नहीं होती बल्कि पुरूषों में सेक्स संबंधी समस्याएं होना भी आम बात है।
सेक्स संबंधों के समय जल्दबाजी ना करें।
पुरूष और महिला दोनों को ही एक दूसरे के ऑर्गन्स के बारे में जानकारी होनी चाहिए जिससे वे सेक्स को एन्जॉय कर सकें।
सेक्स करने से पहले दोनों साथियों का एक दूसरे से भावनात्मक लगाव जरूरी है।
सेक्स संबंधों के समय एक-दूसरे के मन से डर को निकालना बेहद जरूरी है।
शारीरिक संबंध बनाने के लिए जरूरी है कि सेक्स से पहले फोरप्ले किया जाए जिससे दोनों साथियों को आपस में एक-दूसरे को समझने में मदद मिलें।
सेक्स से पहले ऐसी कोई बात न करें जिससे आपके साथी का मूड खराब हो जाएं।
सेक्स करने से पहले आपको साफ-सुथरा होना भी बेहद जरूरी है तभी आप अपने साथी को अपने करीब देख पाएंगे।
सेक्स को कभी गंदा न समझे व अपने मन में कोई भ्रम न पाले नहीं तो आप सेक्स से पहले ही अपने साथी को निराश कर देंगे।
ऐसा कहा जाता है कि यदि आपका पार्टनर सेक्स से पहले खुश है और सेक्स के समय फोरप्ले होता है तो आपकी लाइफ में आधे से ज्यादा तनाव यूं ही कम हो जाता है।
ये जरूरी नहीं कि हमेशा शारीरिक संबंध ही बनाए जाएं बल्कि आप अपने साथी के साथ ओरल सेक्स को भी एन्जॉय कर सकते हैं।
यदि आप जल्दी बेबी नहीं चाहते और न ही किसी तरह की सेक्स समस्याओं से जूझना चाहते तो सेक्स से पहले आपको सावधानियां बरतनी जरूरी है। सावधानियों के तौर पर आप कांट्रासेप्टिक पिल्स यानी गर्भनिरोधक गोलियां ले सकते हैं या फिर कुछ सावधानियां बरत सकते हैं।
औरतें संकोच करती है इसलिए बढ़ रही है सेक्स समस्याएं////////////////////// आज भी हमारे देश में महिलाएं सेक्स व सेक्स से जुड़ी परेशानियों के बारे में बात करने से झिझकती हैं और यही कारण बनता है सेक्स संबंधी बीमारियों के गंभीर रूप लेने का, जो बाद में जानलेवा हो जाता है। सेक्स संबंधी बीमारियों के संबंध में महिलाओं को आगे लाने की सख्त जरूरत है। आज की महिलाएं घर व प्रोफेशनल जिम्मेदारी दोनों निभाती हैं और वे अपनी सेक्स संबंधी समस्याओं की अवहेलना करती हैं। वे आगे चलकर सर्वाइकल कैंसर व ब्रेस्ट कैंसर जैसी जानलेवा बीमारियों का शिकार बनती हैं। आज की लाइफस्टाइल में कामकाजी महिलाएं ब्रेस्ट फीडिंग यानी स्तनपान या तो बहुत कम कराती हैं या नहीं करातीं। ऐसी महिलाओं के परिवार में ब्रेस्ट कैंसर का इतिहास न होने के बावजूद ब्रेस्ट कैंसर होने की आशंका अधिक होती है। आज के युवाओं व दंपतियों में अप्राकृतिक ढंग से सेक्स करने का भी प्रचलन बढ़ रहा है। पोर्न फिल्मों के जरिए वे सेक्स के अप्राकृतिक तरीकों को अपनाते हैं। वे सही और गलत तरीकों की पहचान करना भूलते जाते हैं। यही प्रवृत्ति यौन संक्रमित रोगों के भयावह रूप लेने का कारण बनती है। मल्टीपार्टनर सेक्स भी सेक्सजनित रोगों का कारण बनता है। आजकल न्यूक्लियर फैमिली का प्रचलन है, जहां पति-पत्नी अकेले अपनी सेक्स संबंधी समस्याओं से जूझते रहते हैं। अपनी परेशानी को बांटने के लिए उनके पास कोई नहीं होता। भारतीय महिलाओं में सर्वाइकल कैंसर सबसे सामान्य कैंसर है। तकरीबन 80 हजार महिलाएं प्रतिवर्ष सर्वाइकल कैंसर की वजह से मौत का ग्रास बन जाती हैं। हर महिला को अपनी सेक्स संबंधी समस्या के प्रति जागरूक रहना चाहिए। उसके बारे में खुलकर बात करनी चाहिए व 30-35 वर्ष की आयु के बाद पैल्विक व ब्रैस्ट एग्जामिनेशन अवश्य कराना चाहिए ताकि सेक्स संबंधी रोगों से बचा जा सके।
औरतें संकोच करती है इसलिए बढ़ रही है सेक्स समस्याएं//////////////////////
आज भी हमारे देश में महिलाएं सेक्स व सेक्स से जुड़ी परेशानियों के बारे में बात करने से झिझकती हैं और यही कारण बनता है सेक्स संबंधी बीमारियों के गंभीर रूप लेने का, जो बाद में जानलेवा हो जाता है। सेक्स संबंधी बीमारियों के संबंध में महिलाओं को आगे लाने की सख्त जरूरत है। आज की महिलाएं घर व प्रोफेशनल जिम्मेदारी दोनों निभाती हैं और वे अपनी सेक्स संबंधी समस्याओं की अवहेलना करती हैं। वे आगे चलकर सर्वाइकल कैंसर व ब्रेस्ट कैंसर जैसी जानलेवा बीमारियों का शिकार बनती हैं।
आज की लाइफस्टाइल में कामकाजी महिलाएं ब्रेस्ट फीडिंग यानी स्तनपान या तो बहुत कम कराती हैं या नहीं करातीं। ऐसी महिलाओं के परिवार में ब्रेस्ट कैंसर का इतिहास न होने के बावजूद ब्रेस्ट कैंसर होने की आशंका अधिक होती है।
आज के युवाओं व दंपतियों में अप्राकृतिक ढंग से सेक्स करने का भी प्रचलन बढ़ रहा है। पोर्न फिल्मों के जरिए वे सेक्स के अप्राकृतिक तरीकों को अपनाते हैं। वे सही और गलत तरीकों की पहचान करना भूलते जाते हैं। यही प्रवृत्ति यौन संक्रमित रोगों के भयावह रूप लेने का कारण बनती है। मल्टीपार्टनर सेक्स भी सेक्सजनित रोगों का कारण बनता है।
आजकल न्यूक्लियर फैमिली का प्रचलन है, जहां पति-पत्नी अकेले अपनी सेक्स संबंधी समस्याओं से जूझते रहते हैं। अपनी परेशानी को बांटने के लिए उनके पास कोई नहीं होता। भारतीय महिलाओं में सर्वाइकल कैंसर सबसे सामान्य कैंसर है। तकरीबन 80 हजार महिलाएं प्रतिवर्ष सर्वाइकल कैंसर की वजह से मौत का ग्रास बन जाती हैं।
हर महिला को अपनी सेक्स संबंधी समस्या के प्रति जागरूक रहना चाहिए। उसके बारे में खुलकर बात करनी चाहिए व 30-35 वर्ष की आयु के बाद पैल्विक व ब्रैस्ट एग्जामिनेशन अवश्य कराना चाहिए ताकि सेक्स संबंधी रोगों से बचा जा सके।
आज भी हमारे देश में महिलाएं सेक्स व सेक्स से जुड़ी परेशानियों के बारे में बात करने से झिझकती हैं और यही कारण बनता है सेक्स संबंधी बीमारियों के गंभीर रूप लेने का, जो बाद में जानलेवा हो जाता है। सेक्स संबंधी बीमारियों के संबंध में महिलाओं को आगे लाने की सख्त जरूरत है। आज की महिलाएं घर व प्रोफेशनल जिम्मेदारी दोनों निभाती हैं और वे अपनी सेक्स संबंधी समस्याओं की अवहेलना करती हैं। वे आगे चलकर सर्वाइकल कैंसर व ब्रेस्ट कैंसर जैसी जानलेवा बीमारियों का शिकार बनती हैं।
आज की लाइफस्टाइल में कामकाजी महिलाएं ब्रेस्ट फीडिंग यानी स्तनपान या तो बहुत कम कराती हैं या नहीं करातीं। ऐसी महिलाओं के परिवार में ब्रेस्ट कैंसर का इतिहास न होने के बावजूद ब्रेस्ट कैंसर होने की आशंका अधिक होती है।
आज के युवाओं व दंपतियों में अप्राकृतिक ढंग से सेक्स करने का भी प्रचलन बढ़ रहा है। पोर्न फिल्मों के जरिए वे सेक्स के अप्राकृतिक तरीकों को अपनाते हैं। वे सही और गलत तरीकों की पहचान करना भूलते जाते हैं। यही प्रवृत्ति यौन संक्रमित रोगों के भयावह रूप लेने का कारण बनती है। मल्टीपार्टनर सेक्स भी सेक्सजनित रोगों का कारण बनता है।
आजकल न्यूक्लियर फैमिली का प्रचलन है, जहां पति-पत्नी अकेले अपनी सेक्स संबंधी समस्याओं से जूझते रहते हैं। अपनी परेशानी को बांटने के लिए उनके पास कोई नहीं होता। भारतीय महिलाओं में सर्वाइकल कैंसर सबसे सामान्य कैंसर है। तकरीबन 80 हजार महिलाएं प्रतिवर्ष सर्वाइकल कैंसर की वजह से मौत का ग्रास बन जाती हैं।
हर महिला को अपनी सेक्स संबंधी समस्या के प्रति जागरूक रहना चाहिए। उसके बारे में खुलकर बात करनी चाहिए व 30-35 वर्ष की आयु के बाद पैल्विक व ब्रैस्ट एग्जामिनेशन अवश्य कराना चाहिए ताकि सेक्स संबंधी रोगों से बचा जा सके।
चूक आयुर्वेदिक नुस्खे सेक्स पॉवर बढ़ाने के /////////////////////////////////////////////////////////// आयुर्वेद और बुजुर्गों के अनुभव के आधार पर हम लाए हैं आपके लिए कुछ खास ऐसे नुस्खे जो ना सिर्फ यौन शक्ति में वृद्धि कर सकते हैं बल्कि इनके प्रयोग से शारीरिक शक्ति और सुंदरता में भी बढ़ोतरी हो सकती है। पेश है आसान और अचूक आयुर्वेदिक नुस्खे सेक्स पॉवर बढ़ाने के- * 100-100 ग्राम उड़द व गेहूं का आटा और पिप्पली चूर्ण लेकर उसमें 600 ग्राम शकर की चाशनी और सूखे मेवे मिलाकर लड्डू बनाएं। इसे 30-40 ग्राम की मात्रा में लेकर हर रोज रात को सोने से पहले खाकर ऊपर से दूध पीएं। इसके सेवन से सेक्स संबंधी सभी शिकायतें दूर हो जाती हैं और शारीरिक शक्ति में बढ़ोतरी होती है। * प्याज को सलाद, सब्जी या अन्य व्यंजन के रूप में सेवन करने से सेक्स की कमजोरी और महिलाओं की माहवारी की अनियमितता दूर होती है। * पेठे का मुरब्बा बनाकर सुबह-शाम सेवन करने से कामशक्ति बढ़ती है या फिर पेठे के बीज का चूर्ण बनाकर 3-5 ग्राम की मात्रा में सेवन करने से भी लाभ होता है। * सेक्स संबंधी सभी विकारों के लिए सिंघाड़े का सेवन रामबाण औषधि है। 5-10 ग्राम सिंघाड़े के आटे को दूध में पकाकर सुबह-शाम सेवन करने सेक्सुअल प्रॉब्लम्स दूर होती हैं। इसका नियमित सेवन सेक्स टॉनिक का काम करता है। 565 people reached
चूक आयुर्वेदिक नुस्खे सेक्स पॉवर बढ़ाने के
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आयुर्वेद और बुजुर्गों के अनुभव के आधार पर हम लाए हैं आपके लिए कुछ खास ऐसे नुस्खे जो ना सिर्फ यौन शक्ति में वृद्धि कर सकते हैं बल्कि इनके प्रयोग से शारीरिक शक्ति और सुंदरता में भी बढ़ोतरी हो सकती है। पेश है आसान और अचूक आयुर्वेदिक नुस्खे सेक्स पॉवर बढ़ाने के-
* 100-100 ग्राम उड़द व गेहूं का आटा और पिप्पली चूर्ण लेकर उसमें 600 ग्राम शकर की चाशनी और सूखे मेवे मिलाकर लड्डू बनाएं। इसे 30-40 ग्राम की मात्रा में लेकर हर रोज रात को सोने से पहले खाकर ऊपर से दूध पीएं। इसके सेवन से सेक्स संबंधी सभी शिकायतें दूर हो जाती हैं और शारीरिक शक्ति में बढ़ोतरी होती है।
* प्याज को सलाद, सब्जी या अन्य व्यंजन के रूप में सेवन करने से सेक्स की कमजोरी और महिलाओं की माहवारी की अनियमितता दूर होती है।
* पेठे का मुरब्बा बनाकर सुबह-शाम सेवन करने से कामशक्ति बढ़ती है या फिर पेठे के बीज का चूर्ण बनाकर 3-5 ग्राम की मात्रा में सेवन करने से भी लाभ होता है।
* सेक्स संबंधी सभी विकारों के लिए सिंघाड़े का सेवन रामबाण औषधि है। 5-10 ग्राम सिंघाड़े के आटे को दूध में पकाकर सुबह-शाम सेवन करने सेक्सुअल प्रॉब्लम्स दूर होती हैं। इसका नियमित सेवन सेक्स टॉनिक का काम करता है।
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आयुर्वेद और बुजुर्गों के अनुभव के आधार पर हम लाए हैं आपके लिए कुछ खास ऐसे नुस्खे जो ना सिर्फ यौन शक्ति में वृद्धि कर सकते हैं बल्कि इनके प्रयोग से शारीरिक शक्ति और सुंदरता में भी बढ़ोतरी हो सकती है। पेश है आसान और अचूक आयुर्वेदिक नुस्खे सेक्स पॉवर बढ़ाने के-
* 100-100 ग्राम उड़द व गेहूं का आटा और पिप्पली चूर्ण लेकर उसमें 600 ग्राम शकर की चाशनी और सूखे मेवे मिलाकर लड्डू बनाएं। इसे 30-40 ग्राम की मात्रा में लेकर हर रोज रात को सोने से पहले खाकर ऊपर से दूध पीएं। इसके सेवन से सेक्स संबंधी सभी शिकायतें दूर हो जाती हैं और शारीरिक शक्ति में बढ़ोतरी होती है।
* प्याज को सलाद, सब्जी या अन्य व्यंजन के रूप में सेवन करने से सेक्स की कमजोरी और महिलाओं की माहवारी की अनियमितता दूर होती है।
* पेठे का मुरब्बा बनाकर सुबह-शाम सेवन करने से कामशक्ति बढ़ती है या फिर पेठे के बीज का चूर्ण बनाकर 3-5 ग्राम की मात्रा में सेवन करने से भी लाभ होता है।
* सेक्स संबंधी सभी विकारों के लिए सिंघाड़े का सेवन रामबाण औषधि है। 5-10 ग्राम सिंघाड़े के आटे को दूध में पकाकर सुबह-शाम सेवन करने सेक्सुअल प्रॉब्लम्स दूर होती हैं। इसका नियमित सेवन सेक्स टॉनिक का काम करता है।
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शुक्रवार, 21 नवंबर 2014
इस मौसम में यौन शक्ति में वृद्धि के लिए क्या करें /////////////////////////////////////////////////////////////////// सेक्स के बेहतर अनुभव के लिए स्वास्थ्य का अच्छा होना बेहद जरूरी है। अच्छी सेहत से सेक्स पॉवर भी बढ़ती है। पेश है सरल और लाजवाब घरेलू नुस्खे जो स्त्री व पुरुष दोनों की यौन शक्ति में वृद्धि करते हैं। सर्दी का मौसम प्राकृतिक रूप से सेक्स के लिए प्रेरित करता है। मौसम के साथ हारमोंस बदलते हैं और शरीर में परिवर्तन होते हैं। आइए जानते हैं कैसे खुद को तैयार करें सेक्स के लिए - * 100 ग्राम हल्की भुनी अलसी, 50-50 ग्राम सफेद मूसली, सोंठ व अश्वगंधा लेकर बारीक चूर्ण बना लें। 10-10 ग्राम की मात्रा में सुबह-शाम इसका दूध के साथ सेवन करें। इससे वीर्य की वृद्धि व शारीरिक शक्ति बढ़ती है। * 100 ग्राम अलसी चूर्ण, 50 ग्राम अश्वगंधा और 100 ग्राम मिश्री चूर्ण लेकर किसी एयर टाइट डिब्बे में रख दें। 10-15 ग्राम की मात्रा में सुबह-शाम दूध या पानी अथवा चाय के साथ इसका सेवन करें। यह मिश्रण यौनशक्तिवर्धक और दुर्बलतानाशक है। * 25 ग्राम सिंघाड़े का आटा, 15 ग्राम घी, 50 ग्राम शकर और 250 ग्राम दूध लेकर हलवा बनाकर खाने से सेक्स पावर में चमत्कारिक रूप से वृद्धि होती है। * अलसी चूर्ण व मिश्री चूर्ण बराबर मात्रा में लेकर एकसाथ मिलाकर रख लें। 5 ग्राम की मात्रा में इसे घी में मिलाकर सुबह-शाम सेवन करें। इसके सेवन से वीर्य में वृद्धि होती है। * छिल्कारहित उड़द की दाल का आटा 20 ग्राम लेकर दूध में डालकर पकाएं। फिर इसमें शकर व थोड़ा-सा घी मिलाकर गुनगुना पीएं। इससे धातुस्राव का शमन होता है। * उड़द की दाल को भिगोकर पीस लें। फिर इसे दही के साथ गूंथकर वड़े बनाकर तेल में तलकर खाएं। इससे सेक्स से जुड़ी कमजोरी दूर होती है। * 5 ग्राम प्याज का रस, 2 ग्राम घी और 3 ग्राम शहद मिलाकर सुबह-शाम सेवन करने करें। इससे कामशक्ति की वृद्धि होती है। इस मिश्रण का इस्तेमाल कम से कम 5 दिनों तक करना चाहिए। * कामशक्ति का ह्रास होने पर काले तिल और गुड़ का लड्डू बनाकर नियमित सेवन करने से पुरुषत्व की प्राप्ति होती है।
इस मौसम में यौन शक्ति में वृद्धि के लिए क्या करें
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सेक्स के बेहतर अनुभव के लिए स्वास्थ्य का अच्छा होना बेहद जरूरी है। अच्छी सेहत से सेक्स पॉवर भी बढ़ती है। पेश है सरल और लाजवाब घरेलू नुस्खे जो स्त्री व पुरुष दोनों की यौन शक्ति में वृद्धि करते हैं। सर्दी का मौसम प्राकृतिक रूप से सेक्स के लिए प्रेरित करता है। मौसम के साथ हारमोंस बदलते हैं और शरीर में परिवर्तन होते हैं। आइए जानते हैं कैसे खुद को तैयार करें सेक्स के लिए -
* 100 ग्राम हल्की भुनी अलसी, 50-50 ग्राम सफेद मूसली, सोंठ व अश्वगंधा लेकर बारीक चूर्ण बना लें। 10-10 ग्राम की मात्रा में सुबह-शाम इसका दूध के साथ सेवन करें। इससे वीर्य की वृद्धि व शारीरिक शक्ति बढ़ती है।
* 100 ग्राम अलसी चूर्ण, 50 ग्राम अश्वगंधा और 100 ग्राम मिश्री चूर्ण लेकर किसी एयर टाइट डिब्बे में रख दें। 10-15 ग्राम की मात्रा में सुबह-शाम दूध या पानी अथवा चाय के साथ इसका सेवन करें। यह मिश्रण यौनशक्तिवर्धक और दुर्बलतानाशक है।
* 25 ग्राम सिंघाड़े का आटा, 15 ग्राम घी, 50 ग्राम शकर और 250 ग्राम दूध लेकर हलवा बनाकर खाने से सेक्स पावर में चमत्कारिक रूप से वृद्धि होती है।
* अलसी चूर्ण व मिश्री चूर्ण बराबर मात्रा में लेकर एकसाथ मिलाकर रख लें। 5 ग्राम की मात्रा में इसे घी में मिलाकर सुबह-शाम सेवन करें। इसके सेवन से वीर्य में वृद्धि होती है।
* छिल्कारहित उड़द की दाल का आटा 20 ग्राम लेकर दूध में डालकर पकाएं। फिर इसमें शकर व थोड़ा-सा घी मिलाकर गुनगुना पीएं। इससे धातुस्राव का शमन होता है।
* उड़द की दाल को भिगोकर पीस लें। फिर इसे दही के साथ गूंथकर वड़े बनाकर तेल में तलकर खाएं। इससे सेक्स से जुड़ी कमजोरी दूर होती है।
* 5 ग्राम प्याज का रस, 2 ग्राम घी और 3 ग्राम शहद मिलाकर सुबह-शाम सेवन करने करें। इससे कामशक्ति की वृद्धि होती है। इस मिश्रण का इस्तेमाल कम से कम 5 दिनों तक करना चाहिए।
* कामशक्ति का ह्रास होने पर काले तिल और गुड़ का लड्डू बनाकर नियमित सेवन करने से पुरुषत्व की प्राप्ति होती है।
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सेक्स के बेहतर अनुभव के लिए स्वास्थ्य का अच्छा होना बेहद जरूरी है। अच्छी सेहत से सेक्स पॉवर भी बढ़ती है। पेश है सरल और लाजवाब घरेलू नुस्खे जो स्त्री व पुरुष दोनों की यौन शक्ति में वृद्धि करते हैं। सर्दी का मौसम प्राकृतिक रूप से सेक्स के लिए प्रेरित करता है। मौसम के साथ हारमोंस बदलते हैं और शरीर में परिवर्तन होते हैं। आइए जानते हैं कैसे खुद को तैयार करें सेक्स के लिए -
* 100 ग्राम हल्की भुनी अलसी, 50-50 ग्राम सफेद मूसली, सोंठ व अश्वगंधा लेकर बारीक चूर्ण बना लें। 10-10 ग्राम की मात्रा में सुबह-शाम इसका दूध के साथ सेवन करें। इससे वीर्य की वृद्धि व शारीरिक शक्ति बढ़ती है।
* 100 ग्राम अलसी चूर्ण, 50 ग्राम अश्वगंधा और 100 ग्राम मिश्री चूर्ण लेकर किसी एयर टाइट डिब्बे में रख दें। 10-15 ग्राम की मात्रा में सुबह-शाम दूध या पानी अथवा चाय के साथ इसका सेवन करें। यह मिश्रण यौनशक्तिवर्धक और दुर्बलतानाशक है।
* 25 ग्राम सिंघाड़े का आटा, 15 ग्राम घी, 50 ग्राम शकर और 250 ग्राम दूध लेकर हलवा बनाकर खाने से सेक्स पावर में चमत्कारिक रूप से वृद्धि होती है।
* अलसी चूर्ण व मिश्री चूर्ण बराबर मात्रा में लेकर एकसाथ मिलाकर रख लें। 5 ग्राम की मात्रा में इसे घी में मिलाकर सुबह-शाम सेवन करें। इसके सेवन से वीर्य में वृद्धि होती है।
* छिल्कारहित उड़द की दाल का आटा 20 ग्राम लेकर दूध में डालकर पकाएं। फिर इसमें शकर व थोड़ा-सा घी मिलाकर गुनगुना पीएं। इससे धातुस्राव का शमन होता है।
* उड़द की दाल को भिगोकर पीस लें। फिर इसे दही के साथ गूंथकर वड़े बनाकर तेल में तलकर खाएं। इससे सेक्स से जुड़ी कमजोरी दूर होती है।
* 5 ग्राम प्याज का रस, 2 ग्राम घी और 3 ग्राम शहद मिलाकर सुबह-शाम सेवन करने करें। इससे कामशक्ति की वृद्धि होती है। इस मिश्रण का इस्तेमाल कम से कम 5 दिनों तक करना चाहिए।
* कामशक्ति का ह्रास होने पर काले तिल और गुड़ का लड्डू बनाकर नियमित सेवन करने से पुरुषत्व की प्राप्ति होती है।
सेक्स संबंधी भ्रांतियां, इन्हें दूर कर लें... ///////////////////////////////////////////////// कोई भी व्यक्ति कभी यह स्वीकार नहीं करेगा कि वह सेक्स को लेकर कुछ गलत कर रहा है। किशोरावस्था व्यकित सोचता है कि वह सेक्स के बारे में सब कुछ जानता है, लेकिन उसके उलट भी होता है। इस कारण से बहुत से लोगों के जीवन से सेक्स ही गायब हो जाता है या फिर वे इसका सही आनंद ही नहीं ले पाते हैं। बहुत सारे लोगों के दिमाग में सेक्स को लेकर कई तरह की भ्रांतियां हो सकती हैं जो कि उनके विवाहित जीवन को प्रभावित कर सकती हैं। हम यहां नौ भ्रांतियों की चर्चा कर रहे हैं, जो आपके सेक्स जीवन को प्रभावित कर सकती हैं... 1. जरूरी नहीं है कि महिलाएं अपने मासिक स्राव के दौरान गर्भवती हो जाती हों। इसकी संभावना कम होती है। हालांकि यह संभव भी हो सकता है क्योंकि एक महिला का डिम्ब और पुरुष का शुक्राणु गर्भाशय के वातावरण में कई दिनों तक निष्क्रिय पड़ा रह सकता है।
सेक्स संबंधी भ्रांतियां, इन्हें दूर कर लें...
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कोई भी व्यक्ति कभी यह स्वीकार नहीं करेगा कि वह सेक्स को लेकर कुछ गलत कर रहा है। किशोरावस्था व्यकित सोचता है कि वह सेक्स के बारे में सब कुछ जानता है, लेकिन उसके उलट भी होता है। इस कारण से बहुत से लोगों के जीवन से सेक्स ही गायब हो जाता है या फिर वे इसका सही आनंद ही नहीं ले पाते हैं।
बहुत सारे लोगों के दिमाग में सेक्स को लेकर कई तरह की भ्रांतियां हो सकती हैं जो कि उनके विवाहित जीवन को प्रभावित कर सकती हैं। हम यहां नौ भ्रांतियों की चर्चा कर रहे हैं, जो आपके सेक्स जीवन को प्रभावित कर सकती हैं...
1. जरूरी नहीं है कि महिलाएं अपने मासिक स्राव के दौरान गर्भवती हो जाती हों। इसकी संभावना कम होती है। हालांकि यह संभव भी हो सकता है क्योंकि एक महिला का डिम्ब और पुरुष का शुक्राणु गर्भाशय के वातावरण में कई दिनों तक निष्क्रिय पड़ा रह सकता है।
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कोई भी व्यक्ति कभी यह स्वीकार नहीं करेगा कि वह सेक्स को लेकर कुछ गलत कर रहा है। किशोरावस्था व्यकित सोचता है कि वह सेक्स के बारे में सब कुछ जानता है, लेकिन उसके उलट भी होता है। इस कारण से बहुत से लोगों के जीवन से सेक्स ही गायब हो जाता है या फिर वे इसका सही आनंद ही नहीं ले पाते हैं।
बहुत सारे लोगों के दिमाग में सेक्स को लेकर कई तरह की भ्रांतियां हो सकती हैं जो कि उनके विवाहित जीवन को प्रभावित कर सकती हैं। हम यहां नौ भ्रांतियों की चर्चा कर रहे हैं, जो आपके सेक्स जीवन को प्रभावित कर सकती हैं...
1. जरूरी नहीं है कि महिलाएं अपने मासिक स्राव के दौरान गर्भवती हो जाती हों। इसकी संभावना कम होती है। हालांकि यह संभव भी हो सकता है क्योंकि एक महिला का डिम्ब और पुरुष का शुक्राणु गर्भाशय के वातावरण में कई दिनों तक निष्क्रिय पड़ा रह सकता है।
ध : क्यों जरूरी है हर उम्र के लिए //////////////////////////////////////////// दूध हमारे आहार का महत्वपूर्ण हिस्सा है। दूध प्रोटीन,खनिज और विटामिन का पौष्टिक एवं सस्ता स्त्रोत है। बावजूद इसके,दूध को दरकिनार करके सोडा, जूस और स्पोर्ट्स ड्रिंक्स जैसे अधिक मीठे पेय पदार्थो का सेवन किया जाता है। इससे मोटापा, मधुमेह, हृदय रोग और कैंसर जैसी आहार संबंधी बीमारियां होने का खतरा होता है। अधिक मीठे पेय पदार्थो के स्थान पर पोषक तत्वों से युक्त दूध को बढ़ावा दिया जाना चाहिए। हम आपको बता रहे हैं कि हर उम्र में दूध क्यों जरूरी है? बचपन- बचपन में शारीरिक और मानसिक विकास में सहायक बच्चों को ज्यादा शक्कर युक्त पेय पदार्थ नहीं बल्कि दूध देना चाहिए। दूध में मौजूद प्रोटीन संतुलित अमीनो एसिड से बनता है जो जैविक रूप से उपलब्ध है। यह आसानी से पच जाता है और शरीर में इसका इस्तेमाल होता है। दूध के कैल्शियम से बच्चे की विकासशील हड्डियों, दांतों और मस्तिष्क के ऊतकों को बढ़ने में मदद मिलती है और यह कोशिकीय स्तर पर उन रासायनिक प्रतिक्रियाओं को बढ़ावा देता है जो मांसपेशियों एवं तंत्रिका तंत्र की कार्यक्षमता को संचालित करती हैं। अतिरिक्त पोषण तत्वों से युक्त दूध से विटामिन डी मिलता है। यह अत्यंत महत्वपूर्ण विटामिन है जो हड्डियों की मजबूती के लिए शरीर को कैल्शियम,फास्फोरस को पचाने में मदद करता है। लाल रक्त कोशिकाओं के उत्पादन को बढ़ाता है। पाचन और तंत्रिका प्रक्रियाओं को बढ़ावा देता है और प्रतिरोधक क्षमता को सहारा देता है। 11 साल की उम्र तक के बच्चों को रोजाना कम से कम दो बार दूध और डेयरी उत्पाद देने चाहिए। किशोरावस्था- मजबूत हड्डियों के लिए किशोरों को भी शुगर युक्त पेय पदार्थो के बजाय दूध लेना चाहिए क्योंकि किशोर असाधारण शारीरिक परिवर्तन से गुजरते हैं। उन्हें हार्मोस संबंधी,मांसपेशियों एवं रक्त संचार के अधिकतम विकास के लिए ऊर्जा युक्त पोषक तत्वों से भरपूर खाद्य पदार्थो की आवश्यकता होती है। किशोरावस्था ही वह ऐसा समय होता है जब हड्डियां मजबूत होती हैं। ऐसे में दूध बहुत फायदेमंद हो सकता है ताकि जीवन में कभी भी आपकी हड्डियों में कमजोरी नहीं आए तथा ओस्टियोपोरोसिस की समस्या न हो। दूध के आश्चर्यजनक फायदों के मद्देनजर किशोरों को रोजाना तीन या अधिक बार कम वसा वाले दूध उत्पादों का सेवन करना चाहिए। वयस्क अवस्था- इस अवस्था में भी शरीर को कैल्शियम की जरूरत होती है। विटामिन डी और फास्फोरस के बगैर सभी उम्र के वयस्कों के लिये हड्डियों के कमजोर होने का खतरा होता है, इसलिए दूध की आवश्यकता बनी रहती है। ब्रोकोली और पालक के रूप में अन्य कैल्शियम युक्त गैर डेयरी आहार का सेवन करना अच्छा विकल्प हो सकता है। लेकिन इनमें से कुछ में ऐसे यौगिक मौजूद होते हैं जिससे कैल्शियम के अवशोषण में बाधा पड़ सकती है। पालक में ऑक्सोलेट अधिक होते हैं जो कैल्शियम अवशोषण में बाधा डालते हैं जबकि ब्रोकोली आदि अन्य सब्जियों में मौजूद कैल्शियम दूध की तरह आसानी से नहीं पचता है। 259 people reached
ध : क्यों जरूरी है हर उम्र के लिए
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दूध हमारे आहार का महत्वपूर्ण हिस्सा है। दूध प्रोटीन,खनिज और विटामिन का पौष्टिक एवं सस्ता स्त्रोत है। बावजूद इसके,दूध को दरकिनार करके सोडा, जूस और स्पोर्ट्स ड्रिंक्स जैसे अधिक मीठे पेय पदार्थो का सेवन किया जाता है। इससे मोटापा, मधुमेह, हृदय रोग और कैंसर जैसी आहार संबंधी बीमारियां होने का खतरा होता है। अधिक मीठे पेय पदार्थो के स्थान पर पोषक तत्वों से युक्त दूध को बढ़ावा दिया जाना चाहिए। हम आपको बता रहे हैं कि हर उम्र में दूध क्यों जरूरी है?
बचपन-
बचपन में शारीरिक और मानसिक विकास में सहायक बच्चों को ज्यादा शक्कर युक्त पेय पदार्थ नहीं बल्कि दूध देना चाहिए। दूध में मौजूद प्रोटीन संतुलित अमीनो एसिड से बनता है जो जैविक रूप से उपलब्ध है। यह आसानी से पच जाता है और शरीर में इसका इस्तेमाल होता है। दूध के कैल्शियम से बच्चे की विकासशील हड्डियों, दांतों और मस्तिष्क के ऊतकों को बढ़ने में मदद मिलती है और यह कोशिकीय स्तर पर उन रासायनिक प्रतिक्रियाओं को बढ़ावा देता है जो मांसपेशियों एवं तंत्रिका तंत्र की कार्यक्षमता को संचालित करती हैं। अतिरिक्त पोषण तत्वों से युक्त दूध से विटामिन डी मिलता है। यह अत्यंत महत्वपूर्ण विटामिन है जो हड्डियों की मजबूती के लिए शरीर को कैल्शियम,फास्फोरस को पचाने में मदद करता है। लाल रक्त कोशिकाओं के उत्पादन को बढ़ाता है। पाचन और तंत्रिका प्रक्रियाओं को बढ़ावा देता है और प्रतिरोधक क्षमता को सहारा देता है। 11 साल की उम्र तक के बच्चों को रोजाना कम से कम दो बार दूध और डेयरी उत्पाद देने चाहिए।
किशोरावस्था-
मजबूत हड्डियों के लिए किशोरों को भी शुगर युक्त पेय पदार्थो के बजाय दूध लेना चाहिए क्योंकि किशोर असाधारण शारीरिक परिवर्तन से गुजरते हैं। उन्हें हार्मोस संबंधी,मांसपेशियों एवं रक्त संचार के अधिकतम विकास के लिए ऊर्जा युक्त पोषक तत्वों से भरपूर खाद्य पदार्थो की आवश्यकता होती है। किशोरावस्था ही वह ऐसा समय होता है जब हड्डियां मजबूत होती हैं। ऐसे में दूध बहुत फायदेमंद हो सकता है ताकि जीवन में कभी भी आपकी हड्डियों में कमजोरी नहीं आए तथा ओस्टियोपोरोसिस की समस्या न हो। दूध के आश्चर्यजनक फायदों के मद्देनजर किशोरों को रोजाना तीन या अधिक बार कम वसा वाले दूध उत्पादों का सेवन करना चाहिए।
वयस्क अवस्था-
इस अवस्था में भी शरीर को कैल्शियम की जरूरत होती है। विटामिन डी और फास्फोरस के बगैर सभी उम्र के वयस्कों के लिये हड्डियों के कमजोर होने का खतरा होता है, इसलिए दूध की आवश्यकता बनी रहती है। ब्रोकोली और पालक के रूप में अन्य कैल्शियम युक्त गैर डेयरी आहार का सेवन करना अच्छा विकल्प हो सकता है। लेकिन इनमें से कुछ में ऐसे यौगिक मौजूद होते हैं जिससे कैल्शियम के अवशोषण में बाधा पड़ सकती है। पालक में ऑक्सोलेट अधिक होते हैं जो कैल्शियम अवशोषण में बाधा डालते हैं जबकि ब्रोकोली आदि अन्य सब्जियों में मौजूद कैल्शियम दूध की तरह आसानी से नहीं पचता है।
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दूध हमारे आहार का महत्वपूर्ण हिस्सा है। दूध प्रोटीन,खनिज और विटामिन का पौष्टिक एवं सस्ता स्त्रोत है। बावजूद इसके,दूध को दरकिनार करके सोडा, जूस और स्पोर्ट्स ड्रिंक्स जैसे अधिक मीठे पेय पदार्थो का सेवन किया जाता है। इससे मोटापा, मधुमेह, हृदय रोग और कैंसर जैसी आहार संबंधी बीमारियां होने का खतरा होता है। अधिक मीठे पेय पदार्थो के स्थान पर पोषक तत्वों से युक्त दूध को बढ़ावा दिया जाना चाहिए। हम आपको बता रहे हैं कि हर उम्र में दूध क्यों जरूरी है?
बचपन-
बचपन में शारीरिक और मानसिक विकास में सहायक बच्चों को ज्यादा शक्कर युक्त पेय पदार्थ नहीं बल्कि दूध देना चाहिए। दूध में मौजूद प्रोटीन संतुलित अमीनो एसिड से बनता है जो जैविक रूप से उपलब्ध है। यह आसानी से पच जाता है और शरीर में इसका इस्तेमाल होता है। दूध के कैल्शियम से बच्चे की विकासशील हड्डियों, दांतों और मस्तिष्क के ऊतकों को बढ़ने में मदद मिलती है और यह कोशिकीय स्तर पर उन रासायनिक प्रतिक्रियाओं को बढ़ावा देता है जो मांसपेशियों एवं तंत्रिका तंत्र की कार्यक्षमता को संचालित करती हैं। अतिरिक्त पोषण तत्वों से युक्त दूध से विटामिन डी मिलता है। यह अत्यंत महत्वपूर्ण विटामिन है जो हड्डियों की मजबूती के लिए शरीर को कैल्शियम,फास्फोरस को पचाने में मदद करता है। लाल रक्त कोशिकाओं के उत्पादन को बढ़ाता है। पाचन और तंत्रिका प्रक्रियाओं को बढ़ावा देता है और प्रतिरोधक क्षमता को सहारा देता है। 11 साल की उम्र तक के बच्चों को रोजाना कम से कम दो बार दूध और डेयरी उत्पाद देने चाहिए।
किशोरावस्था-
मजबूत हड्डियों के लिए किशोरों को भी शुगर युक्त पेय पदार्थो के बजाय दूध लेना चाहिए क्योंकि किशोर असाधारण शारीरिक परिवर्तन से गुजरते हैं। उन्हें हार्मोस संबंधी,मांसपेशियों एवं रक्त संचार के अधिकतम विकास के लिए ऊर्जा युक्त पोषक तत्वों से भरपूर खाद्य पदार्थो की आवश्यकता होती है। किशोरावस्था ही वह ऐसा समय होता है जब हड्डियां मजबूत होती हैं। ऐसे में दूध बहुत फायदेमंद हो सकता है ताकि जीवन में कभी भी आपकी हड्डियों में कमजोरी नहीं आए तथा ओस्टियोपोरोसिस की समस्या न हो। दूध के आश्चर्यजनक फायदों के मद्देनजर किशोरों को रोजाना तीन या अधिक बार कम वसा वाले दूध उत्पादों का सेवन करना चाहिए।
वयस्क अवस्था-
इस अवस्था में भी शरीर को कैल्शियम की जरूरत होती है। विटामिन डी और फास्फोरस के बगैर सभी उम्र के वयस्कों के लिये हड्डियों के कमजोर होने का खतरा होता है, इसलिए दूध की आवश्यकता बनी रहती है। ब्रोकोली और पालक के रूप में अन्य कैल्शियम युक्त गैर डेयरी आहार का सेवन करना अच्छा विकल्प हो सकता है। लेकिन इनमें से कुछ में ऐसे यौगिक मौजूद होते हैं जिससे कैल्शियम के अवशोषण में बाधा पड़ सकती है। पालक में ऑक्सोलेट अधिक होते हैं जो कैल्शियम अवशोषण में बाधा डालते हैं जबकि ब्रोकोली आदि अन्य सब्जियों में मौजूद कैल्शियम दूध की तरह आसानी से नहीं पचता है।
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कामेच्छा बढ़ाने का काम करता है मेथीदाना ///////////////////////////////////////////////////////// भारतीय और अन्य एशियाई देशों में अपनी यौन क्रियाओं को बढ़ाने की इच्छा रखने वाले लोगों को पश्चिम के उत्पादों की तरफ देखने की जरूरत नहीं है, क्योंकि घर-घर में मिलने वाली मेथी भी इसमें सक्षम है। ब्रिसबेन स्थित एकीकृत नैदानिक और आणविक चिकित्सा केंद्र के अनुसंधानकर्ताओं का कहना है कि भारत में सबसे अधिक मात्रा में पाई जाने वाली मेथी पुरुषों की कामेच्छाओं को काफी अच्छे स्तर तक बढ़ाने में सक्षम है। अनुसंधानकर्ताओं के अनुसार मेथी के बीज में पाया जाने वाला सैपोनीन पुरुषों में पाए जाने वाले टेस्टोस्टेरॉन हॉरमोन में उत्तेजना पैदा करता है। गौरतलब है कि भारत में कढ़ी और सब्जियों में इस्तेमाल की जाने वाली मेथी मुख्य तौर पर राजस्थान, गुजरात, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, हरियाणा और पंजाब में उगाई जाती है। ........................................ http://www.justdial.com/Allahabad/Kashyap-Clinic--Near-Veni-Madhav-Mandhir-Daragunj-&-30-Kashyap-Clinic-,-N 236 people reached
कामेच्छा बढ़ाने का काम करता है मेथीदाना
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भारतीय और अन्य एशियाई देशों में अपनी यौन क्रियाओं को बढ़ाने की इच्छा रखने वाले लोगों को पश्चिम के उत्पादों की तरफ देखने की जरूरत नहीं है, क्योंकि घर-घर में मिलने वाली मेथी भी इसमें सक्षम है।
ब्रिसबेन स्थित एकीकृत नैदानिक और आणविक चिकित्सा केंद्र के अनुसंधानकर्ताओं का कहना है कि भारत में सबसे अधिक मात्रा में पाई जाने वाली मेथी पुरुषों की कामेच्छाओं को काफी अच्छे स्तर तक बढ़ाने में सक्षम है।
अनुसंधानकर्ताओं के अनुसार मेथी के बीज में पाया जाने वाला सैपोनीन पुरुषों में पाए जाने वाले टेस्टोस्टेरॉन हॉरमोन में उत्तेजना पैदा करता है।
गौरतलब है कि भारत में कढ़ी और सब्जियों में इस्तेमाल की जाने वाली मेथी मुख्य तौर पर राजस्थान, गुजरात, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, हरियाणा और पंजाब में उगाई जाती है। ........................................
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भारतीय और अन्य एशियाई देशों में अपनी यौन क्रियाओं को बढ़ाने की इच्छा रखने वाले लोगों को पश्चिम के उत्पादों की तरफ देखने की जरूरत नहीं है, क्योंकि घर-घर में मिलने वाली मेथी भी इसमें सक्षम है।
ब्रिसबेन स्थित एकीकृत नैदानिक और आणविक चिकित्सा केंद्र के अनुसंधानकर्ताओं का कहना है कि भारत में सबसे अधिक मात्रा में पाई जाने वाली मेथी पुरुषों की कामेच्छाओं को काफी अच्छे स्तर तक बढ़ाने में सक्षम है।
अनुसंधानकर्ताओं के अनुसार मेथी के बीज में पाया जाने वाला सैपोनीन पुरुषों में पाए जाने वाले टेस्टोस्टेरॉन हॉरमोन में उत्तेजना पैदा करता है।
गौरतलब है कि भारत में कढ़ी और सब्जियों में इस्तेमाल की जाने वाली मेथी मुख्य तौर पर राजस्थान, गुजरात, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, हरियाणा और पंजाब में उगाई जाती है। ........................................
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मैथी- -- (FENUGREEK) गुण: गुण: मेथी चिकनी और भारी होती है। वैज्ञानिक मतानुसार मेथी की रासायनिक संरचना का विश्लेषण करने पर ज्ञात होता है कि मेथी की पत्तियों में पानी 81.8 प्रतिशत, रेशे 1.01 प्रतिशत, वसा 0.9 प्रतिशत, लोहा 16.19 मिलीग्राम प्रति 100 ग्राम में तथा अल्प मात्रा में कैल्शियम फास्फोरस और विटामिन ए, बी, सी भी पाए जाते हैं। मेथी दानों में 25 प्रतिशत फास्फोरिक एसिड, कोलाइन और ट्राइगोनेलिन एल्केलाइड्स, गोंद, लेसीथिन, स्थिर तेल, एलब्युमिन प्रोटीन, पीले रंग के रंजक पदार्थ पाए जाते हैं। मैथी के सूखे पंचांग में तो प्रोटीन की मात्रा 16 प्रतिशत तक पाई जाती है। इसमें खून और पेशाब में ग्लूकोज की मात्रा कम करने का विशेष गुण होने के कारण डायबिटीज में ये बहुत गुणकारी होते हैं। मेथी के बीजों में मुख्य तौर से वाष्पशील व स्थिर तेल, प्रोटीन, सेल्यूलोज, स्टार्च, शर्करा, म्यूसिलेज, खनिज पदार्थ, एल्कोलायड व विटामिन पाये जाते हैं। बीजों का गन्धयुक्त कड़वा स्वाद इसमें पाये जाने वाले `ऑलिबोरेजिन´ के कारण होता है। एक रिचर्स के अनुसार इसके दानों में पानी 7.0 से 11.0 प्रतिशत, क्रूड प्रोटीन 27.7 से 38.6 प्रतिशत, खनिज पदार्थ 3.4 से 6.8 प्रतिशत, पेट्रोलियम ईथर 5.2 से 8.2 प्रतिशत, एल्कोहल 16.6 से 24.8 प्रतिशत व अम्ल अघुलनशील राख 0.2 से 2.3 प्रतिशत पाया जाता है। मेथी के दानों में विटामिन `ए`, `सी´ और नियासीन´ अधिक मात्रा में होता है।................. 180 people reached
मैथी- -- (FENUGREEK) गुण:
गुण: मेथी चिकनी और भारी होती है। वैज्ञानिक मतानुसार मेथी की रासायनिक संरचना का विश्लेषण करने पर ज्ञात होता है कि मेथी की पत्तियों में पानी 81.8 प्रतिशत, रेशे 1.01 प्रतिशत, वसा 0.9 प्रतिशत, लोहा 16.19 मिलीग्राम प्रति 100 ग्राम में तथा अल्प मात्रा में कैल्शियम फास्फोरस और विटामिन ए, बी, सी भी पाए जाते हैं। मेथी दानों में 25 प्रतिशत फास्फोरिक एसिड, कोलाइन और ट्राइगोनेलिन एल्केलाइड्स, गोंद, लेसीथिन, स्थिर तेल, एलब्युमिन प्रोटीन, पीले रंग के रंजक पदार्थ पाए जाते हैं।
मैथी के सूखे पंचांग में तो प्रोटीन की मात्रा 16 प्रतिशत तक पाई जाती है। इसमें खून और पेशाब में ग्लूकोज की मात्रा कम करने का विशेष गुण होने के कारण डायबिटीज में ये बहुत गुणकारी होते हैं। मेथी के बीजों में मुख्य तौर से वाष्पशील व स्थिर तेल, प्रोटीन, सेल्यूलोज, स्टार्च, शर्करा, म्यूसिलेज, खनिज पदार्थ, एल्कोलायड व विटामिन पाये जाते हैं। बीजों का गन्धयुक्त कड़वा स्वाद इसमें पाये जाने वाले `ऑलिबोरेजिन´ के कारण होता है। एक रिचर्स के अनुसार इसके दानों में पानी 7.0 से 11.0 प्रतिशत, क्रूड प्रोटीन 27.7 से 38.6 प्रतिशत, खनिज पदार्थ 3.4 से 6.8 प्रतिशत, पेट्रोलियम ईथर 5.2 से 8.2 प्रतिशत, एल्कोहल 16.6 से 24.8 प्रतिशत व अम्ल अघुलनशील राख 0.2 से 2.3 प्रतिशत पाया जाता है। मेथी के दानों में विटामिन `ए`, `सी´ और नियासीन´ अधिक मात्रा में होता है।.................
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गुण: मेथी चिकनी और भारी होती है। वैज्ञानिक मतानुसार मेथी की रासायनिक संरचना का विश्लेषण करने पर ज्ञात होता है कि मेथी की पत्तियों में पानी 81.8 प्रतिशत, रेशे 1.01 प्रतिशत, वसा 0.9 प्रतिशत, लोहा 16.19 मिलीग्राम प्रति 100 ग्राम में तथा अल्प मात्रा में कैल्शियम फास्फोरस और विटामिन ए, बी, सी भी पाए जाते हैं। मेथी दानों में 25 प्रतिशत फास्फोरिक एसिड, कोलाइन और ट्राइगोनेलिन एल्केलाइड्स, गोंद, लेसीथिन, स्थिर तेल, एलब्युमिन प्रोटीन, पीले रंग के रंजक पदार्थ पाए जाते हैं।
मैथी के सूखे पंचांग में तो प्रोटीन की मात्रा 16 प्रतिशत तक पाई जाती है। इसमें खून और पेशाब में ग्लूकोज की मात्रा कम करने का विशेष गुण होने के कारण डायबिटीज में ये बहुत गुणकारी होते हैं। मेथी के बीजों में मुख्य तौर से वाष्पशील व स्थिर तेल, प्रोटीन, सेल्यूलोज, स्टार्च, शर्करा, म्यूसिलेज, खनिज पदार्थ, एल्कोलायड व विटामिन पाये जाते हैं। बीजों का गन्धयुक्त कड़वा स्वाद इसमें पाये जाने वाले `ऑलिबोरेजिन´ के कारण होता है। एक रिचर्स के अनुसार इसके दानों में पानी 7.0 से 11.0 प्रतिशत, क्रूड प्रोटीन 27.7 से 38.6 प्रतिशत, खनिज पदार्थ 3.4 से 6.8 प्रतिशत, पेट्रोलियम ईथर 5.2 से 8.2 प्रतिशत, एल्कोहल 16.6 से 24.8 प्रतिशत व अम्ल अघुलनशील राख 0.2 से 2.3 प्रतिशत पाया जाता है। मेथी के दानों में विटामिन `ए`, `सी´ और नियासीन´ अधिक मात्रा में होता है।.................
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नहीं होगा कोई रोग, मैथी का ये अचूक प्रयोग ठंड में बना देगा आपकी सेहत ///////////////////////////////////////////////////////////////////////////////////////////////////// ठंड में आने वाली सारी हरे पत्तेदार सब्जियों को स्वास्थ्य के लिए बहुत लाभकारी माना गया है। अगर बात मेथी की हो तो मेथी तो वो सब्जी है जो खाने के स्वाद को और ज्यादा बड़ा देती है। मसालों, सब्जियों के बघार में,अचार में, पत्तियों की सब्जी और मेथी के पराठे बहुत चाव से खाए जाते हैं। मेथी का दवाई के रूप में उपयोग हजारों सालों से किया जाता रहा है। कमर दर्द, गठिया दर्द, प्रसव के बाद, डाइबिटीज के साथ ही जोड़ों के दर्द, आंखों की कमजोरी, शारीरिक दुर्बलता, मूत्र संबंधी विकार ये सब दूर होते हैं। इसका सेवन हर साल करते रहना चाहिए। स्त्रियां भी इसका सेवन करके सदैव स्वस्थ रह सकती हैं एवं चिरयौवन प्राप्त कर सकती हैं। हर साल सर्दियों के मौसम में इसे लाग के रूप में खाया जाता है। माना जाता है ठंड में इसका सेवन करने से शरीर स्वस्थ व निरोगी रहता है। सामग्री- मेथीदाने- 500 ग्राम, सोंठ का बारीक पाउडर 250 ग्राम, दूध चार लीटर, घी 500 ग्राम, चीनी 1.5 किलो, सोंठ, छोटी पीपलामूल, अजवाइन, जीरा, कलौंजी, सौंफ, धनिया, तेजपत्ता, कचूर, दालचीनी, जायफल और नागरमोथा ये सब 10-10 ग्राम। बनाने की विधि- उक्त सभी कूट पीसकर बारीक चूर्ण बना लें। अब दूध को एक साफ कड़ाई में डालकर आग पर चढ़ाएं। औटाने पर जब दूध आधा रह जाए, तब इसमें मेथी का पिसा चूर्ण तथा सोंठ का पिसा हुआ चूर्ण डाल दें। हिलाते रहें और मावा बना दें। अब घी डालकर इसकी सिकाई करें। गुलाबी रंग का होने तक सेकें । अब इसमें मावा और बाकी की सब पिसी हुई दवाईयां मिलाकर चलाएं। जब कुछ गाढ़ा सा हो जाए, तब नीचे उतार लें तथा या तो जमाकर बर्फी जैसी चक्की काट लें अथवा लगभग 10-10 ग्राम वजन के लड्डू बांध दें। सेवन कैसे करें- इस लड्डू को सुबह के समय 200 ग्राम की मात्रा में खाकर ऊपर से दूध पीएं। इससे सभी तरह के वायु विकार समाप्त होते हैं। शरीर हष्ट-पुष्ट होता है। प्रसव के बाद स्त्रियां इस पाक का सेवन करें। उनका शरीर कांतिमान हो जाता है। जिन व्यक्तियों के जोड़ों में सूजन, दर्द, घुटनों में दर्द, थकान सी महसूस होना, पैरों के तलवों में अत्याधिक पसीना आना, बायंटे आना व गैस संबंधित सभी बीमारियों में फायदा होता है। 442 people reached
नहीं होगा कोई रोग, मैथी का ये अचूक प्रयोग ठंड में बना देगा आपकी सेहत
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ठंड में आने वाली सारी हरे पत्तेदार सब्जियों को स्वास्थ्य के लिए बहुत लाभकारी माना गया है। अगर बात मेथी की हो तो मेथी तो वो सब्जी है जो खाने के स्वाद को और ज्यादा बड़ा देती है। मसालों, सब्जियों के बघार में,अचार में, पत्तियों की सब्जी और मेथी के पराठे बहुत चाव से खाए जाते हैं। मेथी का दवाई के रूप में उपयोग हजारों सालों से किया जाता रहा है। कमर दर्द, गठिया दर्द, प्रसव के बाद, डाइबिटीज के साथ ही जोड़ों के दर्द, आंखों की कमजोरी, शारीरिक दुर्बलता, मूत्र संबंधी विकार ये सब दूर होते हैं। इसका सेवन हर साल करते रहना चाहिए।
स्त्रियां भी इसका सेवन करके सदैव स्वस्थ रह सकती हैं एवं चिरयौवन प्राप्त कर सकती हैं। हर साल सर्दियों के मौसम में इसे लाग के रूप में खाया जाता है। माना जाता है ठंड में इसका सेवन करने से शरीर स्वस्थ व निरोगी रहता है।
सामग्री- मेथीदाने- 500 ग्राम, सोंठ का बारीक पाउडर 250 ग्राम, दूध चार लीटर, घी 500 ग्राम, चीनी 1.5 किलो, सोंठ, छोटी पीपलामूल, अजवाइन, जीरा, कलौंजी, सौंफ, धनिया, तेजपत्ता, कचूर, दालचीनी, जायफल और नागरमोथा ये सब 10-10 ग्राम।
बनाने की विधि- उक्त सभी कूट पीसकर बारीक चूर्ण बना लें। अब दूध को एक साफ कड़ाई में डालकर आग पर चढ़ाएं। औटाने पर जब दूध आधा रह जाए, तब इसमें मेथी का पिसा चूर्ण तथा सोंठ का पिसा हुआ चूर्ण डाल दें। हिलाते रहें और मावा बना दें। अब घी डालकर इसकी सिकाई करें। गुलाबी रंग का होने तक सेकें । अब इसमें मावा और बाकी की सब पिसी हुई दवाईयां मिलाकर चलाएं। जब कुछ गाढ़ा सा हो जाए, तब नीचे उतार लें तथा या तो जमाकर बर्फी जैसी चक्की काट लें अथवा लगभग 10-10 ग्राम वजन के लड्डू बांध दें।
सेवन कैसे करें- इस लड्डू को सुबह के समय 200 ग्राम की मात्रा में खाकर ऊपर से दूध पीएं। इससे सभी तरह के वायु विकार समाप्त होते हैं। शरीर हष्ट-पुष्ट होता है। प्रसव के बाद स्त्रियां इस पाक का सेवन करें। उनका शरीर कांतिमान हो जाता है। जिन व्यक्तियों के जोड़ों में सूजन, दर्द, घुटनों में दर्द, थकान सी महसूस होना, पैरों के तलवों में अत्याधिक पसीना आना, बायंटे आना व गैस संबंधित सभी बीमारियों में फायदा होता है।
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मेथी वात , पित्त, कफ,
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सब्जी से ज्यादा लाभकारी हे औषधि के रूप में मेथी का उपयोग …
इसके पत्तों कों सब्जी के रूप में उपयोग किया जाता हे
बीजों कों सब्जी के अलावा अचार, मसाले और औषधि तीनों रूप में उपयोग में लाया जाता हें |
आयुर्वेद के अनुसार मेथी वात्त, पित्त, कफ, ज्वर तथा दाहनाशक होती है।
मेथी के दानों में फास्फोरिक एसिड, लेसीथिन, प्रोटीन, कोलाइन और ट्राइगोनेलिन एल्केनाइड्स पाया जाता है।
मेथी में कैल्शियम, पोटेशियम, सोडियम, एवं विटामिन सी भी होता है।
जितना प्रोटीन हमें दाल से मिलता हे उतना मैथी की सूखी पत्तियों में पाया जाता है। इसके अलावा इसमें कई गुण होते हैं जो भूख को बढ़ाते हैं। यह अपचन, सूजन, मुंह के छाले आदि के लिए लाभकारी है।
मेथी के पत्ते भीनी कड़वी सुगंध युक्त, स्वाद में कड़वे, वातनाशक, कब्ज, उदावर्त, अजीर्ण, पेट की गैस मिटाने वाले, जोड़ों के दर्द में लाभदायक, प्रमेह व मधुमेह में पथ्य का काम करते हैं।
इसके प्रयोग से मूत्राशय की शिथिलता दूर होती है।
मेथी के अन्य उपयोग :-
सर्दियों में इसके लड्डू शरीर की ऊर्जा का संरक्षण और वृद्धि करते हैं। देशी घी में मेथी के आटे को भून लें। आटे से चौगुनी मात्रा में गुड़ कूट कर मिला लें। इस मिश्रण के पचास-पचास ग्राम के लड्डू बना लें और रोज प्रात: नाश्ते के रूप में प्रयोग करें। इसके प्रयोग से हड्डीयों, जोड़ों, मांस पेशियों का दर्द तथा गठिया और गृघ्रसी में लाभ मिलता है।
साबुत दाने मुंह में रखकर चबाकर खाने या मुंह में रख कर चूसते रहने पर वृद्धावस्था में अपानवायु के कारण होने वाले रोगों जोड़ों व घुटनों के दर्द, गृघ्रसी, बार-बार मूत्र त्याग, हाथ-पांव सूने पड़ने, मांसपेशियों में खिंचाव, भूख न लगने, कब्ज, चक्कर आने आदि लक्षणों में आराम मिलता है।
मेथी दाना , आंवला, रीठा के छिलके, काली मिट्टी, शीकाकाई व भांगरे के मिश्रण के लेपन तथा दो तीन घंटे बाद धोने से बाल स्वच्छ, फंगस रहित, मुलायम चिकने व काले होते हैं।
गुणभरी है मेथी :-
रक्त में लाल कणों की वृद्धि के लिये भी लाभकारी है।
मेथी के दानों का चूर्ण एक चम्मच सुबह-शाम नियमित रूप से लेने से घुटने, जोड़ों, आमवाल, लकवा व गठिया रोगों में भी आराम मिलता है।
महिलाओं के प्रदर रोग में इसका सेवन लाभकारी है।
भूख न लगने, बहुमूत्र, साइटिका, दमा, पेट व मांसपेशिया के दर्द निवारण हेतु मेथी के दानों की एक चम्मच मात्रा पानी के सेवन के साथ लेने से लाभ मिलता है।
मेथी के दानों का लेप बालों में लगाने से बाल मजबूत होते हैं और उनका झड़ना दूर होता है।
मेथी के पानी को दांतों पर रगड़ने से दांत मजबूत होते हैं।
मेथी का एक अन्य गुण यह भी है कि इसकी चाय पीने से श्वास नली में सूजन, नजला जुकाम दूर होते हैं।
गले की खराश मिटाने के लिए भी मेथी के बीज से बने काढ़े से कुल्ला करने पर राहत मिलती है।
इसके अलावा प्याज के साथ मेथी की सब्जी मधुमेह और ह्रदय रोग के लिए उपयोगी है।.........................
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सब्जी से ज्यादा लाभकारी हे औषधि के रूप में मेथी का उपयोग …
इसके पत्तों कों सब्जी के रूप में उपयोग किया जाता हे
बीजों कों सब्जी के अलावा अचार, मसाले और औषधि तीनों रूप में उपयोग में लाया जाता हें |
आयुर्वेद के अनुसार मेथी वात्त, पित्त, कफ, ज्वर तथा दाहनाशक होती है।
मेथी के दानों में फास्फोरिक एसिड, लेसीथिन, प्रोटीन, कोलाइन और ट्राइगोनेलिन एल्केनाइड्स पाया जाता है।
मेथी में कैल्शियम, पोटेशियम, सोडियम, एवं विटामिन सी भी होता है।
जितना प्रोटीन हमें दाल से मिलता हे उतना मैथी की सूखी पत्तियों में पाया जाता है। इसके अलावा इसमें कई गुण होते हैं जो भूख को बढ़ाते हैं। यह अपचन, सूजन, मुंह के छाले आदि के लिए लाभकारी है।
मेथी के पत्ते भीनी कड़वी सुगंध युक्त, स्वाद में कड़वे, वातनाशक, कब्ज, उदावर्त, अजीर्ण, पेट की गैस मिटाने वाले, जोड़ों के दर्द में लाभदायक, प्रमेह व मधुमेह में पथ्य का काम करते हैं।
इसके प्रयोग से मूत्राशय की शिथिलता दूर होती है।
मेथी के अन्य उपयोग :-
सर्दियों में इसके लड्डू शरीर की ऊर्जा का संरक्षण और वृद्धि करते हैं। देशी घी में मेथी के आटे को भून लें। आटे से चौगुनी मात्रा में गुड़ कूट कर मिला लें। इस मिश्रण के पचास-पचास ग्राम के लड्डू बना लें और रोज प्रात: नाश्ते के रूप में प्रयोग करें। इसके प्रयोग से हड्डीयों, जोड़ों, मांस पेशियों का दर्द तथा गठिया और गृघ्रसी में लाभ मिलता है।
साबुत दाने मुंह में रखकर चबाकर खाने या मुंह में रख कर चूसते रहने पर वृद्धावस्था में अपानवायु के कारण होने वाले रोगों जोड़ों व घुटनों के दर्द, गृघ्रसी, बार-बार मूत्र त्याग, हाथ-पांव सूने पड़ने, मांसपेशियों में खिंचाव, भूख न लगने, कब्ज, चक्कर आने आदि लक्षणों में आराम मिलता है।
मेथी दाना , आंवला, रीठा के छिलके, काली मिट्टी, शीकाकाई व भांगरे के मिश्रण के लेपन तथा दो तीन घंटे बाद धोने से बाल स्वच्छ, फंगस रहित, मुलायम चिकने व काले होते हैं।
गुणभरी है मेथी :-
रक्त में लाल कणों की वृद्धि के लिये भी लाभकारी है।
मेथी के दानों का चूर्ण एक चम्मच सुबह-शाम नियमित रूप से लेने से घुटने, जोड़ों, आमवाल, लकवा व गठिया रोगों में भी आराम मिलता है।
महिलाओं के प्रदर रोग में इसका सेवन लाभकारी है।
भूख न लगने, बहुमूत्र, साइटिका, दमा, पेट व मांसपेशिया के दर्द निवारण हेतु मेथी के दानों की एक चम्मच मात्रा पानी के सेवन के साथ लेने से लाभ मिलता है।
मेथी के दानों का लेप बालों में लगाने से बाल मजबूत होते हैं और उनका झड़ना दूर होता है।
मेथी के पानी को दांतों पर रगड़ने से दांत मजबूत होते हैं।
मेथी का एक अन्य गुण यह भी है कि इसकी चाय पीने से श्वास नली में सूजन, नजला जुकाम दूर होते हैं।
गले की खराश मिटाने के लिए भी मेथी के बीज से बने काढ़े से कुल्ला करने पर राहत मिलती है।
इसके अलावा प्याज के साथ मेथी की सब्जी मधुमेह और ह्रदय रोग के लिए उपयोगी है।.........................
तुलसी : असरकारी चमत्कारीस्मरण शक्ति में वृद्धि के साथ-साथ आपका व्यक्तित्व भी स्मरण शक्ति में वृद्धि के प्रभावशाली होगा।
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जो व्यक्ति प्रतिदिन तुलसी की मात्र 5 पत्तियां खाता है, वह कई बीमारियों से बच सकता है। प्रातःकाल खाली पेट 2-3 चम्मच तुलसी के रस का सेवन करें तो शारीरिक बल एवं स्मरण शक्ति में वृद्धि के साथ-साथ आपका व्यक्तित्व भी प्रभावशाली होगा। यदि तुलसी की 11 पत्तियों का 4 खड़ी कालीमिर्च के साथ सेवन किया जाए तो मलेरिया एवं मियादी बुखार ठीक किए जा सकते हैं।
तुलसी रक्त में कोलेस्ट्रॉल की मात्रा नियंत्रित करने की क्षमता रखती है। शरीर के वजन को नियंत्रित रखने हेतु भी तुलसी अत्यंत गुणकारी है। इसके नियमित सेवन से भारी व्यक्ति का वजन घटता है एवं पतले व्यक्ति का वजन बढ़ता है यानी तुलसी शरीर का वजन आनुपातिक रूप से नियंत्रित करती है। तुलसी के रस की कुछ बूंदों में थोड़ा-सा नमक मिलाकर बेहोश व्यक्ति की नाक में डालने से उसे शीघ्र होश आ जाता है। चाय बनाते समय तुलसी के कुछ पत्ते साथ में उबाल लिए जाएँ तो सर्दी, बुखार एवं मांसपेशियों के दर्द में राहत मिलती है। 10 ग्राम तुलसी के रस को 5 ग्राम शहद के साथ सेवन करने से हिचकी एवं अस्थमा के रोगी को ठीक किया जा सकता है।
तुलसी के काढ़े में थोड़ा-सा सेंधा नमक एवं पीसी सौंठ मिलाकर सेवन करने से कब्ज दूर होती है। दोपहर भोजन के पश्चात तुलसी की पत्तियाँ चबाने से पाचन शक्ति मजबूत होती है। 10 ग्राम तुलसी के रस के साथ 5 ग्राम शहद एवं 5 ग्राम पिसी कालीमिर्च का सेवन करने से पाचन शक्ति की कमजोरी समाप्त हो जाती है। दूषित पानी में तुलसी की कुछ ताजी पत्तियाँ डालने से पानी का शुद्धिकरण किया जा सकता है। रोजाना सुबह पानी के साथ तुलसी की 5 पत्तियाँ निगलने से कई प्रकार की संक्रामक बीमारियों एवं दिमाग की कमजोरी से बचा जा सकता है। इससे स्मरण शक्ति को भी मजबूत किया जा सकता है। 4-5 भुने हुए लौंग के साथ तुलसी की पत्ती चूसने से सभी प्रकार की खाँसी से मुक्ति पाई जा सकती है। तुलसी के रस में खड़ी शक्कर मिलाकर पीने से सीने के दर्द एवं खाँसी से मुक्ति पाई जा सकती है।
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जो व्यक्ति प्रतिदिन तुलसी की मात्र 5 पत्तियां खाता है, वह कई बीमारियों से बच सकता है। प्रातःकाल खाली पेट 2-3 चम्मच तुलसी के रस का सेवन करें तो शारीरिक बल एवं स्मरण शक्ति में वृद्धि के साथ-साथ आपका व्यक्तित्व भी प्रभावशाली होगा। यदि तुलसी की 11 पत्तियों का 4 खड़ी कालीमिर्च के साथ सेवन किया जाए तो मलेरिया एवं मियादी बुखार ठीक किए जा सकते हैं।
तुलसी रक्त में कोलेस्ट्रॉल की मात्रा नियंत्रित करने की क्षमता रखती है। शरीर के वजन को नियंत्रित रखने हेतु भी तुलसी अत्यंत गुणकारी है। इसके नियमित सेवन से भारी व्यक्ति का वजन घटता है एवं पतले व्यक्ति का वजन बढ़ता है यानी तुलसी शरीर का वजन आनुपातिक रूप से नियंत्रित करती है। तुलसी के रस की कुछ बूंदों में थोड़ा-सा नमक मिलाकर बेहोश व्यक्ति की नाक में डालने से उसे शीघ्र होश आ जाता है। चाय बनाते समय तुलसी के कुछ पत्ते साथ में उबाल लिए जाएँ तो सर्दी, बुखार एवं मांसपेशियों के दर्द में राहत मिलती है। 10 ग्राम तुलसी के रस को 5 ग्राम शहद के साथ सेवन करने से हिचकी एवं अस्थमा के रोगी को ठीक किया जा सकता है।
तुलसी के काढ़े में थोड़ा-सा सेंधा नमक एवं पीसी सौंठ मिलाकर सेवन करने से कब्ज दूर होती है। दोपहर भोजन के पश्चात तुलसी की पत्तियाँ चबाने से पाचन शक्ति मजबूत होती है। 10 ग्राम तुलसी के रस के साथ 5 ग्राम शहद एवं 5 ग्राम पिसी कालीमिर्च का सेवन करने से पाचन शक्ति की कमजोरी समाप्त हो जाती है। दूषित पानी में तुलसी की कुछ ताजी पत्तियाँ डालने से पानी का शुद्धिकरण किया जा सकता है। रोजाना सुबह पानी के साथ तुलसी की 5 पत्तियाँ निगलने से कई प्रकार की संक्रामक बीमारियों एवं दिमाग की कमजोरी से बचा जा सकता है। इससे स्मरण शक्ति को भी मजबूत किया जा सकता है। 4-5 भुने हुए लौंग के साथ तुलसी की पत्ती चूसने से सभी प्रकार की खाँसी से मुक्ति पाई जा सकती है। तुलसी के रस में खड़ी शक्कर मिलाकर पीने से सीने के दर्द एवं खाँसी से मुक्ति पाई जा सकती है।
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सेक्स के लिए कब लालायित रहती है महिला /////////////////////////////////////////////////////////// महिला हो या पुरुष, सेक्स को लेकर तरह-तरह के शोध हुए हैं। इनके निष्कर्ष भी कम रोचक नहीं होते हैं। इसी तरह महिलाओं को लेकर बहुत सारे शोध हैं, जो कुछ सामान्य हैं तो कुछ असामान्य हैं। शोध के अनुसार एक महिला तब सेक्स के लिए बहुत अधिक लालायित होती है जब उसमें अंडोत्सर्ग (ऑव्यलेशन) की प्रक्रिया चरम पर होती है। इसी तरह से जब महिला का मासिक चक्र शुरू होता है तब उनकी कामुकता शीर्ष पर होती है।//////////
सेक्स के लिए कब लालायित रहती है महिला
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महिला हो या पुरुष, सेक्स को लेकर तरह-तरह के शोध हुए हैं। इनके निष्कर्ष भी कम रोचक नहीं होते हैं। इसी तरह महिलाओं को लेकर बहुत सारे शोध हैं, जो कुछ सामान्य हैं तो कुछ असामान्य हैं।
शोध के अनुसार एक महिला तब सेक्स के लिए बहुत अधिक लालायित होती है जब उसमें अंडोत्सर्ग (ऑव्यलेशन) की प्रक्रिया चरम पर होती है। इसी तरह से जब महिला का मासिक चक्र शुरू होता है तब उनकी कामुकता शीर्ष पर होती है।//////////
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महिला हो या पुरुष, सेक्स को लेकर तरह-तरह के शोध हुए हैं। इनके निष्कर्ष भी कम रोचक नहीं होते हैं। इसी तरह महिलाओं को लेकर बहुत सारे शोध हैं, जो कुछ सामान्य हैं तो कुछ असामान्य हैं।
शोध के अनुसार एक महिला तब सेक्स के लिए बहुत अधिक लालायित होती है जब उसमें अंडोत्सर्ग (ऑव्यलेशन) की प्रक्रिया चरम पर होती है। इसी तरह से जब महिला का मासिक चक्र शुरू होता है तब उनकी कामुकता शीर्ष पर होती है।//////////
सफल सेक्स के लिए अपनाएं ///////////////////////////////////// * 2-4 सूखे अंजीर सुबह-शाम दूध में पकाकर खाएं और ऊपर से दूध पीएं। इसके सेवन से शरीर में नई शक्ति आती है। * 7-7 ग्राम अश्वगंधा चूर्ण, मिश्री और शहद लेकर इसमें 15 ग्राम गाय का घी मिलाकर प्रतिदिन सुबह-शाम सेवन करने से शारीरिक शक्ति बढ़ती है।
सफल सेक्स के लिए अपनाएं
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* 2-4 सूखे अंजीर सुबह-शाम दूध में पकाकर खाएं और ऊपर से दूध पीएं। इसके सेवन से शरीर में नई शक्ति आती है।
* 7-7 ग्राम अश्वगंधा चूर्ण, मिश्री और शहद लेकर इसमें 15 ग्राम गाय का घी मिलाकर प्रतिदिन सुबह-शाम सेवन करने से शारीरिक शक्ति बढ़ती है।
स्वप्नदोष (Nightfall): ///////////////////////////// सपने में सेक्स संबंधी दृश्य देखने पर गुप्तांग में उत्तेजना आती है और शुक्राशय में एकत्रित हुआ वीर्य निकल जाता है, इसे स्वप्नदोष (नाइट फाल) होना कहते हैं। दूसरा कारण होता है कब्ज होने से मलाशय में मल सड़ना। स्वप्नदोष के रोगी को दो बातों का खयाल रखना चाहिए, एक तो दिमाग साफ रखना और दूसरा पेट साफ रखना। दिमाग में यौन विषय का विचार तक न आने दें, कामुक चिंतन-मनन करना तो बहुत दूर की बात है। हमेशा दिमाग को अच्छे कामों और विचारों में उलझाए रखें, ताकि गंदे और यौन संबंधी कोई भी विचार आ ही न सकें, यही दिमाग साफ रखना कहलाता है। कब्ज से बचने के लिए अपच से बचें। ये दोनों उपाय करते रहें तो बिना दवा सेवन किए भी स्वप्नदोष होना सदा के लिए बंद हो जाएगा, यह तो हुआ बगैर दवा का इलाज। इस प्रकार की व्याधि के लिए आयुर्वेदिक तरीके से इलाज का तरीका//// 215 people reached
स्वप्नदोष (Nightfall):
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सपने में सेक्स संबंधी दृश्य देखने पर गुप्तांग में उत्तेजना आती है और शुक्राशय में एकत्रित हुआ वीर्य निकल जाता है, इसे स्वप्नदोष (नाइट फाल) होना कहते हैं।
दूसरा कारण होता है कब्ज होने से मलाशय में मल सड़ना। स्वप्नदोष के रोगी को दो बातों का खयाल रखना चाहिए, एक तो दिमाग साफ रखना और दूसरा पेट साफ रखना।
दिमाग में यौन विषय का विचार तक न आने दें, कामुक चिंतन-मनन करना तो बहुत दूर की बात है। हमेशा दिमाग को अच्छे कामों और विचारों में उलझाए रखें, ताकि गंदे और यौन संबंधी कोई भी विचार आ ही न सकें, यही दिमाग साफ रखना कहलाता है।
कब्ज से बचने के लिए अपच से बचें। ये दोनों उपाय करते रहें तो बिना दवा सेवन किए भी स्वप्नदोष होना सदा के लिए बंद हो जाएगा, यह तो हुआ बगैर दवा का इलाज। इस प्रकार की व्याधि के लिए आयुर्वेदिक तरीके से इलाज का तरीका////
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सपने में सेक्स संबंधी दृश्य देखने पर गुप्तांग में उत्तेजना आती है और शुक्राशय में एकत्रित हुआ वीर्य निकल जाता है, इसे स्वप्नदोष (नाइट फाल) होना कहते हैं।
दूसरा कारण होता है कब्ज होने से मलाशय में मल सड़ना। स्वप्नदोष के रोगी को दो बातों का खयाल रखना चाहिए, एक तो दिमाग साफ रखना और दूसरा पेट साफ रखना।
दिमाग में यौन विषय का विचार तक न आने दें, कामुक चिंतन-मनन करना तो बहुत दूर की बात है। हमेशा दिमाग को अच्छे कामों और विचारों में उलझाए रखें, ताकि गंदे और यौन संबंधी कोई भी विचार आ ही न सकें, यही दिमाग साफ रखना कहलाता है।
कब्ज से बचने के लिए अपच से बचें। ये दोनों उपाय करते रहें तो बिना दवा सेवन किए भी स्वप्नदोष होना सदा के लिए बंद हो जाएगा, यह तो हुआ बगैर दवा का इलाज। इस प्रकार की व्याधि के लिए आयुर्वेदिक तरीके से इलाज का तरीका////
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10 टिप्स फॉर सेक्स (Power Increase) /////////////////////////////////////// नशे ही आदत या भोजन की अनियमिता के चलते बहुत से लोगों को इस बात की शिकायत रहती है कि मेरा वक्त के पहले ही स्खलित हो जाता है उनके लिए हम लाएं हैं 10 ऐसे उपाय जिसे आजमा कर उनकी यह शिकायत दूर हो जाएगी। 1. संभोग करने के तीन घंटे पूर्व अन्न और जल त्याग दें। 2. हर दम पेट साफ रखें। 3. किशमिश और अखरोट खाएं। 4. प्रतिदिन प्रात: थोड़ी सी कसरत करें। 5. प्रतिदिन प्रात: 10 मिनट का ध्यान करें। 6. संभोग की प्रक्रिया शुरू करने के बाद बीच-बीच में रुकें और फिर शुरू करें। 7. फोरप्ले में ज्यादा वक्त गुजारे। सेक्स संबंध बनाने में कोई जल्दबाजी न करें। 8. सेक्स के समय मन में किसी तरह का भय, चिंता, घबराहट नहीं होना चाहिए। 9.सेक्स से पहले कोई भी ऐसी चीज न खाएं जिससे शरीर से दुर्गन्ध या कोई अन्य तेज गंध आती हो, हो सकें तो स्नान या कम से कम ब्रश कर के ही सेक्स की शुरुआत करें। 10. योग की अश्विनी मुद्रा का अभ्यास करें। इससे आप सेक्स का समय बढ़ा सकते हैं। वज्रोली मुद्रा से भी सेक्स समय को बढ़ाया जा सकता है।///////////////////////////////
10 टिप्स फॉर सेक्स (Power Increase)
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नशे ही आदत या भोजन की अनियमिता के चलते बहुत से लोगों को इस बात की शिकायत रहती है कि मेरा वक्त के पहले ही स्खलित हो जाता है उनके लिए हम लाएं हैं 10 ऐसे उपाय जिसे आजमा कर उनकी यह शिकायत दूर हो जाएगी।
1. संभोग करने के तीन घंटे पूर्व अन्न और जल त्याग दें।
2. हर दम पेट साफ रखें।
3. किशमिश और अखरोट खाएं।
4. प्रतिदिन प्रात: थोड़ी सी कसरत करें।
5. प्रतिदिन प्रात: 10 मिनट का ध्यान करें।
6. संभोग की प्रक्रिया शुरू करने के बाद बीच-बीच में रुकें और फिर शुरू करें।
7. फोरप्ले में ज्यादा वक्त गुजारे। सेक्स संबंध बनाने में कोई जल्दबाजी न करें।
8. सेक्स के समय मन में किसी तरह का भय, चिंता, घबराहट नहीं होना चाहिए।
9.सेक्स से पहले कोई भी ऐसी चीज न खाएं जिससे शरीर से दुर्गन्ध या कोई अन्य तेज गंध आती हो, हो सकें तो स्नान या कम से कम ब्रश कर के ही सेक्स की शुरुआत करें।
10. योग की अश्विनी मुद्रा का अभ्यास करें। इससे आप सेक्स का समय बढ़ा सकते हैं। वज्रोली मुद्रा से भी सेक्स समय को बढ़ाया जा सकता है।///////////////////////////////
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नशे ही आदत या भोजन की अनियमिता के चलते बहुत से लोगों को इस बात की शिकायत रहती है कि मेरा वक्त के पहले ही स्खलित हो जाता है उनके लिए हम लाएं हैं 10 ऐसे उपाय जिसे आजमा कर उनकी यह शिकायत दूर हो जाएगी।
1. संभोग करने के तीन घंटे पूर्व अन्न और जल त्याग दें।
2. हर दम पेट साफ रखें।
3. किशमिश और अखरोट खाएं।
4. प्रतिदिन प्रात: थोड़ी सी कसरत करें।
5. प्रतिदिन प्रात: 10 मिनट का ध्यान करें।
6. संभोग की प्रक्रिया शुरू करने के बाद बीच-बीच में रुकें और फिर शुरू करें।
7. फोरप्ले में ज्यादा वक्त गुजारे। सेक्स संबंध बनाने में कोई जल्दबाजी न करें।
8. सेक्स के समय मन में किसी तरह का भय, चिंता, घबराहट नहीं होना चाहिए।
9.सेक्स से पहले कोई भी ऐसी चीज न खाएं जिससे शरीर से दुर्गन्ध या कोई अन्य तेज गंध आती हो, हो सकें तो स्नान या कम से कम ब्रश कर के ही सेक्स की शुरुआत करें।
10. योग की अश्विनी मुद्रा का अभ्यास करें। इससे आप सेक्स का समय बढ़ा सकते हैं। वज्रोली मुद्रा से भी सेक्स समय को बढ़ाया जा सकता है।///////////////////////////////
सेक्स में मर्दों का मिजाज और हिसाब औरत का /////////////////////////////////////////////////////////////// कई धर्म सेक्स के खुलेपन, सेक्स पर चर्चा और असामान्य सेक्स की इजाजत नहीं देते हैं। इस सबके बावजूद सेक्स के अच्छे और बुरे पक्ष को लेकर कई तरह के शोध हुए हैं। यह सारे शोध धर्म से उलट हैं। हालांकि अब सेक्स में जहां महिलाएं बढ़-चढ़कर भाग लेने लगी हैं वहीं मर्दों का मिजाज भी बदलने लगा है। मर्दों के मिजाज : ताजा अध्ययन से पता चला कि बिस्तर पर स्त्री और पुरुष बेहद अलग-अलग मानसिकता के होते हैं। एक पुरुष का शरीर यौन उत्तेजना महसूस करने पर हमेशा उसकी प्रतिक्रिया तेजी से देता है जबकि ऐसी त्वरित प्रतिक्रिया कुछ ही महिलाओं में होती है। शोध के अनुसार कुछ महिलाएं शारीरिक गतिविधियों के बावजूद उत्तेजित नहीं होतीं और कुछ गतिविधियों के बगैर ही उत्तेजित हो जाती हैं जबकि पुरुष मानसिक और शारीरिक प्रतिक्रियाओं में समान रूप से उत्तेजित पाए गए। इस शोध में दोनों के यौनांगों में खून के बहाव से मापी गई मानसिक प्रतिक्रियाओं से तुलना की गई थी। 'डेली मेल' की रिपोर्ट के मुताबिक इस अध्ययन के लिए शोधकर्ताओं ने वर्ष 1969 से 2007 के बीच 2,500 महिलाओं और 1,900 पुरुषों को शामिल कर किए गए शोधों की श्रृंखलाओं को खंगालकर तथ्य जुटाए थे।
सेक्स में मर्दों का मिजाज और हिसाब औरत का
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कई धर्म सेक्स के खुलेपन, सेक्स पर चर्चा और असामान्य सेक्स की इजाजत नहीं देते हैं। इस सबके बावजूद सेक्स के अच्छे और बुरे पक्ष को लेकर कई तरह के शोध हुए हैं। यह सारे शोध धर्म से उलट हैं। हालांकि अब सेक्स में जहां महिलाएं बढ़-चढ़कर भाग लेने लगी हैं वहीं मर्दों का मिजाज भी बदलने लगा है।
मर्दों के मिजाज : ताजा अध्ययन से पता चला कि बिस्तर पर स्त्री और पुरुष बेहद अलग-अलग मानसिकता के होते हैं। एक पुरुष का शरीर यौन उत्तेजना महसूस करने पर हमेशा उसकी प्रतिक्रिया तेजी से देता है जबकि ऐसी त्वरित प्रतिक्रिया कुछ ही महिलाओं में होती है।
शोध के अनुसार कुछ महिलाएं शारीरिक गतिविधियों के बावजूद उत्तेजित नहीं होतीं और कुछ गतिविधियों के बगैर ही उत्तेजित हो जाती हैं जबकि पुरुष मानसिक और शारीरिक प्रतिक्रियाओं में समान रूप से उत्तेजित पाए गए। इस शोध में दोनों के यौनांगों में खून के बहाव से मापी गई मानसिक प्रतिक्रियाओं से तुलना की गई थी।
'डेली मेल' की रिपोर्ट के मुताबिक इस अध्ययन के लिए शोधकर्ताओं ने वर्ष 1969 से 2007 के बीच 2,500 महिलाओं और 1,900 पुरुषों को शामिल कर किए गए शोधों की श्रृंखलाओं को खंगालकर तथ्य जुटाए थे।
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कई धर्म सेक्स के खुलेपन, सेक्स पर चर्चा और असामान्य सेक्स की इजाजत नहीं देते हैं। इस सबके बावजूद सेक्स के अच्छे और बुरे पक्ष को लेकर कई तरह के शोध हुए हैं। यह सारे शोध धर्म से उलट हैं। हालांकि अब सेक्स में जहां महिलाएं बढ़-चढ़कर भाग लेने लगी हैं वहीं मर्दों का मिजाज भी बदलने लगा है।
मर्दों के मिजाज : ताजा अध्ययन से पता चला कि बिस्तर पर स्त्री और पुरुष बेहद अलग-अलग मानसिकता के होते हैं। एक पुरुष का शरीर यौन उत्तेजना महसूस करने पर हमेशा उसकी प्रतिक्रिया तेजी से देता है जबकि ऐसी त्वरित प्रतिक्रिया कुछ ही महिलाओं में होती है।
शोध के अनुसार कुछ महिलाएं शारीरिक गतिविधियों के बावजूद उत्तेजित नहीं होतीं और कुछ गतिविधियों के बगैर ही उत्तेजित हो जाती हैं जबकि पुरुष मानसिक और शारीरिक प्रतिक्रियाओं में समान रूप से उत्तेजित पाए गए। इस शोध में दोनों के यौनांगों में खून के बहाव से मापी गई मानसिक प्रतिक्रियाओं से तुलना की गई थी।
'डेली मेल' की रिपोर्ट के मुताबिक इस अध्ययन के लिए शोधकर्ताओं ने वर्ष 1969 से 2007 के बीच 2,500 महिलाओं और 1,900 पुरुषों को शामिल कर किए गए शोधों की श्रृंखलाओं को खंगालकर तथ्य जुटाए थे।
सेक्स में मर्दों का मिजाज और हिसाब औरत का /////////////////////////////////////////////////////////////// कई धर्म सेक्स के खुलेपन, सेक्स पर चर्चा और असामान्य सेक्स की इजाजत नहीं देते हैं। इस सबके बावजूद सेक्स के अच्छे और बुरे पक्ष को लेकर कई तरह के शोध हुए हैं। यह सारे शोध धर्म से उलट हैं। हालांकि अब सेक्स में जहां महिलाएं बढ़-चढ़कर भाग लेने लगी हैं वहीं मर्दों का मिजाज भी बदलने लगा है। मर्दों के मिजाज : ताजा अध्ययन से पता चला कि बिस्तर पर स्त्री और पुरुष बेहद अलग-अलग मानसिकता के होते हैं। एक पुरुष का शरीर यौन उत्तेजना महसूस करने पर हमेशा उसकी प्रतिक्रिया तेजी से देता है जबकि ऐसी त्वरित प्रतिक्रिया कुछ ही महिलाओं में होती है। शोध के अनुसार कुछ महिलाएं शारीरिक गतिविधियों के बावजूद उत्तेजित नहीं होतीं और कुछ गतिविधियों के बगैर ही उत्तेजित हो जाती हैं जबकि पुरुष मानसिक और शारीरिक प्रतिक्रियाओं में समान रूप से उत्तेजित पाए गए। इस शोध में दोनों के यौनांगों में खून के बहाव से मापी गई मानसिक प्रतिक्रियाओं से तुलना की गई थी। 'डेली मेल' की रिपोर्ट के मुताबिक इस अध्ययन के लिए शोधकर्ताओं ने वर्ष 1969 से 2007 के बीच 2,500 महिलाओं और 1,900 पुरुषों को शामिल कर किए गए शोधों की श्रृंखलाओं को खंगालकर तथ्य जुटाए थे।
सेक्स में मर्दों का मिजाज और हिसाब औरत का
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कई धर्म सेक्स के खुलेपन, सेक्स पर चर्चा और असामान्य सेक्स की इजाजत नहीं देते हैं। इस सबके बावजूद सेक्स के अच्छे और बुरे पक्ष को लेकर कई तरह के शोध हुए हैं। यह सारे शोध धर्म से उलट हैं। हालांकि अब सेक्स में जहां महिलाएं बढ़-चढ़कर भाग लेने लगी हैं वहीं मर्दों का मिजाज भी बदलने लगा है।
मर्दों के मिजाज : ताजा अध्ययन से पता चला कि बिस्तर पर स्त्री और पुरुष बेहद अलग-अलग मानसिकता के होते हैं। एक पुरुष का शरीर यौन उत्तेजना महसूस करने पर हमेशा उसकी प्रतिक्रिया तेजी से देता है जबकि ऐसी त्वरित प्रतिक्रिया कुछ ही महिलाओं में होती है।
शोध के अनुसार कुछ महिलाएं शारीरिक गतिविधियों के बावजूद उत्तेजित नहीं होतीं और कुछ गतिविधियों के बगैर ही उत्तेजित हो जाती हैं जबकि पुरुष मानसिक और शारीरिक प्रतिक्रियाओं में समान रूप से उत्तेजित पाए गए। इस शोध में दोनों के यौनांगों में खून के बहाव से मापी गई मानसिक प्रतिक्रियाओं से तुलना की गई थी।
'डेली मेल' की रिपोर्ट के मुताबिक इस अध्ययन के लिए शोधकर्ताओं ने वर्ष 1969 से 2007 के बीच 2,500 महिलाओं और 1,900 पुरुषों को शामिल कर किए गए शोधों की श्रृंखलाओं को खंगालकर तथ्य जुटाए थे।
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कई धर्म सेक्स के खुलेपन, सेक्स पर चर्चा और असामान्य सेक्स की इजाजत नहीं देते हैं। इस सबके बावजूद सेक्स के अच्छे और बुरे पक्ष को लेकर कई तरह के शोध हुए हैं। यह सारे शोध धर्म से उलट हैं। हालांकि अब सेक्स में जहां महिलाएं बढ़-चढ़कर भाग लेने लगी हैं वहीं मर्दों का मिजाज भी बदलने लगा है।
मर्दों के मिजाज : ताजा अध्ययन से पता चला कि बिस्तर पर स्त्री और पुरुष बेहद अलग-अलग मानसिकता के होते हैं। एक पुरुष का शरीर यौन उत्तेजना महसूस करने पर हमेशा उसकी प्रतिक्रिया तेजी से देता है जबकि ऐसी त्वरित प्रतिक्रिया कुछ ही महिलाओं में होती है।
शोध के अनुसार कुछ महिलाएं शारीरिक गतिविधियों के बावजूद उत्तेजित नहीं होतीं और कुछ गतिविधियों के बगैर ही उत्तेजित हो जाती हैं जबकि पुरुष मानसिक और शारीरिक प्रतिक्रियाओं में समान रूप से उत्तेजित पाए गए। इस शोध में दोनों के यौनांगों में खून के बहाव से मापी गई मानसिक प्रतिक्रियाओं से तुलना की गई थी।
'डेली मेल' की रिपोर्ट के मुताबिक इस अध्ययन के लिए शोधकर्ताओं ने वर्ष 1969 से 2007 के बीच 2,500 महिलाओं और 1,900 पुरुषों को शामिल कर किए गए शोधों की श्रृंखलाओं को खंगालकर तथ्य जुटाए थे।
क्या हस्तमैथुन से लिंग में छोटापन आता है ///////////////////////////////////////////////////////////////////////////// हस्तमैथुन को लेकर सदियों से गलत धारणाएं प्रचलित हैं। इससे न तो व्यक्ति को किसी तरह की कमजोरी आती है और न ही लिंग के आकार-प्रकार में बदलाव होता है। गाल पिचकना, कमजोरी आना जैसी बातें अंधविश्वास से ज्यादा कुछ नहीं है। जहां तक हस्तमैथुन की आदत छोड़ने के प्रश्न है तो आप धीरे-धीरे इसकी आवृत्ति कम करें। यदि आप रोज हस्तमैथुन करते हैं तो शुरुआत में दो दिन में एक बार करें फिर इसे सप्ताह में एक बार और फिर महीने में एक बार तक ले जाएं। इससे धीरे-धीरे आपकी आदत स्वत: ही समाप्त हो जाएगी। यदि आपको सेक्सी कहानियां पढ़ने और सेक्सी फोटो देखने का शौक है तो उसे त्याग दें और अच्छी किताबों का अध्ययन करें।
क्या हस्तमैथुन से लिंग में छोटापन आता है
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हस्तमैथुन को लेकर सदियों से गलत धारणाएं प्रचलित हैं। इससे न तो व्यक्ति को किसी तरह की कमजोरी आती है और न ही लिंग के आकार-प्रकार में बदलाव होता है। गाल पिचकना, कमजोरी आना जैसी बातें अंधविश्वास से ज्यादा कुछ नहीं है।
जहां तक हस्तमैथुन की आदत छोड़ने के प्रश्न है तो आप धीरे-धीरे इसकी आवृत्ति कम करें। यदि आप रोज हस्तमैथुन करते हैं तो शुरुआत में दो दिन में एक बार करें फिर इसे सप्ताह में एक बार और फिर महीने में एक बार तक ले जाएं। इससे धीरे-धीरे आपकी आदत स्वत: ही समाप्त हो जाएगी। यदि आपको सेक्सी कहानियां पढ़ने और सेक्सी फोटो देखने का शौक है तो उसे त्याग दें और अच्छी किताबों का अध्ययन करें।
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हस्तमैथुन को लेकर सदियों से गलत धारणाएं प्रचलित हैं। इससे न तो व्यक्ति को किसी तरह की कमजोरी आती है और न ही लिंग के आकार-प्रकार में बदलाव होता है। गाल पिचकना, कमजोरी आना जैसी बातें अंधविश्वास से ज्यादा कुछ नहीं है।
जहां तक हस्तमैथुन की आदत छोड़ने के प्रश्न है तो आप धीरे-धीरे इसकी आवृत्ति कम करें। यदि आप रोज हस्तमैथुन करते हैं तो शुरुआत में दो दिन में एक बार करें फिर इसे सप्ताह में एक बार और फिर महीने में एक बार तक ले जाएं। इससे धीरे-धीरे आपकी आदत स्वत: ही समाप्त हो जाएगी। यदि आपको सेक्सी कहानियां पढ़ने और सेक्सी फोटो देखने का शौक है तो उसे त्याग दें और अच्छी किताबों का अध्ययन करें।
हार्ड हिटिंग के बावजूद सेक्स में महिलाएं नहीं होती संतुष्ट (sex) यूनिवर्सिटी ऑफ कैनसास के एक रिसर्च में यह बात पता चली है कि 70 प्रतिशत महिलाएं अपने साथी के साथ सेक्स करने के दौरान संतुष्टि का नाटक करती हैं। शोध में यह पाया गया कि साथी की भावना आहत न हो, इसलिए वे ऐसा करती हैं। रिचर्स में यह भी पाया गया कि एक तिहाई पुरुष भी महिला साथी के साथ सेक्स से संतुष्टि का नाटक करते हैं। डेली मेल में प्रकाशित एक रिपोर्ट के अनुसार जब एक साथी सेक्स के दौरान चरम पर पहुंच जाता है और उसी समय दूसरा साथी चरम बिंदु तक नहीं पहुंचता तो वह अपने साथी के खातिर संतुष्ट होने का नाटक करता है। इसकी प्रमुख वजह यह है कि वह अपने पार्टनर को बिना हर्ट किए उससे यह बात छुपाता/छुपाती है कि सेक्स के दौरान वास्तव में उसने चरम बिंदु का आनंद नहीं लिया। इस शोध के लिए कॉलेज में पढ़ रहे 281 लड़के और लड़कियों से सेक्स हैबिट के बारे में पूछा गया। इस दौरान यह पाया गया कि लड़के और लड़कियों पर 'रियल सेक्स' का आनंल लेने और वहीं आनंद अपने साथी को देने का दबाव होता है, जिसके कारण वह अपने सेक्स संतुष्टि की बात स्वीकारते हुए इसलिए झूठ बोलते हैं कि कहीं उसके पार्टनर को बुरा न लगे। सेक्स एक्सपर्ट ट्रैसी कॉक्स के अनुसार, 'कई महिलाओं को यह लगता है कि उन्हें सेक्स के दौरान संतुष्ट होने का सबूत देना पड़ सकता है, क्योंकि कई बार वे 'हार्ड हिटिंग' के बावजूद सेक्स से संतुष्ट नहीं होतीं।
हार्ड हिटिंग के बावजूद सेक्स में महिलाएं नहीं होती संतुष्ट (sex)
यूनिवर्सिटी ऑफ कैनसास के एक रिसर्च में यह बात पता चली है कि 70 प्रतिशत महिलाएं अपने साथी के साथ सेक्स करने के दौरान संतुष्टि का नाटक करती हैं।
शोध में यह पाया गया कि साथी की भावना आहत न हो, इसलिए वे ऐसा करती हैं। रिचर्स में यह भी पाया गया कि एक तिहाई पुरुष भी महिला साथी के साथ सेक्स से संतुष्टि का नाटक करते हैं।
डेली मेल में प्रकाशित एक रिपोर्ट के अनुसार जब एक साथी सेक्स के दौरान चरम पर पहुंच जाता है और उसी समय दूसरा साथी चरम बिंदु तक नहीं पहुंचता तो वह अपने साथी के खातिर संतुष्ट होने का नाटक करता है।
इसकी प्रमुख वजह यह है कि वह अपने पार्टनर को बिना हर्ट किए उससे यह बात छुपाता/छुपाती है कि सेक्स के दौरान वास्तव में उसने चरम बिंदु का आनंद नहीं लिया।
इस शोध के लिए कॉलेज में पढ़ रहे 281 लड़के और लड़कियों से सेक्स हैबिट के बारे में पूछा गया। इस दौरान यह पाया गया कि लड़के और लड़कियों पर 'रियल सेक्स' का आनंल लेने और वहीं आनंद अपने साथी को देने का दबाव होता है, जिसके कारण वह अपने सेक्स संतुष्टि की बात स्वीकारते हुए इसलिए झूठ बोलते हैं कि कहीं उसके पार्टनर को बुरा न लगे।
सेक्स एक्सपर्ट ट्रैसी कॉक्स के अनुसार, 'कई महिलाओं को यह लगता है कि उन्हें सेक्स के दौरान संतुष्ट होने का सबूत देना पड़ सकता है, क्योंकि कई बार वे 'हार्ड हिटिंग' के बावजूद सेक्स से संतुष्ट नहीं होतीं।
यूनिवर्सिटी ऑफ कैनसास के एक रिसर्च में यह बात पता चली है कि 70 प्रतिशत महिलाएं अपने साथी के साथ सेक्स करने के दौरान संतुष्टि का नाटक करती हैं।
शोध में यह पाया गया कि साथी की भावना आहत न हो, इसलिए वे ऐसा करती हैं। रिचर्स में यह भी पाया गया कि एक तिहाई पुरुष भी महिला साथी के साथ सेक्स से संतुष्टि का नाटक करते हैं।
डेली मेल में प्रकाशित एक रिपोर्ट के अनुसार जब एक साथी सेक्स के दौरान चरम पर पहुंच जाता है और उसी समय दूसरा साथी चरम बिंदु तक नहीं पहुंचता तो वह अपने साथी के खातिर संतुष्ट होने का नाटक करता है।
इसकी प्रमुख वजह यह है कि वह अपने पार्टनर को बिना हर्ट किए उससे यह बात छुपाता/छुपाती है कि सेक्स के दौरान वास्तव में उसने चरम बिंदु का आनंद नहीं लिया।
इस शोध के लिए कॉलेज में पढ़ रहे 281 लड़के और लड़कियों से सेक्स हैबिट के बारे में पूछा गया। इस दौरान यह पाया गया कि लड़के और लड़कियों पर 'रियल सेक्स' का आनंल लेने और वहीं आनंद अपने साथी को देने का दबाव होता है, जिसके कारण वह अपने सेक्स संतुष्टि की बात स्वीकारते हुए इसलिए झूठ बोलते हैं कि कहीं उसके पार्टनर को बुरा न लगे।
सेक्स एक्सपर्ट ट्रैसी कॉक्स के अनुसार, 'कई महिलाओं को यह लगता है कि उन्हें सेक्स के दौरान संतुष्ट होने का सबूत देना पड़ सकता है, क्योंकि कई बार वे 'हार्ड हिटिंग' के बावजूद सेक्स से संतुष्ट नहीं होतीं।
सेक्स में दिलचस्पी ना होना, हो सकती है बीमारी! //////////////////////////////////////////////////////////////// विकिपीडिया के अनुसार "एसेक्सुअलिटी किसी के लिए भी शारीरिक आकर्षण के अभाव और सेक्स में बिल्कुल दिलचस्पी न होने की स्थिति को कहते हैं।" लेकिन हमेशा की तरह, ये उतना सरल मुद्दा नहीं है। जैसे आकर्षण का उदाहरण लीजिये। कुछ एसेक्सुअल लोग आकर्षण महसूस करते हैं, सम्बन्ध भी रखना चाहते हैं, बस सेक्स नहीं करना चाहते। जबकि दूसरे एसेक्सुअल न आकर्षण महसूस करते हैं न ही उनकी किसी से कोई सम्बन्ध रखने की चाह होती है। और जहाँ बात कामोत्तेजना की है, तो भी कोई सीधा फार्मूला नहीं है। कुछ एसेक्सुअल लोग नियमित रूम से कामोत्तेजना महसूस करते हैं लेकिन उनकी इस उत्तेजना के पीछे किसी और व्यक्ति से सेक्स करने की लालसा नहीं होती। वहीँ कुछ दूसरे एसेक्सुअल लोग नियमित रूप से हस्तमैथुन करते हैं, और कुछ ऐसे भी हैं जिन्हें कामोत्तेजना ही नहीं होती।
सेक्स में दिलचस्पी ना होना, हो सकती है बीमारी!
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विकिपीडिया के अनुसार "एसेक्सुअलिटी किसी के लिए भी शारीरिक आकर्षण के अभाव और सेक्स में बिल्कुल दिलचस्पी न होने की स्थिति को कहते हैं।"
लेकिन हमेशा की तरह, ये उतना सरल मुद्दा नहीं है। जैसे आकर्षण का उदाहरण लीजिये। कुछ एसेक्सुअल लोग आकर्षण महसूस करते हैं, सम्बन्ध भी रखना चाहते हैं, बस सेक्स नहीं करना चाहते। जबकि दूसरे एसेक्सुअल न आकर्षण महसूस करते हैं न ही उनकी किसी से कोई सम्बन्ध रखने की चाह होती है।
और जहाँ बात कामोत्तेजना की है, तो भी कोई सीधा फार्मूला नहीं है। कुछ एसेक्सुअल लोग नियमित रूम से कामोत्तेजना महसूस करते हैं लेकिन उनकी इस उत्तेजना के पीछे किसी और व्यक्ति से सेक्स करने की लालसा नहीं होती। वहीँ कुछ दूसरे एसेक्सुअल लोग नियमित रूप से हस्तमैथुन करते हैं, और कुछ ऐसे भी हैं जिन्हें कामोत्तेजना ही नहीं होती।
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विकिपीडिया के अनुसार "एसेक्सुअलिटी किसी के लिए भी शारीरिक आकर्षण के अभाव और सेक्स में बिल्कुल दिलचस्पी न होने की स्थिति को कहते हैं।"
लेकिन हमेशा की तरह, ये उतना सरल मुद्दा नहीं है। जैसे आकर्षण का उदाहरण लीजिये। कुछ एसेक्सुअल लोग आकर्षण महसूस करते हैं, सम्बन्ध भी रखना चाहते हैं, बस सेक्स नहीं करना चाहते। जबकि दूसरे एसेक्सुअल न आकर्षण महसूस करते हैं न ही उनकी किसी से कोई सम्बन्ध रखने की चाह होती है।
और जहाँ बात कामोत्तेजना की है, तो भी कोई सीधा फार्मूला नहीं है। कुछ एसेक्सुअल लोग नियमित रूम से कामोत्तेजना महसूस करते हैं लेकिन उनकी इस उत्तेजना के पीछे किसी और व्यक्ति से सेक्स करने की लालसा नहीं होती। वहीँ कुछ दूसरे एसेक्सुअल लोग नियमित रूप से हस्तमैथुन करते हैं, और कुछ ऐसे भी हैं जिन्हें कामोत्तेजना ही नहीं होती।
महिलाओं में सेक्स इच्छा में कमी, कोई टेंशन नहीं! इलाज है ना /////////////////////////////////////////////////////////////////////////////////// महिलाओं को सेक्स इच्छा में कमी को लेकर ना तो अपना आत्मविश्वास खोना चाहिए और ना ही अपनी निजी जिंदगी को लेकर शर्म महसूस करनी चाहिए क्योंकि सेक्स इच्छा में कमी का इलाज मौजूद है। ये हम नहीं कह रहे बल्कि जी न्यूज ऑनलाइन पर प्रकाशित रिसर्च के मुताबिक, एक चौथाई महिलाएं माहवारी होने से पहले और एक तिहाई महिलाएं माहवारी के बाद अपनी सेक्सुअल इच्छाओं को लेकर संतुष्ट नहीं पाती। बहुत सी महिलाएं डॉक्टर्स से अपनी सेक्स इच्छा में होने वाली कमियों के बारे में बात करती क्योंकि वे इस स्थिति में खुद को असहज पाती है। साथ ही वे इस बात को नहीं जानती कि सेक्स इच्छा में कमी का इलाज मौजूद है। क्लीवलैंड की केस वेस्टर्न रिसर्व यूनिवर्सिटी स्कूल ऑफ मेडिसिन की शोधकर्ता शेरिल ए किंग्सबर्ग का कहना है कि महिलाओं में माहवारी से पहले और बाद में सेक्स इच्छा में कमी होना बहुत आम बात है। इसके कारण कई नुकसान हो सकते हैं जैसे- रिश्तें में कड़वाहट आना, निजी तौर पर असहज महसूस होना और शरीर की छवि पर नकारात्मक प्रभाव पड़ना और आत्मविश्वास कम होना 256 people reached
महिलाओं में सेक्स इच्छा में कमी, कोई टेंशन नहीं! इलाज है ना
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महिलाओं को सेक्स इच्छा में कमी को लेकर ना तो अपना आत्मविश्वास खोना चाहिए और ना ही अपनी निजी जिंदगी को लेकर शर्म महसूस करनी चाहिए क्योंकि सेक्स इच्छा में कमी का इलाज मौजूद है।
ये हम नहीं कह रहे बल्कि जी न्यूज ऑनलाइन पर प्रकाशित रिसर्च के मुताबिक, एक चौथाई महिलाएं माहवारी होने से पहले और एक तिहाई महिलाएं माहवारी के बाद अपनी सेक्सुअल इच्छाओं को लेकर संतुष्ट नहीं पाती।
बहुत सी महिलाएं डॉक्टर्स से अपनी सेक्स इच्छा में होने वाली कमियों के बारे में बात करती क्योंकि वे इस स्थिति में खुद को असहज पाती है। साथ ही वे इस बात को नहीं जानती कि सेक्स इच्छा में कमी का इलाज मौजूद है।
क्लीवलैंड की केस वेस्टर्न रिसर्व यूनिवर्सिटी स्कूल ऑफ मेडिसिन की शोधकर्ता शेरिल ए किंग्सबर्ग का कहना है कि महिलाओं में माहवारी से पहले और बाद में सेक्स इच्छा में कमी होना बहुत आम बात है।
इसके कारण कई नुकसान हो सकते हैं जैसे- रिश्तें में कड़वाहट आना, निजी तौर पर असहज महसूस होना और शरीर की छवि पर नकारात्मक प्रभाव पड़ना और आत्मविश्वास कम होना
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महिलाओं को सेक्स इच्छा में कमी को लेकर ना तो अपना आत्मविश्वास खोना चाहिए और ना ही अपनी निजी जिंदगी को लेकर शर्म महसूस करनी चाहिए क्योंकि सेक्स इच्छा में कमी का इलाज मौजूद है।
ये हम नहीं कह रहे बल्कि जी न्यूज ऑनलाइन पर प्रकाशित रिसर्च के मुताबिक, एक चौथाई महिलाएं माहवारी होने से पहले और एक तिहाई महिलाएं माहवारी के बाद अपनी सेक्सुअल इच्छाओं को लेकर संतुष्ट नहीं पाती।
बहुत सी महिलाएं डॉक्टर्स से अपनी सेक्स इच्छा में होने वाली कमियों के बारे में बात करती क्योंकि वे इस स्थिति में खुद को असहज पाती है। साथ ही वे इस बात को नहीं जानती कि सेक्स इच्छा में कमी का इलाज मौजूद है।
क्लीवलैंड की केस वेस्टर्न रिसर्व यूनिवर्सिटी स्कूल ऑफ मेडिसिन की शोधकर्ता शेरिल ए किंग्सबर्ग का कहना है कि महिलाओं में माहवारी से पहले और बाद में सेक्स इच्छा में कमी होना बहुत आम बात है।
इसके कारण कई नुकसान हो सकते हैं जैसे- रिश्तें में कड़वाहट आना, निजी तौर पर असहज महसूस होना और शरीर की छवि पर नकारात्मक प्रभाव पड़ना और आत्मविश्वास कम होना
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शीघ्रपतन से निजात पाने के उपाय हेल्दी सेक्स रिलेशनशिप के लिए जरूरी है कि दोनों ही पार्टनर संतुष्ट हों, लेकिन शीघ्र पतन या अर्ली इजेकुलेशन (Early Ejaculation) की समस्या के चलते महिला को यौन संतुष्टि नहीं मिल पाती। वीर्य स्खलित होने के बाद पुरुष को तो आनंद की अनुभूति होती है मगर महिला शीघ्रपतन के चलते 'क्लाइमेक्स' तक नहीं पहुंच पाती, इससे वह तनाव का शिकार हो जाती है। यदि कुछ बातों का ध्यान रखा जाए तो शीघ्रपतन की समस्या से निजात पाई जा सकती है और अपनी सेक्स लाइफ को खुशहाल बनाया जा सकता है। हमारे सेक्स एक्सपर्ट (Dr Bk K Kashyap)बता रहे हैं कि किस तरह इस समस्या को दूर किया जा सकता है अथवा कम किया जा सकता है। * सेक्स के लिए उचित समय और उचित स्थान का चयन करें। ऐसे स्थान का चयन करें जो दोनों सेक्स पार्टनर को आनंद की अनुभूति कराए। * सेक्स संबंध बनाने में कोई जल्दबाजी न करें। साथ ही इस समय मन में किसी तरह का भय, चिंता, घबराहट नहीं होना चाहिए। * संभोग की प्रक्रिया के पहले अपने पार्टनर को उत्तेजित करने में अधिक समय लगाएं। यदि इस दौरान इरेक्शन हो जाए तो भी चिंतित न हों। सेक्स करने में जल्दबाजी बिलकुल न करें। याद रखें एक स्त्री को उत्तेजित होने में पुरुष से ज्यादा समय लगता है। * संभोग की प्रक्रिया शुरू करने के बाद बीच-बीच में रुकें और फिर शुरू करें। रुकने के दौरान अपने पार्टनर का चुंबन करें और उसके नाजुक अंगों को सहलाएं। * यदि आपको डायविटीज की समस्या है तो उसे कंट्रोल करें साथ ही अल्कोहल का कम से कम सेवन करें। याद रहे अल्कोहल का ज्यादा सेवन आपकी सेक्स लाइफ के लिए नुकसानदायक है। * अपने पार्टनर से देर तक बातचीत करें और फोरप्ले पर भी ध्यान दें उसे उत्तेजित करें। * योग की अश्विनी मुद्रा का अभ्यास करें। इससे आप सेक्स का समय बढ़ा सकते हैं। वज्रोली मुद्रा से भी सेक्स समय को बढ़ाया जा सकता है। 223 people reached
शीघ्रपतन से निजात पाने के उपाय
हेल्दी सेक्स रिलेशनशिप के लिए जरूरी है कि दोनों ही पार्टनर संतुष्ट हों, लेकिन शीघ्र पतन या अर्ली इजेकुलेशन (Early Ejaculation) की समस्या के चलते महिला को यौन संतुष्टि नहीं मिल पाती। वीर्य स्खलित होने के बाद पुरुष को तो आनंद की अनुभूति होती है मगर महिला शीघ्रपतन के चलते 'क्लाइमेक्स' तक नहीं पहुंच पाती, इससे वह तनाव का शिकार हो जाती है।
यदि कुछ बातों का ध्यान रखा जाए तो शीघ्रपतन की समस्या से निजात पाई जा सकती है और अपनी सेक्स लाइफ को खुशहाल बनाया जा सकता है। हमारे सेक्स एक्सपर्ट (Dr Bk K Kashyap)बता रहे हैं कि किस तरह इस समस्या को दूर किया जा सकता है अथवा कम किया जा सकता है।
* सेक्स के लिए उचित समय और उचित स्थान का चयन करें। ऐसे स्थान का चयन करें जो दोनों सेक्स पार्टनर को आनंद की अनुभूति कराए।
* सेक्स संबंध बनाने में कोई जल्दबाजी न करें। साथ ही इस समय मन में किसी तरह का भय, चिंता, घबराहट नहीं होना चाहिए।
* संभोग की प्रक्रिया के पहले अपने पार्टनर को उत्तेजित करने में अधिक समय लगाएं। यदि इस दौरान इरेक्शन हो जाए तो भी चिंतित न हों। सेक्स करने में जल्दबाजी बिलकुल न करें। याद रखें एक स्त्री को उत्तेजित होने में पुरुष से ज्यादा समय लगता है।
* संभोग की प्रक्रिया शुरू करने के बाद बीच-बीच में रुकें और फिर शुरू करें। रुकने के दौरान अपने पार्टनर का चुंबन करें और उसके नाजुक अंगों को सहलाएं।
* यदि आपको डायविटीज की समस्या है तो उसे कंट्रोल करें साथ ही अल्कोहल का कम से कम सेवन करें। याद रहे अल्कोहल का ज्यादा सेवन आपकी सेक्स लाइफ के लिए नुकसानदायक है।
* अपने पार्टनर से देर तक बातचीत करें और फोरप्ले पर भी ध्यान दें उसे उत्तेजित करें।
* योग की अश्विनी मुद्रा का अभ्यास करें। इससे आप सेक्स का समय बढ़ा सकते हैं। वज्रोली मुद्रा से भी सेक्स समय को बढ़ाया जा सकता है।
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हेल्दी सेक्स रिलेशनशिप के लिए जरूरी है कि दोनों ही पार्टनर संतुष्ट हों, लेकिन शीघ्र पतन या अर्ली इजेकुलेशन (Early Ejaculation) की समस्या के चलते महिला को यौन संतुष्टि नहीं मिल पाती। वीर्य स्खलित होने के बाद पुरुष को तो आनंद की अनुभूति होती है मगर महिला शीघ्रपतन के चलते 'क्लाइमेक्स' तक नहीं पहुंच पाती, इससे वह तनाव का शिकार हो जाती है।
यदि कुछ बातों का ध्यान रखा जाए तो शीघ्रपतन की समस्या से निजात पाई जा सकती है और अपनी सेक्स लाइफ को खुशहाल बनाया जा सकता है। हमारे सेक्स एक्सपर्ट (Dr Bk K Kashyap)बता रहे हैं कि किस तरह इस समस्या को दूर किया जा सकता है अथवा कम किया जा सकता है।
* सेक्स के लिए उचित समय और उचित स्थान का चयन करें। ऐसे स्थान का चयन करें जो दोनों सेक्स पार्टनर को आनंद की अनुभूति कराए।
* सेक्स संबंध बनाने में कोई जल्दबाजी न करें। साथ ही इस समय मन में किसी तरह का भय, चिंता, घबराहट नहीं होना चाहिए।
* संभोग की प्रक्रिया के पहले अपने पार्टनर को उत्तेजित करने में अधिक समय लगाएं। यदि इस दौरान इरेक्शन हो जाए तो भी चिंतित न हों। सेक्स करने में जल्दबाजी बिलकुल न करें। याद रखें एक स्त्री को उत्तेजित होने में पुरुष से ज्यादा समय लगता है।
* संभोग की प्रक्रिया शुरू करने के बाद बीच-बीच में रुकें और फिर शुरू करें। रुकने के दौरान अपने पार्टनर का चुंबन करें और उसके नाजुक अंगों को सहलाएं।
* यदि आपको डायविटीज की समस्या है तो उसे कंट्रोल करें साथ ही अल्कोहल का कम से कम सेवन करें। याद रहे अल्कोहल का ज्यादा सेवन आपकी सेक्स लाइफ के लिए नुकसानदायक है।
* अपने पार्टनर से देर तक बातचीत करें और फोरप्ले पर भी ध्यान दें उसे उत्तेजित करें।
* योग की अश्विनी मुद्रा का अभ्यास करें। इससे आप सेक्स का समय बढ़ा सकते हैं। वज्रोली मुद्रा से भी सेक्स समय को बढ़ाया जा सकता है।
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Measures to fight Premature Ejaculation Necessary for healthy sexual relationship that both partners are satisfied, but ejaculation or early Ijekuleshn (Early Ejaculation) due to the problem of female sexual satisfaction can not get to. After the male ejaculate but the sensation of pleasure due to female ejaculation 'Climax' not reach, that he is a victim of stress. If some things taken care of the problem of premature ejaculation can be undid, and your sex life can be made happy. Our sex expert (Dr Bk K Kashyap) explains how this problem can be overcome or can be reduced. * Select the proper place and proper time for sex. Select a location that provides both sex partner pleasure. * Do not rush in making sex relationship. At this time the mind with some kind of fear, anxiety, nervousness should not be. * To stimulate your partner before mating Find more time. Do not worry if this happens during an erection. Do not rush into sex at all. Remember to stimulate a woman takes more time than men. * After starting the mating process in-between stop and start again. During the stay of his partner and his delicate organs Shlaan kiss. * If you have problem Dayvitij to control the alcohol intake to a minimum. Remember, too much intake of alcohol is harmful to your sex life. * Spent time talking to your partner and stimulate him to focus on Forple. * Ashwini posture of yoga practice. This can increase the time you have sex. Vjroli currency can also be extended sex tim
Measures to fight Premature Ejaculation
Necessary for healthy sexual relationship that both partners are satisfied, but ejaculation or early Ijekuleshn (Early Ejaculation) due to the problem of female sexual satisfaction can not get to. After the male ejaculate but the sensation of pleasure due to female ejaculation 'Climax' not reach, that he is a victim of stress.
If some things taken care of the problem of premature ejaculation can be undid, and your sex life can be made happy. Our sex expert (Dr Bk K Kashyap) explains how this problem can be overcome or can be reduced.
* Select the proper place and proper time for sex. Select a location that provides both sex partner pleasure.
* Do not rush in making sex relationship. At this time the mind with some kind of fear, anxiety, nervousness should not be.
* To stimulate your partner before mating Find more time. Do not worry if this happens during an erection. Do not rush into sex at all. Remember to stimulate a woman takes more time than men.
* After starting the mating process in-between stop and start again. During the stay of his partner and his delicate organs Shlaan kiss.
* If you have problem Dayvitij to control the alcohol intake to a minimum. Remember, too much intake of alcohol is harmful to your sex life.
* Spent time talking to your partner and stimulate him to focus on Forple.
* Ashwini posture of yoga practice. This can increase the time you have sex. Vjroli currency can also be extended sex tim
Necessary for healthy sexual relationship that both partners are satisfied, but ejaculation or early Ijekuleshn (Early Ejaculation) due to the problem of female sexual satisfaction can not get to. After the male ejaculate but the sensation of pleasure due to female ejaculation 'Climax' not reach, that he is a victim of stress.
If some things taken care of the problem of premature ejaculation can be undid, and your sex life can be made happy. Our sex expert (Dr Bk K Kashyap) explains how this problem can be overcome or can be reduced.
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* Do not rush in making sex relationship. At this time the mind with some kind of fear, anxiety, nervousness should not be.
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http://www.drbkkashyapsexologist.com/
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Dr. BK Kasyap- Top sexologist in Allahabad UP, India
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Our organization goal is dedicated towards the cure of all sexual problems and will not leave any stone unturned to bring back the happiness & prosperity in each family.
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स्त्रियों के लिए रज मुद्रा योग रज मुद्रा केवल स्त्रियों के लिए है ऐसा नहीं, बल्कि अगर पुरुष इस मुद्रा को करते हैं तो उनके वीर्य संबंधी समस्त रोग दूर हो जाते हैं। मुद्रा विधि- रज मुद्रा बनाना बहुत ही आसान है। कनिष्ठा (छोटी अंगुली) अंगुली को हथेली की जड़ में मोड़कर लगाने से रज मुद्रा बन जाती है। इसका लाभ- रज मुद्रा से स्त्रियों के मासिक धर्म संबंधी रोग दूर होते हैं। इसके अलवा सिर में भारीपन रहना, छाती में दर्द, पेट, पीठ, कमर का दर्द आदि रोग भी रज मुद्रा करने से दूर हो जाते हैं। स्त्री के सारे प्रजनन अंगों की परेशानियों को ये मुद्रा बिल्कुल दूर कर देती है।
स्त्रियों के लिए रज मुद्रा योग
रज मुद्रा केवल स्त्रियों के लिए है ऐसा नहीं, बल्कि अगर पुरुष इस मुद्रा को करते हैं तो उनके वीर्य संबंधी समस्त रोग दूर हो जाते हैं।
मुद्रा विधि- रज मुद्रा बनाना बहुत ही आसान है। कनिष्ठा (छोटी अंगुली) अंगुली को हथेली की जड़ में मोड़कर लगाने से रज मुद्रा बन जाती है।
इसका लाभ- रज मुद्रा से स्त्रियों के मासिक धर्म संबंधी रोग दूर होते हैं। इसके अलवा सिर में भारीपन रहना, छाती में दर्द, पेट, पीठ, कमर का दर्द आदि रोग भी रज मुद्रा करने से दूर हो जाते हैं। स्त्री के सारे प्रजनन अंगों की परेशानियों को ये मुद्रा बिल्कुल दूर कर देती है।
रज मुद्रा केवल स्त्रियों के लिए है ऐसा नहीं, बल्कि अगर पुरुष इस मुद्रा को करते हैं तो उनके वीर्य संबंधी समस्त रोग दूर हो जाते हैं।
मुद्रा विधि- रज मुद्रा बनाना बहुत ही आसान है। कनिष्ठा (छोटी अंगुली) अंगुली को हथेली की जड़ में मोड़कर लगाने से रज मुद्रा बन जाती है।
इसका लाभ- रज मुद्रा से स्त्रियों के मासिक धर्म संबंधी रोग दूर होते हैं। इसके अलवा सिर में भारीपन रहना, छाती में दर्द, पेट, पीठ, कमर का दर्द आदि रोग भी रज मुद्रा करने से दूर हो जाते हैं। स्त्री के सारे प्रजनन अंगों की परेशानियों को ये मुद्रा बिल्कुल दूर कर देती है।
पीएमएस : मासिक धर्म की खास समस्या पीएमएस यानि प्री मेंस्ट्रुएशन सिंड्रोम। यह समस्या लाखों महिलाओं को सताती है। हालांकि यह बहुत ही पुरानी समस्या है फिर भी इसे कभी बीमारी नहीं समझा गया। यह एक शारीरिक-मानसिक स्थिति है, जो महिलाओं में मासिक धर्म से आठ-दस दिन पहले हो जाती है और अलग-अलग महिलाओं में इसके लक्षण भिन्न-भिन्न होते हैं। जो महिलाएं डिलीवरी, मिस कैरेज या एबॉर्शन के समय ज्यादा हार्मोनल बदलाव महसूस करती हैं, उन्हें पीएमएस होता है। जो महिलाएं गर्भ निरोधक गोलियां लेती हैं, उन्हें भी गोलियां छोड़ देने पर यह ज्यादा होने लगता है। यह तब तक रहता है, जब तक उनका हार्मोनल स्तर नॉर्मल नहीं हो जाता। आमतौर पर महिलाओं में 20 वर्ष की आयु के बाद ही इसकी शुरुआत होने लगती है। इन दिनों महिलाएं बेहद चिड़चिड़ी हो जाती हैं अक्सर बच्चों को भी पीट देती हैं और इससे उनकी व्यक्तिगत जिंदगी और करियर पर भी प्रभाव पड़ सकता है। पीएमएस का असली कारण अभी तक पता नहीं चल पाया है। ऐसा माना जाता है कि ये हार्मोनल असंतुलन की वजह से होता है, परंतु इस संतुलन का सही कारण कोई नहीं जानता। हर माह पीएमएस के संकेत मेंस्ट्रुअल साइकल के उन्हीं दिनों में होते हैं। शरीर का फूलना, पानी इकट्ठा होना, ब्रेस्ट में सूजन, एक्ने, वजन बढ़ना, सिर दर्द, पीठ दर्द, जोड़ों का दर्द और मसल्स का दर्द, इन्हीं में शामिल है। इनके साथ-साथ मूडी होना, चिंता, डिप्रेशन, चिड़चिड़ापन, मीठा और नमकीन खाने की इच्छा, नींद न आना, जी घबराना आदि भी हो सकते हैं। कई महिलाओं को रोना, परेशान होना, आत्महत्या, हत्या और लड़ाकू व्यवहार जैसे लक्षण भी होने लगते हैं। अगर ये लक्षण बहुत तीव्र हो जाएं तो डॉक्टर को दिखाना चाहिए। क्या आपको सचमुच पीएमएस है- यह जानने के लिए कि आपको पीएमएस है या नहीं, बेहतर होगा अगर आप एक डायरी रखें जिसमें दो-तीन महीनों तक होने वाले लक्षणों को नोट करें। यह डायरी आपको बताएगी कि आपके लक्षण आपके मासिक धर्म से जुड़े हुए हैं या नहीं। आपको पता चल जाएगा कि आप पीएमटी (प्री मेंस्ट्र्रुअल टेंशन) से पीड़ित तो नहीं।
पीएमएस : मासिक धर्म की खास समस्या
पीएमएस यानि प्री मेंस्ट्रुएशन सिंड्रोम। यह समस्या लाखों महिलाओं को सताती है। हालांकि यह बहुत ही पुरानी समस्या है फिर भी इसे कभी बीमारी नहीं समझा गया। यह एक शारीरिक-मानसिक स्थिति है, जो महिलाओं में मासिक धर्म से आठ-दस दिन पहले हो जाती है और अलग-अलग महिलाओं में इसके लक्षण भिन्न-भिन्न होते हैं।
जो महिलाएं डिलीवरी, मिस कैरेज या एबॉर्शन के समय ज्यादा हार्मोनल बदलाव महसूस करती हैं, उन्हें पीएमएस होता है। जो महिलाएं गर्भ निरोधक गोलियां लेती हैं, उन्हें भी गोलियां छोड़ देने पर यह ज्यादा होने लगता है। यह तब तक रहता है, जब तक उनका हार्मोनल स्तर नॉर्मल नहीं हो जाता। आमतौर पर महिलाओं में 20 वर्ष की आयु के बाद ही इसकी शुरुआत होने लगती है।
इन दिनों महिलाएं बेहद चिड़चिड़ी हो जाती हैं अक्सर बच्चों को भी पीट देती हैं और इससे उनकी व्यक्तिगत जिंदगी और करियर पर भी प्रभाव पड़ सकता है। पीएमएस का असली कारण अभी तक पता नहीं चल पाया है। ऐसा माना जाता है कि ये हार्मोनल असंतुलन की वजह से होता है, परंतु इस संतुलन का सही कारण कोई नहीं जानता।
हर माह पीएमएस के संकेत मेंस्ट्रुअल साइकल के उन्हीं दिनों में होते हैं। शरीर का फूलना, पानी इकट्ठा होना, ब्रेस्ट में सूजन, एक्ने, वजन बढ़ना, सिर दर्द, पीठ दर्द, जोड़ों का दर्द और मसल्स का दर्द, इन्हीं में शामिल है। इनके साथ-साथ मूडी होना, चिंता, डिप्रेशन, चिड़चिड़ापन, मीठा और नमकीन खाने की इच्छा, नींद न आना, जी घबराना आदि भी हो सकते हैं।
कई महिलाओं को रोना, परेशान होना, आत्महत्या, हत्या और लड़ाकू व्यवहार जैसे लक्षण भी होने लगते हैं। अगर ये लक्षण बहुत तीव्र हो जाएं तो डॉक्टर को दिखाना चाहिए।
क्या आपको सचमुच पीएमएस है-
यह जानने के लिए कि आपको पीएमएस है या नहीं, बेहतर होगा अगर आप एक डायरी रखें जिसमें दो-तीन महीनों तक होने वाले लक्षणों को नोट करें। यह डायरी आपको बताएगी कि आपके लक्षण आपके मासिक धर्म से जुड़े हुए हैं या नहीं। आपको पता चल जाएगा कि आप पीएमटी (प्री मेंस्ट्र्रुअल टेंशन) से पीड़ित तो नहीं।
पीएमएस यानि प्री मेंस्ट्रुएशन सिंड्रोम। यह समस्या लाखों महिलाओं को सताती है। हालांकि यह बहुत ही पुरानी समस्या है फिर भी इसे कभी बीमारी नहीं समझा गया। यह एक शारीरिक-मानसिक स्थिति है, जो महिलाओं में मासिक धर्म से आठ-दस दिन पहले हो जाती है और अलग-अलग महिलाओं में इसके लक्षण भिन्न-भिन्न होते हैं।
जो महिलाएं डिलीवरी, मिस कैरेज या एबॉर्शन के समय ज्यादा हार्मोनल बदलाव महसूस करती हैं, उन्हें पीएमएस होता है। जो महिलाएं गर्भ निरोधक गोलियां लेती हैं, उन्हें भी गोलियां छोड़ देने पर यह ज्यादा होने लगता है। यह तब तक रहता है, जब तक उनका हार्मोनल स्तर नॉर्मल नहीं हो जाता। आमतौर पर महिलाओं में 20 वर्ष की आयु के बाद ही इसकी शुरुआत होने लगती है।
इन दिनों महिलाएं बेहद चिड़चिड़ी हो जाती हैं अक्सर बच्चों को भी पीट देती हैं और इससे उनकी व्यक्तिगत जिंदगी और करियर पर भी प्रभाव पड़ सकता है। पीएमएस का असली कारण अभी तक पता नहीं चल पाया है। ऐसा माना जाता है कि ये हार्मोनल असंतुलन की वजह से होता है, परंतु इस संतुलन का सही कारण कोई नहीं जानता।
हर माह पीएमएस के संकेत मेंस्ट्रुअल साइकल के उन्हीं दिनों में होते हैं। शरीर का फूलना, पानी इकट्ठा होना, ब्रेस्ट में सूजन, एक्ने, वजन बढ़ना, सिर दर्द, पीठ दर्द, जोड़ों का दर्द और मसल्स का दर्द, इन्हीं में शामिल है। इनके साथ-साथ मूडी होना, चिंता, डिप्रेशन, चिड़चिड़ापन, मीठा और नमकीन खाने की इच्छा, नींद न आना, जी घबराना आदि भी हो सकते हैं।
कई महिलाओं को रोना, परेशान होना, आत्महत्या, हत्या और लड़ाकू व्यवहार जैसे लक्षण भी होने लगते हैं। अगर ये लक्षण बहुत तीव्र हो जाएं तो डॉक्टर को दिखाना चाहिए।
क्या आपको सचमुच पीएमएस है-
यह जानने के लिए कि आपको पीएमएस है या नहीं, बेहतर होगा अगर आप एक डायरी रखें जिसमें दो-तीन महीनों तक होने वाले लक्षणों को नोट करें। यह डायरी आपको बताएगी कि आपके लक्षण आपके मासिक धर्म से जुड़े हुए हैं या नहीं। आपको पता चल जाएगा कि आप पीएमटी (प्री मेंस्ट्र्रुअल टेंशन) से पीड़ित तो नहीं।
शीघ्रपतन से निजात पाने के उपाय हेल्दी सेक्स रिलेशनशिप के लिए जरूरी है कि दोनों ही पार्टनर संतुष्ट हों, लेकिन शीघ्र पतन या अर्ली इजेकुलेशन (Early Ejaculation) की समस्या के चलते महिला को यौन संतुष्टि नहीं मिल पाती। वीर्य स्खलित होने के बाद पुरुष को तो आनंद की अनुभूति होती है मगर महिला शीघ्रपतन के चलते 'क्लाइमेक्स' तक नहीं पहुंच पाती, इससे वह तनाव का शिकार हो जाती है। यदि कुछ बातों का ध्यान रखा जाए तो शीघ्रपतन की समस्या से निजात पाई जा सकती है और अपनी सेक्स लाइफ को खुशहाल बनाया जा सकता है। हमारे सेक्स एक्सपर्ट (Dr Bk K Kashyap)बता रहे हैं कि किस तरह इस समस्या को दूर किया जा सकता है अथवा कम किया जा सकता है। * सेक्स के लिए उचित समय और उचित स्थान का चयन करें। ऐसे स्थान का चयन करें जो दोनों सेक्स पार्टनर को आनंद की अनुभूति कराए। * सेक्स संबंध बनाने में कोई जल्दबाजी न करें। साथ ही इस समय मन में किसी तरह का भय, चिंता, घबराहट नहीं होना चाहिए। * संभोग की प्रक्रिया के पहले अपने पार्टनर को उत्तेजित करने में अधिक समय लगाएं। यदि इस दौरान इरेक्शन हो जाए तो भी चिंतित न हों। सेक्स करने में जल्दबाजी बिलकुल न करें। याद रखें एक स्त्री को उत्तेजित होने में पुरुष से ज्यादा समय लगता है। * संभोग की प्रक्रिया शुरू करने के बाद बीच-बीच में रुकें और फिर शुरू करें। रुकने के दौरान अपने पार्टनर का चुंबन करें और उसके नाजुक अंगों को सहलाएं। * यदि आपको डायविटीज की समस्या है तो उसे कंट्रोल करें साथ ही अल्कोहल का कम से कम सेवन करें। याद रहे अल्कोहल का ज्यादा सेवन आपकी सेक्स लाइफ के लिए नुकसानदायक है। * अपने पार्टनर से देर तक बातचीत करें और फोरप्ले पर भी ध्यान दें उसे उत्तेजित करें। * योग की अश्विनी मुद्रा का अभ्यास करें। इससे आप सेक्स का समय बढ़ा सकते हैं। वज्रोली मुद्रा से भी सेक्स समय को बढ़ाया जा सकता है। 223 people reached
शीघ्रपतन से निजात पाने के उपाय
हेल्दी सेक्स रिलेशनशिप के लिए जरूरी है कि दोनों ही पार्टनर संतुष्ट हों, लेकिन शीघ्र पतन या अर्ली इजेकुलेशन (Early Ejaculation) की समस्या के चलते महिला को यौन संतुष्टि नहीं मिल पाती। वीर्य स्खलित होने के बाद पुरुष को तो आनंद की अनुभूति होती है मगर महिला शीघ्रपतन के चलते 'क्लाइमेक्स' तक नहीं पहुंच पाती, इससे वह तनाव का शिकार हो जाती है।
यदि कुछ बातों का ध्यान रखा जाए तो शीघ्रपतन की समस्या से निजात पाई जा सकती है और अपनी सेक्स लाइफ को खुशहाल बनाया जा सकता है। हमारे सेक्स एक्सपर्ट (Dr Bk K Kashyap)बता रहे हैं कि किस तरह इस समस्या को दूर किया जा सकता है अथवा कम किया जा सकता है।
* सेक्स के लिए उचित समय और उचित स्थान का चयन करें। ऐसे स्थान का चयन करें जो दोनों सेक्स पार्टनर को आनंद की अनुभूति कराए।
* सेक्स संबंध बनाने में कोई जल्दबाजी न करें। साथ ही इस समय मन में किसी तरह का भय, चिंता, घबराहट नहीं होना चाहिए।
* संभोग की प्रक्रिया के पहले अपने पार्टनर को उत्तेजित करने में अधिक समय लगाएं। यदि इस दौरान इरेक्शन हो जाए तो भी चिंतित न हों। सेक्स करने में जल्दबाजी बिलकुल न करें। याद रखें एक स्त्री को उत्तेजित होने में पुरुष से ज्यादा समय लगता है।
* संभोग की प्रक्रिया शुरू करने के बाद बीच-बीच में रुकें और फिर शुरू करें। रुकने के दौरान अपने पार्टनर का चुंबन करें और उसके नाजुक अंगों को सहलाएं।
* यदि आपको डायविटीज की समस्या है तो उसे कंट्रोल करें साथ ही अल्कोहल का कम से कम सेवन करें। याद रहे अल्कोहल का ज्यादा सेवन आपकी सेक्स लाइफ के लिए नुकसानदायक है।
* अपने पार्टनर से देर तक बातचीत करें और फोरप्ले पर भी ध्यान दें उसे उत्तेजित करें।
* योग की अश्विनी मुद्रा का अभ्यास करें। इससे आप सेक्स का समय बढ़ा सकते हैं। वज्रोली मुद्रा से भी सेक्स समय को बढ़ाया जा सकता है।
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हेल्दी सेक्स रिलेशनशिप के लिए जरूरी है कि दोनों ही पार्टनर संतुष्ट हों, लेकिन शीघ्र पतन या अर्ली इजेकुलेशन (Early Ejaculation) की समस्या के चलते महिला को यौन संतुष्टि नहीं मिल पाती। वीर्य स्खलित होने के बाद पुरुष को तो आनंद की अनुभूति होती है मगर महिला शीघ्रपतन के चलते 'क्लाइमेक्स' तक नहीं पहुंच पाती, इससे वह तनाव का शिकार हो जाती है।
यदि कुछ बातों का ध्यान रखा जाए तो शीघ्रपतन की समस्या से निजात पाई जा सकती है और अपनी सेक्स लाइफ को खुशहाल बनाया जा सकता है। हमारे सेक्स एक्सपर्ट (Dr Bk K Kashyap)बता रहे हैं कि किस तरह इस समस्या को दूर किया जा सकता है अथवा कम किया जा सकता है।
* सेक्स के लिए उचित समय और उचित स्थान का चयन करें। ऐसे स्थान का चयन करें जो दोनों सेक्स पार्टनर को आनंद की अनुभूति कराए।
* सेक्स संबंध बनाने में कोई जल्दबाजी न करें। साथ ही इस समय मन में किसी तरह का भय, चिंता, घबराहट नहीं होना चाहिए।
* संभोग की प्रक्रिया के पहले अपने पार्टनर को उत्तेजित करने में अधिक समय लगाएं। यदि इस दौरान इरेक्शन हो जाए तो भी चिंतित न हों। सेक्स करने में जल्दबाजी बिलकुल न करें। याद रखें एक स्त्री को उत्तेजित होने में पुरुष से ज्यादा समय लगता है।
* संभोग की प्रक्रिया शुरू करने के बाद बीच-बीच में रुकें और फिर शुरू करें। रुकने के दौरान अपने पार्टनर का चुंबन करें और उसके नाजुक अंगों को सहलाएं।
* यदि आपको डायविटीज की समस्या है तो उसे कंट्रोल करें साथ ही अल्कोहल का कम से कम सेवन करें। याद रहे अल्कोहल का ज्यादा सेवन आपकी सेक्स लाइफ के लिए नुकसानदायक है।
* अपने पार्टनर से देर तक बातचीत करें और फोरप्ले पर भी ध्यान दें उसे उत्तेजित करें।
* योग की अश्विनी मुद्रा का अभ्यास करें। इससे आप सेक्स का समय बढ़ा सकते हैं। वज्रोली मुद्रा से भी सेक्स समय को बढ़ाया जा सकता है।
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क्या शीघ्रपतन पिता बनने में बाधक है संभोग के दौरान यदि किसी व्यक्ति का वीर्य उसकी अपेक्षा से जल्दी निकल जाता है तो इस स्थिति को शीघ्रपतन कहते हैं, लेकिन उस वीर्य में शुक्राणुओं की वही मात्रा रहती है जो देर से निकलने वाले वीर्य में होती है। अत: शीघ्र पतन की समस्या पिता बनने में बाधक नहीं है। अत: आपको चिंता करने की जरूरत नहीं है। हां, शीघ्र पतन के कारण आपकी पत्नी को आप संतुष्ट नहीं कर पाते होंगे, अत: इस समस्या का किसी योग्य चिकित्सक से इलाज करवाएं।
क्या शीघ्रपतन पिता बनने में बाधक है
संभोग के दौरान यदि किसी व्यक्ति का वीर्य उसकी अपेक्षा से जल्दी निकल जाता है तो इस स्थिति को शीघ्रपतन कहते हैं, लेकिन उस वीर्य में शुक्राणुओं की वही मात्रा रहती है जो देर से निकलने वाले वीर्य में होती है। अत: शीघ्र पतन की समस्या पिता बनने में बाधक नहीं है। अत: आपको चिंता करने की जरूरत नहीं है। हां, शीघ्र पतन के कारण आपकी पत्नी को आप संतुष्ट नहीं कर पाते होंगे, अत: इस समस्या का किसी योग्य चिकित्सक से इलाज करवाएं।
संभोग के दौरान यदि किसी व्यक्ति का वीर्य उसकी अपेक्षा से जल्दी निकल जाता है तो इस स्थिति को शीघ्रपतन कहते हैं, लेकिन उस वीर्य में शुक्राणुओं की वही मात्रा रहती है जो देर से निकलने वाले वीर्य में होती है। अत: शीघ्र पतन की समस्या पिता बनने में बाधक नहीं है। अत: आपको चिंता करने की जरूरत नहीं है। हां, शीघ्र पतन के कारण आपकी पत्नी को आप संतुष्ट नहीं कर पाते होंगे, अत: इस समस्या का किसी योग्य चिकित्सक से इलाज करवाएं।
USES OF BATHUA (Chenopodium album) बथुआ एक हरी सब्जी का नाम है, यह शाक प्रतिदिन खाने से गुर्दों में पथरी नहीं होती। बथुआ आमाशय को बलवान बनाता है, गर्मी से बढ़े हुए यकृत को ठीक करता है। इसकी प्रकृति तर और ठंडी होती है, यह अधिकतर गेहूँ के खेत में गेहूँ के साथ उगता है और जब गेहूँ बोया जाता है, उसी सीजन में मिलता है। रासायनिक सँघटन :- बथुए में लोहा, पारा, सोना और क्षार पाया जाता है। बथुए का साग जितना अधिक से अधिक सेवन किया जाए, निरोग रहने के लिए उपयोगी है। बथुए का सेवन कम से कम मसाले डालकर करें। नमक न मिलाएँ तो अच्छा है, यदि स्वाद के लिए मिलाना पड़े तो सेंधा नमक मिलाएँ और गाय या भैंस के घी से छौंक लगाएँ। बथुए का उबाला हुआ पानी अच्छा लगता है तथा दही में बनाया हुआ रायता स्वादिष्ट होता है। किसी भी तरह बथुआ नित्य सेवन करें। बथुआ शुक्रवर्धक है। बथुए की औषधीय प्रकृति:- कब्ज : बथुआ आमाशय को ताकत देता है, कब्ज दूर करता है, बथुए की सब्जी दस्तावर होती है, कब्ज वालों को बथुए की सब्जी नित्य खाना चाहिए। कुछ सप्ताह नित्य बथुए की सब्जी खाने से सदा रहने वाला कब्ज दूर हो जाता है। शरीर में ताकत आती है और स्फूर्ति बनी रहती है। पेट के रोग : जब तक मौसम में बथुए का साग मिलता रहे, नित्य इसकी सब्जी खाएँ। बथुए का रस, उबाला हुआ पानी पीएँ, इससे पेट के हर प्रकार के रोग यकृत, तिल्ली, अजीर्ण, गैस, कृमि, दर्द, अर्श पथरी ठीक हो जाते हैं। * पथरी हो तो एक गिलास कच्चे बथुए के रस में शकर मिलाकर नित्य पिएँ तो पथरी टूटकर बाहर निकल आएगी। जुएँ, लीखें हों तो बथुए को उबालकर इसके पानी से सिर धोएँ तो जुएँ मर जाएँगी तथा बाल साफ हो जाएँगे। * मासिक धर्म रुका हुआ हो तो दो चम्मच बथुए के बीज एक गिलास पानी में उबालें। आधा रहने पर छानकर पी जाएँ। मासिक धर्म खुलकर साफ आएगा। आँखों में सूजन, लाली हो तो प्रतिदिन बथुए की सब्जी खाएँ। पेशाब के रोग : बथुआ आधा किलो, पानी तीन गिलास, दोनों को उबालें और फिर पानी छान लें। बथुए को निचोड़कर पानी निकालकर यह भी छाने हुए पानी में मिला लें। स्वाद के लिए नीबू, जीरा, जरा सी काली मिर्च और सेंधा नमक लें और पी जाएँ। इस प्रकार तैयार किया हुआ पानी दिन में तीन बार पीएँ। इससे पेशाब में जलन, पेशाब कर चुकने के बाद होने वाला दर्द, टीस उठना ठीक हो जाता है, दस्त साफ आता है। पेट की गैस, अपच दूर हो जाती है। पेट हल्का लगता है। उबले हुए पत्ते भी दही में मिलाकर खाएँ। * मूत्राशय, गुर्दा और पेशाब के रोगों में बथुए का साग लाभदायक है। पेशाब रुक-रुककर आता हो, कतरा-कतरा सा आता हो तो इसका रस पीने से पेशाब खुल कर आता है। * कच्चे बथुए का रस एक कप में स्वादानुसार मिलाकर एक बार नित्य पीते रहने से कृमि मर जाते हैं। बथुए के बीज एक चम्मच पिसे हुए शहद में मिलाकर चाटने से भी कृमि मर जाते हैं तथा रक्तपित्त ठीक हो जाता है। * सफेद दाग, दाद, खुजली, फोड़े, कुष्ट आदि चर्म रोगों में नित्य बथुआ उबालकर, निचोड़कर इसका रस पिएँ तथा सब्जी खाएँ। बथुए के उबले हुए पानी से चर्म को धोएँ। बथुए के कच्चे पत्ते पीसकर निचोड़कर रस निकाल लें। दो कप रस में आधा कप तिल का तेल मिलाकर मंद-मंद आग पर गर्म करें। जब रस जलकर पानी ही रह जाए तो छानकर शीशी में भर लें तथा चर्म रोगों पर नित्य लगाएँ। लंबे समय तक लगाते रहें, लाभ होगा। * फोड़े, फुन्सी, सूजन पर बथुए को कूटकर सौंठ और नमक मिलाकर गीले कपड़े में बांधकर कपड़े पर गीली मिट्टी लगाकर आग में सेकें। सिकने पर गर्म-गर्म बाँधें। फोड़ा बैठ जाएगा या पककर शीघ्र फूट जाएगा। * बालों को बनाए सेहतमंद बालों का ओरिजनल कलर बनाए रखने में बथुआ आंवले से कम गुणकारी नहीं है। सच पूछिए तो इसमें विटामिन और खनिज तत्वों की मात्रा आंवले से ज्यादा होती है। इसमें आयरन, फास्फोरस और विटामिन ए व डी प्रचुर मात्रा में पाए जाते हैं। * दांतों की समस्या में असरदार बथुए की पत्तियों को कच्चा चबाने से मुंह का अल्सर, श्वास की दुर्गध, पायरिया और दांतों से जुड़ी अन्य समस्याओं में बड़ा फायदा होता है। *कब्ज को करे दूर कब्ज से राहत दिलाने में बथुआ बेहद कारगर है। ठिया, लकवा, गैस की समस्या आदि में भी यह अत्यंत लाभप्रद है। *बढ़ाता है पाचन शक्ति भूख में कमी आना, भोजन देर से पचना, खट्टी डकार आना, पेट फूलना जैसी मुश्किलें दूर करने के लिए लगातार कुछ सप्ताह तक बथुआ खाना काफी फायदेमंद रहता है। *बवासीर की समस्या से दिलाए निजात सुबह शाम बथुआ खाने से बवासीर में काफी लाभ मिलता है। तिल्ली [प्लीहा] बढ़ने पर काली मिर्च और सेंधा नमक के साथ उबला हुआ बथुआ लें। धीरे-धीरे तिल्ली घट जाएगी। *नष्ट करता है पेट के कीड़े बच्चों को कुछ दिनों तक लगातार बथुआ खिलाया जाए तो उनके पेट के कीड़े मर जाते हैं
USES OF BATHUA
बथुआ एक हरी सब्जी का नाम है, यह शाक प्रतिदिन खाने से गुर्दों में पथरी नहीं होती। बथुआ आमाशय को बलवान बनाता है, गर्मी से बढ़े हुए यकृत को ठीक करता है। इसकी प्रकृति तर और ठंडी होती है, यह अधिकतर गेहूँ के खेत में गेहूँ के साथ उगता है और जब गेहूँ बोया जाता है, उसी सीजन में मिलता है। रासायनिक सँघटन :- बथुए में लोहा, पारा, सोना और क्षार पाया जाता है। बथुए का साग जितना अधिक से अधिक सेवन किया जाए, निरोग रहने के लिए उपयोगी है। बथुए का सेवन कम से कम मसाले डालकर करें। नमक न मिलाएँ तो अच्छा है, यदि स्वाद के लिए मिलाना पड़े तो सेंधा नमक मिलाएँ और गाय या भैंस के घी से छौंक लगाएँ। बथुए का उबाला हुआ पानी अच्छा लगता है तथा दही में बनाया हुआ रायता स्वादिष्ट होता है। किसी भी तरह बथुआ नित्य सेवन करें। बथुआ शुक्रवर्धक है।
बथुए की औषधीय प्रकृति:-
कब्ज : बथुआ आमाशय को ताकत देता है, कब्ज दूर करता है, बथुए की सब्जी दस्तावर होती है, कब्ज वालों को बथुए की सब्जी नित्य खाना चाहिए। कुछ सप्ताह नित्य बथुए की सब्जी खाने से सदा रहने वाला कब्ज दूर हो जाता है। शरीर में ताकत आती है और स्फूर्ति बनी रहती है। पेट के रोग : जब तक मौसम में बथुए का साग मिलता रहे, नित्य इसकी सब्जी खाएँ। बथुए का रस, उबाला हुआ पानी पीएँ, इससे पेट के हर प्रकार के रोग यकृत, तिल्ली, अजीर्ण, गैस, कृमि, दर्द, अर्श पथरी ठीक हो जाते हैं।
* पथरी हो तो एक गिलास कच्चे बथुए के रस में शकर मिलाकर नित्य पिएँ तो पथरी टूटकर बाहर निकल आएगी। जुएँ, लीखें हों तो बथुए को उबालकर इसके पानी से सिर धोएँ तो जुएँ मर जाएँगी तथा बाल साफ हो जाएँगे।
* मासिक धर्म रुका हुआ हो तो दो चम्मच बथुए के बीज एक गिलास पानी में उबालें। आधा रहने पर छानकर पी जाएँ। मासिक धर्म खुलकर साफ आएगा। आँखों में सूजन, लाली हो तो प्रतिदिन बथुए की सब्जी खाएँ। पेशाब के रोग : बथुआ आधा किलो, पानी तीन गिलास, दोनों को उबालें और फिर पानी छान लें। बथुए को निचोड़कर पानी निकालकर यह भी छाने हुए पानी में मिला लें। स्वाद के लिए नीबू, जीरा, जरा सी काली मिर्च और सेंधा नमक लें और पी जाएँ। इस प्रकार तैयार किया हुआ पानी दिन में तीन बार पीएँ। इससे पेशाब में जलन, पेशाब कर चुकने के बाद होने वाला दर्द, टीस उठना ठीक हो जाता है, दस्त साफ आता है। पेट की गैस, अपच दूर हो जाती है। पेट हल्का लगता है। उबले हुए पत्ते भी दही में मिलाकर खाएँ।
* मूत्राशय, गुर्दा और पेशाब के रोगों में बथुए का साग लाभदायक है। पेशाब रुक-रुककर आता हो, कतरा-कतरा सा आता हो तो इसका रस पीने से पेशाब खुल कर आता है।
* कच्चे बथुए का रस एक कप में स्वादानुसार मिलाकर एक बार नित्य पीते रहने से कृमि मर जाते हैं। बथुए के बीज एक चम्मच पिसे हुए शहद में मिलाकर चाटने से भी कृमि मर जाते हैं तथा रक्तपित्त ठीक हो जाता है।
* सफेद दाग, दाद, खुजली, फोड़े, कुष्ट आदि चर्म रोगों में नित्य बथुआ उबालकर, निचोड़कर इसका रस पिएँ तथा सब्जी खाएँ। बथुए के उबले हुए पानी से चर्म को धोएँ। बथुए के कच्चे पत्ते पीसकर निचोड़कर रस निकाल लें। दो कप रस में आधा कप तिल का तेल मिलाकर मंद-मंद आग पर गर्म करें। जब रस जलकर पानी ही रह जाए तो छानकर शीशी में भर लें तथा चर्म रोगों पर नित्य लगाएँ। लंबे समय तक लगाते रहें, लाभ होगा।
* फोड़े, फुन्सी, सूजन पर बथुए को कूटकर सौंठ और नमक मिलाकर गीले कपड़े में बांधकर कपड़े पर गीली मिट्टी लगाकर आग में सेकें। सिकने पर गर्म-गर्म बाँधें। फोड़ा बैठ जाएगा या पककर शीघ्र फूट जाएगा।
* बालों को बनाए सेहतमंद बालों का ओरिजनल कलर बनाए रखने में बथुआ आंवले से कम गुणकारी नहीं है। सच पूछिए तो इसमें विटामिन और खनिज तत्वों की मात्रा आंवले से ज्यादा होती है। इसमें आयरन, फास्फोरस और विटामिन ए व डी प्रचुर मात्रा में पाए जाते हैं।
* दांतों की समस्या में असरदार बथुए की पत्तियों को कच्चा चबाने से मुंह का अल्सर, श्वास की दुर्गध, पायरिया और दांतों से जुड़ी अन्य समस्याओं में बड़ा फायदा होता है।
*कब्ज को करे दूर कब्ज से राहत दिलाने में बथुआ बेहद कारगर है। ठिया, लकवा, गैस की समस्या आदि में भी यह अत्यंत लाभप्रद है।
*बढ़ाता है पाचन शक्ति भूख में कमी आना, भोजन देर से पचना, खट्टी डकार आना, पेट फूलना जैसी मुश्किलें दूर करने के लिए लगातार कुछ सप्ताह तक बथुआ खाना काफी फायदेमंद रहता है।
*बवासीर की समस्या से दिलाए निजात सुबह शाम बथुआ खाने से बवासीर में काफी लाभ मिलता है। तिल्ली [प्लीहा] बढ़ने पर काली मिर्च और सेंधा नमक के साथ उबला हुआ बथुआ लें। धीरे-धीरे तिल्ली घट जाएगी। *नष्ट करता है पेट के कीड़े बच्चों को कुछ दिनों तक लगातार बथुआ खिलाया जाए तो उनके पेट के कीड़े मर जाते हैं
बथुआ एक हरी सब्जी का नाम है, यह शाक प्रतिदिन खाने से गुर्दों में पथरी नहीं होती। बथुआ आमाशय को बलवान बनाता है, गर्मी से बढ़े हुए यकृत को ठीक करता है। इसकी प्रकृति तर और ठंडी होती है, यह अधिकतर गेहूँ के खेत में गेहूँ के साथ उगता है और जब गेहूँ बोया जाता है, उसी सीजन में मिलता है। रासायनिक सँघटन :- बथुए में लोहा, पारा, सोना और क्षार पाया जाता है। बथुए का साग जितना अधिक से अधिक सेवन किया जाए, निरोग रहने के लिए उपयोगी है। बथुए का सेवन कम से कम मसाले डालकर करें। नमक न मिलाएँ तो अच्छा है, यदि स्वाद के लिए मिलाना पड़े तो सेंधा नमक मिलाएँ और गाय या भैंस के घी से छौंक लगाएँ। बथुए का उबाला हुआ पानी अच्छा लगता है तथा दही में बनाया हुआ रायता स्वादिष्ट होता है। किसी भी तरह बथुआ नित्य सेवन करें। बथुआ शुक्रवर्धक है।
बथुए की औषधीय प्रकृति:-
कब्ज : बथुआ आमाशय को ताकत देता है, कब्ज दूर करता है, बथुए की सब्जी दस्तावर होती है, कब्ज वालों को बथुए की सब्जी नित्य खाना चाहिए। कुछ सप्ताह नित्य बथुए की सब्जी खाने से सदा रहने वाला कब्ज दूर हो जाता है। शरीर में ताकत आती है और स्फूर्ति बनी रहती है। पेट के रोग : जब तक मौसम में बथुए का साग मिलता रहे, नित्य इसकी सब्जी खाएँ। बथुए का रस, उबाला हुआ पानी पीएँ, इससे पेट के हर प्रकार के रोग यकृत, तिल्ली, अजीर्ण, गैस, कृमि, दर्द, अर्श पथरी ठीक हो जाते हैं।
* पथरी हो तो एक गिलास कच्चे बथुए के रस में शकर मिलाकर नित्य पिएँ तो पथरी टूटकर बाहर निकल आएगी। जुएँ, लीखें हों तो बथुए को उबालकर इसके पानी से सिर धोएँ तो जुएँ मर जाएँगी तथा बाल साफ हो जाएँगे।
* मासिक धर्म रुका हुआ हो तो दो चम्मच बथुए के बीज एक गिलास पानी में उबालें। आधा रहने पर छानकर पी जाएँ। मासिक धर्म खुलकर साफ आएगा। आँखों में सूजन, लाली हो तो प्रतिदिन बथुए की सब्जी खाएँ। पेशाब के रोग : बथुआ आधा किलो, पानी तीन गिलास, दोनों को उबालें और फिर पानी छान लें। बथुए को निचोड़कर पानी निकालकर यह भी छाने हुए पानी में मिला लें। स्वाद के लिए नीबू, जीरा, जरा सी काली मिर्च और सेंधा नमक लें और पी जाएँ। इस प्रकार तैयार किया हुआ पानी दिन में तीन बार पीएँ। इससे पेशाब में जलन, पेशाब कर चुकने के बाद होने वाला दर्द, टीस उठना ठीक हो जाता है, दस्त साफ आता है। पेट की गैस, अपच दूर हो जाती है। पेट हल्का लगता है। उबले हुए पत्ते भी दही में मिलाकर खाएँ।
* मूत्राशय, गुर्दा और पेशाब के रोगों में बथुए का साग लाभदायक है। पेशाब रुक-रुककर आता हो, कतरा-कतरा सा आता हो तो इसका रस पीने से पेशाब खुल कर आता है।
* कच्चे बथुए का रस एक कप में स्वादानुसार मिलाकर एक बार नित्य पीते रहने से कृमि मर जाते हैं। बथुए के बीज एक चम्मच पिसे हुए शहद में मिलाकर चाटने से भी कृमि मर जाते हैं तथा रक्तपित्त ठीक हो जाता है।
* सफेद दाग, दाद, खुजली, फोड़े, कुष्ट आदि चर्म रोगों में नित्य बथुआ उबालकर, निचोड़कर इसका रस पिएँ तथा सब्जी खाएँ। बथुए के उबले हुए पानी से चर्म को धोएँ। बथुए के कच्चे पत्ते पीसकर निचोड़कर रस निकाल लें। दो कप रस में आधा कप तिल का तेल मिलाकर मंद-मंद आग पर गर्म करें। जब रस जलकर पानी ही रह जाए तो छानकर शीशी में भर लें तथा चर्म रोगों पर नित्य लगाएँ। लंबे समय तक लगाते रहें, लाभ होगा।
* फोड़े, फुन्सी, सूजन पर बथुए को कूटकर सौंठ और नमक मिलाकर गीले कपड़े में बांधकर कपड़े पर गीली मिट्टी लगाकर आग में सेकें। सिकने पर गर्म-गर्म बाँधें। फोड़ा बैठ जाएगा या पककर शीघ्र फूट जाएगा।
* बालों को बनाए सेहतमंद बालों का ओरिजनल कलर बनाए रखने में बथुआ आंवले से कम गुणकारी नहीं है। सच पूछिए तो इसमें विटामिन और खनिज तत्वों की मात्रा आंवले से ज्यादा होती है। इसमें आयरन, फास्फोरस और विटामिन ए व डी प्रचुर मात्रा में पाए जाते हैं।
* दांतों की समस्या में असरदार बथुए की पत्तियों को कच्चा चबाने से मुंह का अल्सर, श्वास की दुर्गध, पायरिया और दांतों से जुड़ी अन्य समस्याओं में बड़ा फायदा होता है।
*कब्ज को करे दूर कब्ज से राहत दिलाने में बथुआ बेहद कारगर है। ठिया, लकवा, गैस की समस्या आदि में भी यह अत्यंत लाभप्रद है।
*बढ़ाता है पाचन शक्ति भूख में कमी आना, भोजन देर से पचना, खट्टी डकार आना, पेट फूलना जैसी मुश्किलें दूर करने के लिए लगातार कुछ सप्ताह तक बथुआ खाना काफी फायदेमंद रहता है।
*बवासीर की समस्या से दिलाए निजात सुबह शाम बथुआ खाने से बवासीर में काफी लाभ मिलता है। तिल्ली [प्लीहा] बढ़ने पर काली मिर्च और सेंधा नमक के साथ उबला हुआ बथुआ लें। धीरे-धीरे तिल्ली घट जाएगी। *नष्ट करता है पेट के कीड़े बच्चों को कुछ दिनों तक लगातार बथुआ खिलाया जाए तो उनके पेट के कीड़े मर जाते हैं
BENEFITS OF ANKURIT (SPROUTED/GERMINATED) GEHU (WHEAT) अंकुरित गेहूं - दूर होती है ये प्रॉब्लम्स स्वस्थ रहने के लिए अधिकतर लोग भोजन में सलाद भी शामिल करते हैं क्योंकि माना जाता है कि खीरा, ककड़ी, टमाटर, मूली, चुकन्दर, गोभी आदि खाना स्वास्थ्य के लिए बहुत अच्छा है। लेकिन अगर पत्तेदार सब्जी व सलाद के साथ ही भोजन में अंकुरित अनाज को शामिल किया जाए तो यह बहुत फायदेमंद होता है, क्योंकि बीजों के अंकुरित होने के बाद इनमें पाया जाने वाला स्टार्च- ग्लूकोज, फ्रक्टोज एवं माल्टोज में बदल जाता है जिससे न सिर्फ इनके स्वाद में वृद्धि होती है बल्कि इनके पाचक एवं पोषक गुणों में भी वृद्धि हो जाती है। वैसे तो अंकुरित दाल व अनाज खाना लाभदायक होता है ये तो सभी जानते हैं लेकिन आज हम बताते हैं इन्हें खाने के कुछ खास फायदे जिन्हें आप शायद ही जानते होंगे.... - अंकुर उगे हुए गेहूं में विटामिन-ई भरपूर मात्रा में होता है। शरीर की उर्वरक क्षमता बढ़ाने के लिए विटामिन-ई एक आवश्यक पोषक तत्व है। यही नहीं, इस तरह के गेहूं के सेवन से त्वचा और बाल भी चमकदार बने रहते हैं। किडनी, ग्रंथियों, तंत्रिका तंत्र की मजबूत तथा नई रक्त कोशिकाओं के निर्माण में भी इससे मदद मिलती है। अंकुरित गेहूं में मौजूद तत्व शरीर से अतिरिक्त वसा का भी शोषण कर लेते हैं। - अंकुरित गेहूं में उपस्थित फाइबर के कारण इसके नियमित सेवन से पाचन क्रिया भी सुचारु रहती है। अत: जिन लोगों को पाचन संबंधी समस्याएं हो उनके लिए भी अंकुरित गेहूं का सेवन फायदेमंद है। अंकुरित खाने में एंटीआक्सीडेंट, विटामिन ए, बी, सी, ई पाया जाता है। इससे कैल्शियम, फॉस्फोरस, मैग्नीशियम, आयरन और जिंक मिलता है। रेशे से भरपूर अंकुरित अनाज पाचन तंत्र को सुदृढ बनाते हैं। - अंकुरित भोजन शरीर का मेटाबॉलिज्म रेट बढ़ता है। यह शरीर में बनने वाले विषैले तत्वों को बेअसर कर, रक्त को शुध्द करता है। अंकुरित गेहूं के दानों को चबाकर खाने से शरीर की कोशिकाएं शुध्द होती हैं और इससे नई कोशिकाओं के निर्माण में भी मदद मिलती है। - अंकुरित भोज्य पदार्थ में मौजूद विटामिन और प्रोटीन होते हैं तो शरीर को फिट रखते हैं और कैल्शियम हड्डियों को मजबूत बनाता है। - अंकुरित मूंग, चना, मसूर, मूंगफली के दानें आदि शरी
BENEFITS OF ANKURIT (SPROUTED/GERMINATED) GEHU (WHEAT)
अंकुरित गेहूं -
दूर होती है ये प्रॉब्लम्स स्वस्थ रहने के लिए अधिकतर लोग भोजन में सलाद भी शामिल करते हैं क्योंकि माना जाता है कि खीरा, ककड़ी, टमाटर, मूली, चुकन्दर, गोभी आदि खाना स्वास्थ्य के लिए बहुत अच्छा है। लेकिन अगर पत्तेदार सब्जी व सलाद के साथ ही भोजन में अंकुरित अनाज को शामिल किया जाए तो यह बहुत फायदेमंद होता है, क्योंकि बीजों के अंकुरित होने के बाद इनमें पाया जाने वाला स्टार्च- ग्लूकोज, फ्रक्टोज एवं माल्टोज में बदल जाता है जिससे न सिर्फ इनके स्वाद में वृद्धि होती है बल्कि इनके पाचक एवं पोषक गुणों में भी वृद्धि हो जाती है। वैसे तो अंकुरित दाल व अनाज खाना लाभदायक होता है ये तो सभी जानते हैं लेकिन आज हम बताते हैं इन्हें खाने के कुछ खास फायदे जिन्हें आप शायद ही जानते होंगे.... - अंकुर उगे हुए गेहूं में विटामिन-ई भरपूर मात्रा में होता है। शरीर की उर्वरक क्षमता बढ़ाने के लिए विटामिन-ई एक आवश्यक पोषक तत्व है। यही नहीं, इस तरह के गेहूं के सेवन से त्वचा और बाल भी चमकदार बने रहते हैं। किडनी, ग्रंथियों, तंत्रिका तंत्र की मजबूत तथा नई रक्त कोशिकाओं के निर्माण में भी इससे मदद मिलती है। अंकुरित गेहूं में मौजूद तत्व शरीर से अतिरिक्त वसा का भी शोषण कर लेते हैं।
- अंकुरित गेहूं में उपस्थित फाइबर के कारण इसके नियमित सेवन से पाचन क्रिया भी सुचारु रहती है। अत: जिन लोगों को पाचन संबंधी समस्याएं हो उनके लिए भी अंकुरित गेहूं का सेवन फायदेमंद है। अंकुरित खाने में एंटीआक्सीडेंट, विटामिन ए, बी, सी, ई पाया जाता है। इससे कैल्शियम, फॉस्फोरस, मैग्नीशियम, आयरन और जिंक मिलता है। रेशे से भरपूर अंकुरित अनाज पाचन तंत्र को सुदृढ बनाते हैं।
- अंकुरित भोजन शरीर का मेटाबॉलिज्म रेट बढ़ता है। यह शरीर में बनने वाले विषैले तत्वों को बेअसर कर, रक्त को शुध्द करता है। अंकुरित गेहूं के दानों को चबाकर खाने से शरीर की कोशिकाएं शुध्द होती हैं और इससे नई कोशिकाओं के निर्माण में भी मदद मिलती है।
- अंकुरित भोज्य पदार्थ में मौजूद विटामिन और प्रोटीन होते हैं तो शरीर को फिट रखते हैं और कैल्शियम हड्डियों को मजबूत बनाता है। - अंकुरित मूंग, चना, मसूर, मूंगफली के दानें आदि शरी
अंकुरित गेहूं -
दूर होती है ये प्रॉब्लम्स स्वस्थ रहने के लिए अधिकतर लोग भोजन में सलाद भी शामिल करते हैं क्योंकि माना जाता है कि खीरा, ककड़ी, टमाटर, मूली, चुकन्दर, गोभी आदि खाना स्वास्थ्य के लिए बहुत अच्छा है। लेकिन अगर पत्तेदार सब्जी व सलाद के साथ ही भोजन में अंकुरित अनाज को शामिल किया जाए तो यह बहुत फायदेमंद होता है, क्योंकि बीजों के अंकुरित होने के बाद इनमें पाया जाने वाला स्टार्च- ग्लूकोज, फ्रक्टोज एवं माल्टोज में बदल जाता है जिससे न सिर्फ इनके स्वाद में वृद्धि होती है बल्कि इनके पाचक एवं पोषक गुणों में भी वृद्धि हो जाती है। वैसे तो अंकुरित दाल व अनाज खाना लाभदायक होता है ये तो सभी जानते हैं लेकिन आज हम बताते हैं इन्हें खाने के कुछ खास फायदे जिन्हें आप शायद ही जानते होंगे.... - अंकुर उगे हुए गेहूं में विटामिन-ई भरपूर मात्रा में होता है। शरीर की उर्वरक क्षमता बढ़ाने के लिए विटामिन-ई एक आवश्यक पोषक तत्व है। यही नहीं, इस तरह के गेहूं के सेवन से त्वचा और बाल भी चमकदार बने रहते हैं। किडनी, ग्रंथियों, तंत्रिका तंत्र की मजबूत तथा नई रक्त कोशिकाओं के निर्माण में भी इससे मदद मिलती है। अंकुरित गेहूं में मौजूद तत्व शरीर से अतिरिक्त वसा का भी शोषण कर लेते हैं।
- अंकुरित गेहूं में उपस्थित फाइबर के कारण इसके नियमित सेवन से पाचन क्रिया भी सुचारु रहती है। अत: जिन लोगों को पाचन संबंधी समस्याएं हो उनके लिए भी अंकुरित गेहूं का सेवन फायदेमंद है। अंकुरित खाने में एंटीआक्सीडेंट, विटामिन ए, बी, सी, ई पाया जाता है। इससे कैल्शियम, फॉस्फोरस, मैग्नीशियम, आयरन और जिंक मिलता है। रेशे से भरपूर अंकुरित अनाज पाचन तंत्र को सुदृढ बनाते हैं।
- अंकुरित भोजन शरीर का मेटाबॉलिज्म रेट बढ़ता है। यह शरीर में बनने वाले विषैले तत्वों को बेअसर कर, रक्त को शुध्द करता है। अंकुरित गेहूं के दानों को चबाकर खाने से शरीर की कोशिकाएं शुध्द होती हैं और इससे नई कोशिकाओं के निर्माण में भी मदद मिलती है।
- अंकुरित भोज्य पदार्थ में मौजूद विटामिन और प्रोटीन होते हैं तो शरीर को फिट रखते हैं और कैल्शियम हड्डियों को मजबूत बनाता है। - अंकुरित मूंग, चना, मसूर, मूंगफली के दानें आदि शरी
महिलाओं में सेक्स इच्छा में कमी, कोई टेंशन नहीं! इलाज है ना /////////////////////////////////////////////////////////////////////////////////// महिलाओं को सेक्स इच्छा में कमी को लेकर ना तो अपना आत्मविश्वास खोना चाहिए और ना ही अपनी निजी जिंदगी को लेकर शर्म महसूस करनी चाहिए क्योंकि सेक्स इच्छा में कमी का इलाज मौजूद है। ये हम नहीं कह रहे बल्कि जी न्यूज ऑनलाइन पर प्रकाशित रिसर्च के मुताबिक, एक चौथाई महिलाएं माहवारी होने से पहले और एक तिहाई महिलाएं माहवारी के बाद अपनी सेक्सुअल इच्छाओं को लेकर संतुष्ट नहीं पाती। बहुत सी महिलाएं डॉक्टर्स से अपनी सेक्स इच्छा में होने वाली कमियों के बारे में बात करती क्योंकि वे इस स्थिति में खुद को असहज पाती है। साथ ही वे इस बात को नहीं जानती कि सेक्स इच्छा में कमी का इलाज मौजूद है। क्लीवलैंड की केस वेस्टर्न रिसर्व यूनिवर्सिटी स्कूल ऑफ मेडिसिन की शोधकर्ता शेरिल ए किंग्सबर्ग का कहना है कि महिलाओं में माहवारी से पहले और बाद में सेक्स इच्छा में कमी होना बहुत आम बात है। इसके कारण कई नुकसान हो सकते हैं जैसे- रिश्तें में कड़वाहट आना, निजी तौर पर असहज महसूस होना और शरीर की छवि पर नकारात्मक प्रभाव पड़ना और आत्मविश्वास कम होना
महिलाओं में सेक्स इच्छा में कमी, कोई टेंशन नहीं! इलाज है ना
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महिलाओं को सेक्स इच्छा में कमी को लेकर ना तो अपना आत्मविश्वास खोना चाहिए और ना ही अपनी निजी जिंदगी को लेकर शर्म महसूस करनी चाहिए क्योंकि सेक्स इच्छा में कमी का इलाज मौजूद है।
ये हम नहीं कह रहे बल्कि जी न्यूज ऑनलाइन पर प्रकाशित रिसर्च के मुताबिक, एक चौथाई महिलाएं माहवारी होने से पहले और एक तिहाई महिलाएं माहवारी के बाद अपनी सेक्सुअल इच्छाओं को लेकर संतुष्ट नहीं पाती।
बहुत सी महिलाएं डॉक्टर्स से अपनी सेक्स इच्छा में होने वाली कमियों के बारे में बात करती क्योंकि वे इस स्थिति में खुद को असहज पाती है। साथ ही वे इस बात को नहीं जानती कि सेक्स इच्छा में कमी का इलाज मौजूद है।
क्लीवलैंड की केस वेस्टर्न रिसर्व यूनिवर्सिटी स्कूल ऑफ मेडिसिन की शोधकर्ता शेरिल ए किंग्सबर्ग का कहना है कि महिलाओं में माहवारी से पहले और बाद में सेक्स इच्छा में कमी होना बहुत आम बात है।
इसके कारण कई नुकसान हो सकते हैं जैसे- रिश्तें में कड़वाहट आना, निजी तौर पर असहज महसूस होना और शरीर की छवि पर नकारात्मक प्रभाव पड़ना और आत्मविश्वास कम होना
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महिलाओं को सेक्स इच्छा में कमी को लेकर ना तो अपना आत्मविश्वास खोना चाहिए और ना ही अपनी निजी जिंदगी को लेकर शर्म महसूस करनी चाहिए क्योंकि सेक्स इच्छा में कमी का इलाज मौजूद है।
ये हम नहीं कह रहे बल्कि जी न्यूज ऑनलाइन पर प्रकाशित रिसर्च के मुताबिक, एक चौथाई महिलाएं माहवारी होने से पहले और एक तिहाई महिलाएं माहवारी के बाद अपनी सेक्सुअल इच्छाओं को लेकर संतुष्ट नहीं पाती।
बहुत सी महिलाएं डॉक्टर्स से अपनी सेक्स इच्छा में होने वाली कमियों के बारे में बात करती क्योंकि वे इस स्थिति में खुद को असहज पाती है। साथ ही वे इस बात को नहीं जानती कि सेक्स इच्छा में कमी का इलाज मौजूद है।
क्लीवलैंड की केस वेस्टर्न रिसर्व यूनिवर्सिटी स्कूल ऑफ मेडिसिन की शोधकर्ता शेरिल ए किंग्सबर्ग का कहना है कि महिलाओं में माहवारी से पहले और बाद में सेक्स इच्छा में कमी होना बहुत आम बात है।
इसके कारण कई नुकसान हो सकते हैं जैसे- रिश्तें में कड़वाहट आना, निजी तौर पर असहज महसूस होना और शरीर की छवि पर नकारात्मक प्रभाव पड़ना और आत्मविश्वास कम होना
BENEFITS OF GENHU KE JAWARE (WHEAT GRASS OR Triticum aestivum) गेहूं के जवारे : पृथ्वी की संजीवनी बूटी प्रकृति ने हमें अनेक अनमोल नियामतें दी हैं। गेहूं के जवारे उनमें से ही प्रकृति की एक अनमोल देन है। अनेक आहार शास्त्रियों ने इसे संजीवनी बूटी भी कहा है, क्योंकि ऐसा कोई रोग नहीं, जिसमें इसका सेवन लाभ नहीं देता हो। यदि किसी रोग से रोगी निराश है तो वह इसका सेवन कर श्रेष्ठ स्वास्थ्य पा सकता है। गेहूं के जवारों में अनेक अनमोल पोषक तत्व व रोग निवारक गुण पाए जाते हैं, जिससे इसे आहार नहीं वरन् अमृत का दर्जा भी दिया जा सकता है। जवारों में सबसे प्रमुख तत्व क्लोरोफिल पाया जाता है। प्रसिद्ध आहार शास्त्री डॉ. बशर के अनुसार क्लोरोफिल (गेहूंके जवारों में पाया जाने वाला प्रमुख तत्व) को केंद्रित सूर्य शक्ति कहा है। गेहूं के जवारे रक्त व रक्त संचार संबंधी रोगों, रक्त की कमी, उच्च रक्तचाप, सर्दी, अस्थमा, ब्रोंकाइटिस, स्थायी सर्दी, साइनस, पाचन संबंधी रोग, पेट में छाले, कैंसर, आंतों की सूजन, दांत संबंधी समस्याओं, दांत का हिलना, मसूड़ों से खून आना, चर्म रोग, एक्जिमा, किडनी संबंधी रोग, सेक्स संबंधी रोग, शीघ्रपतन, कान के रोग, थायराइड ग्रंथि के रोग व अनेक ऐसे रोग जिनसे रोगी निराश हो गया, उनके लिए गेहूं के जवारे अनमोल औषधि हैं। इसलिए कोई भी रोग हो तो वर्तमान में चल रही चिकित्सा पद्धति के साथ-साथ इसका प्रयोग कर आशातीत लाभ प्राप्त किया जा सकता है। हिमोग्लोबिन रक्त में पाया जाने वाला एक प्रमुख घटक है। हिमोग्लोबिन में हेमिन नामक तत्व पाया जाता है। रासायनिक रूप से हिमोग्लोबिन व हेमिन में काफी समानता है। हिमोग्लोबिन व हेमिन में कार्बन, ऑक्सीजन, हाइड्रोजन व नाइट्रोजन के अणुओं की संख्या व उनकी आपस में संरचना भी करीब-करीब एक जैसी होती है। हिमोग्लोबिन व हेमिन की संरचना में केवल एक ही अंतर होता है कि क्लोरोफिल के परमाणु केंद्र में मैग्नेशियम, जबकि हेमिन के परमाणु केंद्र में लोहा स्थित होता है। इस प्रकार हम देखते हैं कि हिमोग्लोबिन व क्लोरोफिल में काफी समानता है और इसीलिए गेहूं के जवारों को हरा रक्त कहना भी कोई अतिशयोक्ति नहीं है। गेहूं के जवारों में रोग निरोधक व रोग निवारक शक्ति पाई जाती है। कई आहार शास्त्री इसे रक्त बनाने वाला प्राकृतिक परमाणु कहते हैं। गेहूं के जवारों की प्रकृति क्षारीय होती है, इसीलिए ये पाचन संस्थान व रक्त द्वारा आसानी से अधिशोषित हो जाते हैं। यदि कोई रोगी व्यक्ति वर्तमान में चल रही चिकित्सा के साथ-साथ गेहूं के जवारों का प्रयोग करता है तो उसे रोग से मुक्ति में मदद मिलती है और वह बरसों पुराने रोग से मुक्ति पा जाता है। यहां एक रोग से ही मुक्ति नहीं मिलती है वरन अनेक रोगों से भी मुक्ति मिलती है, साथ ही यदि कोई स्वस्थ व्यक्ति इसका सेवन करता है तो उसकी जीवनशक्ति में अपार वृद्धि होती है। इस प्रकार हम कह सकते हैं कि गेहूं के जवारे से रोगी तो स्वस्थ होता ही है किंतु सामान्य स्वास्थ्य वाला व्यक्ति भी अपार शक्ति पाता है। इसका नियमित सेवन करने से शरीर में थकान तो आती ही नहीं है। यदि किसी असाध्य रोग से पीड़ित व्यक्ति को गेहूं के जवारों का प्रयोग कराना है तो उसकी वर्तमान में चल रही चिकित्सा को बिना बंद किए भी गेहूं के जवारों का सेवन कराया जा सकता है। इस प्रकार हम देखते हैं कि कोई चिकित्सा पद्धति गेहूं के जवारों के प्रयोग में आड़े नहीं आती है, क्योंकि गेहूं के जवारे औषधि ही नहीं वरन श्रेष्ठ आहार भी है। गेहूँ के ज्वारे उगाने की विधि:: मिट्टी के नये खप्पर, कुंडे या सकोरे लें। उनमें खाद मिली मिट्टी लें। रासायनिक खाद का उपयोग बिलकुल न करें। पहले दिन कुंडे की सारी मिट्टी ढँक जाये इतने गेहूँ बोयें। पानी डालकर कुंडों को छाया में रखें। सूर्य की धूप कुंडों को अधिक या सीधी न लग पाये इसका ध्यान रखें। इसी प्रकार दूसरे दिन दूसरा कुंडा या मिट्टी का खप्पर बोयें और प्रतिदिन एक बढ़ाते हुए नौवें दिन नौवां कुंडा बोयें। सभी कुंडों को प्रतिदिन पानी दें। नौवें दिन पहले कुंडे में उगे गेहूँ काटकर उपयोग में लें। खाली हो चुके कुंडे में फिर से गेहूँ उगा दें। इसी प्रकार दूसरे दिन दूसरा, तीसरे दिन तीसरा करते चक्र चलाते जायें। इस प्रक्रिया में भूलकर भी प्लास्टिक के बर्तनों का उपयोग कदापि न करें। प्रत्येक कुटुम्ब अपने लिए सदैव के उपयोगार्थ 10, 20, 30 अथवा इससे भी अधिक कुंडे रख सकता है। प्रतिदिन व्यक्ति के उपयोग अनुसार एक, दो या अधिक कुंडे में गेहूँ बोते रहें। मध्याह्न के सूर्य की सख्त धूप न लगे परन्तु प्रातः अथवा सायंकाल का मंद ताप लगे ऐसे स्थान में कुंडों को रखें। सामान्यतया आठ-दस दिन नें गेहूँ के ज्वारे पाँच से सात इंच तक ऊँचे हो जायेंगे। ऐसे ज्वारों में अधिक से अधिक गुण होते हैं। ज्यो-ज्यों ज्वारे सात इंच से अधिक बड़े होते जायेंगे त्यों-त्यों उनके गुण कम होते जायेंगे। अतः उनका पूरा-पूरा लाभ लेने के लिए सात इंच तक बड़े होते ही उनका उपयोग कर लेना चाहिए। ज्वारों की मिट्टी के धरातल से कैंची द्वारा काट लें अथवा उन्हें समूल खींचकर उपयोग में ले सकते हैं। खाली हो चुके कुंडे में फिर से गेहूँ बो दीजिये। इस प्रकार प्रत्येक दिन गेहूँ बोना चालू रखें। बनाने की विधि:: जब समय अनुकूल हो तभी ज्वारे काटें। काटते ही तुरन्त धो डालें। धोते ही उन्हें कूटें। कूटते ही उन्हें कपड़े से छान लें। इसी प्रकार उसी ज्वारे को तीन बार कूट-कूट कर रस निकालने से अधिकाधिक रस प्राप्त होगा। चटनी बनाने अथवा रस निकालने की मशीनों आदि से भी रस निकाला जा सकता है। रस को निकालने के बाद विलम्ब किये बिना तुरन्त ही उसे धीरे-धीरें पियें। किसी सशक्त अनिवार्य कारण के अतिररिक्त एक क्षण भी उसको पड़ा न रहने दें, कारण कि उसका गुण प्रतिक्षण घटने लगता है और तीन घंटे में तो उसमें से पोषक तत्व ही नष्ट हो जाता है। प्रातःकाल खाली पेट यह रस पीने से अधिक लाभ होता है। दिन में किसी भी समय ज्वारों का रस पिया जा सकता है। परन्तु रस लेने के आधा घंटा पहले और लेने के आधे घंटे बाद तक कुछ भी खाना-पीना न चाहिए। आरंभ में कइयों को यह रस पीने के बाद उबकाई आती है, उलटी हो जाती है अथवा सर्दी हो जाती है। परंतु इससे घबराना न चाहिए। शरीर में कितने ही विष एकत्रित हो चुके हैं यह प्रतिक्रिया इसकी निशानी है। सर्दी, दस्त अथवा उलटी होने से शरीर में एकत्रित हुए वे विष निकल जायेंगे। ज्वारों का रस निकालते समय मधु, अदरक, नागरबेल के पान (खाने के पान) भी डाले जा सकते हैं। इससे स्वाद और गुण का वर्धन होगा और उबकाई नहीं आयेगी। विशेषतया यह बात ध्यान में रख लें कि ज्वारों के रस में नमक अथवा नींबू का रस तो कदापि न डालें। रस निकालने की सुविधा न हो तो ज्वारे चबाकर भी खाये जा सकते हैं। इससे दाँत मसूढ़े मजबूत होंगे। मुख से यदि दुर्गन्ध आती हो तो दिन में तीन बार थोड़े-थोड़े ज्वारे चबाने से दूर हो जाती है। दिन में दो या तीन बार ज्वारों का रस लीजिये। रामबाण इलाज अमेरिका में जीवन और मरण के बीच जूझते रोगियों को प्रतिदिन चार बड़े गिलास भरकर ज्वारों का रस दिया जाता है। जीवन की आशा ही जिन रोगियों ने छोड़ दी उन रोगियों को भी तीन दिन या उससे भी कम समय में चमत्कारिक लाभ होता देखा गया है। ज्वारे के रस से रोगी को जब इतना लाभ होता है, तब नीरोग व्यक्ति ले तो कितना अधिक लाभ होगा? सस्ता और सर्वोत्तमः ज्वारों का रस दूध, दही और मांस से अनेक गुना अधिक गुणकारी है। दूध और मांस में भी जो नहीं है उससे अधिक इस ज्वारे के रस में है। इसके बावजूद दूध, दही और मांस से बहुत सस्ता है। घर में उगाने पर सदैव सुलभ है। गरीब से गरीब व्यक्ति भी इस रस का उपयोग करके अपना खोया स्वास्थ्य फिर से प्राप्त कर सकता है। गरीबों के लिए यह ईश्वरीय आशीर्वाद है। नवजात शिशु से लेकर घर के छोटे-बड़े, अबालवृद्ध सभी ज्वारे के रस का सेवन कर सकते हैं। नवजात शिशु को प्रतिदिन पाँच बूँद दी जा सकती है। ज्वारे के रस में लगभग समस्त क्षार और विटामिन उपलब्ध हैं। इसी कारण से शरीर मे जो कुछ भी अभाव हो उसकी पूर्ति ज्वारे के रस द्वारा आश्चर्यजनक रूप से हो जाती है। इसके द्वारा प्रत्येक ऋतु में नियमित रूप से प्राणवायु, खनिज, विटामिन, क्षार और शरीरविज्ञान में बताये गये कोषों को जीवित रखने से लिए आवश्यक सभी तत्त्व प्राप्त किये जा सकते हैं। डॉक्टर की सहायता के बिना गेहूँ के ज्वारों का प्रयोग आरंभ करो और खोखले हो चुके शरीर को मात्र तीन सप्ताह में ही ताजा, स्फूर्तिशील एवं तरावटदार बना दो। ज्वारों के रस के सेवन के प्रयोग किये गये हैं। कैंसर जैसे असाध्य रोग मिटे हैं। शरीर ताम्रवर्णी और पुष्ट होते पाये गये हैं। आरोग्यता के लिए भाँति-भाँति की दवाइयों में पानी की तरह पैसे बहाना करें। इस सस्ते, सुलभ तथापि अति मूल्यवान प्राकृतिक अमृत का सेवन करें और अपने तथा कुटुंब के स्वास्थ्य को बनाये रखकर सुखी रहें। सावधानी :: गेहूँ के जवारों का रस निकालने के पश्चात अधिक समय तक नहीं रखना चाहिए अन्यथा उसके पोषक तत्व समय बीतने के साथ-साथ नष्ट हो जाते हैं, क्योंकि गेहूँ के जवारों में पोषक तत्व सुरक्षित रहने का समय मात्र ३ घंटे है। गेहूँ के जवारों को जितना ताजा प्रयोग किया जाता है , उतना ही अधिक उसका स्वास्थ्य लाभ प्राप्त होता है। इसका सेवन प्रारंभ करते समय कुछ लोगों को दस्त, उल्टी, जी घबराना व अन्य लक्षण प्रकट हो सकते हैं, किंतु उन लक्षणों से घबराने की आवश्यकता नहीं है, आवश्यकता है केवल इसकी मात्रा को कम या कुछ समय के लिए इसका सेवन बंद कर सकते हैं।
BENEFITS OF GENHU KE JAWARE (WHEAT GRASS OR Triticum aestivum)
गेहूं के जवारे : पृथ्वी की संजीवनी बूटी प्रकृति ने हमें अनेक अनमोल नियामतें दी हैं। गेहूं के जवारे उनमें से ही प्रकृति की एक अनमोल देन है। अनेक आहार शास्त्रियों ने इसे संजीवनी बूटी भी कहा है, क्योंकि ऐसा कोई रोग नहीं, जिसमें इसका सेवन लाभ नहीं देता हो। यदि किसी रोग से रोगी निराश है तो वह इसका सेवन कर श्रेष्ठ स्वास्थ्य पा सकता है। गेहूं के जवारों में अनेक अनमोल पोषक तत्व व रोग निवारक गुण पाए जाते हैं, जिससे इसे आहार नहीं वरन् अमृत का दर्जा भी दिया जा सकता है। जवारों में सबसे प्रमुख तत्व क्लोरोफिल पाया जाता है। प्रसिद्ध आहार शास्त्री डॉ. बशर के अनुसार क्लोरोफिल (गेहूंके जवारों में पाया जाने वाला प्रमुख तत्व) को केंद्रित सूर्य शक्ति कहा है। गेहूं के जवारे रक्त व रक्त संचार संबंधी रोगों, रक्त की कमी, उच्च रक्तचाप, सर्दी, अस्थमा, ब्रोंकाइटिस, स्थायी सर्दी, साइनस, पाचन संबंधी रोग, पेट में छाले, कैंसर, आंतों की सूजन, दांत संबंधी समस्याओं, दांत का हिलना, मसूड़ों से खून आना, चर्म रोग, एक्जिमा, किडनी संबंधी रोग, सेक्स संबंधी रोग, शीघ्रपतन, कान के रोग, थायराइड ग्रंथि के रोग व अनेक ऐसे रोग जिनसे रोगी निराश हो गया, उनके लिए गेहूं के जवारे अनमोल औषधि हैं। इसलिए कोई भी रोग हो तो वर्तमान में चल रही चिकित्सा पद्धति के साथ-साथ इसका प्रयोग कर आशातीत लाभ प्राप्त किया जा सकता है। हिमोग्लोबिन रक्त में पाया जाने वाला एक प्रमुख घटक है। हिमोग्लोबिन में हेमिन नामक तत्व पाया जाता है। रासायनिक रूप से हिमोग्लोबिन व हेमिन में काफी समानता है। हिमोग्लोबिन व हेमिन में कार्बन, ऑक्सीजन, हाइड्रोजन व नाइट्रोजन के अणुओं की संख्या व उनकी आपस में संरचना भी करीब-करीब एक जैसी होती है। हिमोग्लोबिन व हेमिन की संरचना में केवल एक ही अंतर होता है कि क्लोरोफिल के परमाणु केंद्र में मैग्नेशियम, जबकि हेमिन के परमाणु केंद्र में लोहा स्थित होता है। इस प्रकार हम देखते हैं कि हिमोग्लोबिन व क्लोरोफिल में काफी समानता है और इसीलिए गेहूं के जवारों को हरा रक्त कहना भी कोई अतिशयोक्ति नहीं है। गेहूं के जवारों में रोग निरोधक व रोग निवारक शक्ति पाई जाती है। कई आहार शास्त्री इसे रक्त बनाने वाला प्राकृतिक परमाणु कहते हैं। गेहूं के जवारों की प्रकृति क्षारीय होती है, इसीलिए ये पाचन संस्थान व रक्त द्वारा आसानी से अधिशोषित हो जाते हैं। यदि कोई रोगी व्यक्ति वर्तमान में चल रही चिकित्सा के साथ-साथ गेहूं के जवारों का प्रयोग करता है तो उसे रोग से मुक्ति में मदद मिलती है और वह बरसों पुराने रोग से मुक्ति पा जाता है। यहां एक रोग से ही मुक्ति नहीं मिलती है वरन अनेक रोगों से भी मुक्ति मिलती है, साथ ही यदि कोई स्वस्थ व्यक्ति इसका सेवन करता है तो उसकी जीवनशक्ति में अपार वृद्धि होती है। इस प्रकार हम कह सकते हैं कि गेहूं के जवारे से रोगी तो स्वस्थ होता ही है किंतु सामान्य स्वास्थ्य वाला व्यक्ति भी अपार शक्ति पाता है। इसका नियमित सेवन करने से शरीर में थकान तो आती ही नहीं है। यदि किसी असाध्य रोग से पीड़ित व्यक्ति को गेहूं के जवारों का प्रयोग कराना है तो उसकी वर्तमान में चल रही चिकित्सा को बिना बंद किए भी गेहूं के जवारों का सेवन कराया जा सकता है। इस प्रकार हम देखते हैं कि कोई चिकित्सा पद्धति गेहूं के जवारों के प्रयोग में आड़े नहीं आती है, क्योंकि गेहूं के जवारे औषधि ही नहीं वरन श्रेष्ठ आहार भी है।
गेहूँ के ज्वारे उगाने की विधि:: मिट्टी के नये खप्पर, कुंडे या सकोरे लें। उनमें खाद मिली मिट्टी लें। रासायनिक खाद का उपयोग बिलकुल न करें। पहले दिन कुंडे की सारी मिट्टी ढँक जाये इतने गेहूँ बोयें। पानी डालकर कुंडों को छाया में रखें। सूर्य की धूप कुंडों को अधिक या सीधी न लग पाये इसका ध्यान रखें। इसी प्रकार दूसरे दिन दूसरा कुंडा या मिट्टी का खप्पर बोयें और प्रतिदिन एक बढ़ाते हुए नौवें दिन नौवां कुंडा बोयें। सभी कुंडों को प्रतिदिन पानी दें। नौवें दिन पहले कुंडे में उगे गेहूँ काटकर उपयोग में लें। खाली हो चुके कुंडे में फिर से गेहूँ उगा दें। इसी प्रकार दूसरे दिन दूसरा, तीसरे दिन तीसरा करते चक्र चलाते जायें। इस प्रक्रिया में भूलकर भी प्लास्टिक के बर्तनों का उपयोग कदापि न करें। प्रत्येक कुटुम्ब अपने लिए सदैव के उपयोगार्थ 10, 20, 30 अथवा इससे भी अधिक कुंडे रख सकता है। प्रतिदिन व्यक्ति के उपयोग अनुसार एक, दो या अधिक कुंडे में गेहूँ बोते रहें। मध्याह्न के सूर्य की सख्त धूप न लगे परन्तु प्रातः अथवा सायंकाल का मंद ताप लगे ऐसे स्थान में कुंडों को रखें। सामान्यतया आठ-दस दिन नें गेहूँ के ज्वारे पाँच से सात इंच तक ऊँचे हो जायेंगे। ऐसे ज्वारों में अधिक से अधिक गुण होते हैं। ज्यो-ज्यों ज्वारे सात इंच से अधिक बड़े होते जायेंगे त्यों-त्यों उनके गुण कम होते जायेंगे। अतः उनका पूरा-पूरा लाभ लेने के लिए सात इंच तक बड़े होते ही उनका उपयोग कर लेना चाहिए। ज्वारों की मिट्टी के धरातल से कैंची द्वारा काट लें अथवा उन्हें समूल खींचकर उपयोग में ले सकते हैं। खाली हो चुके कुंडे में फिर से गेहूँ बो दीजिये। इस प्रकार प्रत्येक दिन गेहूँ बोना चालू रखें।
बनाने की विधि:: जब समय अनुकूल हो तभी ज्वारे काटें। काटते ही तुरन्त धो डालें। धोते ही उन्हें कूटें। कूटते ही उन्हें कपड़े से छान लें। इसी प्रकार उसी ज्वारे को तीन बार कूट-कूट कर रस निकालने से अधिकाधिक रस प्राप्त होगा। चटनी बनाने अथवा रस निकालने की मशीनों आदि से भी रस निकाला जा सकता है। रस को निकालने के बाद विलम्ब किये बिना तुरन्त ही उसे धीरे-धीरें पियें। किसी सशक्त अनिवार्य कारण के अतिररिक्त एक क्षण भी उसको पड़ा न रहने दें, कारण कि उसका गुण प्रतिक्षण घटने लगता है और तीन घंटे में तो उसमें से पोषक तत्व ही नष्ट हो जाता है। प्रातःकाल खाली पेट यह रस पीने से अधिक लाभ होता है। दिन में किसी भी समय ज्वारों का रस पिया जा सकता है। परन्तु रस लेने के आधा घंटा पहले और लेने के आधे घंटे बाद तक कुछ भी खाना-पीना न चाहिए। आरंभ में कइयों को यह रस पीने के बाद उबकाई आती है, उलटी हो जाती है अथवा सर्दी हो जाती है। परंतु इससे घबराना न चाहिए। शरीर में कितने ही विष एकत्रित हो चुके हैं यह प्रतिक्रिया इसकी निशानी है। सर्दी, दस्त अथवा उलटी होने से शरीर में एकत्रित हुए वे विष निकल जायेंगे। ज्वारों का रस निकालते समय मधु, अदरक, नागरबेल के पान (खाने के पान) भी डाले जा सकते हैं। इससे स्वाद और गुण का वर्धन होगा और उबकाई नहीं आयेगी। विशेषतया यह बात ध्यान में रख लें कि ज्वारों के रस में नमक अथवा नींबू का रस तो कदापि न डालें। रस निकालने की सुविधा न हो तो ज्वारे चबाकर भी खाये जा सकते हैं। इससे दाँत मसूढ़े मजबूत होंगे। मुख से यदि दुर्गन्ध आती हो तो दिन में तीन बार थोड़े-थोड़े ज्वारे चबाने से दूर हो जाती है। दिन में दो या तीन बार ज्वारों का रस लीजिये। रामबाण इलाज अमेरिका में जीवन और मरण के बीच जूझते रोगियों को प्रतिदिन चार बड़े गिलास भरकर ज्वारों का रस दिया जाता है। जीवन की आशा ही जिन रोगियों ने छोड़ दी उन रोगियों को भी तीन दिन या उससे भी कम समय में चमत्कारिक लाभ होता देखा गया है। ज्वारे के रस से रोगी को जब इतना लाभ होता है, तब नीरोग व्यक्ति ले तो कितना अधिक लाभ होगा? सस्ता और सर्वोत्तमः ज्वारों का रस दूध, दही और मांस से अनेक गुना अधिक गुणकारी है। दूध और मांस में भी जो नहीं है उससे अधिक इस ज्वारे के रस में है। इसके बावजूद दूध, दही और मांस से बहुत सस्ता है। घर में उगाने पर सदैव सुलभ है। गरीब से गरीब व्यक्ति भी इस रस का उपयोग करके अपना खोया स्वास्थ्य फिर से प्राप्त कर सकता है। गरीबों के लिए यह ईश्वरीय आशीर्वाद है। नवजात शिशु से लेकर घर के छोटे-बड़े, अबालवृद्ध सभी ज्वारे के रस का सेवन कर सकते हैं। नवजात शिशु को प्रतिदिन पाँच बूँद दी जा सकती है। ज्वारे के रस में लगभग समस्त क्षार और विटामिन उपलब्ध हैं। इसी कारण से शरीर मे जो कुछ भी अभाव हो उसकी पूर्ति ज्वारे के रस द्वारा आश्चर्यजनक रूप से हो जाती है। इसके द्वारा प्रत्येक ऋतु में नियमित रूप से प्राणवायु, खनिज, विटामिन, क्षार और शरीरविज्ञान में बताये गये कोषों को जीवित रखने से लिए आवश्यक सभी तत्त्व प्राप्त किये जा सकते हैं। डॉक्टर की सहायता के बिना गेहूँ के ज्वारों का प्रयोग आरंभ करो और खोखले हो चुके शरीर को मात्र तीन सप्ताह में ही ताजा, स्फूर्तिशील एवं तरावटदार बना दो। ज्वारों के रस के सेवन के प्रयोग किये गये हैं। कैंसर जैसे असाध्य रोग मिटे हैं। शरीर ताम्रवर्णी और पुष्ट होते पाये गये हैं। आरोग्यता के लिए भाँति-भाँति की दवाइयों में पानी की तरह पैसे बहाना करें। इस सस्ते, सुलभ तथापि अति मूल्यवान प्राकृतिक अमृत का सेवन करें और अपने तथा कुटुंब के स्वास्थ्य को बनाये रखकर सुखी रहें।
सावधानी :: गेहूँ के जवारों का रस निकालने के पश्चात अधिक समय तक नहीं रखना चाहिए अन्यथा उसके पोषक तत्व समय बीतने के साथ-साथ नष्ट हो जाते हैं, क्योंकि गेहूँ के जवारों में पोषक तत्व सुरक्षित रहने का समय मात्र ३ घंटे है। गेहूँ के जवारों को जितना ताजा प्रयोग किया जाता है , उतना ही अधिक उसका स्वास्थ्य लाभ प्राप्त होता है। इसका सेवन प्रारंभ करते समय कुछ लोगों को दस्त, उल्टी, जी घबराना व अन्य लक्षण प्रकट हो सकते हैं, किंतु उन लक्षणों से घबराने की आवश्यकता नहीं है, आवश्यकता है केवल इसकी मात्रा को कम या कुछ समय के लिए इसका सेवन बंद कर सकते हैं।
गेहूं के जवारे : पृथ्वी की संजीवनी बूटी प्रकृति ने हमें अनेक अनमोल नियामतें दी हैं। गेहूं के जवारे उनमें से ही प्रकृति की एक अनमोल देन है। अनेक आहार शास्त्रियों ने इसे संजीवनी बूटी भी कहा है, क्योंकि ऐसा कोई रोग नहीं, जिसमें इसका सेवन लाभ नहीं देता हो। यदि किसी रोग से रोगी निराश है तो वह इसका सेवन कर श्रेष्ठ स्वास्थ्य पा सकता है। गेहूं के जवारों में अनेक अनमोल पोषक तत्व व रोग निवारक गुण पाए जाते हैं, जिससे इसे आहार नहीं वरन् अमृत का दर्जा भी दिया जा सकता है। जवारों में सबसे प्रमुख तत्व क्लोरोफिल पाया जाता है। प्रसिद्ध आहार शास्त्री डॉ. बशर के अनुसार क्लोरोफिल (गेहूंके जवारों में पाया जाने वाला प्रमुख तत्व) को केंद्रित सूर्य शक्ति कहा है। गेहूं के जवारे रक्त व रक्त संचार संबंधी रोगों, रक्त की कमी, उच्च रक्तचाप, सर्दी, अस्थमा, ब्रोंकाइटिस, स्थायी सर्दी, साइनस, पाचन संबंधी रोग, पेट में छाले, कैंसर, आंतों की सूजन, दांत संबंधी समस्याओं, दांत का हिलना, मसूड़ों से खून आना, चर्म रोग, एक्जिमा, किडनी संबंधी रोग, सेक्स संबंधी रोग, शीघ्रपतन, कान के रोग, थायराइड ग्रंथि के रोग व अनेक ऐसे रोग जिनसे रोगी निराश हो गया, उनके लिए गेहूं के जवारे अनमोल औषधि हैं। इसलिए कोई भी रोग हो तो वर्तमान में चल रही चिकित्सा पद्धति के साथ-साथ इसका प्रयोग कर आशातीत लाभ प्राप्त किया जा सकता है। हिमोग्लोबिन रक्त में पाया जाने वाला एक प्रमुख घटक है। हिमोग्लोबिन में हेमिन नामक तत्व पाया जाता है। रासायनिक रूप से हिमोग्लोबिन व हेमिन में काफी समानता है। हिमोग्लोबिन व हेमिन में कार्बन, ऑक्सीजन, हाइड्रोजन व नाइट्रोजन के अणुओं की संख्या व उनकी आपस में संरचना भी करीब-करीब एक जैसी होती है। हिमोग्लोबिन व हेमिन की संरचना में केवल एक ही अंतर होता है कि क्लोरोफिल के परमाणु केंद्र में मैग्नेशियम, जबकि हेमिन के परमाणु केंद्र में लोहा स्थित होता है। इस प्रकार हम देखते हैं कि हिमोग्लोबिन व क्लोरोफिल में काफी समानता है और इसीलिए गेहूं के जवारों को हरा रक्त कहना भी कोई अतिशयोक्ति नहीं है। गेहूं के जवारों में रोग निरोधक व रोग निवारक शक्ति पाई जाती है। कई आहार शास्त्री इसे रक्त बनाने वाला प्राकृतिक परमाणु कहते हैं। गेहूं के जवारों की प्रकृति क्षारीय होती है, इसीलिए ये पाचन संस्थान व रक्त द्वारा आसानी से अधिशोषित हो जाते हैं। यदि कोई रोगी व्यक्ति वर्तमान में चल रही चिकित्सा के साथ-साथ गेहूं के जवारों का प्रयोग करता है तो उसे रोग से मुक्ति में मदद मिलती है और वह बरसों पुराने रोग से मुक्ति पा जाता है। यहां एक रोग से ही मुक्ति नहीं मिलती है वरन अनेक रोगों से भी मुक्ति मिलती है, साथ ही यदि कोई स्वस्थ व्यक्ति इसका सेवन करता है तो उसकी जीवनशक्ति में अपार वृद्धि होती है। इस प्रकार हम कह सकते हैं कि गेहूं के जवारे से रोगी तो स्वस्थ होता ही है किंतु सामान्य स्वास्थ्य वाला व्यक्ति भी अपार शक्ति पाता है। इसका नियमित सेवन करने से शरीर में थकान तो आती ही नहीं है। यदि किसी असाध्य रोग से पीड़ित व्यक्ति को गेहूं के जवारों का प्रयोग कराना है तो उसकी वर्तमान में चल रही चिकित्सा को बिना बंद किए भी गेहूं के जवारों का सेवन कराया जा सकता है। इस प्रकार हम देखते हैं कि कोई चिकित्सा पद्धति गेहूं के जवारों के प्रयोग में आड़े नहीं आती है, क्योंकि गेहूं के जवारे औषधि ही नहीं वरन श्रेष्ठ आहार भी है।
गेहूँ के ज्वारे उगाने की विधि:: मिट्टी के नये खप्पर, कुंडे या सकोरे लें। उनमें खाद मिली मिट्टी लें। रासायनिक खाद का उपयोग बिलकुल न करें। पहले दिन कुंडे की सारी मिट्टी ढँक जाये इतने गेहूँ बोयें। पानी डालकर कुंडों को छाया में रखें। सूर्य की धूप कुंडों को अधिक या सीधी न लग पाये इसका ध्यान रखें। इसी प्रकार दूसरे दिन दूसरा कुंडा या मिट्टी का खप्पर बोयें और प्रतिदिन एक बढ़ाते हुए नौवें दिन नौवां कुंडा बोयें। सभी कुंडों को प्रतिदिन पानी दें। नौवें दिन पहले कुंडे में उगे गेहूँ काटकर उपयोग में लें। खाली हो चुके कुंडे में फिर से गेहूँ उगा दें। इसी प्रकार दूसरे दिन दूसरा, तीसरे दिन तीसरा करते चक्र चलाते जायें। इस प्रक्रिया में भूलकर भी प्लास्टिक के बर्तनों का उपयोग कदापि न करें। प्रत्येक कुटुम्ब अपने लिए सदैव के उपयोगार्थ 10, 20, 30 अथवा इससे भी अधिक कुंडे रख सकता है। प्रतिदिन व्यक्ति के उपयोग अनुसार एक, दो या अधिक कुंडे में गेहूँ बोते रहें। मध्याह्न के सूर्य की सख्त धूप न लगे परन्तु प्रातः अथवा सायंकाल का मंद ताप लगे ऐसे स्थान में कुंडों को रखें। सामान्यतया आठ-दस दिन नें गेहूँ के ज्वारे पाँच से सात इंच तक ऊँचे हो जायेंगे। ऐसे ज्वारों में अधिक से अधिक गुण होते हैं। ज्यो-ज्यों ज्वारे सात इंच से अधिक बड़े होते जायेंगे त्यों-त्यों उनके गुण कम होते जायेंगे। अतः उनका पूरा-पूरा लाभ लेने के लिए सात इंच तक बड़े होते ही उनका उपयोग कर लेना चाहिए। ज्वारों की मिट्टी के धरातल से कैंची द्वारा काट लें अथवा उन्हें समूल खींचकर उपयोग में ले सकते हैं। खाली हो चुके कुंडे में फिर से गेहूँ बो दीजिये। इस प्रकार प्रत्येक दिन गेहूँ बोना चालू रखें।
बनाने की विधि:: जब समय अनुकूल हो तभी ज्वारे काटें। काटते ही तुरन्त धो डालें। धोते ही उन्हें कूटें। कूटते ही उन्हें कपड़े से छान लें। इसी प्रकार उसी ज्वारे को तीन बार कूट-कूट कर रस निकालने से अधिकाधिक रस प्राप्त होगा। चटनी बनाने अथवा रस निकालने की मशीनों आदि से भी रस निकाला जा सकता है। रस को निकालने के बाद विलम्ब किये बिना तुरन्त ही उसे धीरे-धीरें पियें। किसी सशक्त अनिवार्य कारण के अतिररिक्त एक क्षण भी उसको पड़ा न रहने दें, कारण कि उसका गुण प्रतिक्षण घटने लगता है और तीन घंटे में तो उसमें से पोषक तत्व ही नष्ट हो जाता है। प्रातःकाल खाली पेट यह रस पीने से अधिक लाभ होता है। दिन में किसी भी समय ज्वारों का रस पिया जा सकता है। परन्तु रस लेने के आधा घंटा पहले और लेने के आधे घंटे बाद तक कुछ भी खाना-पीना न चाहिए। आरंभ में कइयों को यह रस पीने के बाद उबकाई आती है, उलटी हो जाती है अथवा सर्दी हो जाती है। परंतु इससे घबराना न चाहिए। शरीर में कितने ही विष एकत्रित हो चुके हैं यह प्रतिक्रिया इसकी निशानी है। सर्दी, दस्त अथवा उलटी होने से शरीर में एकत्रित हुए वे विष निकल जायेंगे। ज्वारों का रस निकालते समय मधु, अदरक, नागरबेल के पान (खाने के पान) भी डाले जा सकते हैं। इससे स्वाद और गुण का वर्धन होगा और उबकाई नहीं आयेगी। विशेषतया यह बात ध्यान में रख लें कि ज्वारों के रस में नमक अथवा नींबू का रस तो कदापि न डालें। रस निकालने की सुविधा न हो तो ज्वारे चबाकर भी खाये जा सकते हैं। इससे दाँत मसूढ़े मजबूत होंगे। मुख से यदि दुर्गन्ध आती हो तो दिन में तीन बार थोड़े-थोड़े ज्वारे चबाने से दूर हो जाती है। दिन में दो या तीन बार ज्वारों का रस लीजिये। रामबाण इलाज अमेरिका में जीवन और मरण के बीच जूझते रोगियों को प्रतिदिन चार बड़े गिलास भरकर ज्वारों का रस दिया जाता है। जीवन की आशा ही जिन रोगियों ने छोड़ दी उन रोगियों को भी तीन दिन या उससे भी कम समय में चमत्कारिक लाभ होता देखा गया है। ज्वारे के रस से रोगी को जब इतना लाभ होता है, तब नीरोग व्यक्ति ले तो कितना अधिक लाभ होगा? सस्ता और सर्वोत्तमः ज्वारों का रस दूध, दही और मांस से अनेक गुना अधिक गुणकारी है। दूध और मांस में भी जो नहीं है उससे अधिक इस ज्वारे के रस में है। इसके बावजूद दूध, दही और मांस से बहुत सस्ता है। घर में उगाने पर सदैव सुलभ है। गरीब से गरीब व्यक्ति भी इस रस का उपयोग करके अपना खोया स्वास्थ्य फिर से प्राप्त कर सकता है। गरीबों के लिए यह ईश्वरीय आशीर्वाद है। नवजात शिशु से लेकर घर के छोटे-बड़े, अबालवृद्ध सभी ज्वारे के रस का सेवन कर सकते हैं। नवजात शिशु को प्रतिदिन पाँच बूँद दी जा सकती है। ज्वारे के रस में लगभग समस्त क्षार और विटामिन उपलब्ध हैं। इसी कारण से शरीर मे जो कुछ भी अभाव हो उसकी पूर्ति ज्वारे के रस द्वारा आश्चर्यजनक रूप से हो जाती है। इसके द्वारा प्रत्येक ऋतु में नियमित रूप से प्राणवायु, खनिज, विटामिन, क्षार और शरीरविज्ञान में बताये गये कोषों को जीवित रखने से लिए आवश्यक सभी तत्त्व प्राप्त किये जा सकते हैं। डॉक्टर की सहायता के बिना गेहूँ के ज्वारों का प्रयोग आरंभ करो और खोखले हो चुके शरीर को मात्र तीन सप्ताह में ही ताजा, स्फूर्तिशील एवं तरावटदार बना दो। ज्वारों के रस के सेवन के प्रयोग किये गये हैं। कैंसर जैसे असाध्य रोग मिटे हैं। शरीर ताम्रवर्णी और पुष्ट होते पाये गये हैं। आरोग्यता के लिए भाँति-भाँति की दवाइयों में पानी की तरह पैसे बहाना करें। इस सस्ते, सुलभ तथापि अति मूल्यवान प्राकृतिक अमृत का सेवन करें और अपने तथा कुटुंब के स्वास्थ्य को बनाये रखकर सुखी रहें।
सावधानी :: गेहूँ के जवारों का रस निकालने के पश्चात अधिक समय तक नहीं रखना चाहिए अन्यथा उसके पोषक तत्व समय बीतने के साथ-साथ नष्ट हो जाते हैं, क्योंकि गेहूँ के जवारों में पोषक तत्व सुरक्षित रहने का समय मात्र ३ घंटे है। गेहूँ के जवारों को जितना ताजा प्रयोग किया जाता है , उतना ही अधिक उसका स्वास्थ्य लाभ प्राप्त होता है। इसका सेवन प्रारंभ करते समय कुछ लोगों को दस्त, उल्टी, जी घबराना व अन्य लक्षण प्रकट हो सकते हैं, किंतु उन लक्षणों से घबराने की आवश्यकता नहीं है, आवश्यकता है केवल इसकी मात्रा को कम या कुछ समय के लिए इसका सेवन बंद कर सकते हैं।
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