महिलाओं के स्वास्थ्य पर हस्तमैथुन के प्रभाव
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पुरुषों और महिलाओं में हस्तमैथुन यानी मास्टरबेशन आम बात है। लोग मानते हैं कि मैथुन का दोनों के स्वास्थ्य पर गहरा प्रभाव पड़ता है। आज हम चर्चा करेंगे महिलाओं की।
गुप्तरोग विशेषज्ञों की मानें तो महिलाओं पर हस्तमैथुन के प्रभाव सकारात्मक कम, नकारात्मक ज्यादा होते हैं।
आज हम बात करेंगे महिलाओं के स्वास्थ्य पर हस्तमैथुन के प्रभाव की- कहा जाता है हस्तमैथुन की प्रक्रिया 12 से 13 वर्ष की उम्र में शुरू होती है, यानी जब व्यक्ति किशोरावस्था में कदम रखता है।
महिलाओं में यह प्रक्रिया सिर्फ शारीरिक ही नहीं बल्कि मानसिक प्रभाव भी डालती है। पति से संबंधों पर प्रभाव: हाल ही में अमेरिका के टैक्सास शहर में हुए सर्वेक्षण के मुताबिक जो महिलाएं किशोरावस्था में हस्तमैथुन शुरू कर देती हैं, उन्हें शादी के बाद अपने पति के साथ संभोग के दौरान ज्यादा अच्छा अनुभव नहीं होता। कारण अकेलेपन की चाहत।
इस वजह से वो मानसिक तनाव से ग्रसित हो जाती हैं। ऐसी महिलाओं के पति जब उनके करीब जाते हैं, तो उन्हें गुस्सा आता है और इस वजह से उनका शादी-शुदा जीवन भी प्रभावित होता है।
तनाव: कई स्त्रियां हस्तमैथुन के लिए एक समय सेट कर लेती हैं, यदि उस दौरान उन्हें अकेलापन नहीं मिलता तो उन्हें तनाव होने ल गता है और गुस्सा आने लगता है।
ऐसे में अन्य लोगों से झगड़े की संभावना बढ़ जाती है।
हीमेच्यूरिया: हीमेच्यूरिया स्त्रियों में पायी जाने वाली वह बीमारी है, जिसमें यूरीन में ब्लड आने लगता है।
यूरीन गाढ़ी हो जाती है और उसमें से गंध आने लगती है।
गुप्त रोग विशेषज्ञों के मुताबिक मैथुन की वजह से इस बीमारी के लगने की आशंका बढ़ जाती है।
इससे काफी कमजोरी भी आती है और खून की कमी हो जाती है।
गुप्तांग में सूखापन: जरूरत से ज्यादा मैथुन करने से पीरियड, मासिक धर्म अथवा मेंसुरेशन साइकिल में समस्याएं उत्पन्न होने लगती हैं। इस वजह से गुप्तांग में सूखापन आ जाता है और वहां खुजली एवं दर्द होता है। यही नहीं इससे आगे चलकर बच्चा होने में भी दिक्कत होती है।
अंत में सबसे अहम बात यह कि मैथुन से महिलाओं में यौन इच्छाएं कम होने लगती हैं।
ऐसा करने पर उन्हें संभोग में ज्यादा मजा नहीं आता और फिर उन्हें सेक्स की चरम सीमा तक पहुंचने में दिक्कत होती है।
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पुरुषों और महिलाओं में हस्तमैथुन यानी मास्टरबेशन आम बात है। लोग मानते हैं कि मैथुन का दोनों के स्वास्थ्य पर गहरा प्रभाव पड़ता है। आज हम चर्चा करेंगे महिलाओं की।
गुप्तरोग विशेषज्ञों की मानें तो महिलाओं पर हस्तमैथुन के प्रभाव सकारात्मक कम, नकारात्मक ज्यादा होते हैं।
आज हम बात करेंगे महिलाओं के स्वास्थ्य पर हस्तमैथुन के प्रभाव की- कहा जाता है हस्तमैथुन की प्रक्रिया 12 से 13 वर्ष की उम्र में शुरू होती है, यानी जब व्यक्ति किशोरावस्था में कदम रखता है।
महिलाओं में यह प्रक्रिया सिर्फ शारीरिक ही नहीं बल्कि मानसिक प्रभाव भी डालती है। पति से संबंधों पर प्रभाव: हाल ही में अमेरिका के टैक्सास शहर में हुए सर्वेक्षण के मुताबिक जो महिलाएं किशोरावस्था में हस्तमैथुन शुरू कर देती हैं, उन्हें शादी के बाद अपने पति के साथ संभोग के दौरान ज्यादा अच्छा अनुभव नहीं होता। कारण अकेलेपन की चाहत।
इस वजह से वो मानसिक तनाव से ग्रसित हो जाती हैं। ऐसी महिलाओं के पति जब उनके करीब जाते हैं, तो उन्हें गुस्सा आता है और इस वजह से उनका शादी-शुदा जीवन भी प्रभावित होता है।
तनाव: कई स्त्रियां हस्तमैथुन के लिए एक समय सेट कर लेती हैं, यदि उस दौरान उन्हें अकेलापन नहीं मिलता तो उन्हें तनाव होने ल गता है और गुस्सा आने लगता है।
ऐसे में अन्य लोगों से झगड़े की संभावना बढ़ जाती है।
हीमेच्यूरिया: हीमेच्यूरिया स्त्रियों में पायी जाने वाली वह बीमारी है, जिसमें यूरीन में ब्लड आने लगता है।
यूरीन गाढ़ी हो जाती है और उसमें से गंध आने लगती है।
गुप्त रोग विशेषज्ञों के मुताबिक मैथुन की वजह से इस बीमारी के लगने की आशंका बढ़ जाती है।
इससे काफी कमजोरी भी आती है और खून की कमी हो जाती है।
गुप्तांग में सूखापन: जरूरत से ज्यादा मैथुन करने से पीरियड, मासिक धर्म अथवा मेंसुरेशन साइकिल में समस्याएं उत्पन्न होने लगती हैं। इस वजह से गुप्तांग में सूखापन आ जाता है और वहां खुजली एवं दर्द होता है। यही नहीं इससे आगे चलकर बच्चा होने में भी दिक्कत होती है।
अंत में सबसे अहम बात यह कि मैथुन से महिलाओं में यौन इच्छाएं कम होने लगती हैं।
ऐसा करने पर उन्हें संभोग में ज्यादा मजा नहीं आता और फिर उन्हें सेक्स की चरम सीमा तक पहुंचने में दिक्कत होती है।
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