यौन संचारित रोग (STD) (Sexually transmitted disease )
असुरक्षित यौन संबंध स्थापित करने से
फैलने वाले यौन संचारित रोग कई प्रकार के होते हैं। जिनमें जान जाने तक का खतरा
होता है। असुरक्षित यौन संपर्क के माध्यम से 20
से ज्यादा अलग-अलग इंफेक्शन होते हैं। यौन संचारित रोगों से महिलाओं
में बांझपन का खतरा सबसे ज्यादा रहता है। एचआईवी के अलावा भी कई यौन संचारित रोग
होते हैं जिनसे जान को खतरा रहता है।
एसटीडी या
सेक्सुअली ट्रांसमिटेड डिसीज Sexually transmitted disease (यौन संचारित संक्रमण/रोग) वे
संक्रमण/रोग हैं जो, यौन संपर्क द्वारा एक व्यक्ति से दूसरे
में संचारित हो सकते हैं। एसटीडी सेक्स संबंधी रोग है जिसके कई सारे कारण हो सकते
हैं जो महिला और पुरुष दोनों के शरीर को नुकसान पहुंचाने में कोई भी कसर नहीं
छोड़ते हैं। एसटीडी पुरुष और महिला दोनों में हो सकता है कुछ यौन संचारित संक्रमण
जन्म से, अंत: शिरा सुइयों अथवा स्तनपान के द्वारा भी
संचारित होते हैं। इसके अलावा सेक्स से जुड़े ऐसे कई पहलू हैं जिनकी जानकारी का
अभाव यौन संचारित रोग व संक्रमण (एसटीडी या एसटीआई) की वजह बन सकता है। जिसके अलग-अलग लक्षण होते है और उन लक्षणों को जानना सभी को जरूरी है ताकि
एसटीडी से पीड़ित लोग इसका अच्छी तरह से इलाज करा सके।
योन संबंधो
द्वारा संचारित रोग कैसे फैलते है?
योनी संभोग, मौखिक सम्भोग और गुदापरक सम्भोग जैसे अन्तरंग
संबंध और योन संपर्क से एसटीडी एक व्यक्ति से दुसरे व्यक्ति तक संचारित होते है।
एसटीडी के
लक्षण क्या होते है ?
सेक्सुअली
ट्रांसमिटेड डिसीज के लक्षणों में निम्नलिखित कारक शामिल है
·
औरतो
में योनि के आसपास खुजली यो योनि से स्त्राव।
·
पुरषों
में लिंग से स्त्राव।
·
सम्भोग
या मूत्र त्याग करते समय पीड़ा।
·
जननेंद्रिय
के आसपास पीढ़ाविहीन लाल जख्म।
·
मुलायम
त्वचा बाले लाल रंग के मस्से जननेन्द्रियो के आसपास हो जाते है।
·
गुदा
परक सम्भोग वालो को गुदा के अन्दर और आसपास पीड़ा का होना।
·
असामान्य
छूत के रोग , न समझ आने वाली थकावट
और रात को पसीना आना , वजन घटना आदि।
क्या यह
संभव है की किसी व्यक्ति को एसटीडी हो और उसे पता भी ना हो ?
पुरषों में
तो एसटीडी के लक्षण सामान्यतः दिख जाते है जिससे वो जागरूक हो जाते है की उनको योन
से सम्बंधित रोग हुआ है, जबकि औरतो के संक्रमण
के लक्षण दिखाई नहीं देते जबकि उन्हें यह रोग लग चुका होता है।
पुरुषों में पाएं जाने वाले एसटीडी सेक्सुअली ट्रांसमिटेड डिसीज (STD) जिसके बारे
में हर पुरुष को मालूम होना जरुरी है।
1- क्लैमाइडिया:
1- क्लैमाइडिया:
क्लैमाइडिया एक आम यौन संचारित रोग है जो बैक्टीरियम क्लैमाइडिया
ट्रैकोमैटिस के कारण होता है। क्लैमाइडिया ग्रसित साथी के साथ वजाइनल और ओरल
संपर्क से क्लैमाइडिया होता है। काफी लोगों को इसके लक्षणो का अनुभव नहीं होता है।
क्लैमाइडिया बुखार, पेट में दर्द और वेजाइना से असामान्य
डिसचार्ज के कारण भी होता है। महिलाओं में क्लैमाइडिया से पेलविक इन्फ्लैमटॉरी
डिसीज हो जाता है। अगर महिलाएं यौन संचारित रोगों का उपचार ना करें, तो यह उनके शरीर के दूसरे भागों यूट्रस, फैलोपिएन
ट्यूब में भी फैलने लगता है। इससे महिलाओं में प्रजनन अंग को नुकसान पहुंचता है,
जिससे महिलाओं में बांझपन होने का खतरा बढ़ जाता है। अगर महिला
प्रेग्नेंट है तो उससे बच्चे के विकास पर खतरा होता है, क्योंकि
प्रेग्नेंसी के दौरान क्लैमाइडिया से बच्चे की आंखों में खराबी होने का डर लगता
है। अगर क्लैमाइडिया का पता शुरुआत में ही पता चल जाए तो एंटीबायोटिक के जरिए उसे
ठीक किया जा सकता है।
2- गोनोरिया:
नेइसेरिया गोनोरिया बैक्टीरिया के कारण यह रोग होता है। यह बहुत ही तेजी के साथ बढ़ता है। इसका सबसे आम लक्षण यूरिनेशन में परेशानी और वेजाइन से डिसचार्ज होता है। क्लैमाइडिया की तरह गोनोरिया में भी सबसे ज्यादा परेशानी महिलाओं को होती है। प्रेग्नेंसी के दौरान परेशानी और बांझपन जैसी गंभीर समस्या होती है। गोनोरिया से मुंह, गले ,आंख में इंफेक्शन हो जाता है। जो एक जानलेवा बीमारी बन सकती हैं। साथ ही गोनोरिया से ग्रसित व्यक्ति को एचआईवी की संभावना ज्यादा होती हैं।
नेइसेरिया गोनोरिया बैक्टीरिया के कारण यह रोग होता है। यह बहुत ही तेजी के साथ बढ़ता है। इसका सबसे आम लक्षण यूरिनेशन में परेशानी और वेजाइन से डिसचार्ज होता है। क्लैमाइडिया की तरह गोनोरिया में भी सबसे ज्यादा परेशानी महिलाओं को होती है। प्रेग्नेंसी के दौरान परेशानी और बांझपन जैसी गंभीर समस्या होती है। गोनोरिया से मुंह, गले ,आंख में इंफेक्शन हो जाता है। जो एक जानलेवा बीमारी बन सकती हैं। साथ ही गोनोरिया से ग्रसित व्यक्ति को एचआईवी की संभावना ज्यादा होती हैं।
3- जेनिटल
हर्पीज़:
जेनिटल हर्पीज एक संक्रामक इंफेक्शन है जो हर्पीज सिंपलेक्स वाइरस के कारण होता है। हर्पीज सिंपलेक्स वाइरस दो तरह के होते हैं। हर्पीज सिंपलेक्स वाइरस-1 और हर्पीज सिंपलेक्स वाइरस-2। दोनों से गुप्तांग में दाद हो सकती है। एचएसवी-1 में गुप्तांग के आस-पास घाव हो जाते है और एचएसवी-2 में गुप्तांग के आस-पास पानी वाले फफोले हो जाते हैं, जिनसे व्यक्ति को बहुत दर्द होता है। इस तरह के वायरस के लक्षण बहुत कम होते है। साथ ही इन्हें ठीक नहीं किया जा सकता है और अगर इस समय में लक्षण ना पता चले तो यह वायरस शरीर के तंत्रिका कोशिकाओं को तक प्रभावित करते हैं। प्रेग्नेंट महिलाएं जिन्हें जेनिटल हर्पीज की परेशानी होती है। यह इंफेक्शन उनके बच्चे को भी होने का डर रहता है। साथ ही बच्चे के दिमाग, त्वचा और बाकि अंगो पर भी इसका प्रभाव होने का डर रहता है।
जेनिटल हर्पीज एक संक्रामक इंफेक्शन है जो हर्पीज सिंपलेक्स वाइरस के कारण होता है। हर्पीज सिंपलेक्स वाइरस दो तरह के होते हैं। हर्पीज सिंपलेक्स वाइरस-1 और हर्पीज सिंपलेक्स वाइरस-2। दोनों से गुप्तांग में दाद हो सकती है। एचएसवी-1 में गुप्तांग के आस-पास घाव हो जाते है और एचएसवी-2 में गुप्तांग के आस-पास पानी वाले फफोले हो जाते हैं, जिनसे व्यक्ति को बहुत दर्द होता है। इस तरह के वायरस के लक्षण बहुत कम होते है। साथ ही इन्हें ठीक नहीं किया जा सकता है और अगर इस समय में लक्षण ना पता चले तो यह वायरस शरीर के तंत्रिका कोशिकाओं को तक प्रभावित करते हैं। प्रेग्नेंट महिलाएं जिन्हें जेनिटल हर्पीज की परेशानी होती है। यह इंफेक्शन उनके बच्चे को भी होने का डर रहता है। साथ ही बच्चे के दिमाग, त्वचा और बाकि अंगो पर भी इसका प्रभाव होने का डर रहता है।
4- एचआईवी/एड्स:
एचआईवी एक ऐसा वायरस है जिससे एड्स होता है। एचआईवी आपके शरीर के इंफेक्शन से लड़ने वाले रक्त कोशिकाओं को खत्म कर देता है। एक बार एचआईवी आपके शरीर के रक्त कोशिकाओं को खत्म कर देता हो तो शरीर के इंफेक्शन से लड़ने की क्षमता खत्म हो जाती है। एचआईवी इंफेक्शन की इस अवस्था को एड्स कहते हैं। एड्स एक बहुत ही संवेदनशील बीमारी है। जिसके बारे में अगर शुरुआत में पता चल जाए तो थैरेपी करके रोका जा सकता है।
एचआईवी एक ऐसा वायरस है जिससे एड्स होता है। एचआईवी आपके शरीर के इंफेक्शन से लड़ने वाले रक्त कोशिकाओं को खत्म कर देता है। एक बार एचआईवी आपके शरीर के रक्त कोशिकाओं को खत्म कर देता हो तो शरीर के इंफेक्शन से लड़ने की क्षमता खत्म हो जाती है। एचआईवी इंफेक्शन की इस अवस्था को एड्स कहते हैं। एड्स एक बहुत ही संवेदनशील बीमारी है। जिसके बारे में अगर शुरुआत में पता चल जाए तो थैरेपी करके रोका जा सकता है।
5- ह्यूमन
पॅपिलोमावाइरस:
ह्यूमन पॅपिलोमावाइरस एक आम यौन संचारित रोग है। ह्यूमन पॅपिलोमावाइरस के 40 से ज्यादा प्रकार होते हैं जो पुरुषों और महिलाओं दोनो को प्रभावित करते हैं। इससे जाननांगो के साथ शरीर के बाकि भागों जैसे मुंह, गले, गर्भाशय ग्रीवा और लिंग में कैंसर होने का खतरा भी रहता है। इसका कोई उपचार नहीं है। रोज पैप स्मीयर टेस्ट से इसे रोका जा सकता है। ह्यूमन पॅपिलोमावाइरस से कई लोगों को सर्विकल कैंसर भी हो जाता है।
ह्यूमन पॅपिलोमावाइरस एक आम यौन संचारित रोग है। ह्यूमन पॅपिलोमावाइरस के 40 से ज्यादा प्रकार होते हैं जो पुरुषों और महिलाओं दोनो को प्रभावित करते हैं। इससे जाननांगो के साथ शरीर के बाकि भागों जैसे मुंह, गले, गर्भाशय ग्रीवा और लिंग में कैंसर होने का खतरा भी रहता है। इसका कोई उपचार नहीं है। रोज पैप स्मीयर टेस्ट से इसे रोका जा सकता है। ह्यूमन पॅपिलोमावाइरस से कई लोगों को सर्विकल कैंसर भी हो जाता है।
6- सिफलिस:
सिफलिस इंफेक्शन ट्रीपोनिमा पैनीडम बैक्टीरिया के कारण होता है। यह ओरल सेक्स के दौरान एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में होता है। सेंट्रल फॉर डिसीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन के मुताबिक 2001-2009 के डाटा में सिफलिस से ग्रसित लोगों की दर लगातार बढ़ी है, जो हर साल बढ़ती जा रही है। यह परेशानी उन पुरुषों के साथ ज्यादा होती है जो महिलाओं और पुरुषों दोनो के साथ सेक्स करते हैं। इसका पहला लक्षण गुप्तांग के पास बिना दर्द वाले घाव हो जाते हैं। यह घाव बिना किसी इलाज के ठीक हो जाते हैं। मगर यह इंफेक्शन शरीर से बाहर नहीं निकलता है और कुछ समय बाद सिफरिल शरीर के बाकि भागों लीवर, हड्डियों, त्वचा और दिल में फैलने लगता है। अगर अब भी इसका इलाज ना किया जाएगा एक साल बाद यह आंखों दिमाग पर इसका असर होने लगता है। जिससे मौत का खतरा बढ़ जाता है।
सिफलिस इंफेक्शन ट्रीपोनिमा पैनीडम बैक्टीरिया के कारण होता है। यह ओरल सेक्स के दौरान एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में होता है। सेंट्रल फॉर डिसीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन के मुताबिक 2001-2009 के डाटा में सिफलिस से ग्रसित लोगों की दर लगातार बढ़ी है, जो हर साल बढ़ती जा रही है। यह परेशानी उन पुरुषों के साथ ज्यादा होती है जो महिलाओं और पुरुषों दोनो के साथ सेक्स करते हैं। इसका पहला लक्षण गुप्तांग के पास बिना दर्द वाले घाव हो जाते हैं। यह घाव बिना किसी इलाज के ठीक हो जाते हैं। मगर यह इंफेक्शन शरीर से बाहर नहीं निकलता है और कुछ समय बाद सिफरिल शरीर के बाकि भागों लीवर, हड्डियों, त्वचा और दिल में फैलने लगता है। अगर अब भी इसका इलाज ना किया जाएगा एक साल बाद यह आंखों दिमाग पर इसका असर होने लगता है। जिससे मौत का खतरा बढ़ जाता है।
7- बैक्टीरियल
वेजिनोसिस:
बैक्टीरियल वेजिनोसिस एक आम यौन संचारित रोग है। वैसे वेजाइना में बैक्टीरिया का होना आम बात है मगर कुछ अलग तरह के बैक्टीरिया से परेशानी हो सकती है। बैक्टीरियल वेजिनोसिस तब होता है जब प्रोब्लिमैटिक बैक्टीरिया जिनका शरीर में होना सामान्य होता है कि मात्रा बढ़ जाती है। जो सामान्य वेजाइनल लैक्टोबेसिली को बदल देते हैं और संतुलन बिगड़ जाता है। बैक्टीरियल वेजिनोसिस इंफेक्शन का सबसे आम लक्षण सफेद पानी का डिसचार्ज होना होता है। बैक्टीरियल वेजिनोसिस से यौन संचारित रोग का खतरा दूसरे व्यक्ति को भी बढ़ जाता है।
बैक्टीरियल वेजिनोसिस एक आम यौन संचारित रोग है। वैसे वेजाइना में बैक्टीरिया का होना आम बात है मगर कुछ अलग तरह के बैक्टीरिया से परेशानी हो सकती है। बैक्टीरियल वेजिनोसिस तब होता है जब प्रोब्लिमैटिक बैक्टीरिया जिनका शरीर में होना सामान्य होता है कि मात्रा बढ़ जाती है। जो सामान्य वेजाइनल लैक्टोबेसिली को बदल देते हैं और संतुलन बिगड़ जाता है। बैक्टीरियल वेजिनोसिस इंफेक्शन का सबसे आम लक्षण सफेद पानी का डिसचार्ज होना होता है। बैक्टीरियल वेजिनोसिस से यौन संचारित रोग का खतरा दूसरे व्यक्ति को भी बढ़ जाता है।
8- ट्रिकोमोनालिसिस:
ट्रिकोमोनालिसिस12 इंफेक्शन एक कोशिकीय प्रोटोजोआ पैरासाइट ट्रिकोमोनास वेजाइनली के कारण होता है। यह युवाओं में सबसे ज्यादा होता है। खासकर यौन सक्रिय महिलाओं में। यह पैरासाइट महिलाओं की तुलना में पुरुषों को कम प्रभावित करते हैं। शारीरिक संबंधों से यह एक से दूसरे इंसान में संचारित होते हैं। ट्रिकोमोनालिसिस के लक्षण लगातार यूरिनेशन में जलन और दर्द, गुप्तांगों में घाव खुजली और निशान आदि हो सकते हैं। एनआईसीएचजी की रिसर्च के मुताबिक प्रेग्नेंसी के दौरान यह इंफेक्शन होने से बच्चे को भी यह इंफेक्शन हो जाता है साथ ही बच्चे के वजन में कमी का भी डर रहता है।
ट्रिकोमोनालिसिस12 इंफेक्शन एक कोशिकीय प्रोटोजोआ पैरासाइट ट्रिकोमोनास वेजाइनली के कारण होता है। यह युवाओं में सबसे ज्यादा होता है। खासकर यौन सक्रिय महिलाओं में। यह पैरासाइट महिलाओं की तुलना में पुरुषों को कम प्रभावित करते हैं। शारीरिक संबंधों से यह एक से दूसरे इंसान में संचारित होते हैं। ट्रिकोमोनालिसिस के लक्षण लगातार यूरिनेशन में जलन और दर्द, गुप्तांगों में घाव खुजली और निशान आदि हो सकते हैं। एनआईसीएचजी की रिसर्च के मुताबिक प्रेग्नेंसी के दौरान यह इंफेक्शन होने से बच्चे को भी यह इंफेक्शन हो जाता है साथ ही बच्चे के वजन में कमी का भी डर रहता है।
9- वायरल हेपेटाइटिस:
यह लीवर की एक गंभीर बीमारी है। जो शरीर में बहुत सारे वायरस के कारण होती है। यह तीन तरह के होते हैं।
यह लीवर की एक गंभीर बीमारी है। जो शरीर में बहुत सारे वायरस के कारण होती है। यह तीन तरह के होते हैं।
1.
हेपेटाइटिस
ए वायरस में थोड़े समय के लिए लीवर में इंफेक्शन होता है जो काफी गंभीर होता है।
हालांकि यह पुराने इंफेक्शन के कारण नहीं होता है। यौन गतिविधि के दौरान यह एक से
दूसरे इंसान में जाते हैं। जिसे वैक्सीनेशन से रोका जा सकता है।
2.
हेपेटाइटस
बी से लीवर की गंभीर बीमारी होती है जिसका परिणाम लंबे समय तक परेशानी हो सकती है।
इससे लीवर कैंसर, लीवर फेल और मौत हो
सकती है। यह ड्रग्स, टैटू और पियरसिंग के द्वारा भी हो सकता
है।
3.
हेपेटाइटस
सी से बहुत जल्द ही लीवर पर असर पड़ता है। कुछ समय बाद यह लीवर कैंसर का रूप ले
लेता है। हेपेटाइटस सी का कोई भी उपचार नहीं है।
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