सेक्स और गर्भनिरोध के कुछ खतरनाक मिथक (भ्रान्ति) और सावधानिया :
पहला मिथक (भ्रान्ति)
पहली बार इंटरकोर्स से स्त्री प्रेग्नेंट नहीं हो सकती है:
यह बात बिल्कुल गलत है।
एक स्त्री के गर्भवती होने के चांसेज कुछ विशेष परिस्थितियों के अलावा
हमेशा एक जैसे ही होते है मेडिकल साइंस का
मानना है की ओव्युलेसन की प्रोसेस की शुरुआत के बाद यदि इंटरकोर्स हो तो स्त्री
प्रेग्नेंट हो सकती है. इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता की इन्टरकोर्स पहली बार हुआ
है की नहीं, अगर आप को कोई सलाह दे की पहली बार में चिंता करने की कोई जरुरत नहीं
है और आप सेफ है तो ये बात गलत है साथ ही ये भी जान लीजिये प्रेगनेंसी की कोई उम्र
नहीं होती है समय के साथ इसकी सम्भावना कम या ज्यादा हो सकती है, लेकिन किसी उम्र
को निर्धारित लिमिट कहना गलत होगा. मेडिकल साइंस में इस भ्रान्ति को पूरी तरह नकार
दिया जाता है और सलाह दी जाती है की यदि बच्चा नहीं चाहिए तो गर्भ निरोधक के विभिन्न
तरीको के बारे में विशेषज्ञ से परामर्श करें।
दूसरा मिथक (भ्रान्ति)
इंटरकोर्स के फ़ौरन बाद नहाने या पेशाब (यूरिन
) करने से गर्भ नहीं होता।
सच्चाई इस भ्रान्ति से बिलकुल उलट है।
सेक्स के बाद पेशाब (यूरिन ) करने या नहाने का एग फर्टीलाइजेशन से कोई सम्बन्ध
नहीं है एग फर्टीलाइजेशन के लिए केवल एक स्पर्म की जरुरत होती है . इंटरकोर्स के
दौरान कभी भी एग फर्टीलाइजेशन की प्रक्रिया शुरू हो सकती है आज के समय में कुछ
स्प्रे भी आने लगे है जिनके लिए दावा किया जाता है की उन्हें छिड़कने से
प्रेग्नेंसी नहीं होती ये सभी बाते गलत है ऐसे स्प्रे प्रभावी नहीं होते साथ ही इस
तरह के प्रोडक्ट को प्रयोग करने के पहले किसी योग्य यौन विशेषज्ञ या
गायनिकोलाजिस्ट से सलाह लेनी चाहिए।
तीसरा
मिथक (भ्रान्ति)
यदि पुरुष योनि (वजाइना) के बाहर स्खलन करे
तो गर्भ नहीं ठहरता:
यह मिथक लम्बे समय से अक्सर सुना – सुनाया
जाता रहा है लेकिन मेडिकल साइंस इसे पूरी तरह नकारती है
इस
तरीके को विड्राल कहा जाता है , लेकिन
प्रेग्नेसी रोकने के लिए यह भरोसे मंद तरकीब नहीं है।
सेक्सुअल इंटरकोर्स के दौरान उत्तेजित होने के बाद पुरुष शीघ्र
स्खलित हो जाते है . प्री –इजैकुलेट फ्लुइड में 300000 स्पर्म हो सकते है, ऐसे में
विड्राल का का यह तरीका बहुत कारगर नहीं माना जाता है यही नहीं योनि (वजाइना) के
आस पास सीमेन का प्रवाह भी गर्भ ठहरने के लिहाज से काफी जोखिम भरा हो सकता है।
चौथा मिथक (भ्रान्ति)
मासिक धर्म (पीरियड्स) के समय सेक्स में
गर्भ नहीं ठहरता :
स्त्री के मासिक धर्म (पीरियड्स) के समय
सेक्स में प्रेग्नेंसी नहीं होती काफी लोग इस भ्रान्ति में यकींन करते है लेकिन
मेडिकल साइंस इसे पूरी तरह नकारती है स्त्री मासिक धर्म (पीरियड्स) के किसी भी
स्टेज में गर्भवती हो सकती है. पीरियड्स होने का मतलब ओव्युलेसन का प्रोसेस नहीं
चल रहा है लेकिन जिन महिलाओं को छोटे या अनियमित मासिक धर्म की शिकायत होती है,
उनमे पीरियड्स के दौरान भी ओव्युलेसन हो सकता है .
इसके अलावा एक स्त्री के शरीर में स्पर्म
पांच दिन तक जीवित रह सकते है . इसलिए
अनप्रोटेक्टेड सेक्स के बाद 5 दिनों में अगर ओव्युलेसन होता है तो प्रेग्नेंसी की
संभावना बढ़ जाती है .पीरिएड्स के दौरान सेक्स से बचना चाहिए, इस समय इन्फेक्शन का
खतरा बड जाता है।
पांचवा मिथक (भ्रान्ति)
गर्भ निरोधक गोलिओ से कैंसर का खतरा होता
है :
ऐसा भ्रम है की महिलाओ द्वारा ली जाने वाली
गर्भ निरोधक गोलिओं से कैंसर का खतरा हो सकता है लेकिन इस बात में अभी तक कोई अधिकारिक तथ्य सामने नहीं
आया है। विभिन्न रिसर्ज में इसके विपरीत तथ्य सामने आये है एक रिसर्च में पिल्स का
प्रयोग करने वाली स्त्रियों में कैंसर विकसित होने की सम्भावना एक तिहाई तक कम हो
जाती है।
छठा मिथक (भ्रान्ति)
टाईट कोंडम पहन कर सेक्स करना सेफ होता है:
यह एक अजीब सी धारणा है की टाईट कोंडम पहन कर सेक्स करना सेफ होता है परन्तु यह सत्य
नहीं है ज्यादा टाईट कोंडम पहन कर सेक्स
करने से कोंडम फटने की संभावना ज्यादा होती है ।
कोंडम एक प्रमुख गर्भ निरोधक माना जाता है लेकिन
ताजा रिपोर्ट के अनुसार भारत में कोंडम का गर्भ निरोधक के रूप में असफलता की दर 5
प्रतिशत है।
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