बुधवार, 28 जून 2017

आयुर्वेद

मृत संजीवनी चैव विशल्यकरणीमपि।
सुवर्णकरणीं चैव सन्धानी च महौषधीम्‌॥
युद्धकाण्ड ७४-३३
(१) विशल्यकरणी-शरीर में घुसे अस्त्र निकालने वाली
(२) सन्धानी- घाव भरने वाली
(३) सुवर्णकरणी-त्वचा का रंग ठीक रखने वाली
(४) मृतसंजीवनी-पुनर्जीवन देने वाली
चरक के बाद बौद्धकाल में नागार्जुन, वाग्भट्ट आदि अनेक लोगों के प्रयत्न
 से रस शास्त्र विकसित हुआ। इसमें पारे को शुद्ध कर उसका औषधीय
 उपयोग अत्यंत परिणामकारक रहा। इसके अतिरिक्त धातुओं, यथा-
लौह, ताम्र, स्वर्ण, रजत, जस्त को विविध रसों में डालना और गरम 
करना-इस प्रक्रिया से उन्हें भस्म में परिवर्तित करने की विद्या विकसित
 हुई। यह भस्म और पादपजन्य औषधियां भी रोग निदान में काम आती
 हैं।

शल्य चिकित्सा- कुछ वर्षों पूर्व इंग्लैण्ड के शल्य चिकित्सकों के विश्व
 प्रसिद्ध संगठन ने एक कैलेण्डर निकाला, उसमें विश्व के अब तक के 
श्रेष्ठ शल्य चिकित्सकों (सर्जन) के चित्र दिए गए थे। उसमें पहला चित्र
 आचार्य सुश्रुत का था तथा उन्हें विश्व का पहला शल्य चिकित्सक बताया
 गया था।
वैसे भारतीय परम्परा में शल्य चिकित्सा का इतिहास बहुत प्राचीन है। 
भारतीय चिकित्सा के देवता धन्वंतरि को शल्य क्रिया का भी जनक माना
 जाता है। प्राचीनकाल में इस क्षेत्र में हमारे देश के चिकित्सकों ने अच्छी
 प्रगति की थी। अनेक ग्रंथ रचे गए। ऐसे ग्रंथों के रचनाकारों में सुश्रुत,
 पुष्कलावत, गोपरक्षित, भोज, विदेह, निमि, कंकायन, गार्ग्य, गालव, 
जीवक, पर्वतक, हिरण्याक्ष, कश्यप आदि के नाम विशेष उल्लेखनीय हैं। 
इन रचनाकारों के अलावा अनेक प्राचीन ग्रंथों से इस क्षेत्र में भारतीयों की 
प्रगति का ज्ञान होता है।


                                                                         क्रमशः


अधिक जानकारी के लिए Dr.B.K.Kashyap से सं

पर्क करें 8004999985

Kashyap Clinic Pvt. Ltd

Gmail-dr.b.k.kashyap@gmail.com




Twitter- https://twitter.com/kashyap_dr


Justdial--  https://www.justdial.com/Allahabad/Kashyap-

Clinic-Pvt-Ltd-Near-High-Court-Pani-Ki-Tanki-Civil-

Lines/0532PX532-X532-121217201509-N4V7_BZDET

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

यौन रोगों से कैसे बचा जा सकता है

यौन रोगों से कैसे बचा जा सकता है यौन रोग रोकने का पहला कदम, ये समझना है कि यौन रोग कैसे फैलते हैं। शरीर के तरल पदार्थों जैसे सीमन, योनि या ग...