क्या सोचकर आपको ऐसा लगता है की आपको प्यार हो गया है?
पहली नज़र में प्यार - ये एक ऐसी चीज़ है जिसमे मुझे बिलकुल विश्वास नहीं। लेकिन मुझे बताया गया है की ऐसा होता है। कम से कम मैंने अभी तक इसका सबूत नहीं देखा है।
जब मेरी एक दोस्त ने मुझे बताया की उसे एक लड़के से पहली बार मिलने पर ही प्यार हो गया, तो मुझे और जानने की जिज्ञासा हुई। "ये सच है, विश्वास करो मेरा", उसने कहा। हालाँकि मुझे विश्वास नहीं हुआ लेकिन मेरी जिज्ञासा और बढ़ गयी, 'लव मैटर्स' की तरह।
दुविधा
मुझे पहली नज़र मैं प्यार के बारे में हमेशा दुविधा हुई है। शायद अपने नीजी तजुर्बे की बदौलत। और मैंने कभी भी असली पहली नज़र में प्यार की कहानियां असल लोगो से सुनी भी नहीं। और हाँ, होलीवूड और बोलीवूड जो दिखाते है उस पर विश्वास करने से में इनकार करती हूँ।
अधिकतर पहली बार सहमती से हुए सेक्स की बातें जो मैंने सुनी है वो है सुबह के तीन बजे की नशे में धुत उग्र असार सेक्स की. और मेरे नज़रिए में ये प्यार नहीं।
अधिकतर पहली बार सहमती से हुए सेक्स की बातें जो मैंने सुनी है वो है सुबह के तीन बजे की नशे में धुत उग्र असार सेक्स की. और मेरे नज़रिए में ये प्यार नहीं।
होश में
लेकिन मेरी ये दोस्त जो मुझे बता रही थी कुछ सुनाने में अलग लग रहा था। "हम दोनों नशे में नहीं थे। पूरे होश में थे। एक बूँद शराब की नहीं। मेरा काम का दिन था और में फिल्ड वर्क में व्यस्त थी", उसने कहा। "और तभी मेरी मुलाकात हुई एक बेहद ही खुबसूरत, आकर्षक लड़के से। और मुझे पता चला की वो मेरे ही पड़ोस में रहता है।
मैंने उसे बोला की विस्तारता को थोडा संक्षेप में बताये। "मुझे बताओ, तुम्हे ऐसा क्यूँ लगता है की तुम्हे प्यार हो गया है," मैंने उससे पुछा।
आँखें
"ये आँखों में होता है। मुझे नहीं पता। जिस तरह से हमने एक दुसरे को देखा ऐसा लगा की हमारे बीच कोई बहुत गहरा जुड़ाव है, " उसने समझाया।
मैं अभी भी दुविधा में थी: "तुम इतने विश्वास के साथ कैसे कह सकती हो ये सिर्फ शारीरिक आकर्षण नहीं है? तुमने कहा था न की वो सुंदर और आकर्षक है।"
उत्सुक
"नहीं...नहीं। उस दिन हम केवल एक घंटे के लिए मिले। कोई सेक्स नहीं। अब मुझे उसे देखे हुए ४८ घनते हो चुके है लेकिन मैं फिर भी लगातार उसके बारे में सोच रही हूँ। मैं सोच रही हूँ की अब अब वो क्या कर रहा होगा, क्या सोच रहा होगा, क्या वो मेरे बारे मैं सोच रहा होगा। मैं बैचैन भी हूँ और उत्सुक भी, " उसने कहा।
मैंने उसे सुझाव दिया की वो उसे फ़ोन करे और कहीं मिलने का प्लान बनाये, लेकिन उसने कहा ये इतना आसान नहीं: "अगर सिर्फ मैं ही पागलों की तरह उसके बारे में सोच रही हूँ। अगर उसे मुझसे प्यार नहीं तो? उसे ऐसा नहीं लगना चाहिए की मैं उसको लेकर बहुत उत्साहित हो रही हूँ।"
पीछा करना
अच्छा, चलो ठेक है। "लेकिन एक बात मुझे बताओ उस लड़के में ऐसी क्या बात है जो...तुम्हे...इतना उत्साहित कर रही है?" और उसका जवाब था, "मैं क्या कहूँ? मैं उसको इतने आचे से जानती भी नहीं के तुम्हे बताओ उसमे मुझे क्या अच्छा लगा। मैं कल से उसे इन्टरनेट पर ढूँढ रही हूँ ताकि उसके बारे मैं और जानकारी ले सकूँ।"
"तुम उसका पीछा कर रही हो! तुम पागल तो नहीं हो," मैं ज़ोर से उस पर चिलायी।
"मैं उसका पीछा नहीं कर रही हूँ। सिर्फ अपनी जिज्ञासा को शांत करने की कोशिश कर रही हूँ। ऐसा प्यार मैं होता है। जिससे आप प्यार करते हो उसके बारें मैं सब कुछ जानने का मन करता है," उसने जवाब दिया।
"मैं उसका पीछा नहीं कर रही हूँ। सिर्फ अपनी जिज्ञासा को शांत करने की कोशिश कर रही हूँ। ऐसा प्यार मैं होता है। जिससे आप प्यार करते हो उसके बारें मैं सब कुछ जानने का मन करता है," उसने जवाब दिया।
असीम आनंद
मुआझे अभी तक ये समझ नहीं आया था की वो उस लड़के के बारे में जानने के लिए इन तरीको का इस्तेमाल क्यूँ कर रही थी जबकि वो उससे मिलकर भी ये सब कुछ उससे खुद जान सकती थी।
"प्यार आपको पागल बना देता है," उसने कहा। शायद कुछ मिनटों के लिए ही, लेकिन ये एक अलग ही एहसास है। जैसे की आपको अनंत आनंद मिल गया हो।"
उफ़, ये ऐसी मानसिक स्तिथि लग रही थी जिसमे सभी का रहने का मन करे। मैंने कहा मैं यह कोशिश करने के लिए तैयार हूँ, "लेकिन उसी वक्त मेरी दोस्त ने कहा "तू अपनी जहाँ चाह-है-वहां-राह-है वाला तर्क इसमें मत डाल। प्यार ऐसे काम नहीं करता।"https://www.facebook.com/DrBkKasyap
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें