शुक्रवार, 29 जुलाई 2016

महिलाओं के स्‍वास्‍थ्‍य पर हस्‍तमैथुन के प्रभाव

महिलाओं के स्‍वास्‍थ्‍य पर  हस्‍तमैथुन  के प्रभाव
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पुरुषों और महिलाओं में हस्‍तमैथुन यानी मास्‍टरबेशन आम बात है। लोग मानते हैं कि मैथुन का दोनों के स्‍वास्‍थ्‍य पर गहरा प्रभाव पड़ता है।  आज हम चर्चा करेंगे महिलाओं की। 
गुप्‍तरोग विशेषज्ञों की मानें तो महिलाओं पर हस्‍तमैथुन के प्रभाव सकारात्‍मक कम, नकारात्‍मक ज्‍यादा होते हैं। 
आज हम बात करेंगे महिलाओं के स्‍वास्‍थ्‍य पर  हस्‍तमैथुन के प्रभाव की- कहा जाता है  हस्‍तमैथुन की प्रक्रिया 12 से 13 वर्ष की उम्र में शुरू होती है, यानी जब व्‍यक्ति किशोरावस्‍था में कदम रखता है। 
महिलाओं में यह प्रक्रिया सिर्फ शारीरिक ही नहीं बल्कि मानसिक प्रभाव भी डालती है। पति से संबंधों पर प्रभाव: हाल ही में अमेरिका के टैक्‍सास शहर में हुए सर्वेक्षण के मुताबिक जो महिलाएं किशोरावस्‍था में हस्‍तमैथुन शुरू कर देती हैं, उन्‍हें शादी के बाद अपने पति के साथ संभोग के दौरान ज्‍यादा अच्‍छा अनुभव नहीं होता। कारण अकेलेपन की चाहत। 
इस वजह से वो मानसिक तनाव से ग्रसित हो जाती हैं। ऐसी महिलाओं के पति जब उनके करीब जाते हैं, तो उन्‍हें गुस्‍सा आता है और इस वजह से उनका शादी-शुदा जीवन भी प्रभावित होता है।
 तनाव: कई स्त्रियां हस्‍तमैथुन के लिए एक समय सेट कर लेती हैं, यदि उस दौरान उन्‍हें अकेलापन नहीं मिलता तो उन्‍हें तनाव होने ल गता है और गुस्‍सा आने लगता है। 
ऐसे में अन्‍य लोगों से झगड़े की संभावना बढ़ जाती है। 
हीमेच्‍यूरिया: हीमेच्‍यूरिया स्त्रियों में पायी जाने वाली वह बीमारी है, जिसमें यूरीन में ब्‍लड आने लगता है। 
यूरीन गाढ़ी हो जाती है और उसमें से गंध आने लगती है। 
गुप्‍त रोग विशेषज्ञों के मुताबिक मैथुन की वजह से इस बीमारी के लगने की आशंका बढ़ जाती है।
 इससे काफी कमजोरी भी आती है और खून की कमी हो जाती है। 
गुप्‍तांग में सूखापन: जरूरत से ज्‍यादा मैथुन करने से पीरियड, मासिक धर्म अथवा मेंसुरेशन साइकिल में समस्‍याएं उत्‍पन्‍न होने लगती हैं। इस वजह से गुप्‍तांग में सूखापन आ जाता है और वहां खुजली एवं दर्द होता है। यही नहीं इससे आगे चलकर बच्‍चा होने में भी दिक्‍कत होती है। 
अंत में सबसे अहम बात यह कि मैथुन से महिलाओं में यौन इच्‍छाएं कम होने लगती हैं। 
ऐसा करने पर उन्‍हें संभोग में ज्‍यादा मजा नहीं आता और फिर उन्‍हें सेक्‍स की चरम सीमा तक पहुंचने में दिक्‍कत होती है।

Kashyap Clinic Pvt. Ltd.

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Gmail-dr.b.k.kashyap@gmail.com

Fb-https://www.facebook.com/DrBkKasyap/

महिलाओं के स्‍वास्‍थ्‍य पर हस्‍तमैथुन के प्रभाव

महिलाओं के स्‍वास्‍थ्‍य पर  हस्‍तमैथुन  के प्रभाव
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पुरुषों और महिलाओं में हस्‍तमैथुन यानी मास्‍टरबेशन आम बात है। लोग मानते हैं कि मैथुन का दोनों के स्‍वास्‍थ्‍य पर गहरा प्रभाव पड़ता है।  आज हम चर्चा करेंगे महिलाओं की। 
गुप्‍तरोग विशेषज्ञों की मानें तो महिलाओं पर हस्‍तमैथुन के प्रभाव सकारात्‍मक कम, नकारात्‍मक ज्‍यादा होते हैं। 
आज हम बात करेंगे महिलाओं के स्‍वास्‍थ्‍य पर  हस्‍तमैथुन के प्रभाव की- कहा जाता है  हस्‍तमैथुन की प्रक्रिया 12 से 13 वर्ष की उम्र में शुरू होती है, यानी जब व्‍यक्ति किशोरावस्‍था में कदम रखता है। 
महिलाओं में यह प्रक्रिया सिर्फ शारीरिक ही नहीं बल्कि मानसिक प्रभाव भी डालती है। पति से संबंधों पर प्रभाव: हाल ही में अमेरिका के टैक्‍सास शहर में हुए सर्वेक्षण के मुताबिक जो महिलाएं किशोरावस्‍था में हस्‍तमैथुन शुरू कर देती हैं, उन्‍हें शादी के बाद अपने पति के साथ संभोग के दौरान ज्‍यादा अच्‍छा अनुभव नहीं होता। कारण अकेलेपन की चाहत। 
इस वजह से वो मानसिक तनाव से ग्रसित हो जाती हैं। ऐसी महिलाओं के पति जब उनके करीब जाते हैं, तो उन्‍हें गुस्‍सा आता है और इस वजह से उनका शादी-शुदा जीवन भी प्रभावित होता है।
 तनाव: कई स्त्रियां हस्‍तमैथुन के लिए एक समय सेट कर लेती हैं, यदि उस दौरान उन्‍हें अकेलापन नहीं मिलता तो उन्‍हें तनाव होने ल गता है और गुस्‍सा आने लगता है। 
ऐसे में अन्‍य लोगों से झगड़े की संभावना बढ़ जाती है। 
हीमेच्‍यूरिया: हीमेच्‍यूरिया स्त्रियों में पायी जाने वाली वह बीमारी है, जिसमें यूरीन में ब्‍लड आने लगता है। 
यूरीन गाढ़ी हो जाती है और उसमें से गंध आने लगती है। 
गुप्‍त रोग विशेषज्ञों के मुताबिक मैथुन की वजह से इस बीमारी के लगने की आशंका बढ़ जाती है।
 इससे काफी कमजोरी भी आती है और खून की कमी हो जाती है। 
गुप्‍तांग में सूखापन: जरूरत से ज्‍यादा मैथुन करने से पीरियड, मासिक धर्म अथवा मेंसुरेशन साइकिल में समस्‍याएं उत्‍पन्‍न होने लगती हैं। इस वजह से गुप्‍तांग में सूखापन आ जाता है और वहां खुजली एवं दर्द होता है। यही नहीं इससे आगे चलकर बच्‍चा होने में भी दिक्‍कत होती है। 
अंत में सबसे अहम बात यह कि मैथुन से महिलाओं में यौन इच्‍छाएं कम होने लगती हैं। 
ऐसा करने पर उन्‍हें संभोग में ज्‍यादा मजा नहीं आता और फिर उन्‍हें सेक्‍स की चरम सीमा तक पहुंचने में दिक्‍कत होती है।

गुरुवार, 28 जुलाई 2016

क्यो आवश्यक है संभोग के पूर्व एवम बाद मे सम्पूर्णा स्वच्छता

क्यो आवश्यक है संभोग के पूर्व एवम बाद मे सम्पूर्णा स्वच्छता 
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यदि आप खुद को संक्रमण या जीवाणुओं से बचाना चाहते हैं, तो संभोग के पहले और बाद में कुछ स्वच्छता नियमों का पालन जरुर करें। नीचे दिये गए बेहद जरुरी हाइजीन नियम पुरुषों और महिलाओं दोनों पर लागू होते हैं। इससे पहले की आपके मन में प्यार की उमंग जागे, बेहतर होगा कि आप अपने प्राइवेट पार्ट्स को अच्छी प्रकार से साफ-सुथरा कर लें।
अगर आपको पता है कि के जनांगो पर घाव या दाने निकले हुए हैं, तो बेहतर होगा कि उस दिन आप संभोग करने से बचें नहीं तो आपको यौन रोग या दाद आदि जैसी बीमारियां होने की गुंजाइश हो सकती है। इसके अलावा आपको अपने दांतों को भी अच्छी तरह से ब्रश करना चाहिये, जिससे आपका पार्टनर आपकी सांसों की बदबू से हताश ना हो।
अब आइये जानते हैं ऐसे ही कुछ मुख्य बिंदु जिन पर आपको ध्यान देने की जरुरत है।

पेशाब कर लें
संभोग करते वक्त कभी भी पेशाब को रोक कर न रखें। अगर आपने ऐसा किया तो बैक्टीरिया का निर्माण होगा जिससे संक्रमण फैलने की गुंजाइश हो सकती है।
जनांग क्षेत्र की शेविंग
पुरुष और महिला दोनों को ही ये हिदायत दी जाती है कि वे अपने जनांगो के क्षेत्रों की शेविंग कर लें , जिससे पसीना पैदा होने पर संक्रमण या अन्य बीमारियां पैदा न हों।


ब्रश करें
प्यार करते वक्त अगर आप अपनी पार्टनर को अपनी गंदी सांसों की बदबू से डराना नहीं चाहते, तो अच्छा होगा कि आप दोनों ही दांतों को ब्रश कर लें।


शॉवर जरुर लें
ब्रश करने के अलावा आप दोनों को अच्छी प्रकार से शॉवर लेना चाहिये। यह एक अच्छी हाइजीन की आदत है।

कंडोम पहनना न भूलें
संभोग करने से पहले किसी भी तरह की असावधानी न बरतें। इससे न केवल अनचाहा गर्भ ठहरने से रूकता है बल्कि यौन रोगों से भी छुटकारा मिलता है।

खुद को एक बार जांचे
पुरुषों को एक बार अपने प्राइवेट पार्ट्स को भली प्रकार से जांच लेना चाहिये कि कहीं उनमें घाव या छाले तो नहीं हो गए हैं। इस‍ी तरह से महिलाओं को भी देखना चाहिये।

टॉयलेट जरूर जाए
संभोग करने के बाद महिलाओं को एक बार टॉयलेट जरुर जाना चाहिये नहीं तो उन्हें मूत्र संक्रमण हो सकता है।

चुंबन करने से बचे
क्या आप जानते हैं कि चुंबन करने से आपके मुंह का बैक्टीरिया आपके साथी के शरीर में प्रवेश कर सकता है। अगर मुंह में किसी प्रकार का भी घाव है तो चुंबन करने से हमेशा बचना चाहिये।

इस जगह को हमेशा साफ करें
बेसिक हाइजीन रूल कहता है कि इंटरकोर्स करने से पहले अपने प्राइवेट पार्ट्स को हमेशा धो लें। ऐसा करने आप किसी भी बीमारी पैदा करने वाले बैक्टीरिया या फंगस को बढ़ने से रोक देते हैं।

दुबारा से लें स्नान
संभोग करने के बाद हर किसी को दुबारा नहाना चाहिये, जिससे आप अपने शरीर पर लगी हुई गंदगी को साफ कर सकें और इन्फेक्शन से बच सकें।

बेड की चादर बदलें
कई सारे जीवाणु होने के नाते कभी भी उसी बेड शीट पर नहीं सोना चाहिये, जिस पर आपने संभोग किया था।

साफ अंडरवेयर पहने

इंटरकोर्स करने के बाद हमेशा साफ कपड़े और अंडरवेयर ही पहनें।

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बुधवार, 27 जुलाई 2016

हर दिन 19 बार विचार आता है सेक्स के लिये

हर दिन 19 बार विचार आता है सेक्स के  लिये
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सेक्स एक ऎसी क्रिया है जिसका अनुभव हर कोई करना चाहता है। 

महिलाओं से ज्यादा सेक्स के बारे में पुरूष दिन में सोचते हैं। एक अध्ययन के परिणाम से पता चला कि एक व्यक्ति औसतन दिन में 19 बार सेक्स के बारे में सोचता है। कुछ लोग कहते हैं कि पुरूष प्रत्येक 7 मिनट पर सेक्स के बारे में सोचते हैं, जबकि अन्य कहते हैं कि हमेशा। लेकिन सच्चाई ये है कि औसत व्यक्ति प्रतिदिन 19 बार सेक्स के बारे में सोचते हैं। ये जानकारी  एक अध्ययन से सामने आई है। ओहियो स्टेट युनिवर्सिटी के अनुसंधानकतार्अो ने एक लोगों को एक क्लिकर दिया और उसमें अपने अनुभव के आधार पर तीन बटनों में से किसी एक को क्लिक करने को कहा। ये तीन बटन सेक्स, फूड, स्लीप के थे। अनुसंधान में शामिल लोगों से कहा गया कि इन तीन विषयों में से जिसके बारे में मन में बार-बार विचार उत्पन्न होते हों, उससे संबंधित बटन को दबाएं। अध्ययन के परिणाम से पता चला कि एक व्यक्ति औसतन दिन में 19 बार सेक्स के बारे में सोचता है। ओहियो स्टेट युनिवर्सिटी के प्रमुख अनुसंधानकर्ता टेरी फिशर ने कहा कि हम हालांकि ये अध्ययन नहीं कर पाए कि विचार कितने समय तक रहते हैं या किस तरह के विचार थे, लेकिन ये सच है कि ये क्लिकिंग का तरीका उन्हें सौंपे गए विषयों के बारे में उनके विचारों से उन्हें अधिक जागरूक किया।" अनुसंधानकतार्अों ने "द अटलांटिक" में प्रकाशित एक रपट में कहा है कि किसी व्यक्ति के विचार को समझना कठिन है, चाहे कोई भी प्रौद्योगिकी क्यों न अपनाई जाए।

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मंगलवार, 26 जुलाई 2016

गर्भधारण करने के तरीके

गर्भधारण  करने के तरीके



गर्भ धारण करने के आसान तरीके
यह देखने में आया है कि नव विवाहित स्त्रियों में 8० प्रतिशत एक साल के अन्दर ही गर्भ धारण करने में कामयाब हो जाती है| यदि एक साल तक प्रयास करने पर भी बच्चा ना हो तो यह समस्या का विषय हो सकता है , और ऐसे जोड़े को इनफरटाईल समझा जाता हैं.
बच्चा पैदा होने के लिए दम्पती के बीच सम्भोग का होना अनिवार्य है. और इसके दौरान पुरुष का लिंग स्त्री की योनी में प्रविष्ट होकर स्त्री की योनी में शुक्राणु उत्सर्जित करने होंगे , जिससे शुक्राणु गर्भाशय के मुख के पास इकठ्ठा हो जायेगे|. यह प्रक्रिया सेक्स के दौरान स्वत: ही हो जाती है , इसलिए इसकी चिंता करने की कोई ज़रुरत नहीं है.
इसके आलावा सम्भोग अंडाणु उत्सर्जन के समय के आस-पास होना चाहिए. यह एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमे महिलाओं के अंडाशय से अंडे निकलते हैं| अंडाणु उत्सर्जन मासिक धर्म चक्र का भाग होता है, जो कि ऋतू स्राव के चौदहवें दिन, जब रक्त स्राव शुरू हो जाता है तब शुरू होता है.

१) बच्चा पैदा करने की योजना करने के लिए सबसे पहिले स्त्री-पुरुष दोनों को अपने प्रजनन अंगों की भली प्रकार चिकित्सकीय जांच कराना चाहिए| प्रजनन अंगों के दोषों का पता लगाकर इलाज कराना चाहिए| बच्चा पैदा करने के लिए महिलाओं में सेक्स के दौरान चरम आल्हाद (orgasm ) होना अनिवार्य नहीं है| दरअसल स्त्री की फेलोपियन नलिका जो कि अंडे को अंडाशय से गर्भाशय तक ले जाती है , शुक्राणु को अपने अन्दर खींच लेती है और उसे अंडाणु से मिलाने की कोशिश करती है. और इसके लिए महिलाओं में ओर्गास्म का आना जरूरी नहीं है

2) अंडाणु उत्सर्जन के समय के आस-पास सम्भोग करें-
स्त्री रोग विशेषज्ञों का मानना है कि बच्चा पैदा करने के लिए स्त्री के अंडाणु अंडाशय से निकलने के 24 घंटे के अन्दर ही निषेचित होने चाहियें. पुरुष के शुक्राणु स्त्री के प्रजनन पथ में 48 से 72 घंटे तक ही जीवित रह सकते हैं. चूँकि बच्चा पैदा करने के लिए आवश्यक भ्रूण अंडाणु और शुक्राणु के मिलन से ही बनता है , इसलिए दंपत्ति को अंडाणु उत्सर्जन के दौरान कम से कम ४८ घंटे में एक बार ज़रूर सम्भोग करना चाहिए और इस दौरान पुरुष को स्त्री के ऊपर होना चाहिए ताकि शुक्राणु के लीकेज की सम्भावना कम हो.|
अंडाणु उत्सर्जन का समय कैसे पता करें ?
अंडाणु उत्सर्जन का समय पता करने का अर्थ है उस समय का पता करना जब स्त्री के अंडाशय से निषेचन के लिए तैयार अंडाणु निकले| इसे जानने के लिए आपको अपने मासिक-धर्म का अंदाजा होना चाहिए| यह 24 से 40 दिन के बीच हो सकता है.| अब यदि आप को अपने अगले मासिक धर्म होने का अंदाजा है तो आप उससे 12 से 16 दिन पहले का समय पता कर लीजिये , यही आपका अंडाणु उत्सर्जन का समय होगा .
उदाहरण के तौर पर यदि मासिक धर्म की शुरुआत 30 तारीख को होनी है तो 14 से 18 तारिख का समय अंडाणु उत्सर्जन का समय होगा.
बच्चा पैदा करने के लिए उपयुक्त समय का पता करने का एक और तरीका है स्त्री की योनी से निकलने वाले चिपचिपे तरल को अपने ऊँगली पर लीजिये और उसकी elasticity check कीजिये, जब ये अधिक और देर तक लचीला रहे तो समझ जाइये कि अंडाणु उत्सर्जन हुआ है और अब आप बच्चा पैदा करने के लिए सम्भोग कर सकते हैं.

3) एक स्वस्थ जीवन शैली अपनाएं -
बच्चा पैदा करने के अवसर बढ़ाने के लिए बेहद आवश्यक है कि पति-पत्नी एक स्वस्थ्य- जीवनशैली बनाये रखें. इससे होने वाली संतान भी अच्छी होगी. खाने – पीने में पर्याप्त भोजन और फल की मात्रा रखें .विटामिन प्राप्त होने से पुरुष-स्त्री दोनों की प्रजनन शक्ति बढती है | रोजाना घूमने और योग करने से भी फायदा होता है.
ध्यान देने योग्य है कि धूम्रपान करने वाली महिलाओं में गर्भ धारण करने के अवसर काफी हद तक घट जाते हैं|

4) तनाव-मुक्त रहने का प्रयास करें:
इसमें कोई शक नहीं है कि अत्यधिक तनाव आपके प्रजनन कार्य में बाधा डालेगा. तनाव से कामेच्छा समाप्त हो सकती है , और स्त्रियों में रजस्वला होने की प्रक्रिया में बाधा पड सकती है| एक शांत मन आपके शरीर पर अच्छा प्रभाव डालता है और आपके गर्भ धारण करने की सम्भावना को बढाता है इसके लिए आप अनुलोम विलोम प्राणायाम का सहारा ले सकते हैं|

5) अंडकोष को ज्यादा गर्मी से बचाएँ :
ध्यान रहे शुक्राणु ज्यादा तापमान में मृत हो सकते हैं. इसीलिए अंडकोष जहाँ शुक्राणु का निर्माण होता है शरीर के बाहर होते हैं ताकि वो ठंडे रह सकें| गरम पानी के टब में न बैठें| जो लोग आग की भट्टी या किसी गरम स्थान पर देर तक काम करते हैं उन्हें सावधान रहने की ज़रुरत है

6) सेक्स के बाद थोड़ी देर आराम करें:
सेक्स के बाद थोड़ी देर लेटे रहने से महिलाओं की योनी से शुक्राणु के निकलने के अवसर नहीं रहते. इसलिए सेक्स के बाद 15-20 मिनट लेटे रहना ठीक रहता है.

7) किसी तरह का नशा ना करे:
ड्रग्स , नशीली दवाओं, सिगरेट या शराब


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रविवार, 24 जुलाई 2016

सुहागरात के टिप्स

सुहागरात के  टिप्स


First night या  Suhagrat किसी भी Male और Female  के जीवन की अविस्मरणीय रात होती है और झिझक, प्रेम भावना से भरी होती है. इसके साथ साथ नवदम्पति Husband wife के लिए सबसे अहम हिस्सा होता है शारीरिक सम्बन्ध (Physical Relationship) बनाना यानि संभोग, रतिक्रिया कई भ्रांतियों के चलते उनके मन में आशाकाएं और डर जगह कर जाती है. इसके कारण जोड़ा वह सम्पूर्ण आनंद नहीं ले पाता जो वास्तविकता प्रकृति ने सभी के लिए बनाया है. आम तौर पर एक Man ज्यादा चिंतित होता है की वह अपने Female Partner को पूरी तरह से तृप्त कर पायेगा या नहीं. इसी Tension को समाप्त करने के लिए कुछ बेहतरीन First Night Suhagrat Tips Help :-


  • Suhagrat में सबसे पहले आप अपने आप को Confidence से भर लीजिये और Chill करिए.
  • कमरे में प्रवेश करने से पूर्व ही अनचाहे बालों की खेती की सफाई कर लेवें
  • हेलमेट (बैलून) आदि व्यवस्था अपने पास जरुर रखें वर्ना पछताना पड़ सकता है.
  • Partner के पास बैठ कर कुछ समय बातचीत में बिताएं, जल्दबाजी बिलकुल न करें.
  • हालाँकि आज के मोबाइल युग में पति पत्नी शादी से पहले ही इतनी बातें कर चुके होते हैं की बाकी कुछ भी नहीं रहता, किन्तु फिर भी धैर्य न खोएं.
  • अपनी पूर्व की प्रेमिका या अन्य किसी भी महिला का जिक्र भूलकर भी न करें.
  • पहले मन को मिलाएं और बाद में तन को.
  • सरप्राइज गिफ्ट देवें.
  • यहाँ एक ख़ास बात का ध्यान अवश्य रखें की आपकी पत्नी अब उम्र भर के लिए आपकी ही है इसलिए उसे पूरी तरह से सुरक्षित रखना भी आपका दायित्व बनता है अर्थात् बिना उसकी मर्जी के जोर जबरदस्ती का प्रयास बिलकुल न करें.
  • यह किसी भी किताब में नहीं लिखा है की First night या सुहागरात को सेक्स करना अति आवश्यक है.
  • अपने Life Partner की मंजूरी लेने के बाद ही आगे कदम बढ़ाएं.
  • कमरे का माहौल खुशनुमा बनाएं, छोटी मोटी शरारतों से शुरुआत करें.
  • सुगन्धित द्रव्य का स्प्रे करें, इससे काम इच्छा जागृत होती है.
  • अधिकतर स्त्री शर्मीली स्वभाव की होती है अतः वह कभी भी स्टार्ट नहीं करेगी और जल्दी से तैयार भी न होगी.
  • अब आप अपने साथी को  night dress पहनने के लिए कहें और स्वयं भी change कर लेवे.
  • बत्ती बंद होने पर ही आपकी गाड़ी स्टार्ट हो पाएगी अन्यथा आपका पार्टनर नहीं मानेगा. इसलिए नाइट लेंप जला लेवें.
  • छोटी छोटी शरारतें करें और धीरे धीरे शुरुआत करें जैसे Love Romance की बातचीत करना, चुम्मन, आलिंगन, लिपटना, प्राइवेट पार्ट को स्पर्श करना, Husband को सर्वप्रथम अपने पार्टनर को उत्तेजित करना चाहिए, स्त्री में काम वासना जगाने के लिए पुरे बदन को चूमना शुरू करें, स्तन के टॉप्स को सहलाने के साथ चूम सकतें है.
  •  First Time क्रिया करने से पहले हमारे आर्टिकल Better love Life Tips को अवश्य पढ़ें.
  •  यह आवश्यक नहीं है की प्रथम संभोग क्रिया के दौरान ब्लडिंग होती ही है, यदि संभोग के दौरान Blooding न हो, घबराएँ नहीं, सामान्यतया झिल्ली पहले ही अन्य कार्य ख़त्म हो जाती है, तो बेवजह वहम न पाले.
  •  संभोग किया करने के लिए कंडोम का प्रयोग करे, यह सबसे अच्छा विकल्प है अनचाहे गर्भ को रोकने का.
  •  अश्लीन फिल्म आदि से प्रभावित होकर कठिन स्टेप्स करने की कोशिश बिलकुल न करें.
  •  संभोग करने में जल्दबाजी न करें, Slow Slow अपना कार्य शुरू करें.
  •   शिशन के साइज़ को लेकर कोई चिंता न करें, इससे फर्क नहीं पड़ता की कितना लंबा है मोटा है, इसलिए किसी प्रकार की टेंशन न लेवें.
  •  स्खलन हो जाने के बाद तौलिये से दोनों के प्राइवेट पार्ट को पौछ देवें और थोड़े समय बाद दुध का सेवन कर सकते है.
  •  Romance के तुरंत बाद ही मुंह घुमाकर सो जाने की भूल न करे, इससे आपका साथी यह मन सकता है की आपको सिर्फ सेक्स से ही Love है.

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शनिवार, 23 जुलाई 2016

क्यों होती है घबराहट पहले सेक्स सम्बन्ध मे

 क्यों होती है घबराहट पहले सेक्स सम्बन्ध मे




लोग पहली बार सेक्स करते है तो उनको बहुत खुशी होती है। वह जोश के साथ सेक्स करते है और इसके साथ ही लोगो को बहुत घबराहट भी होती है। महिलाओं को लगता है कि पेनिस और वेजाइना में क्रिया होने के समय वो दर्द को सहन नहीं कर पायेंगी। लेकिन ये सिर्फ एक शंका है। ये घबराहट दिमाग में सेक्स को लेकर पहले से बैठे मिथकों की वजह से पैदा होती है। पहली बार इस  अहसास को महसूस करने के लिए घबराहट को दूर करना सबसे ज्यादा जरूरी है। - 

ब्लीडिंग- सबसे भी कॉमन है लोगों का ये सोचना कि पहली बार इन्टरकोर्स के दौरान ल़डकी के जननांगों से ब्लीडिंग होनी जरूरी है। कुछ लोग तो इसे लडकी के कौमार्य से जो़डकर देखते हैं। ब्लीडिंग न होने पर ये मान लिया जाता है कि लडकी पहले किसी के साथ जिस्मानी तौर पर रिश्ता बना चुकी है या वो वर्जिन नहीं हैं। सेक्सोलॉजिस्ट की मानें तो ब्लीडिंग ब्लड वेन्स के फटने की वजह से होती हैं। ऎसा दूसरी या तीसरी बार इंटरकोर्स करने पर भी हो सकता है। ब्लीडिंग होना जरूरी नहीं है। आजकल लडकियां स्पोट्र्स और उछलकूद की काफी एक्टिविटीज करती हैं। ऎसे में ब्लड वेन्स पहले ही फट सकती हैं जिसकी वजह से ऎसा हो सकता है कि सेक्स के दौरान ब्लीडिंग न हो। 

दर्द- कई महिलाएं पहली बार सेक्स के दौरान होने वाले दर्द को लेकर काफी डरी होती हैं। उन्हें लगता है कि पेनिस और वेजाइना में क्रिया होने के समय वो दर्द को सहन नहीं कर पायेंगी। लेकिन ये सिर्फ एक शंका है। ऎसा तब होता है, जब दोनों में से किसी के पर्सनल पार्ट सूखे हों। इसके लिए इंटरकोर्स से पहले फोरप्ले करें। ऎसा करने से दोनों पार्टनर के सेक्सुअल ऑर्गेन्स से रंगहीन लसलसा पदार्थ निकलता है, जो चिकनाई पैदा करता है। अगर फिर भी दर्द हो तो इंटरकोर्स धीरे-धीरे करें। 

कंडोम से मजा नहीं- कंडोम के इस्तेमाल करने पर लडके सेक्स का मजा नहीं ले पाते। ये आपके कंडोम के ब्रांड पर डिपेंड करता है। इसके लिए कम्फरटेबल और लेटेक्स कंडोम का इस्तेमाल करें। 

नशे से इंजॉयिंग सेक्स- ड्रिकिंग, ड्रग्स या कई तरह का नशा करके लोगों को लगता है कि सेक्स का मजा दोगुना हो जाता है, लेकिन इसमें कोई सच्चाई नहीं है। नशे की हालत में कोई आपका रेप और असॉल्ट भी कर सकता है। 

प्रेग्नेंसी से बचें- ज्यादातर पहली बार सेक्स बिना किसी प्लैनिंग के होता है। ऎसे में जाहिर है आपके पास कंडोम या किसी और तरह की प्रिकॉशन नहीं होती है। ऎसे हालात में एक कॉमन मिथ है कि अगर इंटरकोर्स के तुरंत बाद ल़डकी यूरीन पास करती हैं तो प्रेग्नेंसी नहीं होगी। सच ये है कि यूरीन यूट्रेस से पास होता है और स्पर्म डोम का इस्तेमाल करें। 

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संभोग समय बढ़ाने के घरेलू और आयुर्वेदिक उपाय

                                    संभोग समय बढ़ाने के घरेलू और आयुर्वेदिक उपाय : आज की भागदौड़ भरी जिंदगी में तनाव , अनियमित जीवनशैली औ...