बुधवार, 28 जुलाई 2021

पुरूषों का यौन जीवन खुशहाल नहीं रह गया है, आइए समझते है इसका कारण डॉ0 बी0 के0 कश्यप (Psycho sexologist) से-

 



पुरूषों का यौन जीवन खुशहाल नहीं रह गया है, आइए समझते है इसका कारण डॉ0 बी0 के0 कश्यप (Psycho sexologist) से-

पुरूषों में सेक्स इच्छा कम होने के कई कारण होते हैं जैसे पारिवारिक समस्या, शारीरिक अस्वस्थ्ता या कामेच्छा की कमी। इनकी वजह से पुरूषों में सेक्स करने की चाहत खत्म हो जाती है।

अक्सर ऐसा होता है कि उम्र बढ़ने से पुरुषों में सक्रिय और संतोषजनक यौन जीवन की इच्छा कम हो जाती है।

पुरूषों में टेस्टोस्टेरॉन नामक एक हार्मोन होता है जिसके कारण उनमें यौन इच्छा बढ़ जाती है। लेकिन जैसे-जेसे इस हार्मोन का स्तर कम होता जाता है वैसे-वैसे पुरूषों में यौन इच्छा कम होने लगती है।

इसके अलावा भी कई ऐसे अन्य कारण होते हैं, जिससे पुरुष अपने यौन जीवन से असंतुष्ट होते हैं। आइए जानते हैं किन कारणों से पुरुष अपने यौन जीवन से असंतुष्ट रहते हैं।


लिबिडो (कामेच्छा) की कमी के कारण:

लिबिडो की कमी होना पुरूषों में यौन इच्छा कम देता है। महिलाओं की अपेक्षा यह समस्या पुरूषों में अधिक देखने को मिलती है। कामेच्छा की हानि का मतलब यह नहीं है कि पुरूषों में यौन संबंध रखने की क्षमता कम हो गई है। इसका मतलब यह होता है कि उनमें अब यौन संबंध बनाने की इच्छा खत्म हो गई है। लो लिबिडो शारीरिक, भावनात्मक और मनोवैज्ञानिक कारणों से जुड़ा होता है। जिसका कम होना आपके यौन जीवन पर प्रभाव डाल सकता है। लिबिडो के कम होने के कई कारण हो सकते हैं जैसे- शराब, नशीली दवाइयां, मोटापा(एक प्रमुख कारक), एनीमिया, लो टेस्टोस्टेरोन(एक बहुत ही दुर्लभ कारण) या डायबिटीज हो सकता है। इसके कुछ भावनात्मक कारण भी होते हैं जैसे- डिप्रेशन, तनाव या बचपन की कोई बुरी याद।

इरेक्टाइल डिस्फंक्शन:

बढ़ती उम्र के साथ, पुरुषों में नपुंसकता (जिसे इरेक्टाइल डिस्फंक्शन या ईडी के रूप में भी जाना जाता है) अधिक सामान्य हो जाता है। नपुंसकता के कारण पुरूषों में सेक्स करने की इच्छा कम हो जाती है जिसका सीधा प्रभाव उनके यौन जीवन पर पड़ता है। नपुंसकता के कारण, पुरुष इरेक्शन के लिए सामान्य समय से अधिक समय लेते हैं। पुरूषों में आर्गेज्म आने के बाद इरेक्शन जल्दी हो सकता है। इरेक्टाइल डिस्फंक्शन कोई गंभीर समस्या नहीं है। इस समस्या को ठीक करने के लिए आप डॉक्टर से परामर्श कर सकते हैं।

भावनात्मक रूप से असंतुलित होना:

रिश्ते में या परिवार में भावनात्मक असंतुलन के कारण भी यौन जीवन प्रभावित हो सकता है। किसी भी रिश्ते में अगर तनाव या हताशा हो तो उसका सीधा प्रभाव यौन जीवन पर आ सकता है। पुरूषों में यौन इच्छा की कमी पारिवारिक समस्याओं या किसी अपने के दूर चले जाने के कारण भी हो सकता है। जब कोई व्यक्ति भावनात्मक रूप से दुखी होता है तो यौन जीवन में उनकी रुचि कम हो जाती है। इसके कारण वह इंसान अपने पार्टनर से पूरी तरह जुड़ नहीं पाता है।

स्वास्थ्य से जुड़ी कई बीमारियों के कारण:


स्वास्थ्य से जुड़ी कई बीमारियों के कारण पुरुषों में सेक्स करने की क्षमता कम हो जाती है। डायबिटीज के कारण इरेक्टाइल डिस्फंक्शन हो सकता है जिसकी वजह उनमें यौन संबंध बनाने की इच्छा कम हो जाती है। इनकॉन्टिनेन्स डिसऑर्डर उम्र के साथ विकसित हो जाता है। इसके कारण संभोग में परेशानी होती है। इस डिसऑर्डर के कारण यूरिन लीक होने की समस्या होती है।




बुधवार, 30 जून 2021

आदतें जो पुरुषो की सेक्स लाइफ को कमजोर बनाती है -



पुरुषों की सेक्स लाइफ को कमजोर बनाती हैं  कुछ आदतें,  डॉक्टर बी0 के0 कश्यप  से समझें उसके समाधान-


यौन स्वास्थ्य पुरुष (Men’s Sexual Wellness) और महिला दोनों के लिए स्वास्थ्य का महत्वपूर्ण स्तंभ माना जाता है। ऐसा सिर्फ इसलिए नहीं है, क्योंकि सेक्स जिंदगी का अभिन्न हिस्सा है। यौन समस्याएं (Sex Problems) यह बताती हैं कि शरीर में कहीं बड़ी कमी आ रही है।  इसलिए पुरुषों को भी अपनी सेक्स समस्या को नजरअंजाद नहीं करना चाहिए। इसके लिए बहुत अधिक कुछ करने की आवश्यकता नहीं है। बस, पुरुषों को अपनी कुछ आदतों को सुधारना होगा।

1. असुरक्षित सेक्स की आदत

पुरुषों को संभोग करने से पहले और बाद में सुरक्षा का खास ध्यान एकाध बार नहीं बल्कि हमेशा रखना चाहिए। इसकी वजह से आप न सिर्फ एचआईवी/एड्स (HIV/ AIDS) बल्कि कई जानलेवा बीमारियों से बच सकते हैं। इसलिए हेल्दी सेक्स लाइफ (Healthy Sex Life) की आदतों को जान लें।

2. फोरस्किन को अनदेखा करना

पुरुषों के लिए फोरस्किन भी जरूरी है। रोजाना स्नान करते वक्त लिंग के ऊपरी हिस्से की त्वचा (फोरस्किन) को आगे पीछे करके इसे नियमित तौर पर साफ करना चाहिए। इससे न सिर्फ लिंग स्वस्थ और संक्रमण से मुक्त रहता है बल्कि इससे टाइट फोरस्किन या फिमोसिस जैसी समस्याएं भी दूर होती हैं।

टाइट फोरस्किन वाले पुरुष के लिए संभोग क्रिया अक्सर मजेदार नहीं रहती और वे इससे परहेज करते हैं। मेरे पास ऐसे मरीज भी जाए जिनकी शादी को 11 साल हो गए, लेकिन वे टाइट फोरस्किन की वजह से संभोग सुख का आनंद नहीं उठा सके। फोरस्किन हटाना इस समस्या का सामान्य समाधान है। इस दिक्कत से बचने के लिए एंड्रोलाॅजिस्ट से मिलें।


3. नपुंसकता को छिपाना

लिंग सख्ती के साथ खड़ा नहीं होने की समस्या आम है। इससे अधिकतर पुरुष जूझते हैं। मगर वही लोग अक्सर इसे नजरअंदाज कर देते हैं। कई लोग फुल इरेक्शन के बगैर हस्तमैथुन करते हैं। जिससे कि ये समस्या और बढ़ जाती है।

इतना ही नहीं नपुंसकता को लेकर वे अपने दिमाग में भ्रांतिया भर लेते हैं। इसलिए वे एंड्रोलाॅजिस्ट को दिखाने से शर्माते हैं। जब वे इसे अनदेखा करते हैं या बिना चिकित्सा परामर्श के वियाग्रा आदि दवा  का सेवन करने लगते हैं।

मगर बाद में वे पूरी तरह नपुंसकता का शिकार हो जाते हैं। इसलिए अगर आप को शीघ्रपतन या कोई अन्य सेक्शुअल समस्या  है तो डॉक्टर से तुरंत मिलें।

4. पोर्न को हकीकत समझना-

पोर्न देखने की आदत हर किसी के लिए खराब है। पोर्न की लत के कारण भी सेक्स की समस्या जन्म लेती है। मेरे पास आने वाले कई मरीजों का कहना था कि वे वैवाहिक जिंदगी का मजा नहीं ले सकते, क्योंकि वे अपने पार्टनर या पार्टनर द्वारा उत्तेजित करने वाले तरीकों को पसंद नहीं करते।

पोर्नोग्राफी का आदी होने से उनके मन में महिलाओं के लिए बाॅडी इमेज प्रभावित होती है। इसलिए कभी भी पोर्न को निजी जीवन में उतराने की कल्पना नहीं करनी चाहिए क्योंकि आप आम आदमी हैं कोई पोर्नस्टार नहीं।

5. हस्तमैथुन के लिए बेचैनी-

वैसे तो हस्तमैथुन एक अच्छी क्रिया है किंतु अगर इसमें ही खो गए तो आप अपना तन-मन दोनों ही खो देते हैं। हालांकि इसकी कोई सीमा नहीं है कि आप कितनी बार सुरक्षित रूप से हस्तमैथुन कर सकते हैं।

हमें ऐसी रोगी भी मिले जिन्होंने महीनों तक दिन में 10 बार हस्तमैथुन किया। हस्तमैथुन सेक्स संबंधी तनाव दूर करने का त्वरित जरिया है, जबकि संभोग पूरी तरह से अलग मामला है। इसलिए संभोग का सुख चाहिए तो आपको इसकी लत नहीं लगानी चाहिए। अच्छी चीजों की आदत डालें और किसी भी चीज की लत नहीं लगने देनी चाहिए। तब जाकर आप पौरुष जीवन का सुख भोग सकते हैं। साथ ही सेक्स संबंधित बीमारी के संकेत दिखने पर बिना शर्म और देरी किए तुरंत डॉक्टर से मिलें।

निष्कर्ष (Conclusion)

पुरुषों की सेक्स लाइफ को कमजोर बनाने में आपकी गंदी आदतों का योगदान भी होता है। मगर हम उस बात पर जोर नहीं देते हैं। अपनी आदतों को सुधारने की बजाय अन्य चीजों से इसको दूर करने की सोचते हैं। कई बार यही आदतें पुरुषों की सेक्स लाइफ को खत्म कर देती है। इसलिए इन 5 आदतों से खुद को दूर रखें। यहां पर हमने इन आदतों को लेकर एक डॉक्टर से बातचीत की और उन्होंने उसके समाधान बताए हैं। यदि अपनी सेक्स लाइफ को तंदरुस्त रखना चाहते हैं इन बातों का ख्याल रखें।




मंगलवार, 15 जून 2021

सफेद मूसली के सेक्शुअल फायदे और उपयोग





सफेद मूसली के सेक्शुअल फायदे और  उपयोग 

सफेद मूसली (safed musli) को शक्तिवर्द्धक जड़ी बूटी माना जाता है, इसलिए आयुर्वेद में औषधि के रूप में इसका बहुत इस्तेमाल किया जाता है। सफेद मूसली की जड़ और बीज, विशेष रूप से औषधि के रूप में बहुत फायदेमंद होते हैं। इसकी जड़ों में कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन, फाइबर, कैल्शियम, पोटैशियम, मैग्नीशियम आदि अत्यधित मात्रा में पाए जाते हैं। 

सफेद मूसली क्या है? (What is Safed Musli?)

मूसली फूल सफेद रंग के होते हैं। इसकी जड़ मोटी तथा गुच्छों में होती है। इसका कंद (bulb) मीठा, कामोत्तेजक और कफ को कम करने में मदद करता है। यह स्तनों में दूध को बढ़ाने में मदद करता है। यहां तक सफेद मूसली मोटापा  (obesity), अर्श या पाइल्स (piles), सांसों के रोग, खूनी की कमी या एनिमिया (anemia) में भी लाभ पहुंचाता है। आप इसका लाभ ह्रदय विकार (heart disease) तथा डायबिटीज (diabetes) जैसे रोगों में भी ले सकते हैं। सफेद मूसली का वानस्पतिक नाम Chlorophytum borivilianum (क्लोरोफायटम बोरिबिलिएनम्) है। सफेद मूसली Liliaceae (लिलिएसी) कुल का है।



सफेद मूसली के फायदे उपयोग (Safed Musli Benefits & Uses )-



ब्रेस्टमिल्क को बढ़ाने में उपयोगी सफेद मूसली -


माताओं के स्तनों में दूध बढ़ाने के लिए सफेद मूसली फायदे का लाभ उठाना चाहिए। इसके लिए सफेद मूसली का प्रयोग इस तरह से करना चाहिए। 2-4 ग्राम सफेद मूसली के चूर्ण में बराबर भाग मिश्री मिला लें। इसे दूध के साथ सेवन करें। इससे स्तनों में दूध की वृद्धि होती है।


दस्त को रोकने में सफेद मूसली के फायदे -

सफेद मूसली का सेवन करने पर दस्त की परेशानी से निजात मिल सकता है। 2-4 ग्राम सफ़ेद मूसली की जड़ के चूर्ण को दूध में मिला लें। इसका प्रयोग करने से दस्त, पेचिश तथा भूख की कमी जैसी परेशानियों में लाभ मिलता है।

पेट की बीमारी में सफेद मूसली के फायदे -

पेट में गड़बड़ी, पेट दर्द, खाना ना खाने की इच्छा, दस्त जैसी समस्याएं होने पर सफेद मूसली का सेवन करें। इसके लिए सफेद मूसली के कंद के चूर्ण का सेवन करना चाहिए। 1-2 ग्राम कंद (bulb) के चूर्ण का सेवन करने से दस्त, पेट की गड़बड़ी, पेट दर्द और भूख ना लगने की समस्या ठीक होती है।

मूत्र संबंधी समस्या में सफेद मूसली के फायदे -

कई लोग को पेशाब करते समय दर्द होता है। इस रोग में मूसली बहुत फायदेमंद होता है। मूसली जड़ के चूर्ण को 1-2 ग्राम की मात्रा में सेवन करें। इससे राहत मिलती है।



सुजाक रोग में सफेद मूसली चूर्ण के फायदे -

सुजाक एक तरह का बैक्टीरियल इंफेक्शन से संबंधित रोग है, जो यौन संपर्क के कारण होता है। अगर इसका समय पर इलाज ना किया गया तो नपुंसक होने की संभावना भी रहती है। सफेद मूसली के चूर्ण का सेवन करने से सुजाक में लाभ मिलता है।

ल्यूकोरिया में सफेद मूसली के फायदे -

ल्यूकोरिया महिलाओं को होने वाली एक बीमारी है। इस रोग के कारण महिलाओं के स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ता है। आप सफेद मूसली का प्रयोग करके ल्यूकोरिया को ठीक करने में मदद पा सकते हैं। इसको ठीक करने के लिए 1-2 ग्राम सफेद मूसली के कंद चूर्ण का सेवन करें।

कमजोरी दूर करने में सफेद मूसली के फायदे- 

कभी-कभी संतुलित आहार नहीं ले पाने, या फिर अन्य कारणों से लोगों को शारीरिक कमजोरी की शिकायत हो जाती है। इसमें सफेद मूसली चूर्ण का सेवन करने से लाभ मिलता है। सफेद मूसली के कंद के 2-4 ग्राम चूर्ण में मिश्री मिला लें। इसे दूध के साथ सेवन करें। सफेद मूसली का उपयोग सामान्य कमजोरी तथा लिंग से संबंधित कमजोरी दूर करने में होती है। आप 2-4 ग्राम मूसली के चूर्ण में, समान मात्रा के शर्करा डाल लें। इसे गाय के दूध के साथ सेवन करने से लाभ मिलता है।

· 1-2 ग्राम जड़ के चूर्ण में समान मात्रा में मिश्री मिला लें। इसका सेवन करने से कमजोरी दूर होती है, और वीर्य दोष (Semen) ठीक होता है।

· सफेद मूसली की जड़ के 1-2 ग्राम चूर्ण में बराबर भाग में मिश्री मिला लें। इसका सेवन करने से सामान्य शारीरिक दुर्बलता और शुक्र-दुर्बलता की परेशानी ठीक होती है।

गठिया के दर्द में सफेद मूसली के फायदे -

गठिया के लिए सफेद मूसली बहुत फायदेमंद होता है। सफेद मूसली के कंद (bulb) को पीसकर लगाने, या सफ़ेद मूसली चूर्ण का सेवन करने से गठिया के दर्द से आराम मिलता है।

कामेच्छा को बढ़ाने में लाभकारी सफेद मूसली -

कई बार काम के तनाव के कारण, या किसी शारीरिक समस्या के कारण, या फिर दवा के साइड इफेक्ट के कारण सेक्स करने की इच्छा में कमी आ जाती है। सफेद मूसली के साथ, समान मात्रा में गुडूची सत्त्, कौंञ्च बीज, गोखरू, सेमलकंद, आँवला तथा शर्करा लें। इनका चूर्ण बना लें। इसे 2-4 ग्राम की मात्रा को घी तथा दूध में मिलाकर पीने से सेक्स करने की इच्छा बढ़ती है। पुरूषों के इस यौन समस्या में सफेद मूसली का उपयोग बहुत लाभकारी होता है।

सफेद मूसली का उपयोगी भाग -

आयुर्वेद में सफेद मूसली के कंद, जड़ और बीज का प्रयोग औषधि के लिए सबसे ज्यादा किया जाता है।





शुक्रवार, 11 जून 2021

चंद्रप्रभा वटी के उपयोग और फायदे





चंद्रप्रभा वटी क्या है?

आयुर्वेद में चंद्रप्रभा वटी एक बहुत ही प्रसिद्ध और उपयोगी वटी है। इसके नाम से ही उसके गुणों का भी पता चलता है। चंद्र यानी चंद्रमा, प्रभा यानी उसकी चमक, अर्थात् चंद्रप्रभा वटी के सेवन से शरीर में चंद्रमा जैसी कांति या चमक और बल पैदा होता है। इसलिए शारीरिक कमजोरी पैदा करने वाली लगभग बीमारियों में अन्य दवाओं के साथ चंद्रप्रभा वटी भी दी ही जाती है।


चंद्रप्रभा वटी के उपयोग और फायदे 


चंद्रप्रभा वटी है मधुमेह में फायदेमंद-

चंद्रप्रभा वटी का उपयोग मधुमेह (Diabetes) के नियंत्रण के लिए करते हैं। डायबिटीज या मधुमेह के मरीजों के लिए यह दवा बहुत फायदेमंद है।


चंद्रप्रभा वटी ठीक करती है किडनी सम्बन्धी रोग –

किडनी के खराब होने पर मूत्र की उत्पत्ति बहुत कम होती है जो शरीर में अनेक रोग उत्पन्न करता है एवं मूत्राशय में विकृति होने पर मूत्र आने पर जलन, पेडू में जलन, मूत्र का रंग लाल होना या अधिक दुर्गन्ध होना इन सब में चन्द्रप्रभा वटी अति उपयोगी है। इससे गुर्दों की कार्यक्षमता बढ़ती है जो शरीर को साफ करते हैं। बढ़े हुए यूरिक एसिड (Uric acid) और यूरिया (Urea) आदि तत्वों को यह शरीर से बाहर निकालती है। अगर आप किडनी रोगों से पीड़ित हैं तो आयुर्वेदिक चिकित्सक की सलाह लेकर चंद्रप्रभा वटी का उपयोग करें 
 
चंद्रप्रभा वटी है मूत्र सम्बन्धी विकारों में लाभदायक-

यह वटी पेशाब की परेशानियों और वीर्य विकार की काफी लाभकारी तथा प्रसिद्ध दवा है। मूत्र आने पर जलन, रुक–रुक कर कठिनाई से मूत्र आना, मूत्र में चीनी आना, मूत्र में एल्ब्युमिन जाना (Albumin), मूत्राशय की सूजन तथा लिंगेन्द्रिय की कमजोरी इससे शीघ्र ठीक हो जाती है।


 चंद्रप्रभा वटी से बढ़ाएं शारीरिक और मानसिक शक्ति-

पतंजलि चंद्रप्रभा वटी के नियमित सेवन से शारीरिक तथा मानसिक शक्ति मे वृद्धि होती है। यह थोड़े से श्रम से हो जाने वाली थकान और तनाव आदि को कम करती है, शरीर में स्फूर्ति लाती है और स्मरण शक्ति (memory) को बढ़ाती है। चंद्रप्रभा वटी के फायदे को देखते हुए इसे सम्पूर्ण स्वास्थ्य टॉनिक के रूप मे प्रयोग किया जाता है। इसके साथ लोध्रासव या पुनर्नवासव का भी प्रयोग करना चाहिए। टॉनिक होने के अलावा चंद्रप्रभा वटी शरीर को विभिन्न प्रकार के टॉक्सिन (toxins) से मुक्त करने का भी काम करती है।


वीर्य सम्बन्धी रोगों में चंद्रप्रभा वटी के लाभ-

पुरुषों में अधिक शुक्र क्षरण या स्त्रियों में अधिक रजस्राव होने से शारीरिक कान्ति नष्ट हो जाती है, शरीर का रंग पीला पड़ना, थोड़े ही परिश्रम से जल्दी थक जाना, आँखे अन्दर धँस जाना, भूख न लगना आदि विकार पैदा हो जाते है ऐसे में इस वटी का प्रयोग करने से लाभ मिलता है। यह रक्तादि धातुओं की पुष्टि करती है। यह स्पर्मकाउंट (sperm count) को बढ़ाती है, ब्लड सेल यानी रक्त कोशिकाओं का शोधन तथा निर्माण करती है। स्वप्नदोष (Nightfall) या शुक्रवाहिनी नाड़ियों के कमजोर पड़ जाने पर इसे गुडुची के क्वाथ से लेना चाहिए।
 
स्त्री रोगों में  चंद्रप्रभा वटी के लाभ-

स्त्री रोगों के लिए भी यह एक अच्छी दवा है। यह गर्भाशय की कमजोरी दूर कर उसे स्वस्थ बनाती है। गर्भाशय के बढ़े आकार, उसकी रसौली, बारंबार गर्भपात आदि समस्याओं में चंद्रप्रभा वटी का सेवन रामबाण का काम करता है। यह गर्भाशयसंबंधी रोगों को दूर कर गर्भाशय को बल प्रदान करती है। अधिक मैथुन या अधिक संतान होने अथवा विभिन्न रोगों से गर्भाशय के कमजोर हो जाने, कष्ट के साथ मासिक धर्म आना (period pain), लगातार 10-12 दिन तक रजस्राव होना इन सब में चन्द्रप्रभा वटी को अशोक घृत या फलघृत के साथ लेना चाहिए।


चंद्रप्रभा वटी एक अच्छी दर्दनिवारक भी है-

दर्द से राहत दिलाने में भी चंद्रप्रभा वटी फायदेमंद है। यूरिक एसिड कम करने के गुण के कारण जोड़ों के दर्द, गठिया वात के दर्द, जोड़ों के सूजन आदि को यह कम और समाप्त करती है। इसके सेवन से स्त्रियों में मासिक धर्म की अनियमितताएं भी ठीक होती हैं और उसके कारण होने वाले पेड़ू के दर्द, कमर दर्द आदि में आराम मिलता है।


चंद्रप्रभा वटी के अन्य लाभ-

मंदाग्नि, अजीर्ण, भूख न लगना कमजोरी महसूस करना इन सब में पतंजलि चंद्रप्रभा वटी लाभ करती है। मल–मूत्र के साथ वीर्य का गिरना, बार–बार मूत्र आना, ल्यूकोरिया (leukorrhea) , वीर्य दोष, पथरी (kidney stone), अंडकोषों में हुई वृद्धि, पीलीया (jaundice), बवासीर (Piles), कमर दर्द (backache), नेत्ररोग तथा स्त्री-पुरुषों के जननेन्द्रिय से संबंधित रोगों को यह ठीक करती है।




रविवार, 23 मई 2021

शिलाजीत के उपयोग, लाभ और हानि



शिलाजीत के उपयोग, लाभ और हानि –

आयुर्वेद के अनुसार शिलाजीत की उत्पत्ति पत्थर से हुई है गर्मी के मौसम में सूर्य की तेज गर्मी  से पर्वतो की चट्टानों से धातु अंश पिघल  कर रिसने लगता है इसी को शिलाजीत कहते है ।  
शिलाजीत हिमालयी क्षेत्र में पाया जाने वाला एक खास खनिज पदार्थ है। माना जाता है कि यह औषधीय गुणों से भरपूर होता है और कई शारीरिक समस्याओं से बचाव व उनके असर को कम करने में मदद कर सकता है। ऐसा माना जाता है कि शिलाजीत के सेवन से मर्दानगी में सुधार हो सकता है। 
 
शिलाजीत क्‍या है?

शिलाजीत एक प्राकृतिक खनिज पदार्थ है। इसका निर्माण प्राकृतिक रूप से अपने आप ही होता है, लेकिन इसे बनने में हजारों साल लगते हैं। शोधकर्ताओं का मानना है कि यूफोरबिया, रायलियाना और ट्राइफोलिया रेपेंस जैसी पौधों की प्रजातियों के अपघटन (Decomposition) के बाद यह तैयार होता है। इस आधार पर शिलाजीत को प्रकृति का एक अनमोल उत्पाद भी माना जाता है । यह चिपचिपा होता है और शुद्ध रूप में इसकी महक गौमूत्र की तरह होती है ।
 
शिलाजीत के फायदे –

यहां हम क्रमवार शिलाजीत के फायदे बता रहे हैं, जिन्हें जानने के बाद आसानी से इसकी उपयोगिता को समझा जा सकता है।
 
1. बढ़े ब्लड प्रेशर को नियंत्रित करे

बढ़े हुए ब्लड प्रेशर को नियंत्रित करने के लिए शिलाजीत को बेहतर विकल्प के तौर पर इस्तेमाल किया जा सकता है। इस बात को शिलाजीत से संबंधित एक आयुर्वेदिक शोध में भी माना गया है। शोध में जिक्र मिलता है कि शिलाजीत के औषधीय गुणों में से एक इसका एंटीहाइपरटेंसिव (ब्लड प्रेशर कम करने वाला) प्रभाव भी है। इस प्रभाव के कारण शिलाजीत का सेवन बढ़े हुए ब्लड प्रेशर को कम करने में मदद कर सकता है । इस आधार पर शिलाजीत के लाभ हाई बीपी की समस्या में उपयोगी हो सकते हैं।
 
2. अर्थराइटिस में पहुंचाए आराम

अर्थराइटिस की समस्या में भी शिलाजीत के फायदे हासिल किए जा सकते हैं। अर्थराइटिस में अश्वशिला नाम की आयुर्वेदिक दवा के प्रभाव को जांचने के लिए किए गए चूहों पर आधारित साइंटिफिक रिपोर्ट्स के एक शोध से इस बात की पुष्टि होती है। यह शोध एनसीबीआई (नेशनल सेंटर फॉर बायोटेक्नॉलाजी इंफॉर्मेशन) की साइट पर उपलब्ध है। इस दवा को मुख्य रूप से अश्वगंधा और शिलाजीत दोनों को मिलाकर तैयार किया जाता है। शोध में यह भी स्वीकार किया गया है कि शिलाजीत में सेलेनियम पाया जाता है। सेलेनियम के कारण इसमें एंटीइंफ्लेमेटरी (सूजन को कम करने वाला) प्रभाव मौजूद होता है। यह एंटीइंफ्लेमेटरी प्रभाव ओस्टियोअर्थराइटिस (अर्थराइटिस का प्रकार) से राहत दिलाने में सहायक हो सकता है । इस आधार पर यह कहना गलत नहीं होगा कि अर्थराइटिस की सूजन को कम करने में शिलाजीत के लाभ सहायक हो सकते हैं।
 
3. डायबिटीज में दिलाए राहत

शिलाजीत का प्रयोग डायबिटीज से बचने के लिए भी किया जा सकता है। शिलाजीत में एंटी-डायबिटिक (ब्लड शुगर को कम करने वाला) गुण पाया जाता है। यह गुण हाई ब्लड शुगर के स्तर को कुछ हद तक नियंत्रित करने का काम कर सकता है । इस आधार पर यह कहा जा सकता है कि डायबिटीज की समस्या को नियंत्रित करने के लिए भी  शिलाजीत कारगर हो सकते हैं।
 
4. कोलेस्ट्रोल को कम करने में सहायक

शिलाजीत के लाभ बढ़े हुए कोलेस्ट्रोल को नियंत्रित करने के मामले में भी मददगार हो सकते हैं। शिलाजीत के प्रभाव को समझने के लिए चूहों पर शोध किया गया। शोध में जिक्र मिलता है कि शिलाजीत का एक अहम गुण संपूर्ण लिपिड प्रोफाइल (कोलेस्ट्रोल, ट्रिगलिसेराइड और हाई डेंसिटी लिपोप्रोटीन) को सुधारना भी है। इस गुण के कारण यह बढ़े हुए कोलेस्ट्रोल को नियंत्रित करने में भी मदद कर सकता है । इस आधार पर यह माना जा सकता है कि हाई कोलेस्ट्रोल की समस्या को नियंत्रित करने के लिए भी शिलाजीत कारगर हो सकते हैं। 

5. अल्जाइमर में लाभकारी

आमतौर पर बुजुर्गों को प्रभावित करने वाली अल्जाइमर की समस्या से राहत पाने के लिए भी  शिलाजीत उपयोगी हो सकते हैं। एनसीबीआई की साइट पर उपलब्ध शोध से इस बात की पुष्टि होती है। शोध में जिक्र मिलता है कि शिलाजीत में फुल्विक एसिड (fulvic acid) पाया जाता है। यह तत्व याददाश्त को बढ़ावा देने का काम कर सकता है। इसी तत्व की मौजूदगी के कारण शिलाजीत में एंटीअल्जाइमर (अल्जाइमर से राहत दिलाने वाला) प्रभाव पाया जाता है । इस आधार पर यह माना जा सकता है कि शिलाजीत का उपयोग अल्जाइमर की समस्या से बचा सकता है। वहीं, अगर किसी को यह समस्या है, तो कुछ सकारात्मक प्रभाव नजर आ सकता है।
 
6. दिल को रखे स्वस्थ

शिलाजीत के उपयोग से हाई बीपी को कम करने में मदद मिल सकती है । साथ ही यह संपूर्ण लिपिड प्रोफाइल को नियंत्रित करने में मदद कर सकता है । ये दोनों कारण हृदय स्वास्थ्य के लिए हानिकारक माने जाते हैं । इसके अलावा, शिलाजीत से संबंधित एक अन्य शोध में शिलाजीत को हृदय स्वास्थ्य के लिए लाभकारी बताया गया है । इस आधार पर शिलाजीत को अन्य स्वास्थ्य समस्याओं के साथ ही हृदय के लिए भी उपयुक्त माना जा सकता है।
 
7. एनीमिया में मददगार

आयरन की कमी के कारण होने वाली एनीमिया की समस्या से जूझ रहे लोगों के लिए भी शिलाजीत किसी औषधि से कम नहीं है। एशियन पेसेफिक जर्नल ऑफ टोपिकल बायोमेडिसिन के चूहों पर आधारित शोध में भी इस बात को स्वीकार किया गया है। शोध में माना गया है कि शिलाजीत में पर्याप्त मात्रा में आयरन मौजूद होता है। यह शरीर में आयरन की पूर्ति कर एनीमिया की समस्या से राहत दिलाने में मदद कर सकता है। यह शोध एनसीबीआई की साइट पर उपलब्ध है । इस तथ्य को देखते हुए यह माना जा सकता है कि एनीमिया रोगी के लिए भी  शिलाजीत लाभकारी साबित हो सकते हैं।
 
8. थकान को दूर करे

शिलाजीत के फायदे में थकान की समस्या से राहत दिलाना भी शामिल है। मोटापे से ग्रस्त व्यक्तियों में थकान होना आम माना जाता है। वहीं, शिलाजीत का सेवन मोटापे की इस समस्या से राहत दिलाने में मदद कर सकता है। ऐसे में मोटापे के कारण होने वाली थकान की समस्या से राहत दिलाने में भी शिलाजीत सहायक साबित हो सकता है ।
 
9. मर्दानगी बढ़ाए, बांझपन में लाभ पहुंचाए

शिलाजीत को पुरुषों की मर्दानगी यानी प्रजनन क्षमता को बढ़ाने में भी उपयोगी माना जाता है। वजह यह है कि इसमें पुरुष टेस्टोस्टेरॉन (यौन क्षमता से संबंधित हॉर्मोन) को बढ़ाने की क्षमता पाई जाती है। इसके अलावा, यह ओलिगोस्पर्मिया (पुरुष स्पर्म का कम होना) और बैक्टीरियल इंफेक्शन के कारण पुरुष प्रजनन क्षमता में कमजोरी को ठीक करने में भी मदद कर सकता है । इस आधार पर इसे पुरुषों की मर्दानगी बढ़ाने के मामले में कारगर माना जा सकता है।
 
10. मूत्र संबंधी समस्याओं में उपयोगी

मूत्र संबंधी समस्याओं से निजात पाने के लिए भी शिलाजीत का प्रयोग लाभकारी माना जा सकता है। इसकी पुष्टि इंटरनेशनल जर्नल ऑफ आयुर्वेदा रिसर्च के एक शोध के जरिए होती है। एनसीबीआई की साइट पर पब्लिश इस शोध में जिक्र मिलता है कि शिलाजीत में इम्यूनोस्ट्यूमुलेंट (प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने वाला) गुण पाया जाता है। इस गुण के कारण ही यह मूत्र संबंधी समस्याओं को दूर करने में सहायक हो सकता है। आयुर्वेद में भी मूत्र संबंधी समस्याओं के लिए शिलाजीत का प्रयोग किया जाता है ।
 
11. दिमागी शक्ति को बढ़ाए

 शिलाजीत में फुल्विक एसिड (fulvic acid) पाया जाता है। यह तत्व याददाश्त को बढ़ावा देने का काम कर सकता है । इस आधार पर यह कहना गलत नहीं होगा कि व्यक्ति की याद रखने की क्षमता को बढ़ाकर यह दिमागी शक्ति को बढ़ाने का काम कर सकता है।
 
12. डिमेंशिया में कारगर

डिमेंशिया भी एक यादाश्त से संबंधित बीमारी है। इसमें व्यक्ति को चीजों को याद रखने में परेशानी महसूस होती है। वहीं, इस बीमारी में सोचने-समझने की क्षमता भी कम हो जाती है। ऐसे में शिलाजीत इस समस्या का एक बेहतर हल माना जा सकता है। दरअसल, शिलाजीत में एंटीऑक्सीडेंट गुण पाया जाता है, जो याददाश्त को बढ़ाने में मदद कर सकता है। वहीं, इसका इम्यूनोस्ट्यूमुलेंट (प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने वाला) गुण तंत्रिका संबंधी समस्या को ठीक करने में मदद कर सकता है। साथ ही यह दिमाग में मौजूद विषैले और हानिकारक तत्वों को हटाने में भी सहायक हो सकता है। ऐसे में इन सभी गुणों के सम्मिलित प्रभाव के तौर पर शिलाजीत डिमेंशिया की समस्या से उबरने में मददगार हो सकता है ।
 
13. बढ़ती उम्र के प्रभाव को कम करे

शिलाजीत का प्रयोग अल्जाइमर्स और डिमेंशिया जैसी बुढ़ापे में होने वाली दिमागी समस्याओं में राहत दिला सकता है । वहीं, शिलाजीत से संबंधित एनसीबीआई की ओर से उपलब्ध शोध में स्पष्ट रूप से माना गया है कि इसमें एंटीएजिंग (बढ़ती उम्र के प्रभाव को कम करना) और रेज्यूवेनेटिंग (तरोताजा करने वाला) गुण पाया जाता है । ये दोनों गुण सम्मिलित रूप से शरीर को नई ऊर्जा प्रदान कर बढ़ती उम्र के शरीर पर दिखने वाले प्रभावों को दूर करने में मदद कर सकते हैं।


शिलाजीत का उपयोग –

शिलाजीत खाने का तरीका समझने के लिए यहां हम शिलाजीत के उपयोग के कुछ विकल्प दे रहे हैं, जो इस प्रकार हैं :

· इलाइची के दाने और शहद के साथ शिलाजीत पाउडर का सेवन किया जा सकता है।

· शिलाजीत का सेवन घी या मक्खन के साथ भी कर सकते हैं।

· शिलाजीत का सेवन दूध के साथ भी किया जा सकता है।

· नारियल तेल के साथ भी शिलाजीत का सेवन किया जा सकता है।

कब खाएं : 

शिलाजीत का सेवन रात को सोने से पहले और व्यायाम करने से पहले किया जा सकता है।

कितनी मात्रा में खाएं : 

बेहतर स्वास्थ्य के लिए प्रतिदिन शिलाजीत की 300-500 मिलीग्राम मात्रा का उपयोग किया जा सकता है । शिलाजीत की यह मात्रा प्रत्येक व्यक्ति की शारीरिक क्षमता के अनुसार कम या ज्यादा हो सकती है। इस बारे में आपको डॉक्टर बेहतर बता सकते हैं। वहीं, अगर कोई शिलाजीत कैप्सूल्स के फायदे हासिल करना चाहता है, तो इस संबंध में भी डॉक्टर से राय ली जा सकती है।

 
शिलाजीत के नुकसान –

चूंकि, शिलाजीत का सेवन एक औषधि के रूप में ही किया जाता है, इसलिए इसकी ली जाने वाली औषधीय खुराक के कोई भी ज्ञात दुष्परिणाम नहीं है। हां, कुछ परिस्थियों में शिलाजीत से नुकसान भी हो सकते हैं, जो इस प्रकार हैं :

· शिलाजीत में ब्लड प्रेशर कम करने वाला प्रभाव पाया जाता है। इसलिए, ब्लड प्रेशर की दवा लेने वाले लोगों को इसके सेवन से पूर्व डॉक्टर से परामर्श जरूर कर लेना चाहिए ।

· ब्लड शुगर को कम करने में सहायक है। इसलिए, डायबिटीज की दवा के साथ इसका उपयोग करने से पहले डॉक्टर से इस बारे में जरूर पूछ लें ।

· शिलाजीत का सेवन अगर अशुद्ध रूप में किया जाए, तो इससे नशा भी हो सकता है, क्योंकि इसमें माइकोटॉक्सिन (फंगस द्वारा उत्पन्न एक विषैला पदार्थ) और फ्री रेडिकल्स आदि मौजूद होते हैं ।

· शिलाजीत की तासीर गर्म होती है, जिस कारण अधिक सेवन करने से सिरदर्द की समस्या हो सकती है।

अभी तक कई लोग शिलाजीत का सेवन केवल पुरुषत्व बढ़ाने के लिए ही कर रहे होंगे, लेकिन शिलाजीत के फायदे जानने के बाद शिलाजीत को अब कई स्वास्थ्य फायदों के लिए भी इस्तेमाल किया जा सकता है। हालांकि, इस बात पर जरूर ध्यान दें कि यह बताई गई बीमारियों का सटीक इलाज नहीं है, लेकिन यह इनसे बचाव या फिर बीमार होने की अवस्था में इसमें सुधार करने में सहायक भूमिका निभा सकता है। वहीं, शिलाजीत के नुकसान से बचने के लिए इसका सेवन डॉक्टरी परामर्श पर ही करें। 

अक्सर पूछे जाने वाले सवाल

क्या शिलाजीत इरेक्टाइल डिसफंक्शन (स्तंभन दोष) के लिए अच्छा है?

हां,  शिलाजीत पुरुष स्पर्म और पुरुष प्रजनन क्षमता को बढ़ाने में कारगर साबित हो सकता है। वहीं, पुरुष नपुंसकता से संबंधित एक शोध में इरेक्टाइल डिसफंक्शन (स्तंभन दोष) के जोखिमों को कम करने के मामले में शिलाजीत को सहायक औषधि बताया गया है। इस आधार पर शिलाजीत को इरेक्टाइल डिसफंक्शन के लिए अच्छा माना जा सकता है ।

क्या शिलाजीत एक स्टेरॉयड है?

नहीं, शिलाजीत एक प्राकृतिक पदार्थ है, जिसमें प्रोटीन, मिनरल और लिपिड के साथ 5 प्रतिशत स्टेरॉयड भी मौजूद होता है ।

क्या शिलाजीत लिवर के लिए अच्छा है?

हां, शिलाजीत के उपयोग से लिवर स्वास्थ्य को बनाए रखने में मदद मिल सकती है । इसलिए, लिवर के लिए इसे अच्छा माना जा सकता है।

क्या शिलाजीत महिलाओं के लिए अच्छा है? 

हां, शिलाजीत के उपयोग से महिलाओं की प्रजनन क्षमता को बढ़ाने में मदद मिल सकती है। यह महिलाओं में ओवेल्यूशन (गर्भधारण के लिए अंडो के सक्रिय होने की प्रक्रिया) को बढ़ावा दे सकता है ।









गुरुवार, 4 मार्च 2021

गोखरू के फायदे और उपयोग (Benefits and Uses of Gokshura )





गोखरू के फायदे और उपयोग (Benefits and Uses of Gokshura )


गोखरू के सामान्य फायदों  के बारे में तो सुना है लेकिन ये किस तरह और कौन-कौन से बीमारियों के लिए फायदेमंद है और गोखरू का उपयोग कैसे करना चाहिए चलिये इसके बारे में जानते हैं।

लो स्पर्म काउन्ट में फायदेमंद गोखरू -

अगर स्पर्म काउन्ट कम होने के कारण आपके पिता बनने में समस्या उत्पन्न हो रही है तो गोखरू का सेवन इस तरह से करें। गोखरू के 20 ग्राम फलों को 250 मिली दूध में उबालकर सुबह शाम पिलाने से स्पर्म या वीर्य संबंधी समस्याएं कम होती है। इसके अलावा 10 ग्राम गोखरू एवं 10 ग्राम  शतावरी को 250 मिली दूध के साथ उबालकर पिलाने से स्पर्म का काउन्ट और क्वालिटी बढ़ती है तथा शरीर को शक्ति मिलती है।

 पेशाब संबंधी बीमारी में गोखरू के फायदे-

मूत्र संबंधी बहुत तरह की समस्याएं आती हैं, जैसे- मूत्र करते समय दर्द और जलन, रुक-रुक पेशाब आना, कम पेशाब आना आदि। ऐसे समस्याओं में गोखरू बहुत काम आता है।

· 20-30 मिली गोखरू काढ़ा  में 125 मिग्रा यवक्षार या मधु (एक चम्मच) डालकर दिन में दो-तीन बार पिलाने से मूत्र संबंधी समस्याओं में लाभ होता है।

· गोखरू की जड़ (10-15 ग्राम) और समान मात्रा में चावलों को एक साथ अच्छी तरह मिलाकर पानी में उबालकर पिलाने से मूत्रवृद्धि होती है।

· 2 ग्राम  गोखरू चूर्ण में 2-3 नग काली मिर्च और 10 ग्राम मिश्री मिलाकर सुबह, दोपहर और शाम सेवन करने से मूत्र संबंधी समस्याओं में लाभ होता है।
 
सिरदर्द में गोखरू काढ़ा के फायदे -

आजकल के तनाव भरे जिंदगी में सिर दर्द की बीमारी का शिकार ज्यादा से ज्यादा लोग होने लगे हैं। 10-20 मिली गोखरू काढ़ा (Gokhru kadha) को सुबह-शाम पिलाने से पित्त के बढ़ जाने के कारण जो सिर दर्द होता है उससे आराम मिलता है। इस तरह गोखरू का उपयोग करने से लाभ होगा।

दमा से दिलाये राहत -

आजकल के प्रदूषण भरे वातावरण के कारण बहुत लोग दमे का शिकार होने लगे हैं। गोखरू का सेवन इस तरह से करने पर दमे से जल्दी आराम मिलता है। 2 ग्राम गोखुर के फल चूर्ण  को 2-3 नग सूखे अंजीर के साथ दिन में तीन बार कुछ दिनों तक लगातार सेवन करने से दमा में लाभ होता है। गोक्षुर तथा अश्वगंधा  को समान मात्रा में लेकर उसके सूक्ष्म चूर्ण में 2 चम्मच मधु मिलाकर दिन में दो बार 250 मिली दूध के साथ सेवन करने से सांस संबंधी समस्या एवं कमजोरी में लाभ मिलता है।


हाजमा बढ़ाये गोखरू का काढ़ा -

गोखरू का काढ़ा पिलाने से जिसकी हजम शक्ति कमजोर है उसको खाना हजम करने में आसानी होती है। गोखरू के 30-40 मिली गोखरू काढ़ा (Gokhru Kadha) में 5 ग्राम पीपल के चूर्ण का मिलाकर थोड़ा-थोड़ा पीने से पाचन-शक्ति बढ़ती है। यह गोखरू का उपयोग बहुत ही फायदेमंद है।


दस्त रोकने में फायदेमंद- 

अगर मसालेदार खाना खाने के बाद दस्त हो रहा है तो गोखरू बहुत काम आता है। 500 मिग्रा गोक्षुरफल चूर्ण (गोखरू चूर्ण ) को मट्ठे के साथ दिन में दो बार खिलाने से अतिसार और आमातिसार में लाभ होता है।


पथरी या अश्मरी में गोखरू के फायदे -

आजकल के जीवनशैली और प्रदूषित आहार के कारण पथरी की समस्या से लोग परेशान रहते हैं। गोखरू के सेवन से पथरी को प्राकृतिक तरीके से निकालने में मदद मिलती है। 5 ग्राम गोखरू चूर्ण  को 1 चम्मच मधु के साथ दिन में तीन बार खाने के बाद ऊपर से बकरी का दूध पिलाने से अश्मरी टूट-टूट कर निकल जाती है।


गर्भाशय शूल या यूटेरस के दर्द में गोखरू के फायदे -

अगर किसी कारण गर्भाशय में दर्द हो रहा है तो गोखरू का सेवन बहुत गुणकारी  होता है। 5 ग्राम गोखरू फल, 5 ग्राम काली किशमिश और दो ग्राम मुलेठी इनको पीसकर सुबह शाम सेवन करने से गर्भाशय के दर्द से राहत मिलती है।
 
आमवात या रूमाटाइड के दर्द से दिलाये आराम गोखरू का उपयोग -

उम्र के बढ़ने के साथ जोड़ो में दर्द से सब परेशान रहते हैं। गोखरू फल में समान भाग सोंठ चतुर्थांश का काढ़ा बनाकर सुबह एवं रात में सेवन करने से कमर दर्द, जोड़ो के दर्द से आराम मिलती है।


चर्मरोग में गोखरू के फायदे 

आज के प्रदूषण भरे वातावरण में त्वचा रोग होना लाज़मी हो गया है। गोखुर फल को पानी में पीसकर त्वचा में लेप करने से खुजली, दाद आदि त्वचा संबंधी रोगों में लाभ  होता है।
 

 
ज्वर या बुखार में गोखरू के फायदे 

अगर मौसम के बदलने के साथ-साथ बार-बार बुखार आता है तो गोखरू का सेवन बहुत फायदेमंद  हैं। 15 ग्राम गोखरू पञ्चाङ्ग को 250 मिली जल में उबालकर, काढ़ा (Gokhru Kadha) बना लें। काढ़ा को चार बार पिलाने से ज्वर के लक्षणों से राहत मिलती है। इसके अलावा 2 ग्राम पतंजलि गोखरू पञ्चाङ्ग चूर्ण के नियमित सेवन करने से बुखार कम होता है।


रक्तपित्त ((कान-नाक से खून बहना) में गोखरू के फायदे -

अगर रक्तपित्त के समस्या से पीड़ित हैं तो गोखरू का ऐसे सेवन करने से लाभ मिलता है। 10 ग्राम गोखुर को 250 मिली दूध में उबालकर पिलाने से रक्तपित्त में लाभ होता है।
 
गोखरू का उपयोगी भाग (Useful Parts of Gokhru)
 
गोखरू का औषधि के रूप में पत्ता, फल, तना और पञ्चाङ्ग का प्रयोग किया जाता है।
 
गोखरू का इस्तेमाल कैसे करना चाहिए?

बीमारी के लिए गोखरू के सेवन और इस्तेमाल का तरीका पहले ही बताया गया है। अगर आप किसी ख़ास बीमारी के इलाज के लिए गोखरू का उपयोग कर रहे हैं तो आयुर्वेदिक चिकित्सक की सलाह ज़रूर लें।

चिकित्सक के परामर्शानुसार-

गोखरू चूर्ण -3-6 ग्राम और गोखरू काढ़े -20-40 मिली का सेवन कर सकते हैं।
 
यह वनस्पति भारतवर्ष के सभी प्रदेशों, विशेषत गर्म प्रदेशों में बहुत से पाई जाती है।




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