स्पॉन्टेनियस ऑर्गेज्म क्या है? (Spontaneous Orgasm)
स्पॉन्टेनियस ऑर्गेज्म फीमेल ऑर्गेज्म (Female Orgasm) का एक प्रकार है। जिस तरह सेक्स के बाद पुरुष चरम सुख की प्राप्ति करता है, उसी तरह महिलाएं भी चरम सुख का अनुभव करती हैं। उसे फीमेल ऑर्गेज्म (Female Orgasm) कहते है।
स्पॉन्टेनियस ऑर्गेज्म, सेक्शुअल सेंसरी स्टिम्युलेशन (Sexual sensory stimulation) की वजह से होता है। यह भले ही थोड़े समय के लिए हो, लेकिन यह शरीर के अलग-अलग हिस्सों को प्रभावित करता है। इसीलिए इस तरह के स्पॉन्टेनियस ऑर्गेज्म (Orgasm) बार-बार महसूस किए जा सकते हैं। हालांकि इसकी कोई वजह आज तक नहीं खोजी गई है, लेकिन कहा जाता है कि इसके ट्रिगर होने के अंडर लाइन फैक्टर्स हो सकते हैं। जिसकी वजह से शरीर स्पॉन्टेनियस ऑर्गेज्म (Spontaneous Orgasm) महसूस करता है।
क्या स्पॉन्टेनियस ऑर्गेज्म (Spontaneous Orgasm) सबके लिए अच्छा अनुभव लाता है?
स्पॉन्टेनियस ऑर्गेज्म कुछ महिलाओं के लिए अच्छा, तो वहीं कुछ के लिए परेशानी का सबब बन कर आता है। कुछ महिलाएं जो स्पॉन्टेनियस ऑर्गेज्म का कभी-कभी अनुभव करती हैं, उन्हें यह प्लेजरेबल महसूस होता है। वहीं कुछ महिलाओं में स्पॉन्टेनियस ऑर्गेज्म (Spontaneous Orgasm) गलत समय पर और गलत जगह पर होता है, जिसकी वजह से शर्मिंदगी महसूस होती है और काम करने में दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। वहीं कुछ महिलाओं को स्पॉन्टेनियस ऑर्गेज्म (Orgasm) की वजह से जेनिटल एरिया में दर्द का अनुभव भी होता है, जिसके कारण वे सेक्स एंजॉय नहीं कर पाती।
क्या स्पॉन्टेनियस ऑर्गेज्म (Spontaneous Orgasm) होना आम है?
हालांकि यह कितने लोगों को हुआ और कब हुआ, इस तरह की कोई रिसर्च अब तक एक्स्पर्ट्स के पास नहीं है, इसलिए लोगों में स्पॉन्टेनियस ऑर्गेज्म होने का रेशो तय करना मुश्किल है। लेकिन कुछ लोगों के लिए यह शर्मिंदगी का कारण बन सकता है, इसलिए लोग इससे जुड़ी स्टडी में भाग नहीं लेना चाहते। यही कारण है कि अब तक पता नहीं लगाया जा सका है कि स्पॉन्टेनियस ऑर्गेज्म (Spontaneous Orgasm) जैसी स्थिति आमतौर पर लोगों को कितनी दफ़ा होती है।
स्पॉन्टेनियस ऑर्गेज्म (Orgasm) क्यों होता है?
वैसे तो स्पॉन्टेनियस ऑर्गेज्म (Spontaneous Orgasm) होने का मुख्य कारण पता नहीं लग पाया है, लेकिन फिर भी कुछ अंडरलाइन फैक्टर्स हैं, जो बॉडी के रिस्पांस को ट्रिगर कर सकते हैं। जो इस प्रकार हैं –
परसिस्टेंट जेनिटल अराउजल डिसऑर्डर (Persistent genital arousal disorder)
परसिस्टेंट अराउजल जेनिटल डिसऑर्डर, जिसे पीजीएडी (PGAD) भी कहा जाता है, ऐसी स्थिति सेक्शुअल फीलिंग और सेक्स से जुड़ी हुई नहीं होती। कई बार आपको यह फीलिंग तब होती है, जब आप सेक्स के बारे में नहीं सोच रहे होते। इसकी वजह से आपको दिक्कत हो सकती है।
स्पॉन्टेनियस ऑर्गेज्म (Spontaneous Orgasm) के कई साइड इफेक्ट माने गए हैं, वह इस प्रकार हैं –
· जेनिटल एरिया (Genital area) में अचानक ब्लड फ्लो का बढ़ जाना
· जेनिटल एरिया में प्रेशर और कसाव महसूस होना
· अचानक इरेक्शन होना
ऐसी स्थिति में भले ही आपको टेंपरेरी रिलीफ महसूस हो, लेकिन स्पॉन्टेनियस ऑर्गेज्म (Spontaneous Orgasm) बार-बार होने की वजह से यह तकलीफ में बदलते देर नहीं लगती। पीजीएडी का सही कारण अब तक पता नहीं लगाया जा सका है, लेकिन कहा जाता है कि उस नर्व को ट्रिगर करता है, जो जेनिटल एरिया में सेंसेशन भेजने का काम करती है।
इससे सम्बंधित स्पॉन्टेनियस ऑर्गेज्म (Orgasm) दो प्रकार के हो सकते है, अनकॉन्शियस और कॉन्शियस ऑर्गेज्म। आइए जानते हैं, इन्हें कैसे पहचाना जा सकता है?
अनकॉन्शियस ऑर्गेज्म (Unconscious orgasms)
अक्सर अनकॉन्शियस स्पॉन्टेनियस ऑर्गेज्म (Spontaneous Orgasm) लोगों को नींद के दौरान होता है, जिसे वेट ड्रीम्स के नाम से भी जाना जाता है। हालांकि कई बार अनकॉन्शियस ऑर्गेज्म में इजैक्युएशन नहीं होता, लेकिन फिर भी आपको स्पॉन्टेनियस ऑर्गेज्म फील हो सकता है। नींद के दौरान जब आपके जेनिटल एरिया (Genital area) में ब्लड फ्लो अचानक बढ़ जाता है, तो आपको स्पॉन्टेनियस ऑर्गेज्म हो सकता है। यह स्पॉन्टेनियस ऑर्गेज्म वजायनल एक्टिवेशन या वजायनल लुब्रिकेशन (Vaginal lubrication) के बग़ैर भी हो सकता है।
· जेनिटल एरिया (Genital area) में अचानक ब्लड फ्लो का बढ़ जाना
· जेनिटल एरिया में प्रेशर और कसाव महसूस होना
· अचानक इरेक्शन होना
ऐसी स्थिति में भले ही आपको टेंपरेरी रिलीफ महसूस हो, लेकिन स्पॉन्टेनियस ऑर्गेज्म (Spontaneous Orgasm) बार-बार होने की वजह से यह तकलीफ में बदलते देर नहीं लगती। पीजीएडी का सही कारण अब तक पता नहीं लगाया जा सका है, लेकिन कहा जाता है कि उस नर्व को ट्रिगर करता है, जो जेनिटल एरिया में सेंसेशन भेजने का काम करती है।
इससे सम्बंधित स्पॉन्टेनियस ऑर्गेज्म (Orgasm) दो प्रकार के हो सकते है, अनकॉन्शियस और कॉन्शियस ऑर्गेज्म। आइए जानते हैं, इन्हें कैसे पहचाना जा सकता है?
अनकॉन्शियस ऑर्गेज्म (Unconscious orgasms)
अक्सर अनकॉन्शियस स्पॉन्टेनियस ऑर्गेज्म (Spontaneous Orgasm) लोगों को नींद के दौरान होता है, जिसे वेट ड्रीम्स के नाम से भी जाना जाता है। हालांकि कई बार अनकॉन्शियस ऑर्गेज्म में इजैक्युएशन नहीं होता, लेकिन फिर भी आपको स्पॉन्टेनियस ऑर्गेज्म फील हो सकता है। नींद के दौरान जब आपके जेनिटल एरिया (Genital area) में ब्लड फ्लो अचानक बढ़ जाता है, तो आपको स्पॉन्टेनियस ऑर्गेज्म हो सकता है। यह स्पॉन्टेनियस ऑर्गेज्म वजायनल एक्टिवेशन या वजायनल लुब्रिकेशन (Vaginal lubrication) के बग़ैर भी हो सकता है।
कॉन्शियस ऑर्गेज्म (Conscious orgasms)
कॉन्शियस ऑर्गेज्म पीजीएडी (PGAD) की तकलीफ की तरह ही अचानक हो सकता है, जिसकी वजह से आपको परेशानी का सामना करना पड़ता है। ऐसी स्थिति की वजह अब तक पता नहीं चल पाई है, लेकिन इस पर रिसर्च जारी है। इसके अलावा स्पॉन्टेनियस ऑर्गेज्म (Spontaneous Orgasm) के यह कारण भी हो सकते हैं –
· कुछ खास तरह की दवाइयां
· एक्सरसाइज
· चाइल्ड बर्थ
यह तीनों स्थितियां भी स्पॉन्टेनियस ऑर्गेज्म (Orgasm) का कारण बनती है। ऐसी स्थिति में आप कुछ समय के लिए या बार-बार स्पॉन्टेनियस ऑर्गेज्म महसूस कर सकते हैं।
क्या आप स्पॉन्टेनियस ऑर्गेज्म (Spontaneous Orgasm) को रोक सकते हैं?
स्पॉन्टेनियस ऑर्गेज्म को रोकना तभी संभव है, जब इसके कारण को रोका जाए। आपको इसके ट्रिगर पहचानने होंगे, जिसे अवॉइड कर आप स्पॉन्टेनियस ऑर्गेज्म को रोक सकते हैं।
· यदि आपको पीजीएडी (PGAD) की समस्या है, तो आपको उन एक्टिविटी से दूर रहना चाहिए, जिसमें वायब्रेशन और प्रेशर आपके वजायनल एरिया पर महसूस हो। ऐसी स्थिति में आपको स्पॉन्टेनियस ऑर्गेज्म की समस्या बार-बार हो सकती है ।
· कुछ मामलों में स्ट्रेस के कारण भी स्पॉन्टेनियस ऑर्गेज्म (Orgasm) होता हुआ देखा गया है, इसलिए आपको स्ट्रेस मैनेजमेंट रूटीन की जरूरत पड़ सकती है। इसके अलावा आप कुछ तरह के योगा और मेडिटेशन का भी सहारा ले सकते हैं। इनमें शामिल हैं, ब्रीदिंग एक्सरसाइज, वॉक लेना, दोस्तों के साथ समय बिताना, म्यूजिक सुनना। इस तरह की रिलैक्सिंग के चलते आप स्पॉन्टेनियस ऑर्गेज्म (Spontaneous Orgasm) के ट्रिगर पॉइंट से दूर रह सकते हैं।
स्पॉन्टेनियस ऑर्गेज्म (Orgasm) के बारे में डॉक्टर को बताने की जरूरत कब पड़ती है?
स्पॉन्टेनियस ऑर्गेज्म एक ऐसी स्थिति है, जिसमें आपकी नींद में खलल पड़ता है, ऐसे में जब आपको अक्सर ये तकलीफ़ होने लगे, तो आपको डॉक्टर की सलाह लेने की जरूरत पड़ सकती है। जब आपकी नींद ठीक ढंग से नहीं होती, तो आपको स्ट्रेस की समस्या हो सकती है। इसलिए यदि स्पॉन्टेनियस ऑर्गेज्म (Spontaneous Orgasm) आपकी नींद और रोजाना के कामकाज पर असर डालने लगे, तो आपको डॉक्टर को दिखाना चाहिए।
स्पॉन्टेनियस ऑर्गेज्म का इलाज : कैसे है मुमकिन? (Treatment of Spontaneous Orgasm)
जब बात हो रही है स्पॉन्टेनियस ऑर्गेज्म (Orgasm) में इलाज की, तो स्पॉन्टेनियस ऑर्गेज्म के इलाज में सबसे पहले स्ट्रेस मैनेजमेंट किया जाता है, जिसमें आपको कुछ तरह की थेरेपी और दवाइयों का इस्तेमाल करना पड़ सकता है। जो इस प्रकार है –
· बिहेवियरल थेरेपी या सेक्स थेरेपी (Sex Therapy)
· मेडिकेशन बंद करना
· जेनिटल एरिया में डिसेंसिटाइजिंग एजेंट या टॉपिकल नंबिंग क्रीम लगाना
· नर्व के रिपेयर के लिए सर्जरी करना
इस तरह के इलाज स्पॉन्टेनियस ऑर्गेज्म (Spontaneous Orgasm) की स्थिति में दिए जा सकते हैं, जो आपकी सहायता के लिए होते हैं। डॉक्टर आपकी स्थिति को ध्यान में रखते हुए यह इलाज कर सकते हैं।
आपको एक बात ध्यान रखनी चाहिए कि सेक्शुअल हेल्थ के बारे में बात करना आपके लिए बेहद जरूरी है, खासतौर पर महिलाओं को फीमेल ऑर्गेज्म (Orgasm) को लेकर सचेत रहना चाहिए। ज्यादातर महिलाओं को स्पॉन्टेनियस ऑर्गेज्म की समस्या होती है, ऐसे में आपको इसकी वजह से अन्य समस्याओं का भी सामना करना पड़ता है। इसलिए जरूरी है कि आप अपनी सेक्स लाइफ पर नजर रखें और स्पॉन्टेनियस ऑर्गेज्म (Spontaneous Orgasm) की स्थिति को पहचानकर उसके लिए जरूरी क़दम उठाएं।
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