फाइमोसिस क्या है
फाइमोसिस
से तात्पर्य पुरुषों से जुड़ी एक ऐसी समस्या है जिसमें लिंग के ऊपर की चमड़ी लिंग के शीर्ष या ग्लांस से
पीछे नहीं हट पाती है। हर पुरुष में लिंग के ऊपर की चमड़ी को पीछे खिंचने की सीमा
अलग अलग होती है। कुछ पुरुषों में यह पूरी तरह आसानी से पीछे खिंच जाती है जिसके
कारण लिंग का गुलाबी रंग का शीर्ष स्पष्ट दिखायी देने लगता है। जबकि कुछ पुरुषों
की फोरस्किन बहुत टाइट होती है और ग्लांस के चारों ओर इस तरह जकड़ी होती है कि
उनके लिंग का सिर्फ मूत्र छिद्र ही दिखायी देता है।
यह समस्या ज्यादातर छोटे बच्चों में होती है
क्योंकि शुरूआत के कुछ वर्षों तक उनके लिंग की फोरस्किन ग्लांस से जुड़ी होती है, लेकिन
बड़े होने के बाद भी यदि यह ऐसे ही बनी रहे तो पुरुषों को कई तरह की समस्याओं का
सामना करना पड़ता है। ऐसी स्थिति में तुंरत इलाज कराना ही बेहतर विकल्प होता है
क्योंकि थोड़ी भी देरी करना किसी भी पुरूष को मुसीबत में डाल सकता है। चूंकि कुछ
धर्म में खतना की प्रथा है इसलिए उस धर्म के बच्चों में फाइमोसिस कभी नहीं होती है
क्योंकि एक बार खतना हो जाने के बाद फोर स्किन आसानी से आगे पीछे खिसकने लगती है।
फाइमोसिस होने के कारण
बार-बार
मूत्र मार्ग संक्रमण का होना
फाइमोसिस की
बीमारी उस पुरूष को होने की संभावना अधिक रहती है, जिसे बार-बार मूत्र
मार्ग संक्रमण होता है।
त्वचा
संक्रमण होना
फिमोसिस की बीमारी
उस स्थिति में हो सकती है,
जब किसी पुरूष को त्वचा संक्रमण की समस्या होती है।हालांकि, इसका इलाज त्वचा संबंधी उपचार के माध्यम से किया जा सकता है।
एक्जिमा
का होना
यदि कोई
पुरूष एक्जिमा से पीड़ित है, तो उसे फाइमोसिस होने की संभावना अधिक
होती है। इसी कारण एक्जिमा से
पीड़ित पुरूष को अपना इलाज सही से कराना चाहिए।
यौनिक
संक्रमण का होना
यदि यौनिक
गतिविधियों को बिना प्रोटेक्शन से किया जाए, तो इससे कई सारे संक्रमण
हो सकते हैं। लिंग को बार-बार
खींचने और हाथों से पकड़कर सीधा करने की कोशिश के कारण लिंग सूज जाता है जिसके
कारण फाइमोसिस हो जाता है। यदि आपको बहुत कम उत्तेजना होती है तो इस कारण आपको फाइमोसिस
हो सकता है।
यदि आप मधुमेह रोगी हैं तो आपके लिंग के द्वार (tip)
पर संक्रमण हो सकता है जिसके कारण फाइमोसिस होने की संभावना बढ़
सकती है।
फाइमोसिस के
लक्षण क्या हैं?
किसी भी अन्य
बीमारी की तरह फाइमोसिस के भी कुछ लक्षण होते हैं -
1- रोग का सबसे महत्वपूर्ण लक्षण लिंग के सिर को
खोलने में असमर्थता या ऐसा करने की कोशिश करते समय उत्पन्न होने वाली कठिनाइयां
हैं।
2- पेशाब करते समय दर्द होना, आमतौर पर इसे यूरिन इंफेक्शन का कारण समझता जाता है,
लेकिन हर बार ऐसा सोचना गलत है क्योंकि कई बार यह फिमोसिस का लक्षण
भी हो सकता है।
3- पेशाब
करते समय फोरस्किन गुब्बारे की तरह फैल जाती है जिसके कारण दर्द का अनुभव होता है।
4- सेक्स
करते समय उत्तेजना के बाद भी लिंग में दर्द होना।
5- यदि किसी
पुरूष के लिंग पर सूजन हो जाती है, तो उसे इसे नज़रअदाज़ नहीं
करना चाहिए क्योंकि यह फाइमोसिस का लक्षण हो सकता है।
6- कई बार
फाइमोसिस होने पर लिंग पर लाल दब्बे भी हो जाती है।
यदि किसी पुरूष को
लिंग में दर्द होता है और इसके साथ में पेशाब करते समय जलन भी होती है, तो
उसे डॉक्टर से जरूर मिलना चाहिए।
फाइमोसिस
से बचाओ एवं उपचार कैसे करें?
हालांकि,
फाइमोसिस के मरीजों की तादात दिन-प्रति-दिन बढ़ती जा रही है,
किसी भी अन्य बीमारी की तरह फिमोसिस से बचाओ संभव है।
1. लिंग की सफाई करना- फाइमोसिस की बीमारी शरीर की सफाई न करने की वजह से भी हो सकती है। इसी
कारण सभी पुरूषों को यह कोशिश करनी चाहिए कि वे अपने शरीर (विशेषकर लिंग) की सफाई
प्रतिदिन करें ताकि उसे कोई बीमारी न हो।
2. पौष्टिक भोजन करना- हमारे खान-पान का शरीर पर सीधा असर पड़ता है। यह बात फाइमोसिस के संदंर्भ
में सटीक बैठती है, इसी कारण सभी पुरूषों को अपने खान-पान का
विशेष ध्यान रखना चाहिए और केवल पौष्टिक भोजन ही करना चाहिए।
3. व्यायाम करना- सभी लोगों के लिए व्यायाम करना काफी महत्वपूर्ण माना जाता है क्योंकि
व्यायाम केवल उनकी मांसपेशियों को ही मजबूत नहीं बनाता है बल्कि उनकी
रोग-प्रतिरोधक क्षमता (Immunity System) को भी बेहतर बनाता
है।
4. वायरस या बैक्टीरिया से बचाव करना- फाइमोसिस की बीमारी वायरस या बैक्टीरिया के संक्रमण की वजह से भी हो सकती
है। सभी लोगों को यह कोशिश करनी चाहिए कि वे किसी वायरस या बैक्टीरिया के संपर्क
में न आएं, हालांकि वे इसके लिए एंटीबायोटिक दवाईयों का सेवन
कर सकते हैं।
5. मलहम लगाना- फाइमोसिस
की बीमारी में पुरूष के लिंग में खुजली होती है।
अत: इसका इलाज मलहम का इस्तेमाल करके भी किया जा सकता है।
अत: इसका इलाज मलहम का इस्तेमाल करके भी किया जा सकता है।
6. यूरिन टेस्ट कराना- कई बार, डॉक्टर
फाइमोसिस का इलाज करने के लिए पुरूष का यूरिन टेस्ट भी कराते हैं।इस टेस्ट के
माध्यम से इस बात की पुष्टि की जा सकती है कि यह बीमारी यूरिन में किस हद तक बढ़
चुकी है।
7. खतना कराना- अक्सर, डॉक्टर पुरूष को खतना कराने की भी सलाह देते हैं।
हालांकि, ऐसा उसी मामले में किया जाता है, जब पुरूष को उपचार के किसी अन्य तरीके से आराम नहीं मिलता है।
हालांकि, ऐसा उसी मामले में किया जाता है, जब पुरूष को उपचार के किसी अन्य तरीके से आराम नहीं मिलता है।