शनिवार, 30 दिसंबर 2017

कहीं आप तो नहीं कर रहे प्रेग्नेंसी में बिना कंडोम के सेक्स ?

 कहीं आप तो नहीं कर रहे प्रेग्नेंसी में बिना कंडोम के सेक्स ?



प्रेग्नेंसी नारी जीवन की ऐसी अवस्था है जिसमें एक महिला को जितना ध्यान अपने खानपान पर देना होता है उतना ही अपने लाइफस्टाइल पर भी देना होता है। ऐसा इसलिए क्योंकि जिस तरह से एक आम महिला और एक गर्भवती महिला की संरचना में काफी अंतर होता है। ठीक उसी तरह एक ​महिला के गर्भवती होते ही उसका लाइफस्टाल भी अन्य महिलाओं से अलग हो जाता है। लेकिन कई बार महिलाएं इसे जल्दी से स्वीकार करने से परहेज करती हैं और अपनी मस्ती में रहती हैं। उन महिलाओं को शायद इस बात की जानकारी नहीं होती है कि उनकी इन हरकतों का सीधा असर उनके शिशु पर पड़ रहा है। सेक्स हर व्यक्ति की जिंदगी का वो खास पल होता है जिसे करते वक्त बेहद आनंद और खुशी मिलती है। प्रेग्नेंसी के दौरान सेक्स करना अन्य अवस्थाओं से बहुत अलग होता है। यहां हम आपको बता रहे हैं कि गर्भवती महिला को सेक्स के दौरान कंडोम का इस्तेमाल क्यों नहीं करना चाहिए।
अक्सर लोग ये सोचते हैं कि प्रेग्नेंसी के वक्त अगर वो बिना कंडोम के सेक्स करते हैं तो कोई नुकसान नहीं होगा। क्योंकि जब एक महिला प्रेग्नेंट है तो फिर ना तो गर्भवती होने के चांस रहते हैं और ना ही वैजाइना में इंफेक्शन होने का खतरा रहता है। अगर आप भी ऐसा सोचते हैं तो ये आपके लिए बहुत खतरनाक साबित हो सकता है। क्योंकि गर्भावस्था में कंडोम के बिना सेक्स करने से एसटीडी, एड्स, वैजाइनल इंफेक्शन होने का खतरा बढ़ जाता है। इससे मां और शिशु दोनों को गहरा खतरा होने के चांस रहते हैं। प्रेगनेंसी के दौरान सर्विक्स म्यूकल प्लग से बंद हो जाता है जिससे गर्भाशय में स्पर्म घुस नहीं पाते हैं। जिसके चलते वैजाइना के अलावा शरीर के दूसरे अंगों में इंफेक्शन होने का खतरा रहता है। प्रेग्नेंसी के वक्त इस बात का खास ध्यान रखें कि भूल कर भी कंडोम के बिना सेक्स ना करें।

प्रेग्नेंसी के चलते अगर आप एसटीडी के उपचार के लिए कोई दवा लेते हैं तो ये आपके शिशु के स्वास्थ्य को काफी नुकसान पहुंचा सकती है। प्रेग्नेंट महिला को एसटीडी के अलावा क्लामिडिया, सिफिलिस, हर्पिस, हेपाटाइटिस बी, ग्रोनोरियाम, एचआईवी/एड्स हो सकता है। इसका सीधा असर डिलीवरी के वक्त मां और शिशु दोनों पर पड़ता है। ध्यान रखें कि प्रेंग्नेसी की प्लानिंग से पहले ही अपना एसटीडी और अन्य चेकअप करा लें। क्योंकि प्रेग्नेंसी के वक्त इसके लक्षणों की पहचान करना बहुत मुश्किल हो जाता है।


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गुरुवार, 28 दिसंबर 2017

ड्राई सेक्स को बेहतर बनाने के टिप्स

 ड्राई सेक्स को बेहतर बनाने के टिप्स


प्रेग्नेंसी का डर महिलाओं को ही नहीं, पुरुषों को भी होता है। इसलिए हर कोई इससे सुरक्षा लेकर ही इंटरकोर्स करते हैं। जबकि कंडोम केवल 97% तक ही सुरक्षित होता है। बाकी तीन फीसदी मामलों में कंडोम इस्तेमाल करने के बाद भी प्रेगनेंट होने की संभावना होती है। तो अगर आप गर्भधारण करने से बचना चाहते हैं तो ड्राई सेक्स आप के लिए बेहतर उपाय है। लेकिन कुछ लोगों की शिकायत है कि ड्राई सेक्स में मजा नहीं आता। महिला पार्टनर ऑर्गैज़्म तक नहीं पहुंच पाती, आदि।
अगर आपकी भी यहीं समस्या है तो आप इस लेख में दिए गए इन कुछ खास टिप्स को अपनाइए। ये खास टिप्स आपके ड्राय सेक्स को मजेदार बना देंगे। इस दौरान आप ऑर्गैज़्म तक पहुँच भी जायेंगे और सेक्स का पूरा मजा भी ले पायेंगे वो भी बिना प्रेगनेंसी की चिंता किए।
अंडरवियर पहने रहें
ड्राई सेक्स का पूरा मजा लेना है तो रियल में जैसे सेक्स करते हैं वैसे ही करें । केवल इस दौरान अंडरवियर ना उतारें। जिससे कि फ्लूइड जब डिसचार्ज हो तो वो वजाइना में ना जाए। लेकिन इसका मतलब ये नहीं कि आप कपड़े पहनकर सेक्स करो। इसका मतलब ये है कि आपको केवल और केवल अंडरवियर पहनकर सेक्स करना है जिससे स्पर्म अंडरवियर में ही रह जाए।
शर्म ना करें
ड्राई सेक्स अगर अधिक करते हैं तो पार्टनर से इस बारे में बात करने से शर्माये नहीं। क्योंकि ड्राय सेक्स में सबसे ज्यादा समस्या होती है कि महिलाएं ऑर्गैज़्म तक नहीं पहुंच पाती हैं। जबकि पुरुष ब्लो जॉब से आसानी से ऑर्गैज़्म तक पहुंच जाते हैं। ऐसी स्थिति में जब महिलाएं ड्राय सेक्स में ऑर्गैज़्म तक नहीं पहुंच पा रही हैं तो अपने पार्टनर को बताएं। ताकि आपका पार्टनर आपको ऑर्गैज़्म कराने के लिए कुछ और ट्राय करे । इससे आप दोनों ही सेक्स का भरपूर आनंद ले पाएंगे।
इस अंग के साथ फोरप्ले
महिला पार्टनर को ऑर्गैज़्म तक पहुंचाने के लिए पुरुष उनके क्लिटरिस के साथ फोलप्ले करें। इसके अलावा महिलाये ड्राई हम्पिंग से भी ऑर्गैज़्म तक जल्दी पहुंच जाती है।
फोरप्ले करना ना छोड़ें
ड्राई सेक्स का पूरा मजा लेना है तो फोरप्ले करना न छोड़ें। क्योंकि इंटरकोर्स और आउटरकोर्स में फोरप्ले की अधिकता होती है और पेनिट्रेशन नहीं होता। इस तरीके से आप सेक्स का पूरा मजा ले पाएंगे और प्रेगनेंट होने का कोई खतरा नहीं होगा।


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शुक्रवार, 22 दिसंबर 2017

ये हैं कामेच्‍छा बढ़ाने वाले आयुर्वेदिक अल्टरनेटिव थैरेपी


ये हैं कामेच्‍छा बढ़ाने वाले आयुर्वेदिक अल्टरनेटिव थैरेपी 

लिबिडो कामेच्छा बढ़ाने वाला एक जरूरी हार्मोन है जिसकी कमी से इंसान में कामेच्छा की इच्छा कम हो जाती है । अगर आपमें अचानक से कामेच्छा की इच्छा कम हो जाती है तो कुछ अल्टरनेटिव थैरेपी इस्तेमाल करें । अल्टरनेटिव थैरेपी में एक्यूप्रेशर प्वाइंट का इस्तेमाल सबसे अधिक फायदेमंद होता है । लिबिडो बढ़ाने के लिए एक खास एक्यूप्रेशर प्वाइंट होता है जहाँ प्रेशर डाल कर कामेच्छा बढाई जा सकती है । 
भारतीय  थैरेपी एक्यूप्रेशर प्वाइंट बहुत सारी बीमारियों को ठीक करने के लिए उपयोग की जाती है । अगर आपको अपनी कामेच्छा से संबंधित समस्या के बारे में किसी को भी बताने में शर्म आ रही है तो इस एक्यूप्रेशर प्वाइंट का इस्तेमाल करें ।
लो लिबिडो के कारण
40 फीसदी महिलाओं की ये शिकायत होती है कि उन्हें रजोनिवृत्ति के बाद कामेच्छा खत्म हो जाती है । ऐसा केवल वजाइना Vagina  के सूखने के कारण होता है जो कि लिबिडो हार्मोन की कमी से होता है । इसके लिए इस एक्यूप्रेशर प्वाइंट में प्रेशर डालकर लिबिडो हार्मोन को शरीर में रीलिज करने में मदद मिलेगी । 
इसी तरह 50 फीसदी पुरुषों में 30 की उम्र के बाद टेस्टोस्टेरोन लेवल कम हो जाता है जो 85 की उम्र तक बिल्कुल खत्म हो जाता है । जैसे-जैसे पुरुषों में टेस्टोस्टेरोन लेवल कम होते जाता है उनकी कामेच्छा की इच्छा भी खत्म होती जाती है । ऐसे पुरुषों के लिए भी ये एक्यूप्रेशर प्वाइंट वाला उपाय कारगर होगा ।
लिबिडो एक्यूप्रेशर प्वाइंट
एक्यूप्रेशर थैरेपी के जरिये शरीर में लिबिडो हार्मोन को बढ़ाने में मदद मिलेगी । शरीर में लिबिडो एक्यूप्रेशर प्वाइंट दो जगह होते हैं ।
स्टोमक प्वाइंट - शरीर में लिबिडो हार्मोन बढ़ाने के लिए पेट में नाभी की जगह पर उंगुलियों के पोर से चार-पांच मिनट तक प्रेशर डालते रहें । इसी तरह से प्रेशर डालते हुए नाभी से दो उंगुली नीचे जाएं । थोड़ी देर वहां पर प्रेशर डालें । ऐसा सुबह-शाम दस-दस मिनट के लिए करें । इससे लिबिडो हार्मोन शरीर में रीलिज होगा और आपमें कामेच्छा उत्पन्न होगी ।  
किडनी प्वाइंट - किडनी आपके शरीर का सबसे अधिक प्रोडक्टिव पार्ट है जिसके आधार पर शरीर की जीवन-क्रिया चलती है । लिबिडो हार्मोन के लिए किडनी प्वाइंट काफी हेल्पफुल है । किडनी प्वाइंट एंकल बोन में होती है । एंकल प्वाइंट पर उंगुलियों के पोर से प्रेशर डालें । इससे एचिल्स टेंडन पर प्रेशर पड़ता है जो किडनी से जुड़ी होती है । ये आपको रिलेक्स करता है और शरीर में लिबिडो हार्मोन रीलिज करता है ।
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सोमवार, 18 दिसंबर 2017

महिलाएं गर्भवती होने के लिए कब करें सेक्स

महिलाएं गर्भवती होने के लिए कब करें सेक्स


गर्भवती होने के लिए सेक्‍स जितना ही जरूरी है इस बात का ज्ञान होना कि सेक्‍स कब किया जाए। इस तथ्‍य को नजरअंदाज करने से कई बार गर्भधारण करने में परेशानी भी आती है। आइए जानें कि माह में किस समय सेक्‍स करने से गर्भधारण की संभावना अधिक होती है। पुरुष के शुक्राणु का साथी महिला के गर्भ में जाने से गर्भधारण होता है। महिला के अंडाणु से शुक्राणु का मेल होना और निषेचन की क्रिया का होना ही गर्भधारण है।

यूं तो गर्भधारण न कर पाने के पीछे कई कारण हो सकते हैं। इनमें शारीरिक और मानसिक दोनों तरह के कारण हो सकते हैं। इन कारणों के पीछे अधिकतर ज्ञान और जानकारी का अभाव होता है। लेकिन, इन सब कारणों के अतिरिक्‍त एक अन्‍य कारण भी होता है जिसका असर महिलाओं की गर्भधारण की क्षमता पर पड़ता है- और वह कारण है सही समय पर सेक्‍स न करना। अधिकतर जोड़े इस बात से अंजान होते हैं कि गर्भधारण में सेक्‍स का समय 'Timing'  बहुत मायने रखती है।

समय पर सहवास-
गर्भवती होने के लिए सिर्फ सहवास करना जरूरी नहीं होता बल्कि सही समय पर सहवास करना भी मायने रखता है। यह बात ध्यान देने योग्य है कि पुरुष के शुक्राणु हमेशा लगभग एक जैसे ही होते हैं, जो महिला को गर्भवती कर सकते हैं। लेकिन महिला का शरीर ऐसा नहीं होता जो कभी भी गर्भवती हो सके। उसका एक निश्चित समय होता है, एक छोटी सी अवधि होती है। यदि आप उस अवधि को पहचान कर उस समय सहवास करते हैं तो गर्भधारण की संभावना आश्‍चर्यजनक रूप से बढ़ जाती है।

स्‍त्री रोग विशेषज्ञ के अनुसार,  '28 दिन के मासिक धर्म के साइकिल में 14वें दिन ओवुलेशन का है जो पीरियड शुरू होने के बाद से गिना जाता है, इस दौरान 12 से 18 दिन के बीच में सेक्‍स करने से गर्भ ठहरता है।'

ओवुलेशन साइकिल-
मेंस्‍रूएशन साइकिल या पीरियड्स के सात दिन बाद ओवुलेशन साइकिल शुरू होती है, और यह माहवारी या पीरियड्स के शुरू होने से सात दिन पहले तक रहती है। ओवुलेशन पीरियड ही वह समय होता है, जिसमें कि महिला गर्भधारण कर सकती है और इस स्‍थिति को फर्टाइन स्‍टेज भी कहते हैं। गर्भधारण के लिए, जब भी सेक्‍स करें तो ओवुलेशन पीरियड में ही करें। अपनी ओवुलेशन साइकिल का पता लगायें। इसके लिए आप चिकित्‍सक से संपर्क भी कर सकते हैं।

ओर्गास्म-
पुरुष सिर्फ अपनी संतुष्टि का खयाल रखते हैं और अपनी पत्नी की कमोत्तेजना को तवज्‍जो नहीं देते। ऐसी स्त्रियों को गर्भधारण करने में मुश्किलें आती हैं। अगर स्त्री सहवास के वक्त ओर्गास्म प्राप्त कर लेती है तो गर्भधारण की संभावना काफी हद तक बढ़ जाती है। क्‍योंकि तब पुरुष के शुक्राणु को सही जगह जाने का समय और माहौल मिलता है तथा शुक्राणु ज्यादा समय तक जीवित रहते हैं।

सुबह का समय-
गर्भधारण के लिए सेक्‍स का समय सुबह का होना चाहिए क्‍योंकि सुबह के समय आप तरोताजा़ रहते हैं। स्‍त्री रोग विशेषज्ञ बताती हैं कि 'जिन महिलाओं में रेगुलर पीरियड हो वे प्रेगनेंट होने के लिए पीरियड के बाद दस दिन के अंतराल में सेक्‍स करें, इससे प्रेगनेंट होने की संभावना ज्‍यादा होती है और जिनमें  अनियमित पीरियड हो वे प्रेगनेंसी के लिए पीरियड के साइकिल में नियमित अंतराल (साइकिल के दौरान 20 दिन के बीच) पर सेक्‍स करें।'

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शुक्रवार, 15 दिसंबर 2017

ध्‍यान या ( Meditation ) ला सकता है आपकी सेक्‍स लाइफ में नयी जान

ध्‍यान या ( Meditation ) ला सकता है आपकी सेक्‍स लाइफ में नयी जान



नियमित ध्‍यान करने से न केवल शरीर निरोग रहता है बल्कि इससे आपके सेक्‍स लाइफ में नयी जान भी आती है । अगर आप किसी प्रकार की सेक्‍स समस्‍या से जूझ रहे हैं तब मेडीटेशन के जरिये इसमें सुधार ला सकते हैं। यानी यह सेक्‍स लाइफ का मजा लेने के लिए भी आप योग कर सकते हैं । 

जिन लोगों की सेक्स में रूचि न हो, शीघ्रपतन की समस्‍या हो, उनके लिए ध्‍यान एक अच्‍छा विकल्‍प हो सकता है । मेडीटेशन किसी भी चीज पर फोकस करने के लिए किया जाता है । रोजाना सुबह के समय या शाम के समय खुली हवा में कम से कम 15 मिनट से 30 मिनट तक मेडीटेशन करें । इससे आपकी सेक्स में भी रूचि बढ़गी और आप सेक्स के दौरान नर्वस भी नहीं होंगे । इस लेख में विस्‍तार से जानिये ध्‍यान कैसे आपकी सेक्‍स लाइफ में नयी जान लाता है ।
खुद का अनुभव कराना
ध्‍यान लगाने से आप खुद को प्‍यार करना सीखते हैं । रिश्‍तों को मजबूत बनाने के साथ-साथ आपसी प्‍यार को बढ़ावा देने के लिए बहुत जरूरी है कि आप सबसे पहले खुद को प्‍यार करना सीखें । जब आप खुद को प्‍यार करेंगे तब अपने ऊपर अधिक ध्‍यान देंगे, इससे आपका शरीर स्‍वस्‍थ रहेगा । इसके अलावा इस तरह से बेड पर आप अपने पार्टनर से भी अच्‍छे से पेश आयेंगे और उसे अधिक प्‍यार करेंगे ।
स्थिरता सिखाता है
ध्‍यान आपको एक जगह पर स्थि‍र रहना सिखाता है, बेहतर सेक्‍स के लिए यह बहुत ही जरूरी बात है । जीवन की झंझावतों और उलझनों में आपका दिमाग हमेश कहीं न कहीं भटकता रहता है जिससे बेड पर सेक्‍स संबंध बनाते वक्‍त आप साथी पर अधिक जोर नहीं दे पाते । जबकि नियमित रूप से ध्‍यान लगाने से आपका दिमाग एक जगह स्थिर रहता है और बेड पर आप अपने और पार्टनर के बारे में ही सोचते हैं ।
सांस लेना सिखाता है
सेक्‍स संबंध एक व्‍यायाम की तरह है जिसमें सांसों की गति बढ़ जाती है, अगर आप एक्टिव नहीं हैं तो जल्‍दी थककर चूर हो जाते हैं । जबकि ध्‍यान आपको सांस लेना भी सिखाता है जो सेक्‍स के दौरान बहुत जरूरी है । ध्‍यान लगाते वक्‍त आप गहरी सांसें लेते हैं और यही काम अगर आप बेड पर करते हैं तब आपको यौन संबंध के दौरान समस्‍या नहीं होती । 
महसूस करना सिखाता है
ध्‍यान आपको फैसले के बिना पार्टनर की फीलिंग्‍स को महसूस करना सिखाता है । अगर कभी सेक्‍स के दौरान कोई समस्‍या आ जाये या फिर आपका पार्टनर किसी कारण वश आपका साथ न दे पाये तो उसके लिए आपके मन में गलत भावना पैदा हो सकती है । जबकि ध्‍यान यह सिखाता है कि अगर आपको शारीरिक सुख नहीं मिला तो कोई बात नहीं मानसिक सुख ही बहुत है । यह दिमाग से नहीं दिल से जोड़ने में मदद करता है ।
तनाव से बचाता है
सेक्‍स लाइफ का सबसे बड़ा दुश्‍मन तनाव भी है, तनाव के कारण सेक्‍स संब‍ंधित समस्‍या भी हो सकती है । अगर आप तनाव में रहेंगे तब आपके दिमाग में सेक्‍स के लिए जिम्‍मेदार हार्मोन का स्राव शायद ही हो पाये जिसके कारण आप सेक्‍स में उतनी रुचि नहीं ले पाते हैं और आपको सुख नहीं मिलता । लेकिन ध्‍यान तनाव और अवसाद से दिमाग को दूर रखता है जो कि सेक्‍स लाइफ में नई जान फूंकने के लिए जरूरी है । 
अगर आप किसी भी प्रकार की यौन समस्‍या से ग्रस्‍त हैं या बेड पर चरम आनंद नहीं पाते तो आपको अपनी दिनचर्या में मेडीटेशन को शामिल करना चाहिए ।


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मंगलवार, 12 दिसंबर 2017

यीस्ट संक्रमण के कारण , लक्षण और उपचार

यीस्ट संक्रमण के कारण , लक्षण और उपचार 


शरीर की प्रणाली असंतुलित होने पर यीस्‍ट की समस्‍या होती है। इसमें योनि में जलन, खुजली, गाढ़ा सफेद डिस्चार्ज आदि की समस्‍या होने लगती है। लेकिन अपनी कुछ आदतों को बदलकर आप इस समस्‍या से आसानी से छुटकारा पा सकती हैं।
1. यीस्‍ट संक्रमण
शरीर में यीस्‍ट के बहुत अधिक बढ़ जाने से बहुत सी महिलाओं को यीस्‍ट संक्रमण की समस्‍या हो जाती है। आमतौर पर यह तभी होता है जब आपके शरीर की प्रणाली असंतुलित हो जाती है। और आपके शरीर में जीवाणु और यीस्ट का संतुलन बिगाड़ कर यीस्ट को बहुत अधिक बढ़ा देता है। यीस्ट इन्फेक्शन में खुजली और दर्द होता है लेकिन इसका इलाज आसान है और जल्दी ही इससे छुटकारा भी मिल जाता है।
2. यीस्‍ट संक्रमण कैसे होता है ?
आमतौर पर डायबिटीज के मरीजों को हाई ब्लड शुगर की वजह से यीस्ट इन्फेक्शन की समस्या होती है। एचआईवी पॉजिटिव होने पर डॉक्टर द्वारा दी गई एंटीफंगल दवाओं के कारण भी यीस्ट इन्फेक्शन होने की संभावना बढ़ जाती है। इसके अलावा ज्‍यादा चीनी के सेवन व इम्यून सिस्‍टम की कमजोरी के कारण भी यीस्‍ट संक्रमण बढ़ जाता है।
3. यीस्ट संक्रमण के लक्षण क्या हैं ?
योनि या इसके आसपास खुजली, गाढ़ा सफेद डिस्चार्ज, पेशाब करते वक्त या सेक्स के दौरान योनि में जलन और दर्द, योनि  के आस पास की त्वचा का लाल होना, बदबूदार डिस्चार्ज आदि इसके लक्षण है। लेकिन जब यह बहुत अधिक बढ़ जाता है तो इन जगहों पर खुजली और तकलीफदेह लक्षण नजर आने लगते हैं। यीस्ट इन्फेक्शन के बहुत अधिक बढ़ जाने पर इन जगहों पर खुजली और तकलीफदेह लक्षण नजर आने लगते हैं। लेकिन अपनी कुछ आदतों को बदलकर आप इस समस्‍या से आसानी से छुटकारा पा सकती हैं।
4. यीस्‍ट संक्रमण से बचाव
संक्रमण होने पर बिना किसी शर्म या संकोच के फौरन स्त्री रोग विशेषज्ञा से मिलकर इस को को सुनिश्चित करें कि योनि में खुजली या जलन की असली वजह क्या है। क्‍या यह वाक्‍य में यीस्‍ट संक्रमण है।
5. कंडोम का इस्‍तेमाल
यीस्‍ट संक्रमण सेक्‍स संबंध से भी फैल सकता है, इसलिए अगर आप या आपका साथी दोनों में से कोई भी इससे पीड़ित हो तो सेक्‍स के समय बिना हार्मोन वाले गर्भनिरोधक उपायों, जैसे कंडोम, आईयूडी डायाफ्राम विधियों का प्रयोग करें और ओरल सेक्‍स से परहेज करें। इसके अलावा अपने साथी को सेक्‍स से पहले अपने प्राइवेट पार्ट को और हाथों को अ‍च्‍छी तरह धोने के लिए कहें।
6. साफ-सफाई का ध्‍यान रखें
योनि के अंदरूनी और बाहरी हिस्सों को अच्छी तरह धोएं, जहां यीस्ट के पनपने की संभावना सबसे अधिक होती है। शॉवर या स्नान करने के बाद अपनी योनि के आस-पास की जगह को अच्छी तरह सुखाएं। टायलेट के प्रयोग के बाद योनि से गुदा तक अच्छी तरह सुखाएं। ऐसी जगह पर कठोर साबुन, परफ्यूम या टाल्कम पावडर का प्रयोग न करें।


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सोमवार, 4 दिसंबर 2017

इशारों को समझना जरुरी

इशारों को समझना जरुरी


ये यूनिवर्सली अक्सेप्टेड सच है कि महिलाओं को समझना मुश्किल है। महिलाएं जो वैसे तो हमेशा बातें करती रहती हैं, लेकिन जब अपनी भावनाएं और इनर फ़ीलिंग व्यक्त करने की बात होती है तो शब्दों से की जगह नॉन वर्बल कम्यूनिकेशन यानी इशारों का इस्तेमाल करती हैं। ऐसे में मर्दों के लिए इस मिस्ट्री को समझना कई बार मुश्किल हो जाता है। ऐसे में महिलाओं की बॉडी लैंग्वेज के कुछ साइन को जानना जरुरी है जो ये बताते हैं कि इस वक्त वो मूड में हैं और सेक्स के लिए तैयार हैं। 

1. बांहों के इशारे- अगर अपने पार्टनर को आगोश में लेने की बजाए महिलाएं अपनी बांहों को अपने शरीर के बिल्कुल करीब रख लेती हैं, तो मर्दों को समझना चाहिए कि उनकी पार्टनर के मन में कुछ चल रहा है। इसके अलावा अगर महिलाओं का हाथ उनके सिर पर, आपके सिर पर या आपके चेस्ट पर है तो ये भी इस बात का संकेत है कि वो आपके साथ कंफ़र्टेबल महसूस कर रही है और खुद को रोकना नहीं चाहती। 

2. तेज़ी से सांस लेना- इस इशारे का बनावटी होना मुश्किल है। क्योंकि जब शरीर उत्तेजित होता है तो सांसे अपने आप तेज़ होने लगती हैं। जब शरीर ऑर्गेज़म के लिए तैयार हो रहा है तो दिल की धड़कन तेज हो जाती है और शरीर में ऑक्सीजन की डिमांड बढ़ने से सांसे तेज़ हो जाती हैं। ये भी इस बात का संकेत है कि वो आपके प्यार के लिए तैयार है। 

3. पार्टनर के करीब आना- जब आपकी पार्टनर आपको प्यार से अपने आगोश में लेने की कोशिश करे और नजदीकियां बढ़ाए तो ये भी इस बात का संकेत है कि वो आपको इन्वाइट कर रही है। इसके अलावा अपने पंजों को मोड़ना भी एक अच्छा संकेत है। 

4. तालमेल बिठाना- अच्छे सेक्स का एक सीक्रिट ये भी है कि ये बेहद समकालिक यानी सिंक्रनाइज़्ड होता है। इसलिए अगर आपकी पार्टनर आपके मूव्स को मैच कर रही हैं और आपके साथ तालमेल बिठा रही हैं तो आगे बढ़ने के लिए इससे बेहतर और कोई समय नहीं हो सकता। 

हालांकि ये जरुरी नहीं कि ये सभी बातें सभी महिलाओं पर लागू हो। हर इंसान एक दूसरे से अलग होता है। जरुरत सिर्फ इस बात की है कि अपने पार्टनर पर ध्यान दें और उनकी बॉडी लैंग्वेज को समझें।


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सफेद मूसली से यौन समस्याओं का प्राकृतिक समाधान

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