ऐसे करें पुरुष बाँझपन की जाँच :-
बच्चा न होने के 40-50% मामलों में पुरुष की इन्फर्टिलिटी
जिम्मेदार होती है। ऐसे में आप पिता बनने में कितने सक्षम हैं, इसकी जांच करने के ये 7 तरीके हैं।
हर कोई अपने वंश को आगे बढ़ाने के लिए एक संतान चाहता है। मगर कई बार
महिला या पुरुष को शारीरिक-मानसिक समस्याओं के कारण बच्चा होने में परेशानी आती
है। बहुत सारे लोग आज भी यही समझते हैं कि इन्फर्टिली (Infertility) यानी बांझपन सिर्फ
महिलाओं की शारीरिक कमियों के कारण होता है, जबकि ऐसा नहीं है। पुरुषों में भी बांझपन होता है, जिसके कारण उन्हें पिता बनने में
परेशानी आती है। इसे पुरुष बांझपन (Male
Infertility) कहते हैं। दुनिया में जिन भी कपल्स को
बच्चा होने में परेशानी आती है, उनमें से 40 से 50 प्रतिशत मामलों में पुरुष की कमी जिम्मेदार होती है। आपको जानकर
हैरानी होगी कि दुनिया के सभी पुरुषों में से लगभग 7% पुरुष वयस्क बनने तक पिता बनने की क्षमता खो देते हैं।
पुरुषों में इन्फर्टिलिटी की मुख्य वजहें हैं-
शुक्राणुओं की कमी (Low
Sperm Count),
शुक्राणुओं का ठीक से फंक्शन न करना (abnormal
sperm function),
कोई बीमारी, कोई चोट, सेहत से जुड़ी कोई समस्या, गलत लाइफस्टाइल और कुछ अन्य फैक्टर्स।
लेकिन पुरुष बांझपन की जांच कराना आज के समय में आसान हो गया है।
हम आपको बता रहे हैं कि कौन सी जांच कराकर पुरुष जांच सकते हैं कि वो
पिता बनने में सक्षम हैं अथवा नहीं।
हार्मोन टेस्ट (Hormone testing)
पुरुषों के शुक्राणुओं के निर्माण से लेकर इनके ठीक से फंक्शन करने
तक, हार्मोन्स का बड़ा रोल होता है। सेक्सुअल एक्टिविटीज से संबंधित
हार्मोन्स पिट्यूटरी ग्लैंड, हाइपोथेलेमस और टेस्टिकल्स (अंडकोष) में बनाए जाते हैं। इनके अलावा
अन्य हार्मोन्स भी कई बार छोटी-मोटी समस्याएं पैदा करते हैं, जिससे पुरुषों को पिता बनने में
परेशानी आती है। पुरुषों में खासकर टेस्टोस्टेरॉन हार्मोन के कारण कई समस्याएं आती
हैं। पुरुष इनकी जांच के लिए अपना हार्मोन टेस्ट करा सकते हैं, जिसके लिए खून का नमूना (Blood Sample) लिया जाता है।
अंडकोष का अल्ट्रासाउंड (Scrotal
ultrasound)
इस टेस्ट में आपको अंडकोष का अल्ट्रासाउंड किया जाता है, जिससे डॉक्टर द्वारा आपके टेस्टिकल्स
में या इसके इसको सपोर्ट करने वाले दूसरे अंगों में होने वाली समस्याओं का पता
लगाया जा सकता है।
इजैकुलेशन के बाद यूरिन की जांच (Post ejaculation
urinalysis)
इस जांच में यूरिन यानी पेशाब में मौजूद स्पर्म की जांच करके इस बात
का पता लगाया जा सकता है कि कहीं इजैकुलेशन के दौरान आपका वीर्य वापस ब्लैडर में
तो नहीं चला जाता। इस जांच के लिए पुरुषों का यूरिन सैंपल लिया जाता है।
जेनेटिक टेस्ट (Genetic tests)
अगर आपके वीर्य में स्पर्म का कंसंट्रेशन बहुत कम है, तो ये इस बात का संकेत हो सकता है कि
आप जेनेटिक कारणों से पिता नहीं बन पा रहे हैं। इस जांच के लिए भी खून का सैंपल
लिया जाता है। जेनेटिक टेस्टिंग से कई ऐसी समस्याओं का भी पता चल जाता है, जिनका आपके परिवार में इतिहास रहा हो, यानी जो समस्याएं आपके परिवार में
पहले से चली आ रही हों।
स्पर्म फंक्शन टेस्ट (sperm function
tests)
इसमें ढेर सारे टेस्ट शामिल हैं, जो इस बात का पता लगाते हैं कि आपके स्पर्म इजैकुलेशन के बाद कितने समय
तक जीते हैं, वो महिला के अंडों तक पहुंचकर उसमें प्रवेश करने में कितने सक्षम हैं
या फिर कोई अन्य समस्या है। आमतौर पर ये टेस्ट कम किए जाते हैं।
टेस्टिकुलर बायोप्सी (Testicular
biopsy)
इस टेस्ट के लिए आपके टेस्टिकल्स (अंडकोष) से सुई के द्वारा एक छोटा
सा सैंपल लिया जाता है और फिर इसका टेस्ट किया जाता है। इससे इस बात का पता लगाने
में मदद मिलती है कि क्या आपका टेस्टिस सही से स्पर्म बना रहा है अथवा नहीं। अगर
इस टेस्ट में स्पर्म ठीक बनता हुआ दिखता है, तो इसका अर्थ है कि ब्लॉकेज या स्पर्म ट्रांसपोर्ट की समस्या हो सकती
है।
ट्रांसरेक्टल अल्ट्रासाउंड (Transrectal
ultrasound)
इस टेस्ट में आपके गुदा द्वार में एक चिकनाईयुक्त वैन्ड (रॉडनुमा
डिवाइस) डाली जाती है, जिससे डॉक्टर को यह जांचने में मदद मिलती है कि वीर्य बाहर निकलने के
रास्ते में कोई ब्लॉकेज तो नहीं है।
ये सभी टेस्ट्स डॉक्टर्स के द्वारा आपका मेडिकल इतिहास, आदतों, लक्षणों और समस्या को ध्यान में रखकर किए जाते हैं। इसलिए अगर आपको
पिता बनने में परेशानी आ रही है या फिर लंबे समय से प्रयास के बाद भी आपकी साथी को
गर्भ नहीं ठहर रहा है, तो डॉक्टर की सलाह लेकर इनमें से कोई टेस्ट करा सकते हैं।
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