रविवार, 23 मई 2021

शिलाजीत के उपयोग, लाभ और हानि



शिलाजीत के उपयोग, लाभ और हानि –

आयुर्वेद के अनुसार शिलाजीत की उत्पत्ति पत्थर से हुई है गर्मी के मौसम में सूर्य की तेज गर्मी  से पर्वतो की चट्टानों से धातु अंश पिघल  कर रिसने लगता है इसी को शिलाजीत कहते है ।  
शिलाजीत हिमालयी क्षेत्र में पाया जाने वाला एक खास खनिज पदार्थ है। माना जाता है कि यह औषधीय गुणों से भरपूर होता है और कई शारीरिक समस्याओं से बचाव व उनके असर को कम करने में मदद कर सकता है। ऐसा माना जाता है कि शिलाजीत के सेवन से मर्दानगी में सुधार हो सकता है। 
 
शिलाजीत क्‍या है?

शिलाजीत एक प्राकृतिक खनिज पदार्थ है। इसका निर्माण प्राकृतिक रूप से अपने आप ही होता है, लेकिन इसे बनने में हजारों साल लगते हैं। शोधकर्ताओं का मानना है कि यूफोरबिया, रायलियाना और ट्राइफोलिया रेपेंस जैसी पौधों की प्रजातियों के अपघटन (Decomposition) के बाद यह तैयार होता है। इस आधार पर शिलाजीत को प्रकृति का एक अनमोल उत्पाद भी माना जाता है । यह चिपचिपा होता है और शुद्ध रूप में इसकी महक गौमूत्र की तरह होती है ।
 
शिलाजीत के फायदे –

यहां हम क्रमवार शिलाजीत के फायदे बता रहे हैं, जिन्हें जानने के बाद आसानी से इसकी उपयोगिता को समझा जा सकता है।
 
1. बढ़े ब्लड प्रेशर को नियंत्रित करे

बढ़े हुए ब्लड प्रेशर को नियंत्रित करने के लिए शिलाजीत को बेहतर विकल्प के तौर पर इस्तेमाल किया जा सकता है। इस बात को शिलाजीत से संबंधित एक आयुर्वेदिक शोध में भी माना गया है। शोध में जिक्र मिलता है कि शिलाजीत के औषधीय गुणों में से एक इसका एंटीहाइपरटेंसिव (ब्लड प्रेशर कम करने वाला) प्रभाव भी है। इस प्रभाव के कारण शिलाजीत का सेवन बढ़े हुए ब्लड प्रेशर को कम करने में मदद कर सकता है । इस आधार पर शिलाजीत के लाभ हाई बीपी की समस्या में उपयोगी हो सकते हैं।
 
2. अर्थराइटिस में पहुंचाए आराम

अर्थराइटिस की समस्या में भी शिलाजीत के फायदे हासिल किए जा सकते हैं। अर्थराइटिस में अश्वशिला नाम की आयुर्वेदिक दवा के प्रभाव को जांचने के लिए किए गए चूहों पर आधारित साइंटिफिक रिपोर्ट्स के एक शोध से इस बात की पुष्टि होती है। यह शोध एनसीबीआई (नेशनल सेंटर फॉर बायोटेक्नॉलाजी इंफॉर्मेशन) की साइट पर उपलब्ध है। इस दवा को मुख्य रूप से अश्वगंधा और शिलाजीत दोनों को मिलाकर तैयार किया जाता है। शोध में यह भी स्वीकार किया गया है कि शिलाजीत में सेलेनियम पाया जाता है। सेलेनियम के कारण इसमें एंटीइंफ्लेमेटरी (सूजन को कम करने वाला) प्रभाव मौजूद होता है। यह एंटीइंफ्लेमेटरी प्रभाव ओस्टियोअर्थराइटिस (अर्थराइटिस का प्रकार) से राहत दिलाने में सहायक हो सकता है । इस आधार पर यह कहना गलत नहीं होगा कि अर्थराइटिस की सूजन को कम करने में शिलाजीत के लाभ सहायक हो सकते हैं।
 
3. डायबिटीज में दिलाए राहत

शिलाजीत का प्रयोग डायबिटीज से बचने के लिए भी किया जा सकता है। शिलाजीत में एंटी-डायबिटिक (ब्लड शुगर को कम करने वाला) गुण पाया जाता है। यह गुण हाई ब्लड शुगर के स्तर को कुछ हद तक नियंत्रित करने का काम कर सकता है । इस आधार पर यह कहा जा सकता है कि डायबिटीज की समस्या को नियंत्रित करने के लिए भी  शिलाजीत कारगर हो सकते हैं।
 
4. कोलेस्ट्रोल को कम करने में सहायक

शिलाजीत के लाभ बढ़े हुए कोलेस्ट्रोल को नियंत्रित करने के मामले में भी मददगार हो सकते हैं। शिलाजीत के प्रभाव को समझने के लिए चूहों पर शोध किया गया। शोध में जिक्र मिलता है कि शिलाजीत का एक अहम गुण संपूर्ण लिपिड प्रोफाइल (कोलेस्ट्रोल, ट्रिगलिसेराइड और हाई डेंसिटी लिपोप्रोटीन) को सुधारना भी है। इस गुण के कारण यह बढ़े हुए कोलेस्ट्रोल को नियंत्रित करने में भी मदद कर सकता है । इस आधार पर यह माना जा सकता है कि हाई कोलेस्ट्रोल की समस्या को नियंत्रित करने के लिए भी शिलाजीत कारगर हो सकते हैं। 

5. अल्जाइमर में लाभकारी

आमतौर पर बुजुर्गों को प्रभावित करने वाली अल्जाइमर की समस्या से राहत पाने के लिए भी  शिलाजीत उपयोगी हो सकते हैं। एनसीबीआई की साइट पर उपलब्ध शोध से इस बात की पुष्टि होती है। शोध में जिक्र मिलता है कि शिलाजीत में फुल्विक एसिड (fulvic acid) पाया जाता है। यह तत्व याददाश्त को बढ़ावा देने का काम कर सकता है। इसी तत्व की मौजूदगी के कारण शिलाजीत में एंटीअल्जाइमर (अल्जाइमर से राहत दिलाने वाला) प्रभाव पाया जाता है । इस आधार पर यह माना जा सकता है कि शिलाजीत का उपयोग अल्जाइमर की समस्या से बचा सकता है। वहीं, अगर किसी को यह समस्या है, तो कुछ सकारात्मक प्रभाव नजर आ सकता है।
 
6. दिल को रखे स्वस्थ

शिलाजीत के उपयोग से हाई बीपी को कम करने में मदद मिल सकती है । साथ ही यह संपूर्ण लिपिड प्रोफाइल को नियंत्रित करने में मदद कर सकता है । ये दोनों कारण हृदय स्वास्थ्य के लिए हानिकारक माने जाते हैं । इसके अलावा, शिलाजीत से संबंधित एक अन्य शोध में शिलाजीत को हृदय स्वास्थ्य के लिए लाभकारी बताया गया है । इस आधार पर शिलाजीत को अन्य स्वास्थ्य समस्याओं के साथ ही हृदय के लिए भी उपयुक्त माना जा सकता है।
 
7. एनीमिया में मददगार

आयरन की कमी के कारण होने वाली एनीमिया की समस्या से जूझ रहे लोगों के लिए भी शिलाजीत किसी औषधि से कम नहीं है। एशियन पेसेफिक जर्नल ऑफ टोपिकल बायोमेडिसिन के चूहों पर आधारित शोध में भी इस बात को स्वीकार किया गया है। शोध में माना गया है कि शिलाजीत में पर्याप्त मात्रा में आयरन मौजूद होता है। यह शरीर में आयरन की पूर्ति कर एनीमिया की समस्या से राहत दिलाने में मदद कर सकता है। यह शोध एनसीबीआई की साइट पर उपलब्ध है । इस तथ्य को देखते हुए यह माना जा सकता है कि एनीमिया रोगी के लिए भी  शिलाजीत लाभकारी साबित हो सकते हैं।
 
8. थकान को दूर करे

शिलाजीत के फायदे में थकान की समस्या से राहत दिलाना भी शामिल है। मोटापे से ग्रस्त व्यक्तियों में थकान होना आम माना जाता है। वहीं, शिलाजीत का सेवन मोटापे की इस समस्या से राहत दिलाने में मदद कर सकता है। ऐसे में मोटापे के कारण होने वाली थकान की समस्या से राहत दिलाने में भी शिलाजीत सहायक साबित हो सकता है ।
 
9. मर्दानगी बढ़ाए, बांझपन में लाभ पहुंचाए

शिलाजीत को पुरुषों की मर्दानगी यानी प्रजनन क्षमता को बढ़ाने में भी उपयोगी माना जाता है। वजह यह है कि इसमें पुरुष टेस्टोस्टेरॉन (यौन क्षमता से संबंधित हॉर्मोन) को बढ़ाने की क्षमता पाई जाती है। इसके अलावा, यह ओलिगोस्पर्मिया (पुरुष स्पर्म का कम होना) और बैक्टीरियल इंफेक्शन के कारण पुरुष प्रजनन क्षमता में कमजोरी को ठीक करने में भी मदद कर सकता है । इस आधार पर इसे पुरुषों की मर्दानगी बढ़ाने के मामले में कारगर माना जा सकता है।
 
10. मूत्र संबंधी समस्याओं में उपयोगी

मूत्र संबंधी समस्याओं से निजात पाने के लिए भी शिलाजीत का प्रयोग लाभकारी माना जा सकता है। इसकी पुष्टि इंटरनेशनल जर्नल ऑफ आयुर्वेदा रिसर्च के एक शोध के जरिए होती है। एनसीबीआई की साइट पर पब्लिश इस शोध में जिक्र मिलता है कि शिलाजीत में इम्यूनोस्ट्यूमुलेंट (प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने वाला) गुण पाया जाता है। इस गुण के कारण ही यह मूत्र संबंधी समस्याओं को दूर करने में सहायक हो सकता है। आयुर्वेद में भी मूत्र संबंधी समस्याओं के लिए शिलाजीत का प्रयोग किया जाता है ।
 
11. दिमागी शक्ति को बढ़ाए

 शिलाजीत में फुल्विक एसिड (fulvic acid) पाया जाता है। यह तत्व याददाश्त को बढ़ावा देने का काम कर सकता है । इस आधार पर यह कहना गलत नहीं होगा कि व्यक्ति की याद रखने की क्षमता को बढ़ाकर यह दिमागी शक्ति को बढ़ाने का काम कर सकता है।
 
12. डिमेंशिया में कारगर

डिमेंशिया भी एक यादाश्त से संबंधित बीमारी है। इसमें व्यक्ति को चीजों को याद रखने में परेशानी महसूस होती है। वहीं, इस बीमारी में सोचने-समझने की क्षमता भी कम हो जाती है। ऐसे में शिलाजीत इस समस्या का एक बेहतर हल माना जा सकता है। दरअसल, शिलाजीत में एंटीऑक्सीडेंट गुण पाया जाता है, जो याददाश्त को बढ़ाने में मदद कर सकता है। वहीं, इसका इम्यूनोस्ट्यूमुलेंट (प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने वाला) गुण तंत्रिका संबंधी समस्या को ठीक करने में मदद कर सकता है। साथ ही यह दिमाग में मौजूद विषैले और हानिकारक तत्वों को हटाने में भी सहायक हो सकता है। ऐसे में इन सभी गुणों के सम्मिलित प्रभाव के तौर पर शिलाजीत डिमेंशिया की समस्या से उबरने में मददगार हो सकता है ।
 
13. बढ़ती उम्र के प्रभाव को कम करे

शिलाजीत का प्रयोग अल्जाइमर्स और डिमेंशिया जैसी बुढ़ापे में होने वाली दिमागी समस्याओं में राहत दिला सकता है । वहीं, शिलाजीत से संबंधित एनसीबीआई की ओर से उपलब्ध शोध में स्पष्ट रूप से माना गया है कि इसमें एंटीएजिंग (बढ़ती उम्र के प्रभाव को कम करना) और रेज्यूवेनेटिंग (तरोताजा करने वाला) गुण पाया जाता है । ये दोनों गुण सम्मिलित रूप से शरीर को नई ऊर्जा प्रदान कर बढ़ती उम्र के शरीर पर दिखने वाले प्रभावों को दूर करने में मदद कर सकते हैं।


शिलाजीत का उपयोग –

शिलाजीत खाने का तरीका समझने के लिए यहां हम शिलाजीत के उपयोग के कुछ विकल्प दे रहे हैं, जो इस प्रकार हैं :

· इलाइची के दाने और शहद के साथ शिलाजीत पाउडर का सेवन किया जा सकता है।

· शिलाजीत का सेवन घी या मक्खन के साथ भी कर सकते हैं।

· शिलाजीत का सेवन दूध के साथ भी किया जा सकता है।

· नारियल तेल के साथ भी शिलाजीत का सेवन किया जा सकता है।

कब खाएं : 

शिलाजीत का सेवन रात को सोने से पहले और व्यायाम करने से पहले किया जा सकता है।

कितनी मात्रा में खाएं : 

बेहतर स्वास्थ्य के लिए प्रतिदिन शिलाजीत की 300-500 मिलीग्राम मात्रा का उपयोग किया जा सकता है । शिलाजीत की यह मात्रा प्रत्येक व्यक्ति की शारीरिक क्षमता के अनुसार कम या ज्यादा हो सकती है। इस बारे में आपको डॉक्टर बेहतर बता सकते हैं। वहीं, अगर कोई शिलाजीत कैप्सूल्स के फायदे हासिल करना चाहता है, तो इस संबंध में भी डॉक्टर से राय ली जा सकती है।

 
शिलाजीत के नुकसान –

चूंकि, शिलाजीत का सेवन एक औषधि के रूप में ही किया जाता है, इसलिए इसकी ली जाने वाली औषधीय खुराक के कोई भी ज्ञात दुष्परिणाम नहीं है। हां, कुछ परिस्थियों में शिलाजीत से नुकसान भी हो सकते हैं, जो इस प्रकार हैं :

· शिलाजीत में ब्लड प्रेशर कम करने वाला प्रभाव पाया जाता है। इसलिए, ब्लड प्रेशर की दवा लेने वाले लोगों को इसके सेवन से पूर्व डॉक्टर से परामर्श जरूर कर लेना चाहिए ।

· ब्लड शुगर को कम करने में सहायक है। इसलिए, डायबिटीज की दवा के साथ इसका उपयोग करने से पहले डॉक्टर से इस बारे में जरूर पूछ लें ।

· शिलाजीत का सेवन अगर अशुद्ध रूप में किया जाए, तो इससे नशा भी हो सकता है, क्योंकि इसमें माइकोटॉक्सिन (फंगस द्वारा उत्पन्न एक विषैला पदार्थ) और फ्री रेडिकल्स आदि मौजूद होते हैं ।

· शिलाजीत की तासीर गर्म होती है, जिस कारण अधिक सेवन करने से सिरदर्द की समस्या हो सकती है।

अभी तक कई लोग शिलाजीत का सेवन केवल पुरुषत्व बढ़ाने के लिए ही कर रहे होंगे, लेकिन शिलाजीत के फायदे जानने के बाद शिलाजीत को अब कई स्वास्थ्य फायदों के लिए भी इस्तेमाल किया जा सकता है। हालांकि, इस बात पर जरूर ध्यान दें कि यह बताई गई बीमारियों का सटीक इलाज नहीं है, लेकिन यह इनसे बचाव या फिर बीमार होने की अवस्था में इसमें सुधार करने में सहायक भूमिका निभा सकता है। वहीं, शिलाजीत के नुकसान से बचने के लिए इसका सेवन डॉक्टरी परामर्श पर ही करें। 

अक्सर पूछे जाने वाले सवाल

क्या शिलाजीत इरेक्टाइल डिसफंक्शन (स्तंभन दोष) के लिए अच्छा है?

हां,  शिलाजीत पुरुष स्पर्म और पुरुष प्रजनन क्षमता को बढ़ाने में कारगर साबित हो सकता है। वहीं, पुरुष नपुंसकता से संबंधित एक शोध में इरेक्टाइल डिसफंक्शन (स्तंभन दोष) के जोखिमों को कम करने के मामले में शिलाजीत को सहायक औषधि बताया गया है। इस आधार पर शिलाजीत को इरेक्टाइल डिसफंक्शन के लिए अच्छा माना जा सकता है ।

क्या शिलाजीत एक स्टेरॉयड है?

नहीं, शिलाजीत एक प्राकृतिक पदार्थ है, जिसमें प्रोटीन, मिनरल और लिपिड के साथ 5 प्रतिशत स्टेरॉयड भी मौजूद होता है ।

क्या शिलाजीत लिवर के लिए अच्छा है?

हां, शिलाजीत के उपयोग से लिवर स्वास्थ्य को बनाए रखने में मदद मिल सकती है । इसलिए, लिवर के लिए इसे अच्छा माना जा सकता है।

क्या शिलाजीत महिलाओं के लिए अच्छा है? 

हां, शिलाजीत के उपयोग से महिलाओं की प्रजनन क्षमता को बढ़ाने में मदद मिल सकती है। यह महिलाओं में ओवेल्यूशन (गर्भधारण के लिए अंडो के सक्रिय होने की प्रक्रिया) को बढ़ावा दे सकता है ।









गुरुवार, 4 मार्च 2021

गोखरू के फायदे और उपयोग (Benefits and Uses of Gokshura )





गोखरू के फायदे और उपयोग (Benefits and Uses of Gokshura )


गोखरू के सामान्य फायदों  के बारे में तो सुना है लेकिन ये किस तरह और कौन-कौन से बीमारियों के लिए फायदेमंद है और गोखरू का उपयोग कैसे करना चाहिए चलिये इसके बारे में जानते हैं।

लो स्पर्म काउन्ट में फायदेमंद गोखरू -

अगर स्पर्म काउन्ट कम होने के कारण आपके पिता बनने में समस्या उत्पन्न हो रही है तो गोखरू का सेवन इस तरह से करें। गोखरू के 20 ग्राम फलों को 250 मिली दूध में उबालकर सुबह शाम पिलाने से स्पर्म या वीर्य संबंधी समस्याएं कम होती है। इसके अलावा 10 ग्राम गोखरू एवं 10 ग्राम  शतावरी को 250 मिली दूध के साथ उबालकर पिलाने से स्पर्म का काउन्ट और क्वालिटी बढ़ती है तथा शरीर को शक्ति मिलती है।

 पेशाब संबंधी बीमारी में गोखरू के फायदे-

मूत्र संबंधी बहुत तरह की समस्याएं आती हैं, जैसे- मूत्र करते समय दर्द और जलन, रुक-रुक पेशाब आना, कम पेशाब आना आदि। ऐसे समस्याओं में गोखरू बहुत काम आता है।

· 20-30 मिली गोखरू काढ़ा  में 125 मिग्रा यवक्षार या मधु (एक चम्मच) डालकर दिन में दो-तीन बार पिलाने से मूत्र संबंधी समस्याओं में लाभ होता है।

· गोखरू की जड़ (10-15 ग्राम) और समान मात्रा में चावलों को एक साथ अच्छी तरह मिलाकर पानी में उबालकर पिलाने से मूत्रवृद्धि होती है।

· 2 ग्राम  गोखरू चूर्ण में 2-3 नग काली मिर्च और 10 ग्राम मिश्री मिलाकर सुबह, दोपहर और शाम सेवन करने से मूत्र संबंधी समस्याओं में लाभ होता है।
 
सिरदर्द में गोखरू काढ़ा के फायदे -

आजकल के तनाव भरे जिंदगी में सिर दर्द की बीमारी का शिकार ज्यादा से ज्यादा लोग होने लगे हैं। 10-20 मिली गोखरू काढ़ा (Gokhru kadha) को सुबह-शाम पिलाने से पित्त के बढ़ जाने के कारण जो सिर दर्द होता है उससे आराम मिलता है। इस तरह गोखरू का उपयोग करने से लाभ होगा।

दमा से दिलाये राहत -

आजकल के प्रदूषण भरे वातावरण के कारण बहुत लोग दमे का शिकार होने लगे हैं। गोखरू का सेवन इस तरह से करने पर दमे से जल्दी आराम मिलता है। 2 ग्राम गोखुर के फल चूर्ण  को 2-3 नग सूखे अंजीर के साथ दिन में तीन बार कुछ दिनों तक लगातार सेवन करने से दमा में लाभ होता है। गोक्षुर तथा अश्वगंधा  को समान मात्रा में लेकर उसके सूक्ष्म चूर्ण में 2 चम्मच मधु मिलाकर दिन में दो बार 250 मिली दूध के साथ सेवन करने से सांस संबंधी समस्या एवं कमजोरी में लाभ मिलता है।


हाजमा बढ़ाये गोखरू का काढ़ा -

गोखरू का काढ़ा पिलाने से जिसकी हजम शक्ति कमजोर है उसको खाना हजम करने में आसानी होती है। गोखरू के 30-40 मिली गोखरू काढ़ा (Gokhru Kadha) में 5 ग्राम पीपल के चूर्ण का मिलाकर थोड़ा-थोड़ा पीने से पाचन-शक्ति बढ़ती है। यह गोखरू का उपयोग बहुत ही फायदेमंद है।


दस्त रोकने में फायदेमंद- 

अगर मसालेदार खाना खाने के बाद दस्त हो रहा है तो गोखरू बहुत काम आता है। 500 मिग्रा गोक्षुरफल चूर्ण (गोखरू चूर्ण ) को मट्ठे के साथ दिन में दो बार खिलाने से अतिसार और आमातिसार में लाभ होता है।


पथरी या अश्मरी में गोखरू के फायदे -

आजकल के जीवनशैली और प्रदूषित आहार के कारण पथरी की समस्या से लोग परेशान रहते हैं। गोखरू के सेवन से पथरी को प्राकृतिक तरीके से निकालने में मदद मिलती है। 5 ग्राम गोखरू चूर्ण  को 1 चम्मच मधु के साथ दिन में तीन बार खाने के बाद ऊपर से बकरी का दूध पिलाने से अश्मरी टूट-टूट कर निकल जाती है।


गर्भाशय शूल या यूटेरस के दर्द में गोखरू के फायदे -

अगर किसी कारण गर्भाशय में दर्द हो रहा है तो गोखरू का सेवन बहुत गुणकारी  होता है। 5 ग्राम गोखरू फल, 5 ग्राम काली किशमिश और दो ग्राम मुलेठी इनको पीसकर सुबह शाम सेवन करने से गर्भाशय के दर्द से राहत मिलती है।
 
आमवात या रूमाटाइड के दर्द से दिलाये आराम गोखरू का उपयोग -

उम्र के बढ़ने के साथ जोड़ो में दर्द से सब परेशान रहते हैं। गोखरू फल में समान भाग सोंठ चतुर्थांश का काढ़ा बनाकर सुबह एवं रात में सेवन करने से कमर दर्द, जोड़ो के दर्द से आराम मिलती है।


चर्मरोग में गोखरू के फायदे 

आज के प्रदूषण भरे वातावरण में त्वचा रोग होना लाज़मी हो गया है। गोखुर फल को पानी में पीसकर त्वचा में लेप करने से खुजली, दाद आदि त्वचा संबंधी रोगों में लाभ  होता है।
 

 
ज्वर या बुखार में गोखरू के फायदे 

अगर मौसम के बदलने के साथ-साथ बार-बार बुखार आता है तो गोखरू का सेवन बहुत फायदेमंद  हैं। 15 ग्राम गोखरू पञ्चाङ्ग को 250 मिली जल में उबालकर, काढ़ा (Gokhru Kadha) बना लें। काढ़ा को चार बार पिलाने से ज्वर के लक्षणों से राहत मिलती है। इसके अलावा 2 ग्राम पतंजलि गोखरू पञ्चाङ्ग चूर्ण के नियमित सेवन करने से बुखार कम होता है।


रक्तपित्त ((कान-नाक से खून बहना) में गोखरू के फायदे -

अगर रक्तपित्त के समस्या से पीड़ित हैं तो गोखरू का ऐसे सेवन करने से लाभ मिलता है। 10 ग्राम गोखुर को 250 मिली दूध में उबालकर पिलाने से रक्तपित्त में लाभ होता है।
 
गोखरू का उपयोगी भाग (Useful Parts of Gokhru)
 
गोखरू का औषधि के रूप में पत्ता, फल, तना और पञ्चाङ्ग का प्रयोग किया जाता है।
 
गोखरू का इस्तेमाल कैसे करना चाहिए?

बीमारी के लिए गोखरू के सेवन और इस्तेमाल का तरीका पहले ही बताया गया है। अगर आप किसी ख़ास बीमारी के इलाज के लिए गोखरू का उपयोग कर रहे हैं तो आयुर्वेदिक चिकित्सक की सलाह ज़रूर लें।

चिकित्सक के परामर्शानुसार-

गोखरू चूर्ण -3-6 ग्राम और गोखरू काढ़े -20-40 मिली का सेवन कर सकते हैं।
 
यह वनस्पति भारतवर्ष के सभी प्रदेशों, विशेषत गर्म प्रदेशों में बहुत से पाई जाती है।




शुक्रवार, 26 फ़रवरी 2021

लिंग (पेनिस) पर होने वाले छोटे-छोटे दाने कही यौन संचारित बीमारी की तरफ इशारा तो नहीं ? जाने डॉ0 बी0 के0 कश्यप (sexologist ) से -



लिंग (पेनिस) पर होने वाले छोटे-छोटे दाने कही यौन संचारित बीमारी की तरफ इशारा तो नहीं ? जाने डॉ0 बी0 के0 कश्यप (sexologist ) से -


कई बार पुरुषों के लिंग पर छोटे-छोटे दाने हो जाते हैं, जिसे वे सामान्य दाना समझकर नजरअंदाज कर देते हैं। आप ये जान लें कि पेनिस पर पिंपल्स या रेड बंप्स की समस्या कई बार किसी गंभीर इंफेक्शन या यौन संचारित बीमारी की तरफ भी इशारा करते हैं।

पेनिस  के प्रति लापरवाही आपके लिए हानिकारक और अनहेल्दी हो सकता है। इससे लिंग की सेहत प्रभावित हो सकती है। कई बार पुरुषों के लिंग पर छोटे-छोटे दाने हो जाते हैं, जिसे पुरुष सामान्य दाना या फोड़े समझकर नजरअंदाज कर देते हैं। आप ये जान लें कि पेनिस पर पिंपल्स या रेड बंप्स की समस्या (Pimples on male penis) कई बार किसी गंभीर इंफेक्शन (penis infectleion) या यौन संचारित बीमारी (Sexually transmitted disease) की तरफ भी इशारा करते हैं। इसके साथ ही कई बार लिंग पर कई अन्य कारणों से भी दानें, फोड़े या संक्रमण हो सकते हैं। जानें, लिंग पर छोटे बंप्स (Bumps) या पिंपल्स होने के अन्य कारण क्या हैं:-
 
पेनिस में फोर्डाइस स्पॉट्स (Fordyce Spots)

फोर्डाइस स्पॉस्ट (Fordyce Spots) सफेद-पीले धब्बे होते हैं, जो आपके होंठों के किनारे या आपके गालों के अंदर हो सकते हैं। साथ ही पुरुषों के लिंग  या अंडकोश (Scrotum) पर दिखाई दे सकते हैं। यह महिलाओं की लेबिया (labia) पर भी हो सकता है। ये स्पॉट्स बढ़ी हुए तेल ग्रंथियां होती हैं, जो पूरी तरह से सामान्य, हानिरहित और दर्द रहित होते हैं। एक रिपोर्ट के अनुसार, फोर्डाइस स्पॉस्ट 70 से 80 प्रतिशत वयस्कों में होते हैं। यह लिंग या आंतरिक सतह पर भी स्थित होते हैं। ये लाल या सफेद रंग के होते हैं। यह खुद ब खुद ठीक हो जाता है।

सावधानी :-

बेशक, ऐसी समस्याएं दर्दरहित होती हैं, लेकिन यदि आप अपने जननांगों पर धब्बे पाते हैं, तो डॉक्टर से संपर्क करें। वे Fordyce स्पॉट की बजाय STD के लक्षण भी हो सकते हैं।

पर्ली पेनाइल पेप्युल्स (Pearly Penile Papules)

पर्ली पेनाइल  पेप्युल्स पुरुषों के लिंग के मुंह पर होता है। यह एक अदृश्य दाने जैसा होता है, जो लगभग प्रत्येक पुरुषों के पेनिस (Penis problem) पर इस जगह पर मौजूद होता है। जब यह दाने बड़े हो जाते हैं, तो दर्द होने लगता है। इन बड़े दानों को ही पर्ली पेनाइल पेप्युल्स कहते हैं। हालांकि, इसमें ना तो पस होता है, ना खुजली, ना रक्तस्राव और ना ही ये बहुत ज्यादा हानिकारक होता है। रंग भी मांसपेशियों की ही तरह होता है। ये दाने एक या एक से अधिक पंक्ति में होते हैं। ये होता क्यों है, इसके कारण मालूम (penis ke rog aur ilaj in hindi) नहीं, लेकिन यह कोई यौन संबंध बनाने से होना वाला रोग नहीं है।

मॉल्युस्कम कॉन्टेजियोसम (Molluscum Contagiosum)

मॉलुस्कम कन्टेजियोसम देखने में पेनिस की त्वचा के रंग समान होते हैं। हालांकि, इसमें भी दर्द या खुजली नहीं होती है और धीरे-धीरे खुद ही ठीक हो जाते हैं।

जेनाइटल वॉर्ट्स (Genital Warts)

जेनाइटल वॉर्ट्स को खतरनाक माना गया है, क्योंकि ये कई बार यौन संचारित बंप्स होते हैं। इनमें दर्द नहीं होता, ये त्वचा के रंग के समान ही होते हैं, लेकिन धीरे-धीरे ये बढ़ने लगते हैं। फिर ये समूह में घाव के रूप में बदल जाते हैं। ऐसी समस्या आपको दिखे, तो डॉक्टर से जरूर संपर्क करें।

लिंग में खुजली होना (Itching In Penis)

खुजली की समस्या सिर्फ शरीर की त्वचा पर ही नहीं, बल्कि प्राइवेट पार्ट्स पर भी हो सकती है। यह एक कॉमन प्रॉबल्म है, जो पुरुषों और महिलाओं दोनों को हो सकता है। पुरुषों के जन्नांग में खुजली होने से घाव हो सकते हैं। इसमें पिंपल्स जैसे दाने होते हैं, जिसमें आपको खुजली महसूस होती है। डॉक्टर की सलाह जरूर लें, क्योंकि इसे नजरअंदाज करने से इंफेक्शन बढ़ कर आसपास की त्वचा को भी प्रभावित कर सकता है।

मंगलवार, 16 फ़रवरी 2021

सेक्स टाइमिंग, पौरुष शक्ति और वीर्य बढ़ाने के घरेलू उपाय:




सेक्स टाइमिंग, पौरुष शक्ति और वीर्य बढ़ाने के घरेलू उपाय:


सेक्स पावर बढ़ाने के लिए घरेलू उपायों को अधिक कारगर माना जाता है। ये नेचुरल चीजें आसानी से मिल जाती हैं। इसलिए इनका सेवन करना सही होता है। मगर किसी को पौरुष शक्ति (सेक्शुअल पॉवर) बढ़ाने के घरेलू उपायों की सही जानकारी नहीं होने पर वे अंग्रेजी दवाओं या नीम-हकीम के चक्कर में पड़ जाते हैं।

ऐसे में पैसे के साथ सेहत को भी नुकसान पहुंचता है। जीवन या पैसे दोनों को दाव पर लगाने से बचाने से पहले एक बार इन घरेलू चीजों के बारे में जान लें ताकि आपकी सेक्स टाइमिंग या सेक्स पावर बढ़ जाए। आप अपनी सेक्स लाइफ का आनंद भरपूर तरीके से ले सकें। इन चीजों को खाने से यदि फायदा न हुआ तो यकीनन नुकसान भी नहीं पहुंचने वाला है। चलिए हम इस तरह की कुछ चीजों के बारे में जान लेते हैं।

कमजोर पौरुष शक्ति के कारण सेक्स लाइफ बोरिंग हो जाती है। इस वजह न आप खुश रह सकेंगे और न ही आपकी पार्टनर। यदि आपको ऑर्गेज्म चाहिए तो सेक्स पावर बढ़ानी चाहिए। इसको प्राकृतिक तरीके से बढ़ाएं ताकि आगे चलकर आपके शरीर पर किसी प्रकार का दुष्प्रभाव न हो। अक्सर लोग इस खुशी के लिए खतरनाक दवाइयों का सेवन करना शुरू कर देते हैं। इस वजह से बाद में वे कई प्रकार की बीमारी का शिकार हो जाते हैं।
 
सेक्स पावर कम होने के कारण

यौन शक्ति कम होने के कई कारण हैं। मानसिक और शारीरिक दो मुख्य कारक माने जाते हैं। अब आपको अपने कारण को समझना होगा। उसके अनुरूप ही उपचार करना चाहिए। ये घरेलू उपाय उन पुरुषों के लिए अधिक कारगर हैं जो शारीरिक रूप से दुर्बल होते हैं। वैसे अधिकतर पुरुष शारीरिक कमजोरी के कारण सेक्स लाइफ का आनंद नहीं ले पाते हैं।

· अनहेल्दी फूड (Junk Foods)

· प्रोटीन की कमी (Less Protein)

· स्ट्रेस भरी लाइफ (Stressful Life)

· नशीले पदार्थों का अत्याधिक सेवन (Drug Addiction)

अगर आपको उपरोक्त में से किसी भी चीज की आदत है तो उसको फौरन छोड़ें। अगर आप ऐसा नहीं करते हैं तो शायद ये घरेलू उपचार भी काम न करें। इसलिए इस तरह की अनहेल्दी आदतों को छोड़ दें।

· लिंग साइज के बारे में सोचना

· पोर्न साइट देखकर क्रेजी होना

· घंटों सेक्स करने के बारे में सोचना

कई लोग इस तरह की गलतफहमी में भी घिर जाते हैं। इस वजह से भी अपनी सेक्स पावर को अनदेखा कर देते हैं जबकि उनका सब कुछ ठीक होता है। इसलिए अपनी सेक्स परफॉर्मेंस का सही आकलन करें।

घरेलू उपाय: 


1. छुहारा ( Chuhare / Dry Dates)

छुहारे में कैल्शियम की मात्रा भरपूर मिलती है। सेक्स पावर बढ़ाने के लिए इसका नियमित रूप से सेवन करना लाभकारी होता है। छुहारे को दूध में उबालकर रात में खाने से यौन इच्छा और यौन शक्ति बढ़ सकती है। सेक्स पावर बढ़ाने के लिए रोजाना 100 ग्राम छुहारे खाएं। इसके अलावा आप खजूर का सेवन भी कर सकते हैं।
 
2. आंवला (Amla)

आंवले को सेहतमंद बताया गया है। आंवला के सेवन से आंख, बाल को फायदा मिलता है। इसके अलावा आंवले का सेवन सेक्स पावर बढ़ाने के लिए भी किया जाता है। अगर सेक्स लाइफ बेहतर करने के लिए इसका सेवन करना चाहते हैं तो आंवले के चूर्ण में एक चम्मच शहद मिलाकर दिन में दो बार खाएं।
 
3. अश्वगंधा (Ashwagandha)

यह एक सदियों पुरानी रसायन औषधि है। इसके सेवन से खासतौर पर शुक्र धातु की मात्रा काफी बढ़ जाती है। अश्वगंधा टेस्टोस्टेरॉन (Testosterone) को बूस्ट करने का काम करती है। अश्वगंधा का इस्तेमाल अधिकतर पुरुष सेक्स पावर बढ़ाने के लिए करते हैं। इससे वाकई फायदा भी मिलता है। इसके बेहतर परिणाम के लिए आधा चम्मच अश्वगंधा के चूर्ण को दूध के साथ सुबह-शाम लें।
 
4. उड़द की दाल

चना, मूंग, मसूर, अरहर दाल की तरह उड़द की दाल को बहुत कम लोग खाना पसंद करते हैं। मगर अब आप इसका सेवन करने से खुद को रोक नहीं सकते हैं। उड़द की दाल का इस्तेमाल यौन शक्ति बढ़ाने में मदद करता है। आधा चम्मच उड़द की दाल को कौंच (Kaunch) के साथ पीसकर खाएं। इसके अलावा आप खाने में भी इस दाल का सेवन करें।
 
5. लहसुन और प्याज का सेवन

हम हर दिन सब्जी के साथ लहसुन और प्याज का सेवन करते हैं। लेकिन इसका इस्तेमाल अलग तरीके से करना फायदेमंद हो सकता है। लहसुन को सेक्स शक्ति बढ़ाने में कारगर माना जाता है। हर दिन लहसुन की दो-तीन कलियां खाने से फायदा मिल सकता है। इसके अलावा प्याज भी सेक्स शक्ति बढ़ा सकती है। खासतौर पर सफेद प्याज का सेवन करना सही माना जाता है। सलाद में भी इसका उपयोग कर सकते हैं।
 
6. शिलाजीत

आयुर्वेद में शिलाजीत को सेक्सवर्धक और वीर्यवर्धक औषधि माना गया है। आयुर्वेदिक विशेषज्ञ की सलाह के अनुसार शिलाजीत का सेवन दूध के साथ शुरू कर सकते हैं। शिलाजीत खरीदते वक्त नकली-असली का पहचान कर लें तब जाकर फायदा मिल सकता है।

डिस्क्लेमर : यदि आप दिल की बीमारी या मधुमेह से परेशान हैं तो किसी भी तरह की चीजों के सेवन से पहले एक बार डॉक्टर की परामर्श अवश्य लें।




सोमवार, 18 जनवरी 2021

संबंध बनाते समय क्या आप को भी होती है अपने परफॉर्मेंस की चिंता तो ये तरीके आजमायें -



यौन संबंध बनाते समय क्या आप को भी होती है अपने  परफॉर्मेंस की चिंता, तो  ये तरीके आजमायें -


रिलेशनशिप में कपल्स एक दूसरे की खुशी और संतुष्टि का ध्यान रखते हैं। शारीरिक संबंध बनाने के दौरान वो अपनी परफॉर्मेंस के बारे सोचते रहते हैं ताकि वो अपने पार्टनर का पूरा साथ दे सकें।        वो चाहते हैं कि पार्टनर, सेशन को पूरी तरह से एंजॉय करे। उनके उस सुख के लिए अपने प्रदर्शन को लेकर चिंतित रहते हैं। कई बार यह चिंता लोगों में विकार बन जाता है।
सेक्शुअल मेडिसीन रिव्यू में प्रकाशित शोध की मानें तो 9 से 25 फीसदी पुरुष स्तंभन दोष व शीघ्रपतन होने संबंधी चिंता से परेशान रहते हैं। वहीं 6 से 16 फीसदी महिलाओं में यौन संबंध स्थापित करने की इच्छा बड़ी अड़चन बनती है। यदि आप भी शारीरिक संबंध के दौरान अपनी परफॉर्मेंस के बारे में ही चिंतित रहते हैं तो इन टिप्स की मदद से आप उन पलों का बेहतर ढंग से आनंद ले सकते हैं।

शारीरिक संबंध बनाते समय चिंता को रखें खुद दूर - 

व्यक्ति जब किसी मामले को लेकर तनाव और अवसाद में रहता है तो इसका सीधा असर उसकी सेक्स लाइफ पर पड़ता है। सेक्शुअल मेडिसीन रिव्यू में प्रकाशित शोध के अनुसार शारीरिक संबंध बनाने की इच्छा के दौरान जब चिंता या तनाव रहता है तो वह शरीर के नर्व सिस्टम को प्रभावित करता है। यदि कपल्स अपने परफॉर्मेंस को लेकर इस चिंता करने की आदत पर काबू पा लें तो उनकी सेक्स लाइफ काफी बेहतर हो सकती है। 

मेडिकल चेकअप करवाएं -

यदि किसी व्यक्ति को गठिया, शुगर या एंडोमेट्रियोसिस से जुड़ी परेशानी है तो वह शारीरिक संबंध बनाने के दौरान तनाव में आ सकते हैं। 
फिजिकल रिलेशन के समय में रक्त संचार प्रभावित होता है। ऐसी स्थिति में एक बार शारीरिक जांच जरूर करवा लेनी चाहिए। यदि इंटिमेट पलों के दौरान तनाव के सही कारणों का पता चल जाए तो उस स्थिति में सुधार लाना ज्यादा आसान होगा। 

अपने शरीर को समझें 

पार्टनर के सामने अपनी शारीरिक बनावट को लेकर कई लोग खुद को हीन समझने लगते हैं। वहीं कई बार संबंध बनाने के समय अपने शरीर के प्रदर्शन को लेकर लोग शर्म करने लगते हैं। रिलेशनशिप में एक दूसरे पर भरोसा करना बहुत जरुरी है। साथ ही आपको अपने शरीर की बनावट को लेकर खुद सहज होना होगा। 

फिजिकल रिलेशनशिप से जुड़ी शिक्षा 

वर्तमान समय में भी लोग शारीरिक संबंध से जुड़ी किसी भी तरह की दिक्कत पर खुल कर बात नहीं करते हैं और डॉक्टर के पास जाने से भी हिचकिचाते हैं। इस वजह से कई बार छोटी सी परेशानी बड़ी समस्या बन जाती है। इस बारे में सही जानकारी होना जरुरी है। 

पार्टनर से करें बात 

आपको अपने पार्टनर के साथ खुलकर बातचीत करनी चाहिए। इंटिमेट होने से पहले अच्छा संवाद काफी मदद करता है। आप फिजिकल रिलेशन के बारे में क्या सोचते हैं उस पर चर्चा करें और साथ ही पार्टनर की राय भी जानें। आप पार्टनर से जितनी शर्म रखेंगे आपकी परफॉर्मेंस पर उतना ही असर पड़ेगा। 

तनाव से बचने और मन शांत रखने के लिए टिप्स 

यदि आपका मन शारीरिक संबंध में अपने प्रदर्शन को लेकर परेशान रहता है तो आपको योग तथा ध्यान का सहारा लेना चाहिए। आपको अपने
खानपान में ज्यादा तेल या वसायुक्त भोजन को शामिल नहीं करना चाहिए।


सोमवार, 21 दिसंबर 2020




अश्वगंधा पुरुषों और महिलाओं के यौन स्वास्थ्य के लिए उपयोगी हर्ब्स-
 

अश्वगंधा प्राचीन जड़ी बूटियों में से एक है जो यौन स्वास्थ्य को बढ़ावा देने में मदद करता है। यह ना केवल प्रजनन क्षमता को बढ़ावा देने में मदद करता है बल्कि आपके शरीर को प्राकृतिक तरीकों से मजबूत करने में भी मदद करता है।

अश्वगंधा सबसे अच्छी जड़ी बूटियों में से एक है जो पुरुषों और महिलाओं दोनों के सेक्सुअल लाइफ और सेक्सुअल ड्राइव को बढ़ावा देने में मदद करता है। अश्वगंधा महिलाओं की फर्टिलिटी को बढ़ावा देने में भी मदद करता है।

लोगों में सेक्सुअल ड्राइव कम हो जाने की वजह से उनकी चिंता बढ़ जाती है। लोग इस समस्या से निपटने के लिए अलग-अलग दवाइयां या उपचार करने की कोशिश करते हैं। हालांकि अपने यौन जीवन को बढ़ावा देने के प्राकृतिक तरीकों को अपनाना सबसे बेहतर विकल्प होता है। अश्वगंधा यौन संबंधों कम रूची होने वाले लोगों के लिए एक बेहतर विकल्प है। यहां तक कि डॉक्टर भी यौन स्वास्थ्य की समस्या से ग्रसित लोगों को अश्वगंधा का सेवन करने की सुझाव देते हैं। आइए जानते हैं अश्वगंधा की मदद से यौन स्वास्थ्य को कैसे बेहतर किया जाता है।


यह तनाव को कम करने में मदद करता है:

तनाव यौन स्वास्थ्य की कमी के प्रमुख कारणों में से एक है। अश्वगंधा शरीर से तनाव को कम करने में मदद करता है। जब बहुत अधिक तनाव होता है तो उच्च स्तर के रक्तचाप के शिकार हो जाते हैं और इस वजह से उनकी फर्टिलिटि प्रभावित हो जाती है। इस प्रकार अश्वगंधा यौन स्वास्थ्य को बचाने में मदद करता है, जिससे यह एड्रेनल ग्लैंड को मजबूत बनाता है। यह ग्लैंड शरीर में कोर्टिसोल के स्तर को कम करते हैं।

पुरुषों के शरीर में शुक्राणुओं की संख्या बढ़ाने में मदद करता है:

अश्वगंधा पुरुषों की शरीर में कामेच्छा को बढ़ावा देने में मदद करता है। यह शरीर में शुक्राणुओं की संख्या को बढ़ाता है। अध्ययन के मुताबिक, पुरुषों के शरीर में कामुकता और शुक्राणुओं की संख्या बढ़ाने के लिए आश्वगंधा सबसे अच्छा विकल्प होता है। 

टेस्टोस्टेरोन के स्तर को बढ़ाने में मदद करता है:

अश्वगंधा का उपभोग कामुकता को बेहतर बनाने के लिए सबसे अच्छा उपाय होता है। यह पुरुषों के शरीर में टेस्टोस्टेरोन के स्तर को भी बढ़ाने में मदद करता है। जैसे-जैसे हम बूढ़े होते हैं शरीर में टेस्टोस्टेरोन बूंदों का गठन होता है जिसमें बाल झड़ने लगते हैं, मांसपेशियां कमजोर होने लगती है और यौन संबंध बनाने में रूची कम होने लगती है। अश्वगंधा पुरुषों में हार्मोन के संतुलन को बनाएं रखने में मदद करता है। यह पुरुषों में बांझपन की समस्या को कम करने में भी मदद करता है।

सेक्स ड्राइव को बढ़ावा देने में मदद करता है:

अश्वगंधा सबसे आम और शक्तिशाली एफ्रोडीसियाक प्रोडक्ट्स में से एक है। यह शरीर में नाइट्रिक ऑक्साइड को बढ़ावा देने में मदद करता है और रक्त वाहिकाओं के जरिए पूरे शरीर में खून के प्रभाव को बेहतर करने में मदद करता है। जब आपके जननांगों को पर्याप्त रक्त की आपूर्ति मिलती है तो वो स्वस्थ रहते हैं और यौन संबंध रखने की इच्छा पैदा करते हैं। यह पुरुषों में कामेच्छा को बढ़ावा देने और इरेक्टाइल डिस्फंक्शन की समस्या से लड़ने में भी मदद करता है।



शुक्रवार, 4 दिसंबर 2020





लहसुन खाने के फायदों के साथ ही साइड इफेक्ट भी हैं। तो जान लें लहसुन खाने की सही मात्रा:

भारतीय घरों में यूज होने वाले विभिन्न तरह के मसाले और जड़ी-बूटी (Spices & Herbs) टेस्ट को और बढ़ा देते हैं।वो तेजपत्ता (Bay leaf) हो, अदरक (Ginger) हो या दालचीनी (Cinnamon) हो। लहसुन भी इसी तरह की जड़ी बूटी (Herb) है। यह सेहत के लिए फायदेमंद होने के साथ ही खाने के स्वाद को भी बढ़ाता है।
लोग दवा के रूप में भी और सेक्शुअल हेल्थ के लिए भी लहसुन का सेवन करते हैं। 
इम्यूनिटी बढ़ाने (Boost immunity) के लिए भी लहसुन का सेवन करने के लिए कहा जाता है।

लहसुन खाने से होते हैं कई कमाल के फायदे  : 


· लहसुन ब्लड प्रेशर कंट्रोल करने में फायदेमंद है ।

· लहसुन वजन घटाने में भी लाभदायक है।

· उम्र बढ़ाने और स्वस्थ रहने में भी असरदार है ।

· शरीर को डिटॉक्स करने में भी कारगर है लहसुन ।

· लहसुन से कोलेस्ट्रॉल भी हो सकता है कंट्रोल।


आखिर क्यों दी जाती है खाली पेट लहसुन खाने की सलाह?

· लहसुन में शरीर के विषाक्त पदार्थों को साफ करने का गुण होता है। साथ ही ये पेट में मौजूद बैक्टीरिया को भी दूर करने में मददगार होता है। खासतौर पर जब इसे खाली पेट खाया जाए. कई रिपोर्ट में कहा गया है कि खाली पेट लहसुन का सेवन करने से नसों में झनझनाहट की समस्या दूर हो जाती है

लेकिन लहसुन खाने के फायदों के साथ ही लहसुन खाने के नुकसान / साइड इफेक्ट भी हैं।

अधिक लहसुन खाने से कई गंभीर समस्याएं हो सकती हैं। कच्चा लहसुन खाने या लहसुन का अधिक सेवन करने से शरीर पर दुष्प्रभाव पड़ सकते हैं। निर्धारित मात्रा में लहसुन खाने से आप किसी भी प्रकार की परेशानी से बचे रहेंगे।


कच्चा या अधिक लहसुन खाने के नुकसान:

· लिवर को नुकसान पहुंचाता है।

· दस्त का कारण बन सकता है।

· मितली, उल्टी और पेट में जलन।

· ब्लीडिंग का कारण बन सकता है।

· चक्कर आने का कारण बनता है।

· अधिक पसीना निकलता है।

· अन्य नुकसान 

1. लिवर को नुकसान पहुंचा सकता है :

लिवर शरीर का सबसे अहम अंग है। यह ब्लड प्यूरिफिकेशन, फैट मेटाबॉलिज्म, प्रोटीन मेटाबॉलिज्म और शरीर से अमोनिया को हटाने जैसे जरूरी काम करता है।यदि कोई लहसुन का अधिक सेवन करता है तो लिवर को नुकसान पहुंच सकता है।

कच्चे लहसुन में एंटीऑक्सीडेंट क्षमता अधिक होती है। इसके अधिक सेवन से लिवर में टॉक्सिसिटी (Liver toxicity) हो सकती है।

स्टडी के मुताबिक शरीर के वजन का 0.5 ग्राम प्रति किलोग्राम से अधिक लहसुन खाने से लिवर को होने वाला नुकसान ज्यादा हो सकता है।

2. दस्त का कारण बन सकता है :

रिसर्च से सामने आया कि खाली पेट लहसुन का सेवन करने से दस्त लग सकते हैं। इसका कारण यह है कि लहसुन में सल्फर (sulfur) बनाने वाले यौगिक पाए जाते हैं। ये दस्त को ट्रिगर करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।


3. मितली, उल्टी और पेट में जलन :

खाली पेट लहसुन का सेवन करने से पेट में जलन, मितली और उल्टी जैसी समस्याएं हो सकती हैं।

लहसुन में कुछ कंपाउंड होते हैं, जो जीईआरडी) (gastroesophageal reflux disease) पैदा कर सकते हैं।


4. ब्लीडिंग का कारण :

लहसुन ऐसा नेचुरल हर्ब है, जो प्राकृतिक रूप से ब्लड को पतला (Natural blood thinner) करता है। इसलिए यदि इसका अधिक मात्रा में सेवन किया जाए तो ब्लीडिंग की आशंका बढ़ जाती है।

यदि कोई रक्त पतला करने वाली दवाएं जैसे वार्फरिन (Warfarin), एस्पिरिन (Aspirin) आदि का सेवन कर रहा है तो उसे लहसुन का सेवन नहीं करना चाहिए।

रक्त को पतला करने वाली दवा और लहसुन का सेवन खतरनाक हो सकता है। इसके अलावा किसी भी प्रकार की सर्जरी से 7 दिन पहले लहसुन खाना बंद कर देना चाहिए। 

5. चक्कर आने का कारण बनता है :

हालांकि इस बारे में अभी पूरी तरह स्थिति साफ नहीं है। लेकिन मौजूदा रिसर्च के मुताबिक अधिक मात्रा में कच्चा लहसुन खाने से ब्लड प्रेशर कम (lower blood pressure) हो जाता है, जिससे चक्कर आ सकते हैं। 

6. अधिक पसीना निकलता है 

कई क्लिनिकल स्टडी में पता चला है कि लहसुन के सेवन से पसीना अधिक निकलता है। हालांकि यह समस्या हर लहसुन खाने वाले व्यक्ति के साथ नहीं होती। इस पर अभी और रिसर्च जारी है। 

7. अन्य नुकसान ;

अधिक मात्रा में लहसुन खाने वाले लोगों की स्किन पर कई बार रैशेज पड़ जाते हैं। इनमें जलन भी हो सकती है। अधिक सेवन से सिरदर्द की भी प्रॉब्लम हो सकती है। कुछ मामलों में लहसुन का ज्यादा सेवन करने वालों को विजन चेंज की समस्या भी हो जाती है।


लहसुन के सेवन की मात्रा:


आमतौर पर वयस्कों के लिए प्रतिदिन कच्चे लहसुन की 4 ग्राम यानी एक से दो कली बताई गई हैं। स्टडी के मुताबिक दैनिक आधार पर लहसुन की खुराक 0.1 ग्राम से 0.25 ग्राम प्रति किलोग्राम शरीर के वजन के बराबर सुरक्षित मानी जाती है।


निष्कर्ष (Conclusion): 

लहसुन कई औषधीय गुणों से भरपूर होता है इसलिए इसलिए निश्चित मात्रा में इसका सेवन करें। यदि आपके लहसुन के सेवन से कोई एलर्जी या साइड इफेक्ट होते हैं तो डॉक्टर से तुरंत संपर्क करना ठीक होगा।





संभोग समय बढ़ाने के घरेलू और आयुर्वेदिक उपाय

                                    संभोग समय बढ़ाने के घरेलू और आयुर्वेदिक उपाय : आज की भागदौड़ भरी जिंदगी में तनाव , अनियमित जीवनशैली औ...