सेक्शुअल डिसफंक्शन
क्या है ? (What Is Sexual
Dysfunction?)
वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गनाइजेशन के अनुसार, इच्छा होने पर भी सेक्स संबंध बनाने में असमर्थ होना ही सेक्शुअल डिसफंक्शन है।
सेक्स करने में आमतौर पर 4 चीजें शामिल होती हैं। जैसे,
यौन उत्तेजना महसूस होना
पेनिस का सख्त होना
चरम पर पहुंचना या ऑर्गेज्म
मन की मजबूती
इच्छा और उत्तेजना दोनों ही सेक्शुअल रेस्पॉन्स के पहले वाले चरण के हिस्से हैं। लेकिन पुरुष हमेशा इन दोनों स्टेप्स से नहीं गुजरते हैं।
हालांकि, रिसर्च से पता चलता है कि यौन रोग बहुत आम हैं, लेकिन लोग इसके बारे में बात करना पसंद नहीं करते हैं। सेक्स संबंधी समस्याओं को दूर करने का एकमात्र तरीका यही है, कि अपनी या पार्टनर की सेक्स समस्याओं के बारे में खुलकर डॉक्टर से बात की जाए।
सेक्शुअल डिसफंक्शन
के कारण (Causes of Sexual
Dysfunction)
सेक्शुअल डिसफंक्शन या यौन रोग तब होते हैं, जब आपको कोई ऐसी समस्या होती है जो आपमें सेक्शुअल एक्टिविटीज की इच्छा पैदा होने या उनका आनंद लेने से रोकती है।
यौन रोग का मतलब स्थायी नपुंसकता से बहुत अलग है। ये कभी भी हो सकता है। सभी उम्र के लोग यौन समस्याओं का अनुभव करते हैं, हालांकि उम्र बढ़ने के साथ इसकी संभावना बढ़ जाती है।
तनाव या स्ट्रेस यौन रोग का एक सामान्य कारण है। अन्य कारणों में शामिल हैं:
सेक्शुअल ट्रामा
मनोवैज्ञानिक समस्याएं
डायबिटीज
हृदय रोग या अन्य मेडिकल कंडीशन
नशीली दवाओं के प्रयोग से
ज्यादा शराब का सेवन
कुछ दवाओं के सेवन से
आदि।
सेक्शुअल डिसफंक्शन
के प्रकार (Types
Of Sexual Dysfunction) :
पुरुषों में होने वाले सेक्शुअल डिसफंक्शन को आमतौर पर 2 कैटेगरी में बांटा जाता है। जैसे,
1.
डिजायर डिसऑर्डर (Desire Disorders)
डिजायर डिसऑर्डर या यौनेच्छा विकार होने पर इंसान के मन से सेक्स करने की इच्छा ही खत्म या कम हो जाती है। वो न तो सेक्स करना चाहता है और न ही उसे इन कामों में किसी प्रकार की रुचि रह जाती है।
2.
एराउजल डिसऑर्डर (Arousal Disorders)
एराउजल डिसऑर्डर या यौनोत्तेजना विकार होने पर इंसान के शरीर में उत्तेजना का अनुभव नहीं होता है। इसके अलावा, उसे सेक्शुअल एक्टिविटी में किसी प्रकार का आनंद भी नहीं मिलता है।
सेक्शुअल डिसफंक्शन पुरुषों को कैसे प्रभावित करता है? (How Does Sexual Dysfunction Affect Men?) :
सेक्शुअल डिसफंक्शन के कारण पुरुषों को मुख्य रूप से 3 समस्याएं होती हैं। इनमें शामिल हैं,
स्खलन में होने वाली समस्याएं (Ejaculation Disorders)
यौनोत्तेजना में होने वाली समस्याएं Erectile Dysfunction
यौनेच्छा की कमी (Low Libido)
आइए अब इन समस्याओं के बारे में विस्तार से जानते हैं,
1. स्खलन में होने वाली समस्याएं (Ejaculation Disorders)
स्खलन में होने वाली समस्याएं निम्नलिखित हैं,
1. शीघ्रपतन (Premature Ejaculation / PE)
अगर योनि में लिंग के प्रवेश करते ही या बहुत जल्दी ही वीर्य निकल जाता है, तो इसे शीघ्रपतन या प्री-मैच्योर इजेक्युलेशन या पीई कहा जाता है।
शीघ्रपतन (पीई) का सही कारण अभी तक ज्ञात नहीं है। लेकिन कई मामलों में पीई सेक्स के दौरान परफॉर्मेंस के दबाव के कारण भी हो सकता है। इसके कई अन्य फैक्टर्स भी हो सकते हैं। जैसे,
तनाव या स्ट्रेस
अस्थायी तनाव
लंबे समय तक सेक्स की इच्छा को दबाए रखने से
आत्मविश्वास की कमी
पार्टनर से संवाद की कमी
पार्टनर के साथ हुए अनसुलझे झगड़े
आदि।
कई स्टडी से पता चलता है कि सेरोटोनिन (एक प्राकृतिक रसायन जो मूड को प्रभावित करता है) के ब्रेकडाउन के कारण शीघ्रपतन की समस्या हो सकती है।
कुछ एंटी डिप्रेसेंट दवाओं के सेवन से भी ये समस्या हो सकती है। कई बार पीठ या रीढ़ की हड्डी में चोट के कारण होने वाला नर्व्स डैमेज भी शीघ्रपतन का कारण बन सकता है।
2. स्खलन देर से होना या न होना (Inhibited or Delayed Ejaculation / DE)
इस समस्या के होने पर स्खलन या तो होता ही नहीं है या बहुत लंबा समय लगता है। स्खलन न होने या देर से होने के पीछे के शारीरिक कारणों में
पुरानी स्वास्थ्य समस्याएं
दवा के साइड इफेक्ट
शराब ज्यादा पीने
कुछ खास सर्जरी
शामिल हो सकती है।
कई बार ये समस्या मनोवैज्ञानिक फैक्टर्स, जैसे
डिप्रेशन
एंग्जाइटी
तनाव
रिश्ते में होने वाली समस्याओं
के कारण भी हो सकती है।
3. उल्टा स्खलन होना (Retrograde Ejaculation / RE)
इस समस्या के बारे में न तो ज्यादा बात की जाती है और न ही ज्यादा लोगों को पता होता है। लेकिन, इसमें सेक्स पूरा होने के बाद वीर्य लिंग से बाहर की ओर नहीं निकलता है, बल्कि वापस मूत्राशय या ब्लैडर में चला जाता है।
ये समस्या ज्यादातर डायबिटीज से पीड़ित पुरुषों में सबसे आम है। कई बार जब डायबिटीज के कारण नर्व्स डैमेज हो जाती हैं तो ये समस्या बढ़ जाती है।
मूत्राशय और मूत्राशय के जोड़ की नसों में जब समस्या होती है तो ये वीर्य को आगे बढ़ने की बजाय पीछे की ओर बहने के लिए मजबूर करती हैं। कुछ अन्य पुरुषों को ये समस्या दवाओं के साइड इफेक्ट या ब्लैडर नेक या प्रोस्टेट का ऑपरेशन करवाने के बाद हो सकती है।
2. इरेक्टाइल डिसफंक्शन (Erectile Dysfunction / ED)
इरेक्टाइल डिसफंक्शन या ईडी में पार्टनर से सेक्स करने के लिए या तो पेनिस हार्ड ही नहीं होता है, या फिर, लंबे समय तक हार्ड बनाए रखने में असमर्थता होती है। ये समस्या काफी आम है, स्टडी से पता चलता है कि 40 वर्ष से अधिक उम्र के लगभग आधे अमेरिकी पुरुष इससे प्रभावित होते हैं।
इरेक्टाइल डिसफंक्शन के कारणों (Causes of Erectile Dysfunction) में शामिल हैं,
ब्लड फ्लो को प्रभावित करने वाले रोग जैसे धमनियों का सख्त होना।
नर्व्स संबंधी डिसऑर्डर
तनाव, रिलेशनशिप की समस्याएं, डिप्रेशन और परफॉर्मेंस से जुड़ी एंग्जाइटी
पेनिस में चोट लगना
डायबिटीज और हाई ब्लड प्रेशर जैसी बीमारी होना
अनहेल्दी आदतें जैसे स्मोकिंग, बहुत अधिक शराब पीना, अधिक भोजन करना और वर्कआउट न करना
आदि।
3. यौनेच्छा की कमी (Low Libido)
लो लिबिडो या यौनेच्छा की कमी का मतलब है, कि आपकी इच्छा या रुचि सेक्स में कम हो गई है। ये स्थिति अक्सर मेल हार्मोन टेस्टोस्टेरोन के लो लेवल से जुड़ी होती है।
टेस्टोस्टेरोन सेक्स ड्राइव, शुक्राणु के उत्पादन, मांसपेशियों, बालों और हड्डियों की सेहत को बनाए रखता है।टेस्टोस्टेरोन का लो लेवल आपके शरीर और मूड को प्रभावित कर सकता है।
यौनेच्छा की कमी भी डिप्रेशन, एंग्जाइटी या रिलेशनशिप में समस्याओं के कारण हो सकती है। डायबिटीज, हाई ब्लड प्रेशन, और एंटी डिप्रेसेंट जैसी कुछ दवाएं भी सेक्स करने की चाहत को कम कर सकती हैं।
सेक्शुअल डिसफंक्शन
का उपचार क्या है?
(Treatments For Male Sexual Dysfunction)
सेक्शुअल डिसफंक्शन या यौन रोग के कई मामलों को इसके कारण होने वाली मानसिक या शारीरिक समस्याओं का इलाज करके ठीक किया जा सकता है। इन समस्याओं के उपचार में शामिल हैं:
1.
दवाएं (Medications) :
ऐसी सभी दवाएं जो लिंग में रक्त के प्रवाह को बढ़ाकर सेक्शुअल फंक्शन को बेहतर बनाने में मदद करती हैं, सेक्शुअल डिसफंक्शन के उपचार में मदद कर सकती हैं
वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गनाइजेशन के अनुसार, इच्छा होने पर भी सेक्स संबंध बनाने में असमर्थ होना ही सेक्शुअल डिसफंक्शन है। सेक्शुअल डिसफंक्शन या यौन रोग के उपचार में आमतौर पर किसी इंसान को 6 महीने या उससे अधिक का समय भी लग सकता है। इसलिए, धैर्य बनाए रखें और अपने डॉक्टर की सलाह को सही ढंग से फॉलो करें।