सोमवार, 19 मई 2025

प्रोस्टेट की समस्या भी सेक्शुअल प्रॉब्लम का कारण बन सकती है- डॉ० बी० के० कश्यप


                                    

क्या प्रोस्टेट की समस्या सेक्शुअल प्रॉब्लम का कारण बन सकती है?

प्रोस्टेट ग्रंथि पुरुषों के प्रजनन और मूत्र संबंधी सिस्टम का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। उम्र बढ़ने के साथ यह ग्रंथि विभिन्न समस्याओं से ग्रसित हो सकती है, जैसे कि बिनाइन प्रोस्टेटिक हाइपरप्लासिया (BPH), प्रोस्टेटाइटिस, और प्रोस्टेट कैंसर। जब किसी पुरुष को प्रोस्टेट से जुड़ी कोई समस्या होती है, तो एक आम सवाल यह होता है: क्या इसका असर उसकी यौन क्षमता पर पड़ेगा?

इस ब्लॉग में हम समझेंगे कि प्रोस्टेट की कौन-कौन सी समस्याएं होती हैं, वे कैसे यौन स्वास्थ्य को प्रभावित कर सकती हैं, और क्या इसका इलाज संभव है।

प्रोस्टेट क्या है और इसका कार्य क्या है?

प्रोस्टेट एक अखरोट के आकार की ग्रंथि है जो मूत्राशय के नीचे और मलाशय के सामने स्थित होती है। यह मूत्रमार्ग को घेरती है - वह नली जो मूत्र और वीर्य को शरीर से बाहर ले जाती है। प्रोस्टेट का प्राथमिक कार्य वीर्य द्रव का उत्पादन करना है जो स्खलन के दौरान शुक्राणुओं को पोषण और परिवहन करता है।

पुरुषों की उम्र बढ़ने के साथ, प्रोस्टेट बढ़ने लगता है, जिससे विभिन्न मूत्र और यौन समस्याएं हो सकती हैं। लेकिन वास्तव में ऐसा क्यों होता है, और यह यौन क्रिया को कैसे प्रभावित करता है?

प्रोस्टेट की आम समस्याएं जो यौन स्वास्थ्य को प्रभावित करती हैं

1. बिनाइन प्रोस्टेटिक हाइपरप्लासिया (BPH)


BPH एक गैर-कैंसरजनक स्थिति है जिसमें प्रोस्टेट का आकार बढ़ जाता है। यह 50 वर्ष से अधिक उम्र के पुरुषों में आम है।

BPH और यौन स्वास्थ्य पर प्रभाव:

सेक्स ड्राइव में कमी (libido down): हार्मोनल बदलाव इसका कारण हो सकते हैं।
इरेक्टाइल डिसफंक्शन (ED): प्रोस्टेट की सूजन या कुछ दवाओं के कारण उत्तेजना में कमी हो सकती है।
वीर्य स्खलन में बदलाव: बहुत से पुरुषों को स्खलन में कमी या दर्द की शिकायत होती है।

2. प्रोस्टेटाइटिस (Prostatitis)


यह प्रोस्टेट की सूजन होती है, जो अधिकतर संक्रमण के कारण होती है। यह किसी भी उम्र में हो सकती है, लेकिन युवाओं और मध्यवयस्क पुरुषों में अधिक देखी जाती है।
प्रोस्टेटाइटिस के लक्षण और यौन प्रभाव:
संभोग के समय या बाद में दर्द
शीघ्रपतन (Premature ejaculation)
इरेक्टाइल डिसफंक्शन
यौन इच्छा में कमी

यह स्थिति मानसिक तनाव भी पैदा कर सकती है, जिससे सेक्स संबंधी समस्याएं और बढ़ सकती हैं।

3. प्रोस्टेट कैंसर


प्रोस्टेट कैंसर पुरुषों में एक आम प्रकार का कैंसर है। इसके इलाज में अक्सर ऐसी प्रक्रियाएं होती हैं, जो यौन स्वास्थ्य को प्रभावित कर सकती हैं।

कैंसर और उसके इलाज का प्रभाव:

प्रोस्टेट सर्जरी (Prostatectomy): इसमें प्रोस्टेट को हटाया जाता है, जिससे इरेक्शन को नियंत्रित करने वाली नसें क्षतिग्रस्त हो सकती हैं।
रेडिएशन थेरेपी: इससे इरेक्टाइल टिशू प्रभावित हो सकते हैं।
हॉर्मोन थेरेपी: इससे टेस्टोस्टेरोन का स्तर घटता है, जिससे यौन इच्छा कम हो जाती है।

मानसिक असर और यौन स्वास्थ्य

शारीरिक समस्याओं के अलावा प्रोस्टेट की बीमारी का मनोवैज्ञानिक असर भी गंभीर हो सकता है। चिंता, तनाव, और अवसाद पुरुषों की यौन क्षमता को और खराब कर सकते हैं। पुरुष अक्सर खुद को कमज़ोर या “कम मर्द” महसूस करने लगते हैं, जिससे इरेक्टाइल डिसफंक्शन की समस्या बढ़ जाती है।

क्या इलाज से यौन समस्याएं ठीक हो सकती हैं?

हाँ, अगर सही समय पर प्रोस्टेट की समस्या का इलाज किया जाए तो यौन स्वास्थ्य में सुधार संभव है।

इलाज के तरीके:

दवाइयाँ: BPH और प्रोस्टेटाइटिस के लिए कई प्रभावी दवाइयाँ हैं, लेकिन कुछ दवाएं यौन साइड इफेक्ट्स भी दे सकती हैं।
सर्जरी: सर्जरी से पेशाब की दिक्कत तो दूर हो सकती है, लेकिन कभी-कभी इरेक्शन की समस्या हो सकती है। नई “नर्व स्पेयरिंग” तकनीकों से यह खतरा कम किया जा सकता है।
पेल्विक फ्लोर एक्सरसाइज: इससे इरेक्शन और स्खलन पर नियंत्रण बेहतर हो सकता है।
काउंसलिंग: यदि मानसिक तनाव अधिक है, तो यौन थेरेपी या मनोवैज्ञानिक परामर्श मददगार हो सकता है।

यौन और प्रोस्टेट स्वास्थ्य के लिए लाइफस्टाइल टिप्स

नियमित व्यायाम करें: यह ब्लड सर्कुलेशन और हार्मोन बैलेंस को बेहतर बनाता है।
स्वस्थ आहार लें: फलों, सब्जियों और ओमेगा-3 से भरपूर डाइट फायदेमंद होती है।
धूम्रपान और शराब से बचें: ये दोनों इरेक्शन की समस्या को बढ़ा सकते हैं।
नियमित हेल्थ चेकअप कराएं: शुरुआती पहचान से समस्याएं समय पर काबू में आ सकती हैं।
अपने पार्टनर से बात करें: खुलकर बात करने से मानसिक दबाव कम होता है।

डॉक्टर को कब दिखाएं?

अगर आपको निम्न लक्षणों में से कोई हो, तो तुरंत किसी यूरोलॉजिस्ट से संपर्क करें:
पेशाब करने में कठिनाई
बार-बार पेशाब आना
संभोग के दौरान या बाद में दर्द
बार-बार शीघ्रपतन या इरेक्टाइल डिसफंक्शन

निष्कर्ष

तो क्या प्रोस्टेट की समस्या सेक्स से जुड़ी समस्याओं का कारण बन सकती है? हाँ, बिल्कुल। लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि यौन जीवन पूरी तरह खत्म हो जाता है। सही समय पर इलाज, जीवनशैली में बदलाव और मानसिक सहयोग से स्थिति को सुधारा जा सकता है।

अगर आप या आपके किसी करीबी को प्रोस्टेट से जुड़ी समस्या है और आप यौन जीवन में बदलाव महसूस कर रहे हैं, तो चुप न रहें। डॉक्टर से बात करें, सही जानकारी लें और बेहतर जीवन की दिशा में कदम बढ़ाएं।



गुरुवार, 24 अप्रैल 2025

पुरुषों में सेक्स टाइमिंग की समस्या और इसके प्राकृतिक व आयुर्वेदिक उपचार


                   

पुरुषों में सेक्स टाइमिंग की समस्या और इसके प्राकृतिक व आयुर्वेदिक उपचार


जानिए पुरुषों में सेक्स टाइमिंग की समस्या के कारण, लक्षण और आयुर्वेदिक व प्राकृतिक तरीकों से इस समस्या का स्थायी समाधान कैसे पाएं।

अनुक्रमणिका

सेक्स टाइमिंग की समस्या क्या है?
मुख्य कारण
प्राकृतिक उपचार
आयुर्वेदिक इलाज
जीवनशैली संबंधी सुझाव
कब डॉक्टर से मिलें?
निष्कर्ष

सेक्स टाइमिंग की समस्या क्या है?

सेक्स टाइमिंग की समस्या, खासकर शीघ्रपतन (Premature Ejaculation), पुरुषों में आम है। इससे आत्मविश्वास कम हो सकता है और रिश्तों पर असर पड़ सकता है। अच्छी बात ये है कि इसका इलाज संभव है।

प्रमुख लक्षण:

संभोग की शुरुआत के 1-2 मिनट के भीतर वीर्यपात
वीर्यपात को नियंत्रित करने में असमर्थता
प्रदर्शन को लेकर तनाव या चिंता


सेक्स टाइमिंग कम होने के कारण

मानसिक कारण:

प्रदर्शन की चिंता
अवसाद या तनाव
रिश्ता तनावपूर्ण होना
 
शारीरिक कारण:

टेस्टोस्टेरोन की कमी
प्रोस्टेट या मूत्र मार्ग संक्रमण
नर्व से जुड़ी समस्याएं
 
जीवनशैली से जुड़े कारण:

अत्यधिक हस्तमैथुन
गलत खानपान
नींद की कमी
शराब और धूम्रपान
 
सेक्स टाइमिंग बढ़ाने के प्राकृतिक उपाय

1. केगल व्यायाम

पेल्विक फ्लोर की मांसपेशियां मजबूत होती हैं जिससे वीर्यपात को कंट्रोल करना आसान होता है।
 
2. योग और ध्यान

तनाव घटाकर मानसिक स्थिरता लाते हैं, जिससे सेक्स स्टैमिना बेहतर होता है।

फायदेमंद योगासन

भुजंगासन
धनुरासन
पश्चिमोत्तानासन

3. आहार सुधारें

केला, बादाम, पालक, लहसुन, अंडा
अधिक पानी पिएं, फाइबर लें
 
4. पोर्न और अत्यधिक हस्तमैथुन से दूरी

इससे मस्तिष्क की संवेदनशीलता कम होती है। इससे दूरी बनाकर प्राकृतिक उत्तेजना महसूस करना आसान होता है
 
सेक्स टाइमिंग के लिए आयुर्वेदिक उपचार

आयुर्वेद में कई ऐसे प्राकृतिक हर्ब्स हैं जो यौन शक्ति और समय को बढ़ाने में मददगार हैं।
 
1. अश्वगंधा

तनाव कम करता है, टेस्टोस्टेरोन बढ़ाता है।

सेवन विधि: एक चम्मच अश्वगंधा चूर्ण गर्म दूध के साथ रात को लें।
 
2. शिलाजीत

ऊर्जा और वीर्य गुणवत्ता बढ़ाता है।
 
3. कौंच बीज

डोपामिन स्तर बढ़ाता है और शीघ्रपतन में मदद करता है।
 
4. सफेद मूसली

शक्ति और संभोग क्षमता बढ़ाने वाला हर्ब।


5. प्रसिद्ध आयुर्वेदिक योग

यौवनामृत वटी
मकरध्वज वटी
त्रिफला चूर्ण (डिटॉक्स के लिए)


लाइफस्टाइल और दिनचर्या संबंधी सुझाव
 
अभ्यंग (तेल मालिश): बलातैल या अश्वगंधा तेल से शरीर की मालिश करें।
आयुर्वेदिक दिनचर्या (दिनचर्या): समय पर सोना, उठना, खाना।
व्यायाम करें: रोजाना चलें, दौड़ें या योग करें।
अत्यधिक मसालेदार भोजन और धूम्रपान से बचें।


कब डॉक्टर से मिलें?

अगर ऊपर बताए उपायों से भी राहत न मिले, तो किसी सेक्सोलॉजिस्ट या आयुर्वेदिक चिकित्सक से सलाह लें। वे आपकी जांच कर सकते हैं:
हार्मोन टेस्ट
तनाव स्तर
प्रोस्टेट हेल्थ

निष्कर्ष

सेक्स टाइमिंग की समस्या आम है लेकिन इसका समाधान है। यदि आप प्राकृतिक, आयुर्वेदिक और स्वस्थ जीवनशैली को अपनाते हैं, तो न केवल आपकी यौन शक्ति बढ़ेगी बल्कि आत्मविश्वास भी लौटेगा।

स्वस्थ यौन जीवन आत्मविश्वास और खुशहाल रिश्तों की कुंजी है — और ये सब प्राकृतिक तरीके से पाया जा सकता है।















मंगलवार, 1 अप्रैल 2025

शुक्राणुओं की कमी: पुरुषों की सेक्शुअल हेल्थ पर इसका प्रभाव



                               

शुक्राणुओं की कमी: पुरुषों की सेक्शुअल हेल्थ पर इसका प्रभाव


आज की तेज़-रफ्तार ज़िंदगी, बदलती जीवनशैली और बढ़ते तनाव के कारण पुरुषों की यौन स्वास्थ्य समस्याएँ बढ़ती जा रही हैं। इनमें सबसे बड़ी समस्या शुक्राणुओं (Sperm) की संख्या में कमी होना है। यह न केवल पुरुषों की प्रजनन क्षमता (Fertility) को प्रभावित करता है, बल्कि उनके यौन स्वास्थ्य (Sexual Health) और संपूर्ण स्वास्थ्य पर भी गंभीर प्रभाव डाल सकता है।
आइए विस्तार से समझते हैं कि शुक्राणुओं की कमी क्यों होती है, इसके कारण, लक्षण और इससे बचने के उपाय क्या हैं।

शुक्राणुओं की कमी (Low Sperm Count) क्या है?


शुक्राणुओं की संख्या किसी पुरुष के वीर्य (Semen) में मौजूद शुक्राणुओं की मात्रा को दर्शाती है। मेडिकल भाषा में इसे ओलिगोस्पर्मिया (Oligospermia) कहते हैं। सामान्य रूप से, एक स्वस्थ पुरुष के वीर्य में प्रति मिलीलीटर 15 मिलियन (1.5 करोड़) या उससे अधिक शुक्राणु होने चाहिए। यदि यह संख्या इससे कम होती है, तो इसे शुक्राणुओं की कमी माना जाता है।


जब शुक्राणुओं की संख्या अत्यधिक कम हो जाती है या वीर्य में शुक्राणु बिल्कुल नहीं होते, तो इसे एज़ूस्पर्मिया (Azoospermia) कहा जाता है। यह स्थिति पुरुषों की प्रजनन क्षमता को बहुत अधिक प्रभावित कर सकती है।

शुक्राणुओं की कमी के मुख्य कारण


शुक्राणुओं की संख्या में गिरावट कई कारणों से हो सकती है। इनमें प्रमुख कारण निम्नलिखित हैं:

1. जीवनशैली से जुड़े कारण

अस्वस्थ आहार: पोषण की कमी और जंक फूड के अधिक सेवन से शुक्राणु उत्पादन प्रभावित होता है।
धूम्रपान और शराब: ये दोनों आदतें शुक्राणुओं की गुणवत्ता और संख्या को नकारात्मक रूप से प्रभावित करती हैं।
अत्यधिक तनाव: मानसिक तनाव शरीर में हार्मोनल असंतुलन पैदा करता है, जिससे शुक्राणु उत्पादन कम हो सकता है।
नींद की कमी: पर्याप्त नींद न लेने से टेस्टोस्टेरोन का स्तर गिरता है, जिससे शुक्राणु उत्पादन प्रभावित होता है।

2. मेडिकल कारण

हार्मोनल असंतुलन: टेस्टोस्टेरोन और अन्य हार्मोनों की गड़बड़ी शुक्राणुओं की संख्या को कम कर सकती है।
वेरिकोसील (Varicocele): अंडकोष की नसों में सूजन आने से शुक्राणु उत्पादन प्रभावित होता है।
संक्रमण: कुछ यौन संक्रामक रोग (STD) या अन्य संक्रमण शुक्राणुओं की गुणवत्ता को नुकसान पहुँचा सकते हैं।
अनुवांशिक कारण: कुछ पुरुषों में जन्म से ही शुक्राणु उत्पादन की समस्या होती है।

3. पर्यावरणीय कारण

रेडिएशन और टॉक्सिन्स: मोबाइल रेडिएशन, केमिकल एक्सपोजर और प्रदूषण भी शुक्राणु उत्पादन को कम कर सकते हैं।
अत्यधिक गर्मी: बहुत टाइट अंडरवियर पहनना, अधिक देर तक बैठना, या गर्म पानी से नहाना अंडकोष के तापमान को बढ़ाकर शुक्राणुओं की संख्या कम कर सकता है।

शुक्राणुओं की कमी के लक्षण


यदि किसी पुरुष के शुक्राणुओं की संख्या कम हो रही है, तो उसके शरीर में निम्नलिखित लक्षण दिखाई दे सकते हैं:

✅ यौन इच्छा (Libido) में कमी
✅ इरेक्टाइल डिस्फंक्शन (Erectile Dysfunction) यानी पर्याप्त स्तंभन (Erection) न हो पाना
✅ वीर्य की मात्रा में कमी
✅ अंडकोष में सूजन या दर्द
✅ बच्चे पैदा करने में कठिनाई

अगर इनमें से कोई भी लक्षण दिख रहे हैं, तो पुरुषों को तुरंत डॉक्टर से परामर्श लेना चाहिए।

शुक्राणुओं की कमी का सेक्शुअल हेल्थ पर प्रभाव


1️- क्षमता में गिरावट: शुक्राणु उत्पादन कम होने से पुरुषों में टेस्टोस्टेरोन हार्मोन का स्तर भी प्रभावित होता है, जिससे उनकी यौन शक्ति कम हो सकती है।

2️- संभोग में रुचि की कमी: जब शुक्राणुओं की संख्या कम होती है, तो पुरुषों में सेक्शुअल ड्राइव (Sex Drive) भी कम हो जाती है, जिससे उनके रिश्तों पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है।

3️- बांझपन (Infertility): शुक्राणुओं की कमी से संतान उत्पन्न करने की संभावना बहुत कम हो जाती है।

4️- मानसिक तनाव और अवसाद: यौन समस्याओं की वजह से पुरुषों में आत्मविश्वास की कमी, तनाव और डिप्रेशन जैसी मानसिक समस्याएँ हो सकती हैं।

शुक्राणुओं की संख्या बढ़ाने के उपाय


अगर किसी पुरुष में शुक्राणुओं की संख्या कम हो रही है, तो वे निम्नलिखित तरीकों से इसे बढ़ा सकते हैं:
1. हेल्दी डाइट अपनाएँ
अधिक प्रोटीन और विटामिन युक्त आहार खाएँ (अंडे, बादाम, अखरोट, हरी सब्जियाँ, फल)।
जिंक और मैग्नीशियम युक्त खाद्य पदार्थों का सेवन करें (कद्दू के बीज, केला, चना)।
एंटीऑक्सीडेंट से भरपूर चीजें खाएँ (ब्लूबेरी, ग्रीन टी, डार्क चॉकलेट)।
2. एक्सरसाइज़ करें
डेली वर्कआउट करें, खासकर योग और कार्डियो एक्सरसाइज़।
केगल एक्सरसाइज़ करने से यौन स्वास्थ्य में सुधार होता है।
3. नशे से बचें
धूम्रपान और शराब का सेवन तुरंत बंद करें।
अधिक कैफीन और एनर्जी ड्रिंक्स का सेवन करने से बचें।
4. तनाव कम करें
रोज़ाना ध्यान (Meditation) और प्राणायाम करें।
पर्याप्त नींद लें और खुद को रिलैक्स रखें।
5. मेडिकल ट्रीटमेंट लें
यदि शुक्राणुओं की कमी बहुत अधिक है, तो डॉक्टर से मिलकर सही इलाज करवाएँ।
किसी भी मेडिकल स्थिति (Varicocele, हार्मोनल इंबैलेंस) का इलाज समय पर करवाएँ।

निष्कर्ष

शुक्राणुओं की कमी पुरुषों की यौन और प्रजनन क्षमता को गंभीर रूप से प्रभावित कर सकती है। लेकिन सही लाइफस्टाइल अपनाकर, हेल्दी डाइट लेकर और नियमित व्यायाम करके इसे ठीक किया जा सकता है। यदि किसी पुरुष को लंबे समय से शुक्राणु की कमी या अन्य यौन समस्याएँ हो रही हैं, तो डॉक्टर से परामर्श लेना बहुत ज़रूरी है।
यौन स्वास्थ्य सिर्फ शरीर के लिए नहीं, बल्कि मानसिक और भावनात्मक संतुलन के लिए भी महत्वपूर्ण है। इसलिए अपने शरीर का ध्यान रखें और स्वस्थ जीवनशैली अपनाएँ।


शनिवार, 8 मार्च 2025

आयुर्वेद द्वारा इरेक्टाइल डिस्फंक्शन और प्रीमैच्योर इजैकुलेशन का उपचार

 

                             

आयुर्वेद द्वारा इरेक्टाइल डिस्फंक्शन और प्रीमैच्योर इजैकुलेशन का उपचार

आधुनिक जीवनशैली, तनाव, अस्वस्थ खानपान और मानसिक दबाव के कारण आजकल पुरुषों में यौन संबंधित समस्याएं तेजी से बढ़ रही हैं। इरेक्टाइल डिस्फंक्शन (Erectile Dysfunction - ED) और प्रीमैच्योर इजैकुलेशन (Premature Ejaculation - PE) दो प्रमुख समस्याएं हैं जो पुरुषों के आत्मविश्वास को प्रभावित करती हैं और उनके दांपत्य जीवन में तनाव उत्पन्न कर सकती हैं। हालाँकि, आयुर्वेद में इन समस्याओं का प्राकृतिक और प्रभावी समाधान उपलब्ध है। यह प्राचीन चिकित्सा पद्धति शरीर, मन और आत्मा के संतुलन पर आधारित है और बिना किसी दुष्प्रभाव के उपचार प्रदान करती है।

इरेक्टाइल डिस्फंक्शन (ED) क्या है?

इरेक्टाइल डिस्फंक्शन एक ऐसी स्थिति है जिसमें पुरुषों को संभोग के दौरान पर्याप्त स्तंभन (इरेक्शन) प्राप्त करने या बनाए रखने में कठिनाई होती है। यह समस्या शारीरिक और मानसिक दोनों कारणों से हो सकती है।

ED के कारण:

·        शारीरिक कारण: हृदय रोग, उच्च रक्तचाप, मधुमेह, मोटापा, हार्मोनल असंतुलन, धूम्रपान, शराब सेवन।

·        मानसिक कारण: तनाव, चिंता, डिप्रेशन, कम आत्मविश्वास।

·        अन्य कारण: खराब जीवनशैली, अधिक व्यस्तता, नींद की कमी।

प्रीमैच्योर इजैकुलेशन (PE) क्या है?

प्रीमैच्योर इजैकुलेशन वह स्थिति है जिसमें पुरुष संभोग के दौरान समय से पहले स्खलित हो जाते हैं, जिससे यौन संतोष में कमी आ सकती है। यह भी मानसिक और शारीरिक दोनों कारणों से हो सकता है।

PE के कारण:

·        मानसिक कारण: तनाव, यौन प्रदर्शन की चिंता, अवसाद।

·        शारीरिक कारण: हार्मोनल असंतुलन, न्यूरोलॉजिकल समस्याएँ।

·        अन्य कारण: अशुद्ध आहार, अधिक हस्तमैथुन, गलत जीवनशैली।

आयुर्वेदिक उपचार

आयुर्वेद में इन दोनों समस्याओं के लिए कई प्रकार की जड़ी-बूटियाँ, योग और प्राकृतिक उपाय बताए गए हैं, जो बिना किसी साइड इफेक्ट के यौन स्वास्थ्य को सुधार सकते हैं।

1. आयुर्वेदिक जड़ी-बूटियाँ


1. अश्वगंध (Withania somnifera)

·        मानसिक तनाव को कम करता है और टेस्टोस्टेरोन स्तर को बढ़ाता है।

·        ब्लड सर्कुलेशन में सुधार कर स्तंभन शक्ति को बढ़ाता है।

·        यौन शक्ति और स्टैमिना को बढ़ाता है।

2. शिलाजीत (Shilajit)

·        यह एक प्राकृतिक एनर्जी बूस्टर है जो यौन कमजोरी को दूर करता है।

·        वीर्य की गुणवत्ता को सुधारता है और इरेक्शन को मजबूत बनाता है।

3. गोखरू )Tribulus terrestris)

·        टेस्टोस्टेरोन स्तर को बढ़ाता है और यौन प्रदर्शन में सुधार करता है।

·        यौन इच्छा (लिबिडो) को बढ़ाने में सहायक।

4. सफेद मूसली (Chlorophytum borivilianum)

·        पुरुषों में यौन दुर्बलता को दूर करता है।

·        वीर्य की मात्रा और गुणवत्ता को बढ़ाने में मदद करता है।

5. कौंच के बीज (Mucuna pruriens)

·        शुक्राणुओं की गुणवत्ता में सुधार करता है।

·        नपुंसकता और प्रीमैच्योर इजैकुलेशन की समस्या को दूर करता है।

2. आयुर्वेदिक औषधियाँ

·        वीर्यवर्धक चूर्ण: यह पुरुषों के वीर्य की गुणवत्ता को सुधारता है और यौन शक्ति को बढ़ाता है।

·        कामदेव चूर्ण: यह यौन क्षमता को बढ़ाने में मदद करता है।

·        मकरध्वज वटी: यह प्राकृतिक रूप से यौन शक्ति को बढ़ाने का कार्य करता है।

3. योग और प्राणायाम

योग और प्राणायाम शरीर को स्वस्थ रखते हैं और मानसिक शांति प्रदान करते हैं।

योगासन:

·        भुजंगासन (Cobra Pose) - यह पेल्विक क्षेत्र में रक्त संचार को बढ़ाता है।

·        सेतुबंधासन (Bridge Pose) - यह इरेक्शन में सुधार करता है।

·        शलभासन (Locust Pose) - यह नपुंसकता को दूर करता है।

प्राणायाम:

·        अनुलोम-विलोम: तनाव को कम करता है और मानसिक शांति प्रदान करता है।

·        भस्त्रिका प्राणायाम: शरीर में ऑक्सीजन की मात्रा को बढ़ाता है और यौन शक्ति में सुधार करता है।

4. स्वस्थ जीवनशैली और आहार

·        संतुलित आहार लें - हरी सब्जियाँ, फल, नट्स और डेयरी उत्पादों का सेवन करें।

·        फास्ट फूड और जंक फूड से बचें - ये शरीर में टॉक्सिन्स बढ़ाते हैं और यौन स्वास्थ्य को नुकसान पहुँचाते हैं।

·        धूम्रपान और शराब से बचें - ये यौन शक्ति को कमजोर करते हैं।

·        अच्छी नींद लें - 7-8 घंटे की नींद आवश्यक है।

·        नियमित व्यायाम करें - पेल्विक मसल्स को मजबूत करने के लिए केगल एक्सरसाइज करें।

निष्कर्ष

आयुर्वेद न केवल इरेक्टाइल डिस्फंक्शन और प्रीमैच्योर इजैकुलेशन जैसी समस्याओं का उपचार करता है, बल्कि यह यौन स्वास्थ्य को संपूर्ण रूप से सुधारने में सहायक है। सही आहार, योग, जड़ी-बूटियाँ और प्राकृतिक औषधियों के माध्यम से इन समस्याओं से छुटकारा पाया जा सकता है। यदि आप लंबे समय से इस समस्या से जूझ रहे हैं, तो किसी अच्छे आयुर्वेदिक चिकित्सक से परामर्श अवश्य करें।

स्वस्थ रहें, निरोगी रहें!


Kashyap Clinic Pvt. Ltd.


Gmail: dr.b.k.kashyap@gmail.com


Blogger:  https://drbkkashyap.blogspot.com/   


Justdial:

https://www.justdial.com/Allahabad/Kashyap-Clinic-Pvt-Ltd-in-Civil-Lines/group


Website:  http://www.drbkkashyapsexologist.com/


 Youtube: https://www.youtube.com/c/KashyapClinicPrayagraj/videos

Facebook: https://www.facebook.com/profile.php?id=100086022823455

Instagram: https://www.instagram.com/kashyapclinicprayagraj

Twitter (X): https://x.com/Sexologistdrbk

Lybrate:  https://www.lybrate.com/allahabad/doctor/dr-b-k-kashyap-sexologist

Sehat :  https://www.sehat.com/dr-bk-kashyap-ayurvedic-doctor-allahabad

शनिवार, 1 मार्च 2025

थायरॉइड विकारों का यौन स्वास्थ्य पर प्रभाव


थायरॉइड विकारों का यौन स्वास्थ्य पर प्रभाव
 

थायरॉइड ग्रंथि हमारे शरीर की महत्वपूर्ण अंतःस्रावी ग्रंथियों में से एक है, जो मेटाबॉलिज़्म, ऊर्जा स्तर और हार्मोनल संतुलन को नियंत्रित करती है। इस ग्रंथि में असंतुलन, जैसे हाइपोथायरायडिज़्म (थायरॉइड हार्मोन की कमी) या हाइपरथायरायडिज़्म (थायरॉइड हार्मोन की अधिकता), न केवल शारीरिक स्वास्थ्य पर बल्कि यौन जीवन पर भी गहरा प्रभाव डाल सकता है।

थायरॉइड विकारों का यौन स्वास्थ्य पर प्रभाव

  1. कामेच्छा में कमी: हाइपोथायरायडिज़्म के कारण थकान, अवसाद और ऊर्जा की कमी होती है, जिससे यौन इच्छा में कमी आ सकती है। इसके विपरीत, हाइपरथायरायडिज़्म में अत्यधिक चिंता और घबराहट के कारण यौन रुचि प्रभावित हो सकती है।
  2. स्तंभन दोष (इरेक्टाइल डिसफंक्शन): पुरुषों में थायरॉइड हार्मोन का असंतुलन रक्त प्रवाह को प्रभावित करता है, जिससे इरेक्टाइल डिसफंक्शन की समस्या हो सकती है।
  3. मासिक धर्म में अनियमितता: महिलाओं में हाइपोथायरायडिज़्म के कारण मासिक धर्म भारी और अनियमित हो सकता है, जबकि हाइपरथायरायडिज़्म के कारण मासिक धर्म हल्का और कम अवधि का हो सकता है।
  4. प्रजनन समस्याएँ: थायरॉइड विकारों के कारण महिलाओं में ओव्यूलेशन की समस्याएँ और पुरुषों में शुक्राणु की गुणवत्ता में कमी आ सकती है, जिससे बांझपन की संभावना बढ़ती है।
  5. मूड स्विंग्स और अवसाद: थायरॉइड हार्मोन का असंतुलन मानसिक स्वास्थ्य पर प्रभाव डालता है, जिससे मूड स्विंग्स, चिड़चिड़ापन और अवसाद हो सकता है, जो यौन जीवन को प्रभावित करता है।

थायरॉइड विकारों के लक्षण

थायरॉइड विकारों के लक्षण पहचानना महत्वपूर्ण है ताकि समय पर उपचार किया जा सके:

  •  हाइपोथायरायडिज़्म के लक्षण:
    • थकान और कमजोरी
    • वजन बढ़ना
    • ठंड सहन न कर पाना
    • त्वचा का सूखापन
    • बालों का झड़ना
    • मासिक धर्म में अनियमितता
  • हाइपरथायरायडिज़्म के लक्षण:
    • वजन कम होना
    • तेज या अनियमित दिल की धड़कन
    • अत्यधिक पसीना आना
    • चिंता और घबराहट
    • नींद में कठिनाई
    • मासिक धर्म में कमी

निदान और उपचार

यदि आप उपरोक्त लक्षणों में से किसी का अनुभव कर रहे हैं, तो एक एंडोक्राइनोलॉजिस्ट से परामर्श लें। निदान के लिए टीएसएच (थायरॉइड स्टिम्युलेटिंग हार्मोन) और अन्य संबंधित रक्त परीक्षण किए जाते हैं। उपचार में थायरॉइड हार्मोन की दवाएँ, रेडियोधर्मी आयोडीन थेरेपी, या कुछ मामलों में सर्जरी शामिल हो सकती है।

जीवनशैली में परिवर्तन

थायरॉइड विकारों के प्रबंधन में स्वस्थ जीवनशैली महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है:

  • संतुलित आहार: आयोडीन, सेलेनियम और जिंक से भरपूर खाद्य पदार्थों का सेवन करें। अत्यधिक प्रोसेस्ड फूड और सोया उत्पादों से बचें।
  • नियमित व्यायाम: नियमित व्यायाम मेटाबॉलिज़्म को संतुलित करता है और मूड में सुधार करता है।
  • तनाव प्रबंधन: योग, ध्यान और गहरी साँस लेने की तकनीकों से तनाव कम करें।
  • पर्याप्त नींद: प्रति रात 7-8 घंटे की नींद लें ताकि शरीर और मन स्वस्थ रहें।

निष्कर्ष

थायरॉइड विकारों का यौन जीवन पर महत्वपूर्ण प्रभाव हो सकता है, लेकिन समय 
पर निदान और उचित उपचार से इन प्रभावों को कम किया जा सकता है। यदि आप थायरॉइड विकारों के लक्षणों का अनुभव कर रहे हैं, तो तुरंत चिकित्सा सलाह लें और स्वस्थ जीवनशैली अपनाकर अपने यौन और समग्र स्वास्थ्य में सुधार करें।

प्रोस्टेट की समस्या भी सेक्शुअल प्रॉब्लम का कारण बन सकती है- डॉ० बी० के० कश्यप

                                      क्या प्रोस्टेट की समस्या सेक्शुअल प्रॉब्लम का कारण बन सकती है? प्रोस्टेट ग्रंथि पुरुषों के प्रजनन और ...